Author Topic: How To Change Tough Agriculture Methodology - पहाडो की कठिन खेती  (Read 72304 times)

पंकज सिंह महर

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कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। सूबे के कृषि व पशुपालन मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बिखेत के ग्रामीणों ने सामूहिक खेती कर सराहनीय पहल की है। वह दिन दूर नहीं जब इसका अनुकरण कर पर्वतीय जिलों में बंजर पडे़ खेत लहलहाने लगेंगे। उन्होंने कहा कि इससे पलायन की समस्या काफी हद तक दूर हो सकेगी।

       द्वारीखाल प्रखंड के अंतर्गत बिखेत में आयोजित किसान गोष्ठी को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य से पलायन की प्रवृत्ति में राज्य बनने के बाद भी कमी नहीं आ पाई। पलायन की समस्या के समाधान को कृषि मंत्रालय अनेक प्रभावी कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि बिखेत के काश्तकारों ने सामूहिक खेती कर पलायन व खेती से विमुख होते काश्तकारों को रास्ता दिखाया है। सामूहिक खेती का प्रयोग सफल हुआ तो उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में बंजर पडे़ खेत फसलों से लहलहाने लगेंगे और खेती की तस्वीर बदल जाएगी। उन्होंने कृषि संबंधी अध्ययन कर खेतों को बचाने की जरूरत पर जोर दिया। कृषि व पशुपालन मंत्री ने ग्रामीणों से वनों को दावाग्नि से बचाने के साथ ही स्वैच्छिक चकबंदी करने की अपील भी की। भारतीय जीवन बीमा निगम के सेवानिवृत्त अधिकारी चंद्रमोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि बिखेत के ग्रामीणों ने क्षेत्र में बढ़ते पलायन व बंजर पडे़ खेतों को देखते हुए सामूहिक खेती की शानदार व अनुकरणीय पहल की है। उन्होंने जानकारी दी कि पचास ग्रामीणों ने साढे़ चार हजार नाली बंजर भूमि, जिसमें खेती नहीं होती थी, को सामूहिक प्रयासों से कृषि योग्य बनाया है।

हेम पन्त

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भीमताल (नैनीताल)। जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में फल बागानों से आजीविका चलाने वाले उद्यानपतियों के लिए अच्छी खबर है कि अब उन्हे पुराने हो चुके उद्यानों से बहुत जल्द निजात मिल सकेगी। किसानों के बागानों में अब शीघ्र विदेशी प्रजाति के सेब व नाशपाती के पौध नजर आएंगे। उद्यान विभाग ने विकास भवन के समीप अपने सरकारी उद्यान में अमेरिका, थाइलैंड व अन्य देशों में पैदा होने वाली सेब, नाशपाती व चेरी की उन्नत किस्म के फल पौधों को तैयार करना शुरू कर दिया है। शीघ्र ही किसानों को यह पौध वितरित किए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में मुक्तेश्वर, रामगढ़, नथुवाखान, धानाचूली, पहाड़पानी फल पट्टी आड़ूू, पुलम, खुमानी, सेब, नाशपाती उत्पादन के लिए विशेष रूप से जानी जाती रही है। शुरूआती दौर में जब यहां बागानों में नए-नए पेड़ थे तो उत्पादन भी काफी अच्छा होता था। पिछले कुछ सालों में यहां फल उत्पादन में काफी गिरावट देखने को मिली है। जिस कारण यहां बागान मालिकों व काश्तकारों का खेती के प्रति रुझान कम होता जा रहा है। अब विभाग ने फल उत्पादन को फिर से बढ़ाने के लिए तैयारी कर ली है। विभाग ने उन्नत किस्म के फल बागान तैयार करने की पहल की है। इसी क्रम में विभाग ने विकास भवन के समीपवर्ती सरकारी उद्यान में नर्सरी तैयार कर विदेशी उन्नत प्रजाति के सेब, नाशपाती व चेरी के पौध तैयार करने शुरू कर दिए है। पहले चरण में इस नर्सरी में अमेरिका, थाइलैंड आदि देशों में पैदा की जाने वाली नाशपाती के 300 पौध तैयार किए जा रहे है। जिला उद्यान अधिकारी वाईपी सिंह ने बताया कि नर्सरी में यूएसए की एडम नर्सरी से सेब व नाशपाती की नई किस्में लाई गई है। बेहद रंगीन व कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी पैदा हो सकने वाले इन किस्मों के पौध दो साल में फल देने लायक हो जाते है। इसके अलावा यह विदेशी प्रजातियां काफी कम वर्षा के बाद भी पर्याप्त फल देने में सक्षम है। साथ ही जहां इन पौधों का आकार छोटा होने से वह कम स्थान घेरते है, वहीं किसी भी प्रकार के कीड़े का प्रकोप भी इनमें नहीं होता। बाजार में इन फलों की अच्छी डिमांड होने से काश्तकारों को अच्छे दाम मिलेंगे और उनकी आय बढ़ेगी।

