Author Topic: Dung gas plant in Uttarakhand, उत्तराखंड के गांवों में गोबर गैस प्लांट  (Read 13239 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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गोबर गैस प्लांट को पुनह उपयोग करने से,गैस के सिलेंडरों की जो तस्करी की जाती है उस पर भी रोक लग जाएगी क्योंकि गोबर गैस प्लांट लगाने से उत्तराखंड के पहड़ी गावों मैं सिलेंडरों के उपभोगता नहीं होने से उन गैस एजेंसियों पर भी फर्क पड़ेगा जो एजेंसियां उपभक्ताओं को गैस उपलब्ध कराने के बजाय गैस सिलेंडरों की तस्करी करते हैं !

उन गरीब लोगों को भी निजात मिलेगी जो की अपना अमूल्य समय को बर्बाद करते गैस सिलेंडरों की लाइन में फिर भी उपभोक्ताओं को समय बर्बाद करने से भी खाली हाथ घर लोटना पड़ता है सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं की शाम का खाना कैसे बनाया जाय !

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गोबर को खुले में डालने से वातावरण प्रदूषित होता है। बायो गैस प्लांट लगने से इससे निजात मिलेगी। प्लांट में प्रतिदिन तीन पशुओं का गोबर डाला जाए तो उससे तैयार मिथेन गैस से छह से सात लोगों का प्रतिदिन का खाना बन सकता है। बायो गैस प्लांट से निकली खाद को खेत में डालने से फसल में खरपतवार नहीं होता है
घरेलू गैस की बढ़ती मांग और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए बायो गैस बढ़िया विकल्प हो सकता है। प्रदेश में पिछले साल से बायो गैस प्लांट का टारगेट दोगुना हो गया है।

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                 गोबर गैस से चलेंगे कुटीर उद्योग
कस्तूरी मृग की कहानी आप लोगों ने जरूर सुनी होगी। जिस तरह अपनी नाभि में स्थित कस्तूरी की गंध से भ्रमित मृग रेगिस्तान में भटक रहा होता है, शायद उसी स्थिति में आज हमारा देश है। गोबर गैस व अन्य जैविक अपशिष्टों से सस्ती बिजली पैदा कर ऊर्जा संकट से लड़ने की क्षमता हमारे पास जरूर है, मगर फिर भी स्थिति यह है कि ऊर्जा के ही मुद्दे पर हम अन्य देशों की चिरौरी कर रहे हैं।
वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में प्रकृति की अपूर्व देन को मूर्त्त रूप में लाने का प्रयास सफल कर दिखाया है,

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Facts About Gobar Gas

Cow dung gas is 55-65% methane, 30-35% carbon dioxide, with some hydrogen, nitrogen and other traces. Its heat value is about 600 B.T.U.'s per cubic foot.

A sample analyzed by the Gas Council Laboratory at Watson House in England contained 68% methane, 31% carbon dioxide and 1% nitrogen. It tested at 678 B.T.U.

This compares with natural gas's 80% methane, which yields a B.T.U. value of about 1,000.
Gobar gas may be improved by filtering it through limewater (to remove carbon dioxide), iron filings (to absorb corrosive hydrogen sulphide) and calcium chloride (to extract water vapor).

Cow dung slurry is composed of 1.8-2.4% nitrogen (N), 1.01.2% phosphorus (P 2 0 5 ), 0.6-0.8% potassium (K 2 0) and from 50-75% organic humus.

About one cubic foot of gas may be generated from one pound of cow manure at 75° F. This is enough gas to cook a day's meals for 4-6 people.

About 225 cubic feet of gas equals one gallon of gasoline. The manure produced by one cow in one year can be converted to methane which is the equivalent of over 50 gallons of gasoline.

