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House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल

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Bhishma Kukreti:
    रैला में भवन काष्ठ कला

रैला (नैनीताल ) के एक भवन में  काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन
   Traditional House Wood Carving Art in Raila Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली की  काष्ठ कलाअंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  -

संकलन - भीष्म कुकरेती

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नैनीताल से पारम्परिक  कुमाउँनी भवनों के अतिरिक्त ब्रिटिश शैली के भवनों की सूचना अधिक मिल रही हैं।   प्रस्तुत भवन वास्तव में एक होम स्टे है व ब्रिटिश काल या स्वतन्त्रता पश्चात निर्मित हुआ भवन है।     रैला (नैनीताल ) का प्रस्तुत  भवन दुपुर व दुखंड है व आम कुमाऊंनी बाखली आधार पर नहीं है अपितु गढ़वाल में जंगलेदार भवनों की भाँती जंगलदार भवन है।  भवन के तल मंजिल में बरामदे के बाहरी छोर पर  गोल लट्ठे  स्तम्भ हैं।  ऊपरी मंजिल की बालकोनी के बाहर चौखट नुमा स्तम्भ हैं।  स्तम्भों के मध्य आधार में उप जंगले हैं जो XXX  नुमा हैं। कक्षों के सिंगाड़ , द्वारों व बरमदे व बालकोनी के जंगलों में  सर्वत्र ज्यामितीय कटान की सपाट कला दृष्टिगोचर हो रही है। 

सूचना व फोटो आभार: अरविन्द मेहता

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 

Bhishma Kukreti:
पौखान में भवन काष्ठ कला

पौखान (अल्मोड़ा ) में देवे न  बिष्ट के भवन में कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood Carving art of, Paukhan ,  Almora, Kumaon   
 

कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन -  ५२७

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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अल्मोड़ा से अच्छी खासी संख्या में काष्ठ कला युक्त भवनों की सूचना मिलती जा रही है।  इसी क्रम में आज पौखान (अल्मोड़ा ) में देवेन  बिष्ट के भवन में कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन पर चर्चा होगी।   पौखान (अल्मोड़ा ) में देवन  बिष्ट का भवन दुपुर व दुखंड है।  तल मंजिल मवेशियों हेतु संरक्षित है अतः कमरों में कोई विशेषतः काष्ठ कला दृष्टिगोचर नहीं हो रही है।  पौखान (अल्मोड़ा ) में देेवेन  बिष्ट के भवन के    प्रथम मंजिल में  चार छाज (झरोखे ) हैं।  इन सभी के सिंगाड़ एक जैसे हैं  छाजों के दक्क्णों /दरवाजों में भी ज्यामितीय सपाट कटान के अतिरिकी कोई उत्कीर्र्ण नहीं हुआ है।

छाजों से सिंगाड़ कला युक्त हैं।  प्रत्येक छाज के सिंगाड़ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल है फिर कुम्भी है व ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल कटान से कुम्भी निर्मित हुयी है।  यहां से सिंगाड़ लौकी आकर लेता है व फिर कुछ सिंगाड़ों  (स्तम्भ ) में  ऊपर कुम्भियों की पुनरावृति होती है।  छाजों के मथिण्ड /मुरिन्ड /शीर्ष /header  में सपाट कलाकारी ही है व कोई तोरणम नहीं दिख रहे हैं जो आमतौर पर कुमाउँनी छाजों की विशेषता है। 

छाजों के *शीर्ष में कोई देव मूर्ति भी स्थापित नहीं है ना ही अंकन हुआ है।

निष्कर्ष निकलता है कि   पौखान (अल्मोड़ा ) में देवेन  बिष्ट के भवन में उत्कृष्ट किस्म का उत्तीर्ण हुआ है व ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण मिलता है। 

सूचना व फोटो आभार :  देवेन बिष्ट

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020

Bhishma Kukreti:
भनार (चम्पावत ) भवन  ३ में काष्ठ कला

 भनार (चम्पावत )  के भवन संख्या ३ में काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन

Traditional House Wood carving Art of Bhanar     Champawat, Kumaun 

कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन ( बाखली,   खोली , )  में ' कुमाऊँ  शैली'   की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन  -528

 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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भनार के कुछ भवनों की जानकारी मिली। है।  प्रस्तुत भनार    तिपुर ( तल मंजिल + २ मंजिल )  व दुखंड है।  तल मंजिल में गौशाला व भंडार हैं व काष्ठ कला  ज्यामितीय सपाट कटान  के अतिरिक्त   कुछ विशेष उल्लेखनीय नहीं है।  खोली तल मंजिल पर है जिसके स्तम्भ (सिंगाड़ों  ) में कुम्भियाँ कटी हैं।  खोली के मथिण्ड /मुरिन्ड /header /शीर्ष में कोई  है किन्तु छायाचित्र से स्पष्ट है कि मुरिन्ड में देव मूर्ति स्थापित हुयी होगी।

भनार के भवन संख्या ३ के प्रथम मंजिल में पांच जोड़े छाज दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  छाजों से स्तम्भ व तोरणम (मथिण्ड ) में सपाट काश्त कला दिख रही है।  झरोखों (छाजों ) के ढक्क्नों व दरवाजों में ज्यामितीय कटान ही मिल रहा है।  ढक्क्नों के नीचे भी सपाट व जालीनुमा संरचना मिली हैं। 

भनार के प्रस्तुत भवन में तीसरे मंजिल में जंगला स्थापित हुआ है।  जंगले में स्तम्भ सपाट ज्यामितीय कटान मिला है।  जंगले के स्तम्भों के मध्य आधार में भी उप जंगला संरचना स्थापित हुए हैं।  जंगलों के उप स्तम्भों में ज्यामितीय  कला दृष्टिगोचर हो रही हैं।  कडिओं में भी सपाट कटान हुआ है। 