पंकज सिंह महर

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रानीखेत (अल्मोड़ा)। ताड़ीखेत ब्लाक में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा एक दिवसीय सब्जी उत्पादन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में विशेषज्ञों ने शिमला मिर्च के उत्पादन बढ़ाने के गुर सिखाए।

बजोल गांव में आयोजित प्रशिक्षण में उद्यान वैज्ञानिक डा. वीपी सिंह ने शिमला मिर्च की फसल में मल्चिंग के प्रयोग की जानकारी कृषकों को दी। उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च उत्पादन में मल्च का प्रयोग करने से खेतों में नमी संरक्षण किया जा सकता है। श्री सिंह ने बताया कि काली पालीथीन का प्रयोग मल्चिंग में किया जाए तो खेत में नमी संरक्षण के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण भी किया जा सकता है। काली पालीथीन के सीट को शिमला मिर्च के रोपाई के समय खेतों में बिछा दिया जाता है तथा निर्धारित दूरी पर पालीथीन में छेद बनाकर पौधों की रोपाई की जाती है। मल्च के रूप में शिमला मिर्च के खेत में सूखी घास, बाजं की पत्ती, सड़ी गोबर की खाद का प्रयोग भी किया जा सकता है।

डा. सिंह ने उपस्थित कृषकों को शिमला मिर्च की फसल में लगने वाले कीड़ों व बीमारियों के बारे में बताया और उससे रोकथाम के भी गुर बताए। उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च की रोपाई करने से पहले जड़ों को बावस्टीन के घोल में डुबो लेना चाहिए। प्रशिक्षण में गांव के लगभग दर्जनों कृषकों ने भाग लिया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is what is required in UK.

रानीखेत (अल्मोड़ा)। ताड़ीखेत ब्लाक में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा एक दिवसीय सब्जी उत्पादन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में विशेषज्ञों ने शिमला मिर्च के उत्पादन बढ़ाने के गुर सिखाए।

बजोल गांव में आयोजित प्रशिक्षण में उद्यान वैज्ञानिक डा. वीपी सिंह ने शिमला मिर्च की फसल में मल्चिंग के प्रयोग की जानकारी कृषकों को दी। उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च उत्पादन में मल्च का प्रयोग करने से खेतों में नमी संरक्षण किया जा सकता है। श्री सिंह ने बताया कि काली पालीथीन का प्रयोग मल्चिंग में किया जाए तो खेत में नमी संरक्षण के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण भी किया जा सकता है। काली पालीथीन के सीट को शिमला मिर्च के रोपाई के समय खेतों में बिछा दिया जाता है तथा निर्धारित दूरी पर पालीथीन में छेद बनाकर पौधों की रोपाई की जाती है। मल्च के रूप में शिमला मिर्च के खेत में सूखी घास, बाजं की पत्ती, सड़ी गोबर की खाद का प्रयोग भी किया जा सकता है।

डा. सिंह ने उपस्थित कृषकों को शिमला मिर्च की फसल में लगने वाले कीड़ों व बीमारियों के बारे में बताया और उससे रोकथाम के भी गुर बताए। उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च की रोपाई करने से पहले जड़ों को बावस्टीन के घोल में डुबो लेना चाहिए। प्रशिक्षण में गांव के लगभग दर्जनों कृषकों ने भाग लिया।


हेम पन्त

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श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। जड़ी बूटी के कृषिकरण को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूहों को सहभागी बनाया जा रहा है। इसके लिए हेनब गढ़वाल विवि के हैप्रिक संस्थान के वैज्ञानिक जड़ी बूटी कृषिकरण के लिए आवश्यक तकनीकी जानकारियां ग्रामीणों को उपलब्ध करा रहे हैं।

