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Idioms Of Uttarakhand - उत्तराखण्डी (कुमाऊँनी एवं गढ़वाली) मुहावरे

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Rajeesh JI,

Welcome... The young generation of Uk should also know about this. This is a little bit of effort from our side.

I am sure you would have a big tressure of Idoms of UK. Kindly share with us.



--- Quote from: rajesh.joshee on October 27, 2007, 01:15:07 PM ---मेहता जी
बहुत ही अच्छा टोपिक स्टार्ट किया है आपने. कुमाऊनी मुहावरों को आण कहते हैं ऐसे कुमाऊनी मुहावरों का collection हमारे एक प्राध्यापक श्री नेत्र सिंह रौतेला जी ने पुस्तक के रूप में किया है पर मेरे पास वह बुक नही हैं. मेरी जानकारी में वर्तमान में श्री रौतेला जी सेवानिवृति के उपरांत भीमताल में रह रहे हैं.  अगर मेरा सम्पर्क रौतेला जी से हुआ टू मैं जरुर उस पुस्तक के बरे में आपको जानकारी दे पाउँगा. 
इस रोचक टोपिक को स्टार्ट करने के लिए मेहता जी का बहुत धन्यवाद


--- End quote ---

राजेश जोशी/rajesh.joshee:
मेहता जी,
एक मुहावरा मेरी दादी हमसे बचपन में कहा करती थी
नी खान बामणे की भैन्सैन खीर
जिसका मतलब हुआ की जब आप की इच्छा नही है कुछ करने की तों आप झूठा नुक्स निकलते हैं
यानि नाच न जाने आंगन टेडा.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

राजेश जी..

बहुत अच्छा है यह मुहावरा...

कल हम हेमंत पाण्डेय जी से मिले थे.. बातो बातो मे उन्होंने एक मुहावरा बोला..

" मडुवा फरी भए दिखीचा"

इसका मतलब है. जैसे सोना तपने के बाद चमकता है. उसी प्रकार मेहनत से ही आदमी मे निखार आता है


--- Quote from: rajesh.joshee on October 29, 2007, 09:44:12 AM ---मेहता जी,
एक मुहावरा मेरी दादी हमसे बचपन में कहा करती थी
नी खान बामणे की भैन्सैन खीर
जिसका मतलब हुआ की जब आप की इच्छा नही है कुछ करने की तों आप झूठा नुक्स निकलते हैं
यानि नाच न जाने आंगन टेडा.


--- End quote ---

कमल:
राजेश जी जो मुहावरा मैने सुना है वो है.

'अघैन बामण भैसेंन खीर'

ब्राह्मण का पेट जब खीर खाते खाते भर जाता है तो वह खीर में कमियाँ निकालने लगता है.

यानि हर चीज एक सीमा तक ही अच्छी लगती हैं यानि 'अति सर्वत्र वर्जयेत'

--- Quote from: rajesh.joshee on October 29, 2007, 09:44:12 AM ---मेहता जी,
एक मुहावरा मेरी दादी हमसे बचपन में कहा करती थी
नी खान बामणे की भैन्सैन खीर
जिसका मतलब हुआ की जब आप की इच्छा नही है कुछ करने की तों आप झूठा नुक्स निकलते हैं
यानि नाच न जाने आंगन टेडा.


--- End quote ---

राजेश जोशी/rajesh.joshee:
एक और मुहावरा याद आ रहा ही 
मुसे की गाव गाव बिराऊ का खेल
अर्थात किसी दूसरे के दुःख में किसी को आनंद मिलता है.

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