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How To Change Tough Agriculture Methodology - पहाडो की कठिन खेती

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

I have recently seen demonstration of these tractors. I am sure that this can very much be used in our hill areas field. This is portable kind of tractor and is multi-purpose. However, it is costing around 1 lac or so.



--- Quote from: M S Mehta on October 15, 2007, 03:44:51 PM ---
Few more....  ....



--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

The company manufacturing this tractors is as under.

BDJ INTERNATIONAL
E-3/8 NEW ARYA NAGAR MEERUT ROAD
GHAZIABAD -201001 (U.P)
PHONE: 01202830157
FAX: 01202752808
MOB: 9810610280,9810168713,9310610280
Web: www.bdjinternational.net
Email: enquiry@bdjinternational.net


I am sure such kind of Tractor can be used in UK hills.


 

पंकज सिंह महर:
मेहता जी,
     खेती का मैथर्ड थोडा बदलना होगा, पारम्परिक खेती (धान, गेहूं, मडुवा आदि) छोड़कर व्यवसायिक खेती अपनानी होगी, फूल बोये जा सकते हैं, जरबेरा, जिरेनियम, गुलाब आदि की खेती हो सकती है, जैट्रोफा की खेती करें, फल, सब्जी पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करें, क्योकि व्यवहार में देखा जाय तो हम लोग अपने खेतों में धान, गेहूं, मडुवा बोने काटने में सारा साल लगा देते है और सब्जी बाजार से खरीद कर लाते हैं तो थोड़ा सा खेती का कानसेप्ट बदलना होगा. हमें ऎसी खेती करनी चाहिये जिससे हमें पैसा मिले और पैसा होगा तो धान, गेहूं, मडुवा तो बाजार में पर्याप्त है, खरीदा जा सकता है. क्योंकि एक सूप धान बोकर, हाड़ तोड़ मेहनत करके भी एक सूप धान भी मुश्किल से ही पैदा होता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Mahar Ji,

Good suggestion from your side but some techniques has to be brought to working method.


--- Quote from: पंकज सिंह महर on November 01, 2007, 12:31:40 PM ---मेहता जी,
     खेती का मैथर्ड थोडा बदलना होगा, पारम्परिक खेती (धान, गेहूं, मडुवा आदि) छोड़कर व्यवसायिक खेती अपनानी होगी, फूल बोये जा सकते हैं, जरबेरा, जिरेनियम, गुलाब आदि की खेती हो सकती है, जैट्रोफा की खेती करें, फल, सब्जी पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करें, क्योकि व्यवहार में देखा जाय तो हम लोग अपने खेतों में धान, गेहूं, मडुवा बोने काटने में सारा साल लगा देते है और सब्जी बाजार से खरीद कर लाते हैं तो थोड़ा सा खेती का कानसेप्ट बदलना होगा. हमें ऎसी खेती करनी चाहिये जिससे हमें पैसा मिले और पैसा होगा तो धान, गेहूं, मडुवा तो बाजार में पर्याप्त है, खरीदा जा सकता है. क्योंकि एक सूप धान बोकर, हाड़ तोड़ मेहनत करके भी एक सूप धान भी मुश्किल से ही पैदा होता है.

--- End quote ---

पंकज सिंह महर:
बिना जुताई कराए ही बुवाई संभव 

हल्द्वानी(नैनीताल)। अनाज उत्पादक किसानों को अब बुवाई के लिए भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। किसान जीरो ट्रिलेज सीडड्रिल मशीन से जुताई कराए बिना ही बुवाई करा सकेंगे। सरकार किसानों को यह मशीन 50 प्रतिशत अनुदान पर दे रही है।

कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक किसान बीज की बुवाई करने से पूर्व खेतों की जुताई करते हैं। इसके बाद खेतों से खरपतवार निकालने में समय जाया करते हैं। इस प्रक्रिया में किसानों को धन व्यय करने के साथ ही परिश्रम भी अधिक करना होता है। इससे छुटकारा दिलाने के लिए विभाग ने कृषकों को जीरो ट्रिलेज सीडड्रिल मशीन देने का निर्णय लिया है। इस मशीन खासियत यह है कि कृषक बिना जुताई के बुवाई कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों का दावा है, इससे अनाज के उत्पादन में कोई अंतर नहीं होगा।

मुख्य कृषि अधिकारी डा. अभय सक्सेना ने बताया कि केंद्र सरकार के पहल पर 50 प्रतिशत अनुदान कृषकों को दिए जा रहा है। जीरो ट्रिलेज सीडड्रिल मशीन पर कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान धनराशि को 25 -25 प्रतिशत राज्य व केंद्र सरकार वहन करेगी। श्री सक्सेना ने बताया कि जो किसान धान की कटाई कर चुके हैं। वह बिना जुताई के इस मशीन के माध्यम से बुवाई का कार्य कर सकते हैं। विभाग ने इस मशीन को 50 प्रतिशत अनुदान के साथ बड़ी मात्रा में वितरित करने का निर्णय लिया है। जीरो ट्रिलेज सीडड्रिल मशीन की कीमत बाजार में 22 हजार रुपए है। जो विभाग द्वारा अनुदान दिए जाने के पश्चात 11 हजार में किसानों को मिलेगी। पिछले छह माह से अभी तक इस मशीन पर 30 प्रतिशत अनुदान किसानों को दिया जाता था।

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