सूचना व फोटो आभार : जय  ठक्कर  संग्रह

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021

  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन ,  पूर्णगिरी तहसील ,  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला अंकन   ;पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला,, अंकन   

Bhishma Kukreti:

 
  देवराड़ी बागेश्वर में स्व डी  डी  पंत के भवन में  काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन 

Tradiitonal House wood Carving Art in Bageshwar, Kumaun
कुमाऊँ, गढ़वाल, के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल)  में कुमाऊं शैली; की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन अंकन- 529 
संकलन - भीष्म कुकरेती

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 जनपद बागेश्वर के देवराड़ी में  कुमाऊं विश्व विद्यालय के प्रथम कुलपति स्व डी डी पंत के भवन  दुपुर है।  तल मंजिल में खोली शुरू होती है।  तल मंजिल गौशाला व भंडार हेतु सुरक्षित है।  इन कक्षों में सिंगाड़ (स्तम्भ ) , कड़ियाँ सपाट हैं (ज्यामितीय अलंकरण उदाहरण )। 

खोली के स्तम्भों में कमल दलों  के अंकन से से घुंडी निर्मित हुयी हैं व दो घुंडियों के मध्य ड्यूल भी है।  ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /header में तोरणम भी ज्यामितीय कटान का सपाट संरचना है।  तोरणम के स्कंध में कोई अंकन नहीं दिख रहा है।  ऊपर की कड़ियों में जाली व लड़ियों का अंकन हुआ है।

खोली के मुरिन्ड/शीर्ष  के ऊपर के पांच  चौखटों में अलग देव व पक्षी अंकित हुए हैं।  दो चौखट वर्ग में मयूर , एक चौखट में गणपति , व दो चौखटों में देव अंकन हुआ है।

 जनपद बागेश्वर के देवराड़ी में  कुमाऊं विश्व विद्यालय के प्रथम कुलपति स्व डी डी पंत के भवन के पहले  मंजिल में तीन जोड़ी छाज हैं।  प्रत्येक छाज के सिंगाड़ों /स्तम्भों की कला खोली की सिंगाड़ों की प्रतिरूप ही है।  छाजों के तोरणम /मेहराब के स्कंध भी स्पॉट संरचना वाले ही हैं। 

छाजों के निम्न तल की संरचना में जालीदार/छेद  युक्त  संरचनाएं भी सपाट हैं। 

 जनपद बागेश्वर के देवराड़ी में  कुमाऊं विश्व विद्यालय के प्रथम कुलपति स्व डी डी पंत के भवन कला दृष्टि व अंकन दृष्टि उत्कृष्ट है व इसमें प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण लिए हुए हैं। 

सूचना व फोटो आभार: सोनु  पाठक (FB ) 

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है नकि मिल्कियत  संबंधी Iभौगोलिक  व मालिकाना   सूचना  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021

 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में   काष्ठकला अंकन  ;  गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन  ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन )

Bhishma Kukreti:

 

नागलिंग ( दारमा  घाटी , पिथौरागढ़ ) के भवन संख्या १ में भवन काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन

   Traditional House Wood Carving Art  of  Nagling  , Pithoragarh

कुमाऊँ,के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,छाजो, खोली स्तम्भ) में कुमाऊं शैली की   काष्ठ कला अलंकरण, काष्ठ उत्कीर्णन अंकन -530

 

 

 संकलन - भीष्म कुकरेती 

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नागलिंग ( दारमा घाटी , पिथौरागढ़ ) के भवन संख्या १ ,  तिमंजिला  है व ऊपरी भाग देख लगता है जैसे भवन ऊपरी पश्चमी उत्तरकाशी या जौनसार बाबर का भवन ही हो।  भवन का तीसरा मंजिल पूरा लकड़ी का है।  भवन के तल मंजिल में दो कमरे व दो खोली नुमा द्वार हैं।  खोलियों , कमरों के  द्वारों के स्तम्भ /सिंगाड़ों  की संरचना एक जैसे ही है।  सिंगाड़ों के आधार में अधोमुखी व उर्घ्वगामी  कमल दल के अंकन से कुम्भी निर्मित हुए हैं।  कमरों के मथिण्ड /मुरिन्ड  चौकोर हैं व लहरों जैसे चित्रांकन का उत्कीर्णन हुआ है। 

खोली के शेरश में तोरणम हैं व तोरणम के स्कन्धों में भी कला कृति उत्कीर्णन हुआ है। 

नागलिंग ( दारमा घाटी , पिथौरागढ़ ) के भवन संख्या १  के पहली मंजिल में दो जोड़ी छाज  हैं व  छाजों के स्तम्भ (सिंगाड़ ) व तोरणम में  वही की वही  कला उपस्थित है जो खोली के सिंगाड़ों /तोरणम में विद्यमान है। 

नागलिंग ( दारमा घाटी , पिथौरागढ़ ) के भवन संख्या १  तीसरी मंजिल में भवन की दीवारें सभी ज्यामितीय कटान से निर्मित कड़ियों , XX  जाली व तख्तों से निर्माण हुआ है। 

 

नागलिंग ( दारमा घाटी , पिथौरागढ़ ) के भवन संख्या १  में प्रकृतिक व ज्यामितीय कला अलंकरण विद्यमान है। 

सूचना व फोटो आभार:  जय दसौनी

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021 

 

 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन -उत्कीर्णन , बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  अंकन उत्कीर्णन   ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन -उत्कीर्णन ;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  उत्कीर्णन   ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त   अंकन  ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued

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