Author Topic: Major Development News Of Uttarakhand - उत्तराखंड के विकास की प्रमुख खबरे  (Read 99912 times)

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केरल से सीख लेगा उत्तराखंड
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राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष इन्दु कुमार पाडे ने कहा कि आन्ध्र प्रदेश व केरल की तर्ज पर प्रदेश के निकायों को विकसित करने की मुहिम शुरु हो गई है। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों से ग्रामींण व नगरी क्षेत्रों का उतना विकास नहीं हो पा रहा है जितना होना चाहिए।

जिला सभागार में आयोजित स्थानीय निकाय व पंचायत प्रतिनिधियों की बैठक में पांडे ने कहा कि भ्रमण के दौरान अब तक वह नौ जिलों की बैठक कर चुके हैं, लेकिन चमोली जिले से जितने भी सुझाव उन्हें मिले वह अन्य जिलों की अपेक्षा सराहनीय हैं।

जिला पंचायत अध्यक्ष विजया रावत ने कहा कि जिलास्तर पर अधिकारी व ग्रामस्तर पर कर्मचारियों की कमी से विकास कार्य काफी प्रभावित हो रहे हैं। बैठक में नगर पालिका अध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट ने कहा कि जिला योजना में स्थानीय निकायों को भी हिस्सा मिलना चाहिए। जोशीमठ पालिका अध्यक्ष ऋिषि प्रसाद सती ने कहा कि नगर निकायों को आमदानी बढ़ाने के लिए कर निर्धारण करने की संस्तुति दी जानी चाहिए। नगर पंचायत अध्यक्ष मुकेश नेगी ने कहा कि वर्तमान में शासन से मिलने वाली धनराशि सिर्फ कर्मचारियों के वेतन के लिए ही पूरी नहीं हो पा रही है। क्षेत्र प्रमुख नारायणबगड़ मगन लाल शाह, कर्णप्रयाग राजेन्द्र सिंह सगोई, जोशीमठ सुचिता चौहान, पोखरी अनिता नेगी, थराली महेशी देवी, घाट ममता गौड़ व दशोली भगत सिंह बिष्ट ने राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि का आवंटन क्षेत्रफल के आधार पर किये जाने की मांग की। प्रधान संघ के जिला अध्यक्ष श्रवण सती ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य कर्मचारियों की कमी से प्रभावित हो रहे हैं। बैठक में सुरेन्द्र सिंह लिंगवाल, चक्रधर तिवाड़ी, प्रो. एनएस बिष्ट व डीपी पुरोहित, डा. एनसी जोशी, सचिव एलएम पंत, सीडीओ डा. वी षणमुगम आदि अधिकारी उपस्थित रहे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6900354.html

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सीएम ने उपलब्धियां गिनाई, गवर्नर ने जमीन दिखाई
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राज्य स्थापना व्याख्यानमाला के तहत टाटा समूह के चेयरमैन रतन नवल टाटा के व्याख्यान से पूर्व राज्य के मुखिया डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने दस वर्ष की अल्प आयु में राज्य द्वारा हासिल की गई उपलब्धियां गिनाई, तो राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने इस लंबी अवधि के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से जुड़े जनहित के कई अनसुलझे सवाल उठाकर सभी को जमीनी हकीकत से रूबरू कराया।

राज्य स्थापना व्याख्यानमाला के दौरान टाटा समूह के चेयरमैन रतन नवल टाटा '21वीं सदी: संभावनाएं व चुनौतियां' विषय पर बोले। इससे पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक व राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा के संबोधन कहीं न कहीं राज्य के मौजूदा आर्थिक व सामाजिक हालात की समीक्षा के लिहाज से एक-दूसरे के पूरक नजर आए। मुख्यमंत्री का संबोधन जहां छोटे से अरसे में राज्य द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों से परिपूर्ण था। वहीं, राज्यपाल के संबोधन में राज्य गठन के दस साल बाद भी जनता की अधूरे सपनों का समावेश रहा।

मुख्यमंत्री डा. निशंक ने कहा कि वर्ष 2000 में 2.9 प्रतिशत विकास दर वाले नवोदित राज्य ने 2009 तक आते-आते 9.41 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। योजना आयोग के सर्वे में भी विकास दर की गति के मामले में उत्ताराखंड अव्वल आया है। इसी तरह प्रदेश की प्रतिव्यक्ति वार्षिक आय भी इन दस सालों में 14300 रुपये से बढ़कर 42 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है। राज्य की यह प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि कर राजस्व के मामले में भी राज्य 165 करोड़ रुपये बढ़कर 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।