Gas engines require 18 cubic feet of methane per horsepower per hour


Gobar gas plant





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Bio-gas: Renewable Energy in the Himalaya Uttarakhand

 NGO Grassroots India works with a team of Barefoot Engineers known as the Kumaon Artisans Guild to build Deenbandhu bio-gas units across the Himalaya.  Over 1400 families have benefited from reduced energy costs and improved health as a result.



http://s998.photobucket.com/albums/af103/merapahad_2010/?action=view&current=Bio-gasRenewableEnergyintheHimalaya.mp4


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गैस के लिए मची त्राहि-त्राहि
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भीमताल: क्षेत्र में तीन माह बाद भी रसोई गैस के लिए जबर्दस्त मारामारी चल रही है। बुकिंग के बावजूद उपभोक्ताओं को गैस उपलब्ध न हुई तो उनके सब्र का बांध टूट पड़ा। आक्रोशित लोगों ने गैस एजेंसी का पुतला फूंक जोरदार प्रदर्शन किया।

निकटवर्ती पाडे ग्राम, जंगलिया गांव नौकुचियाताल व इससे सटे क्षेत्रों में तीन माह से गैस की आपूर्ति ठप है। उपभोक्ताओं के बार-बार आग्रह के बावजूद सिलेंडर नहीं पहुंचे तो ग्रामीण शनिवार को सड़क पर उतर आए। उन्होंने युका जिला सचिव नितेश बिष्ट तथा आर्यस सेवा समिति के तत्वाधान में सुभाष पार्क पर प्रदर्शन कर गैस एजेंसी का पुतला फूंका।

इस दौरान उन्होंने प्रबंधन पर गैस आपूर्ति तो दूर नए संयोजन मुहैया न कराने का भी आरोप लगाया। साथ ही चेतावनी दी कि जल्द व्यवस्था दुरुस्त न होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा। प्रदर्शन करने वालों में संदीप पांडे, संजीव आर्या, नंदन थापा, मोनू पांडे, करन बोरा विनोद आर्या, लोकेश, संजू आर्या आदि शामिल थे।


अगर आज इन क्षेत्रों मैं गोबर का प्लांट होता तो लोगों को इन स्मश्याओं से नहीं झूझना पड़ता

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गोवंश से बरसेगी भौतिक सुख-समृद्धि
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राज्य के तीन गौ सदनों में लगाएगा विद्युत उत्पादन संयंत्र - बायो गैस होगा ईधन, संयंत्र पूरी करेगा बिजली जरूरतें
- बायो गैस जनरेटर इंजनों का निर्माण भी देश में शुरू
गोविंद सनवाल, हल्द्वानी: गो वंश का पालन अब आध्यात्मिक शांति ही नहीं बल्कि भौतिक सुख-समृद्धि बरसाने वाला होगा। गोमूत्र के बाद प्रदेश में गोबर भी इसी भौतिक सुख का आधार बनने जा रहा है। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) प्रदेश के तीन गौ सदनों में बायो गैस आधारित बड़े विद्युत उत्पादन संयंत्र लगाने जा रहा है। जिनकी क्षमता छह से 10 किलोवाट विद्युत उत्पादन की होगी।


गोवंश का पालन व संवर्धन राज्य में आर्थिकी का भी आधार बन रहा है। गोमूत्र व गोबर से दवाइयां व रोजमर्रा की जरूरत का सामान तैयार कर व्यावसायिक दृष्टि से मजबूती दे रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) अब गौ संवर्धन को बढ़ावा देते हुए नई योजना पर काम कर रहा है। उरेडा ने राज्य के तीन गौ सदनों का चयन कर वहां विद्युत उत्पादन करने के लिए योजना बनाई है।


इनमें हल्दूचौड़ परमा, बाजपुर तथा टिहरी गो सदन का चयन हुआ है। यहां बायो गैस के 60 से 85 घनमीटर क्षमता के बड़े प्लांट लगेंगे। इसके जरिए मिलने वाली बायो गैस देश में ही बन रहे 'बायो गैस जनरेटर इंजन' को ईधन के रूप में मिलेगी। यह संयंत्र प्रतिदिन 6 से 10 किलोवाट तक विद्युत का उत्पादन करेगा।

वहीं 60 घनमीटर क्षमता के संयंत्र की लागत करीब 13.50 लाख तथा 85 घनमीटर की 15.25 लाख रुपए जनरेटर सहित होगी। जबकि इनकी स्थापना पर केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) योजना लागत का 40 प्रतिशत या 40 हजार रुपए प्रति किलोवाट तक सब्सिडी देगी।


उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी एलडी शर्मा बताते हैं कि देहरादून के कालसी व श्यामपुर स्थित पशुपालन विभाग के दफ्तरों में योजना के सफल क्रियान्वयन के बाद इसे राज्य के तीन गोसदनों में शुरू किया जा रहा है। इसके बाद डेयरी उद्योग को फोकस किया जाएगा।