उत्तरांचल पर्वतीय आजीविका संव‌र्द्धन (उपासक) संस्थान, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से देवाल, नारायणबगड़, घाट, दसोली विकासखंड क्षेत्रों के गांवों में कुटकी, कूट, अतीश, आर्चा, फर्ण आदि जड़ी बूटियों के कृषिकरण को विस्तार दे रहा है। उपासक संस्थान ने इस कार्य में लगभग 500 स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा है। हैप्रिक संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. विजयकांत पुरोहित ने बताया कि जड़ी बूटियों के कृषिकरण को नेशनल मेडिसिन प्लांट बोर्ड नई दिल्ली वित्तीय सहायता प्रदान करता है। उच्च शिखरीय क्षेत्रों और वनों के संरक्षण के साथ ही पहाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों की आय में बढ़ोत्तरी करने के लिए औषधीय पादपों की खेती एक सशक्त विकल्प है। हैप्रिक संस्थान के वैज्ञानिकों ने जटामासी, कुटकी, अतीश, आर्चा, चोरू, कालाजीरा, कूट, डोलू, वन ककड़ी सहित अन्य कई महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों के कृषिकरण की तकनीक विकसित की है। संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. एएन पुरोहित और संस्थान निदेशक प्रो. एआर नौटियाल, वैज्ञानिक प्रो. एमसी नौटियाल, डा. पी प्रसाद, डा. वीपी नौटियाल, डा. विनय नौटियाल के दिशा निर्देशन में कृषिकरण बढ़ाने की इस योजना पर कार्य हो रहा है। उपासक संस्थान की जिला चमोली प्रबंधक विनीता नेगी ने बताया कि हैप्रिक संस्थान श्रीनगर के सहयोग से देवाल विकासखंड के वांड, कुलिंग, वाक मुंदोली आदि गांवों में स्वयं समूहों की सहायता से जड़ी बूटियों के कृषिकरण की योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है जिसके अच्छे परिणाम भी मिल रहे हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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वैज्ञानिक ढंग से खेती करने पर होगा आर्थिक सुधारMay 16, 12:03 am

काश्तकार यदि संगठित होकर वैज्ञानिक ढंग से कृषि, बागवानी व पशुपालन व्यावसायिक रूप से करें तो आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है। यह बात कृषक क्लबों के उद्घाटन के अवसर पर भारतीय स्टेट बैंक क्षेत्रीय कार्यालय अल्मोड़ा के मुख्य प्रबन्धक ओपी सिंह ने कही।

उन्होंने कहा कि कृषक क्लबों के खुलने से दूरदराज के किसानों को काफी मदद मिल सकती है। इस अवसर पर राष्ट्रीय ग्रामीण विकास बैंक के सहायक महाप्रबंधक विनोद बिष्ट ने कृषक क्लबों को कोड नंबर प्रदान किए। उन्होंने कहा कि क्लबों के माध्यम से काश्तकार सरकार व बैंकों की लाभकारी योजनाओं की जानकारी आम कृषकों को मुहैया करा सकते है। उन्होंने कृषक क्लबों के सदस्यों से प्रतिमाह नियमित बैठकें करने व काश्तकारों की समस्याएं बैंक व विकासखंड के माध्यम से हल करवाने की अपील की। उन्होंने टीम भावना से कार्य करने तथा समय-समय पर प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारियों की प्रचार प्रसार की बात कही।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I think scientiest should explore alternative method of doing kheti in pahad as well as some different pattern.

वैज्ञानिक ढंग से खेती करने पर होगा आर्थिक सुधारMay 16, 12:03 am

काश्तकार यदि संगठित होकर वैज्ञानिक ढंग से कृषि, बागवानी व पशुपालन व्यावसायिक रूप से करें तो आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है। यह बात कृषक क्लबों के उद्घाटन के अवसर पर भारतीय स्टेट बैंक क्षेत्रीय कार्यालय अल्मोड़ा के मुख्य प्रबन्धक ओपी सिंह ने कही।

उन्होंने कहा कि कृषक क्लबों के खुलने से दूरदराज के किसानों को काफी मदद मिल सकती है। इस अवसर पर राष्ट्रीय ग्रामीण विकास बैंक के सहायक महाप्रबंधक विनोद बिष्ट ने कृषक क्लबों को कोड नंबर प्रदान किए। उन्होंने कहा कि क्लबों के माध्यम से काश्तकार सरकार व बैंकों की लाभकारी योजनाओं की जानकारी आम कृषकों को मुहैया करा सकते है। उन्होंने कृषक क्लबों के सदस्यों से प्रतिमाह नियमित बैठकें करने व काश्तकारों की समस्याएं बैंक व विकासखंड के माध्यम से हल करवाने की अपील की। उन्होंने टीम भावना से कार्य करने तथा समय-समय पर प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारियों की प्रचार प्रसार की बात कही।


हेम पन्त

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जनसंख्या वृद्धि के दवाब के कारण शहरों के आस-पास के कृषि योग्य खेत मकान बनाने के लिए भारी कीमत पर बेचे जा रहे हैं...


हेम पन्त

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अब पहाडों पर पोलीहाउस बना कर खेती की जाने लगी है..


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now -a days "Ropai" is in full swing in pahad. It is really very -2 tough in working in the field. This makes womens life more miserable.

 

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