डा. निशंक ने श्री रतन टाटा से ऐसे नवोदित राज्य के विकास में मैनेजमेंट गुरू की भूमिका निभाने का आग्रह किया। उधर, राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने इन उपलब्धियों की सराहना करते हुए राज्य के जमीनी हालात की ओर फोकस किया। श्रीमती आल्वा ने बताया कि राज्य गठन के वक्त उत्ताराखंड को बिजली के मामले में सरप्लस स्टेट का दर्जा हासिल था, लेकिन आज डेफिसिट स्टेट बन गया है। गांव व शहर और पहाड़ व मैदान के बीच एक गहरी 'खाई' आज भी मौजूद है। दूरस्थ पर्वतीय इलाकों में लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं।

गांव-गांव में स्कूल हैं, लेकिन शिक्षक नहीं। पहाड़ में अस्पताल हैं, लेकिन डाक्टर वहां जाना नहीं चाहते। सुदूरवर्ती इलाकों में गांव हैं, लेकिन सड़क नहीं। लोग शिक्षित हो रहे हैं, लेकिन गुणवत्ता सुधार की गुंजाईश बाकी है। यह तमाम चुनौतियां हैं, जिनसे इस युवा राज्य को निपटना है। जाहिर है इसके लिए सुप्रशिक्षित मैनपावर की कमी को भी पूरा करना होगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6909699.html

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अब सच और झूठ तो भगवान् ही मालिक है ये बात सची है या गलत
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                आपदा: दो लाख लोगों को 52 करोड़ वितरित
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सरकार आपदा से प्रभावित हुए प्रदेश के तकरीबन दो लाख लोगों को मदद के रूप में 52 करोड़ की राशि वितरित कर चुकी है। जिलों को आपदा मद में 622 करोड़ दिए जा चुके हैं। इनमें शेष 400 करोड़ की राशि का सदुपयोग तीन माह के भीतर होगा।

मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आपदा प्रभावित 72 हजार लोगों को विभिन्न मदों में 42.71 करोड़ वितरित किए गए हैं। इनमें आपदा में मृत लोगों के परिजनों को दी गई आर्थिक सहायता भी शामिल है। सर्वे में नुकसान के आकलन के बाद 1.28 लाख किसानों को 10.43 करोड़ राशि दी गई है। हरिद्वार जिले में आपदा प्रभावितों को राहत दी जानी है। इसके लिए सर्वे किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि वितरित की गई 52 करोड़ राशि में राज्य का शेयर 22 करोड़ है। केंद्रीय सहायता के रूप में राज्य को 622 करोड़ मिले हैं। इनमें 500 करोड़ एडवांस मिले। शासन ने 622 करोड़ जिलों के सुपुर्द कर दिए हैं। इनमें 400 करोड़ के कार्यो की डीपीआर मिल चुकी है। दो-तीन माह में यह धन खर्च किया जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्रीय सहायता के तौर पर मांगी गई 21200 करोड़ की राशि में दस हजार करोड़ की राशि असुरक्षित 250 गांवों के पुनर्वास और शेष 11 हजार करोड़ की मांग सड़कों व अन्य परिसंपत्तिायों को हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर मांगी गई। केंद्रीय मानक के मुताबिक राज्य को नुकसान के एवज में महज चार हजार करोड़ मिल सकते हैं, लेकिन इससे विषम परिस्थितियों वाले राज्य में नुकसान की पूरी भरपाई संभव नहीं है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6913391.html

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      उत्तराखंड को श्रेष्ठ उभरते राज्य का अवार्ड
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उत्तराखंड को निवेश में सर्वश्रेष्ठ राज्य के रूप में चुने जाने पर नई दिल्ली में पुरस्कृत किया गया।

एक निजी मीडिया हाउस द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम 'स्टेट आफ द स्टेट्स-2010' में मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक' को उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने यह पुरस्कार दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री निशंक ने कहा कि राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में तेजी से निवेश हुआ है और यह सिलसिला निरंतर बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि औद्योगिक पैकेज की अवधि मार्च 2010 के बाद केंद्र सरकार ने नहीं बढ़ाई। बावजूद इसके राज्य सरकार अपने बूते पर उद्योगों को विशेष सुविधाएं प्रदान कर रही है जिससे कई नए औद्योगिक घरानों ने प्रदेश में निवेश करने की इच्छा जताई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी उद्योग को प्रदेश में स्थापित करने के लिहाज से उत्तराखंड सर्वश्रेष्ठ राज्य है। बिजली और यातायात की सुविधाओं में काफी सुधार हुआ है। इसलिए अब बड़े-बड़े उद्योगपतियों की टीम उत्तराखंड का दौरा कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000 में विकास दर 2.9 प्रतिशत थी, जो कि अब बढ़कर 9.4 फीसद हो गयी है। इसी प्रकार प्रति व्यक्ति आय 14 हजार से बढ़कर 42 हजार रुपये हो गई है।

