मेहता जी,
यह विवाद आम लोगों में नही है, सिर्फ स्वार्थी और अलगाववादी राजनेताओं ने अपनी नेतागिरी चमकाने के लिये यह नया विवाद खड़ा किया है। पृथक उत्तराखण्ड की लड़ाई अपना घर-बार छोड कर लडने वाले जीवित और शहीदों की आत्मायें इससे बहुत दुःखी हैं।
गढ़वाल और कुमाऊं के बीच में कहीं कोई विवाद न तो इतिहास में रहा न वर्तमान में लोगो के बीच में है। दोनो जगहो पर शादी-ब्याह पहले भी होते थे और आज भी होते हैं, जो लोग इस तरह की बातें करते हैं, मेरी दृष्टि में वह किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं और ऎसे लोगों की और ऎसी मानसिकता की हमें कोई जरुरत नहीं है।
मंडल अलग होने से लोगों को ऎसा करने का मौका मिल जाता है, मेरा सुझव है कि चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और अल्मोडा को मिलाकर एक म्ण्डल बना दिया जाना चाहिये, इसी प्रकार से और जनपदों को भी पृथक मंडलों में मिला दिया जाना चाहिये, ताकि ऎसे स्वार्थी और अलगाववादी राजनेताओं को कोई मौका न मिल सके।
हम एक थे, एक हैं और एक ही रहेंगे, क्योंकि तोड़ने वाले तो हमें क्षेत्र क्या, जाति और धर्म, नान ठाकुर-ठुल ठाकुर, नान धौती-ठौल धौती के माध्यम से भी तोड़्ने का प्रयास करते रहे हैं और वह बाज भी नही आयेंगे, करते रहेंगे। तो हमें ऎसे लोगों को इसका मुंह्तोड़ जबाब देना होगा।
जय उत्तराखण्ड!