यह योजना गौ वंशीय पशुओं के संवर्धन को बढ़ावा देगी, रसोई गैस के बाद बिजली भी मुहैया कराएगी। साथ ही बायो गैस में प्रयुक्त होने के बाद बचा हुआ गोबर खेतों की ऊवर्रता बढ़ाने वाला भी सिद्ध होगा। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह अभिनव प्रयोग है।

source dainik jagran

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बायोगैस प्लांट बनाने का प्रशिक्षण ले रही महिलाएं
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हाईफीड रानीचौंरी के सहयोग से वूमन एक्शन फॉर डेवलपमेंट दिल्ली की ओर से विभिन्न गांवों से आई महिलाओं को बायोगैस प्लांट बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें इस कार्य के लिए चार गांव को चयनित किया गया है।

रानीचौंरी में दिए जा रहे प्रशिक्षण में महिलाओं को बांस के द्वारा बायोगैस प्लांट बनाने की बारिकियां सिखाई जा रही है। संस्था के कार्यक्रम प्रबंधक जसवंत सिंह चौधरी ने बताया कि संस्था का उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है।

 उन्होंने कहा कि बांस की उम्र काफी लम्बी होती है और यह पर्यावरण संरक्षण में उपयोगी भी है। इसलिए इसको उपयोग में लाया जा रहा है उन्होंने यह भी बताया कि नाइट्रेट कम्पोस्ट किट लम्बे समय तक रहने वाला है तथा इसको एक स्थान से दूसरे स्थान तक भी ले जाया जा सकता है।

 उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में साबली, जगधार, डारगी व मौण गांव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा महिलाओं को खाद बनाना, जैविक खेती, मंडुवे के बिस्किट, ब्रेड और अचार आदि बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7586043.html

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कुमाऊं का पहला बायो-गैस बिजलीघर तैयार

गाय के गोबर से बिजली तैयार है। बस स्विच ऑन कीजिए और लाइट ऑन। कुमाऊं में पहला बायो गैस बिजलीघर बनकर तैयार हो गया। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) ने हल्दूचौड़ परमा स्थित गौ सदन में 13.50 लाख की लागत के आठ किलोवाट क्षमता के बिजलीघर का निर्माण किया है।
गोबर के प्रयोग से अब बिजली के बल्ब भी जलेंगे। उरेडा ने बायो गैस बिजली संयंत्र का निर्माण कार्य पूरा कर इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। हल्दूचौड़ परमा में स्थित गौ सदन अब ऊर्जा निगम पर निर्भर नहीं रहेगा।

सदन की जरूरत की बिजली अब उसे वहां पल रहे सैकड़ों गौ वंशीय पशुओं के गोबर से ही मिलने लगेगी। उरेडा ने 60 घन मीटर क्षमता के बायो गैस प्लांट के साथ गोबर गैस से संचालित होने वाले इंजन व जनरेटर की स्थापना यहां की है। इस संयंत्र को चलाने के लिए प्रतिदिन 12 कुंतल गोबर की जरूरत पड़ेगी, जिससे रोजाना आठ किलोवाट बिजली बनेगी।

यह बिजली सदन की जरूरतों को पूरा कर लेगी। 13.50 लाख रुपए की इस परियोजना में उरेडा ने 40 हजार रुपए प्रति किलोवाट की दर यानी 3.20 लाख का अनुदान दिया, जबकि शेष 13.30 लाख की धनराशि पशुधन विकास बोर्ड ने दी। उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी एलडी शर्मा ने बताया कि कुमाऊं की यह पहली परियोजना सफल रही है। 15 दिन के भीतर इसे चालू कर दिया जाएगा।


श्री शर्मा ने बताया कि साथ ही बाजपुर स्थित गौ सदन में भी बायो गैस बिजलीघर का निर्माण शुरू कर दिया गया है। जल्द ही इस कार्य में और तेजी आएगी। उनके मुताबिक कालसी एवं श्यामपुर (हरिद्वार) में यह संयंत्र पूर्व में लगाए गए थे, जिनके सफल संचालन बाद ही कुमाऊं में भी इसे अपनाया गया।


Source dainik jagran

 

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