विजन-2020 के तहत सरकार प्रदेश को देश के आदर्शतम राज्य के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युत्यानन्द सहित अनेक जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं।

http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttarakhand-news-in-hindi/104632/uttarakhand-best-state-delhi-award-vice-president-hamid-ansari-c.html

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मेडिकल कॉलेज खुलने की उम्मीद
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हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंतर्गत बनने वाले मेडिकल कॉलेज के कोटद्वार में स्थापित होने की उम्मीद नजर आने लगी है। शुक्रवार को विवि के कुलपति ने कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के लिए चयनित भूमि का स्थलीय निरीक्षण किया।

कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के लिए चयनित भूमि यदि तकनीकि परीक्षण में सफल हो जाती है तो अगले एक वर्ष के भीतर कॉलेज का निर्माण शुरू हो जाएगा। शुक्रवार को केंद्रीय विवि के कुलपति प्रो.एसके सिंह ने टीम व क्षेत्रीय विधायक शैलेंद्र सिंह रावत के साथ मेडिकल कॉलेज के लिए चयनित भूमि का स्थलीय निरीक्षण किया।

निरीक्षण के उपरांत पनियाली वन विश्राम गृह में पत्रकारों से मुखातिब प्रो.सिंह ने कहा कि आम नजरिए से देखने पर भूमि मेडिकल कॉलेज के लिए उपयुक्त है। लेकिन, भूमि की तकनीकि जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि चयनित भूमि पर मेडिकल कॉलेज बन सकता है अथवा नहीं। उन्होंने बताया कि जल्द ही भूमि का मृदा परीक्षण कराने के साथ ही चयनित स्थल का नक्शा भी बनाया जाएगा, ताकि मेडिकल कॉलेज के साथ ही हॉस्टल व बेस अस्पताल निर्माण के लिए भूमि उपलब्धता की जानकारी मिल जाए। उन्होंने बताया कि अगले 20 माह के भीतर न सिर्फ भूमि फाइनल कर केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाना है, बल्कि केंद्र से मेडिकल कॉलेज के लिए स्वीकृत धनराशि की प्रथम किश्त अवमुक्त करा कर कार्य करवाना भी आवश्यक है। भूमि निरीक्षण दल में रजिस्ट्रार वीके सिंह, अधिशासी अभियंता एचएम नैथानी, महेश डोभाल आदि शामिल रहे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6946279.html

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बमस्यू में आईटीआई को मिली पूर्ण मंजूरी
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रानीखेत: निकटवर्ती बमस्यू में बहु प्रतीक्षित आईटीआई को शासन से पूर्ण स्वीकृति मिल चुकी है। इसके लिए डेढ़ दर्जन पद स्वीकृत करते हुए यह संस्थान 5 ट्रेडों से शुरू होगा। मालूम हो कि पहले इसे महज सैद्धान्तिक स्वीकृति ही मिल पाई थी।

लंबे समय से बमस्यू में आईटीआई की मांग क्षेत्रीय लोगों द्वारा की जा रही थी। इसके लिए शासन पहले सैद्धान्तिक रूप से स्वीकृति दे चुका था, लेकिन इसके लंबे समय बाद तक वित्तीय स्वीकृति के अभाव इसकी पूर्ण मंजूरी नहीं हो पाई थी। दबाव के चलते बुधवार को शासन ने बमस्यू आईटीआई को वित्तीय मंजूरी प्रदान कर दी है। जिससे अब आईटीआई जल्द अस्तित्व में आ जायेगा। शासन से पूर्ण स्वीकृति की जानकारी देते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य सलाहकार परिषद के अध्यक्ष अजय भट्ट ने बताया कि इस आईटीआई के लिए 18 पद स्वीकृत हुए हैं और पांच ट्रेड इलेक्ट्रीशियन, मोटर मैकेनिक, फीटर, कटिंग व सुईग तथा कोपा की मंजूरी मिली है। अब जल्द ही यह आईटीआई शुरू हो जायेगा और इससे क्षेत्र के युवाओं को काफी लाभ मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बमस्यू में दिल्ली की एक संस्था द्वारा प्राइवेट रूप से बाबा पूर्णागिरी टेक्नीकल संस्थान सालों पहले खोला गया, लेकिन आर्थिक दिक्कतों के चलते बाद में धीरे-धीरे इसका संचालन बंद होने लगा। पूर्व में इसके भवन के लिए विधायक निधि से भी धन मंजूर हुआ। क्षेत्रीय लोगों की मांग पर इसे सरकारी तौर पर खोलने के प्रयास हुए और ऐसे प्रयासों के बाद संस्था के लोगों ने टेक्नीकल संस्थान का भवन व 25 नाली भूमि सरकार के नाम कर दी गई। इसके बाद इसमें आईटीआई खोलने की सैद्धान्तिक स्वीकृति मिली। अब पूर्ण स्वीकृति मिल चुकी है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6965250.html

