Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Khadia Mines In Uttarakhand - खडिया के खान

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Mahar Ji,

You are very right. This is the issue pinching us. Our people are being cheated by these profit maker Lease Holders. I don’t know whether Uttarakhand Govt can enforce any law on this or not. But possibilities of setting up cosmetic and other kinds of small industries are very much there. 

Sakar to tabi jaagegi, jab tak koi Jan aandolan nahi hoga. 



--- Quote from: Pankaj/पंकज सिंह महर on July 07, 2008, 04:04:21 PM ---बहरहाल! मुद्दा यह है कि क्या खड़िया खनन एक उद्योग बन सकता है।

बिल्कुल बन सकता है, स्थानीय बेरोजगारों के लिये इस पर आधारित उद्योग बनाये जा सकते हैं। सौंदर्य प्रसाधन के जितने भी उत्पाद हैं, वे सब खड़िया से ही बनते हैं, इसकी मूर्तिया बन सकती है, चाक (स्कूल में प्रयुक्त होने वाली) का उद्योग लगाया जा सकता है। मेडीसिनल खड़िया के प्रसंस्करण का उद्योग लगाया जा सकता है। क्योंकि जब हमारे खेत से खडिया हजारों कि०मी० दूर मुंबई और दिल्ली में उत्पाद बना सकती है तो यहां क्यों नहीं बना सकती?
         लेकिन आज तक का अनुभव रहा है कि खड़िया का भी आम आदमी की तरह मात्र शोषण ही हुआ है, उसके दाम हल्द्वानी में मात्र पिसने के बाद ४००-५०० रु० क्विंटल हो जाता है, जब कि काश्तकार इसे ८०-९० रु० क्विंटल बेचता है। खड़िया एक ऎसा खनिज है जो स्थानीय लोगों की नियति को बदल सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब स्थानीय लोग इसकी पहल करें और मांग करें तथा सरकार और शासन-प्रशासन दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुये सार्थक पहल करें।

--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
One more thing has come to light that people are selling their lands to make easy money but after khaida is taken out from their field. Rehabilitation work is not being done which has changed the look of these areas drastically.

हेम पन्त:
उत्तराखण्ड में खडिया के अलावा भी अन्य खनिज व धातुओं की प्रचुरता है... किसी समय तांबा उद्योग पहाडों में भारी मात्रा में लोगों को रोजगार सुलभ करता था.

जब तक खनिज संपदा दोहन को स्थानीय लोगों के उत्थान के लिये प्रयोग नहीं किया जायेगा, यह पहाड को गर्त में ले जाने का काम ही करेगा. पंकज दा ने देवलथल का उदाहरण दिया है... मैं भी देवलथल की स्थिति जानता हूं. लोगों ने अपने खेतों को खोद कर खडिया बेच दी, या फिर उन्हें बाहर के लोगों को औने-पौने दामों पर बेच दिया. खेतों की जगह गड्डे रह गये हैं. यही लोग अब खडिया माफिया की खदानों में मजदूर की हैसियत से काम करने को मजबूर हैं.

स्थिति बहुत नाजुक है. पर्यावरण को जो नुकसान हुआ उस पर भी लम्बी-चौडी चर्चा की जा सकती है.

यह कहा जा सकता है कि लोगों को अपने और अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोच-विचार करके, अपने हकों को समझ कर सुनियोजित तरीके से खडिया खदान को रोजगार के रूप में अपनाना चाहिये. मेरे ख्याल से सहकारिता के द्वारा इस काम को बेहतर तरीके से किया जा सकता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Bilkul sahmat ho Hem Ji aap se.


--- Quote from: H.Pant on July 07, 2008, 04:38:18 PM ---उत्तराखण्ड में खडिया के अलावा भी अन्य खनिज व धातुओं की प्रचुरता है... किसी समय तांबा उद्योग पहाडों में भारी मात्रा में लोगों को रोजगार सुलभ करता था.

जब तक खनिज संपदा दोहन को स्थानीय लोगों के उत्थान के लिये प्रयोग नहीं किया जायेगा, यह पहाड को गर्त में ले जाने का काम ही करेगा. पंकज दा ने देवलथल का उदाहरण दिया है... मैं भी देवलथल की स्थिति जानता हूं. लोगों ने अपने खेतों को खोद कर खडिया बेच दी, या फिर उन्हें बाहर के लोगों को औने-पौने दामों पर बेच दिया. खेतों की जगह गड्डे रह गये हैं. यही लोग अब खडिया माफिया की खदानों में मजदूर की हैसियत से काम करने को मजबूर हैं.

स्थिति बहुत नाजुक है. पर्यावरण को जो नुकसान हुआ उस पर भी लम्बी-चौडी चर्चा की जा सकती है.

यह कहा जा सकता है कि लोगों को अपने और अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोच-विचार करके, अपने हकों को समझ कर सुनियोजित तरीके से खडिया खदान को रोजगार के रूप में अपनाना चाहिये. मेरे ख्याल से सहकारिता के द्वारा इस काम को बेहतर तरीके से किया जा सकता है.

--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
I am giving some photographs of area of Bageshwar Reema and see the Khaida mines work there.



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