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टिहरी बांध की रॉयल्टी मिले उत्ताराखंड को

   नई टिहरी, जागरण कार्यालय: औद्योगिक नीति पहाड़ के अनुरूप बननी चाहिए, जिससे यहां के बेरोजगारों को रोजगार मिलने के साथ ही पलायन को रोका जा सके। जनमत सरकार के पक्ष में था। अगर उक्रांद भाजपा को समर्थन नहीं देता तो प्रदेश को दुबारा चुनाव की स्थिति से गुजरना पड़ता है।
शुक्रवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में उक्रांद के प्रदेश महामंत्री वीरेन्द्र मोहन उनियाल ने कहा कि दल ने नौ बिंदुओं पर भाजपा को समर्थन दिया है जिसमें दल ने राज्य की कृषि भूमि पर रसूखदारों के कब्जा करने पर रोक लगाई है। इसके अलावा समूह ग के जो पद लोक सेवा आयोग के दायरे में थे उन्हें उससे बाहर करने सहित अन्य मुद्दे थे। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने मूल निवास को समाप्त कर उसकी जगह स्थायी निवास लागू किया था लेकिन उक्रांद के प्रयास से मूल निवासियों को स्थायी निवास की व्यवस्था समाप्त करवाई। उन्होंने कहा कि राज्य की राजधानी पहाड़ में ही होनी चाहिए और इसके लिए सबसे उपयुक्त जगह गैरसैंण ही है। जनमुद्दों को लेकर उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया है लेकिन आज कांग्रेस व भाजपा उक्रांद के खिलाफ दुष्प्रचार कर गलत माहौल बना रही है।
उनियाल ने कहा कि टिहरी बांध से उत्पादित बिजली की रॉयल्टी जो उत्तार प्रदेश सरकार को मिल रही है वह उत्ताराखंड को मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि टिहरी जनपद बांध से प्रभावित है इसलिए टिहरी बांध से राज्य को मिल रही रॉयल्टी का कुछ हिस्सा प्रभावित क्षेत्रों खर्च होना चाहिए।  इस दौरान मीडिया प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम बिष्ट, मीडिया प्रकोष्ट  के जिला प्रभारी तिलकराम चमोली आदि उपस्थित थे।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7007305.html

   

Anil Arya / अनिल आर्य

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और 400 हेक्टेयर भूमि पर महकेगी चाय की खुशबू
देहरादून। मनरेगा के तहत की गई कोशिश कामयाब हुई तो उत्तराखंड को खोई हुई करीब 400 हेक्टेयर जमीन चाय उत्पादन को वापस होगा। इसके लिए तैयारी की जा रही है। हालांकि, इतना होने के बाद भी उत्तराखंड अपने चाय उत्पादन के स्वर्णकाल से कोसों दूर है।
कभी उत्तराखंड में करीब 10 हजार एकड़ में चाय की खेती हुआ करती थी। चाय बागान विकसित होने के बाद भी प्रदेश में चाय की फैक्ट्रियों के स्थापित न होने, श्रमिकों की समस्या के चलते चाय की खेती प्रदेश से गायब हो गई। इस समय करीब 444 हेक्टेयर क्षेत्र में ही चाय की खेती की जा रही है। अब करीब 400 हेक्टेयर क्षेत्र को चाय की खेती के अधीन अलग से लाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए मनरेगा का सहारा लिया गया है। उत्तराखंड टी बोर्ड की ओर से 2010-11 में 46 लाख पौध की नर्सरी स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
कोशिश की जा रही है कि इससे वर्ष 2011-12 में चाय प्लांटेशन भी शुरू किया जाए।बोर्ड के मुताबिक चाय विकास कार्यक्रम के तहत बागेश्वर, चमोली, अलमोड़ा और पिथौरागढ़ में मनरेगा के तहत नर्सरियां तैयार की जा रही हैं। बोर्ड की ओर से कौसानी, नौटी, घोड़ाखाल और चंपावत में करीब 800 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय बागान विकसित कर एक-एक फैक्ट्री लगाने का फैसला भी किया जा चुका है। इस समय प्रदेश में चाय की सिर्फ दो ही फैक्ट्रियां हैं।
1835 में शुरू हुआ था उत्पादन
उत्तराखंड क्षेत्र में 1835 में चाय का उत्पादन शुरू हुआ था। 1880 चाय उत्पादन का स्वर्णिम काल था। उस समय प्रदेश में करीब 10937 एकड़ में चाय की खेती होती थी और प्रदेश में करीब 63 चाय के बागान थे। अग्रेंजों ने उस समय उत्तराखंड की चाय को बेहतरीन गुणवत्ता का माना था। 1909 के बाद उत्पादन में तेजी से गिरावट दर्ज की गई। 1990 के दौरान फिर से चाय उत्पादन को तवज्जो मिली और टी बोर्ड स्थापित किया गया।
Source - epaper.amarujala

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Tax collections surge by 30.8 % in Uttarakhand
[/size]Shishir Prashant / New Delhi/ Dehra Dun December  31, 2010, 0:28 IST
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[/t]Powered by the increase in value added tax (VAT) and other taxes, Uttarakhand mopped up Rs 4,065.03 crore in tax collections, registering a robust growth of 30.8 per cent during April-November this year.
The new figures available with the finance department revealed the impressive growth in taxes was largely due to the increase of 0.5 per cent to 1 per cent in VAT from April 1 this year. The total collections of VAT has now reached Rs 1,812.72 crore against last year’s Rs 1,382.38 crore ended November with a growth of 31.1 per cent.
 
 
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   The real estate sector also showed buoyancy with the government collecting Rs 281 crore in stamp registration against Rs 257 crore during last year with an annual increase of 9.4 per cent.
Revenues in excise also showed good trend with the state collecting Rs 479.30 crore with a growth of 6.3 per cent during the period. Last year, the excise revenues were Rs 450.50 crore.
The sales of automobiles in Uttarakhand also registered a growth of 17.3 per cent with the collections touching Rs 141.59 crore this financial year against last year’s collections of Rs 120.68 crore.
“We have been holding periodic meetings so that the state can earn higher revenue. Already, committees had been set up under the Chief Secretary as well as on the Vidhan Sabha level in this regard,” a government official said.
However, collections in non-taxes could not get desired results despite the efforts launched by chief minister Ramesh Pokhriyal Nishank. The forest sector showed a negative growth of 13.8 per cent in the state where tax collections came down to Rs 14 crore from the last year’s collections of Rs 16 crore.
Similarly, power is another sector which has been causing headaches with its negative growth rate. This was mainly due to the purchases of electricity at higher rates during the lean season as the hydropower sector took a beating during the last two years.
http://www.business-standard.com/india/news/tax-collections-surge-by-308in-uttarakhand/420184/


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  फोकल स्टेट होगा उत्तराखंड
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यूएनडीपी के सोलर वाटर हीटर प्रोग्राम में उत्तराखंड को फोकल स्टेट के रूप में चयनित किया गया है।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सलाहकार डी बंधोपाध्याय ने उत्तराखंड का दौरा कर उरेडा के निदेशक नितेश कुमार झा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एके त्यागी से मुलाकात की और इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सोलर मिशन के तहत सौर ऊर्जा से पानी गरम करने और भाप से बिजली उत्पादन के लिए उत्तराखंड का चयन किया गया है। होटलों, घरों, आफिस में सौर ऊर्जा का उपयोग करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
उत्तराखंड में इस योजना के लिए कंसल्टेंट नियुक्त कर दिया गया है। जो योजना की डीपीआर बनाकर देगा। फिलहाल मार्च 2011 तक के लिए दो लाख लीटर प्रति दिन गरम पानी बनाने की क्षमता के सोलर वाटर हीटर लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए करीब तीन करोड़ रुपये का अनुदान राज्य को मिलेगा। सौ लीटर क्षमता का सिस्टम लगाने पर 13200 रुपये का अनुदान दिया जाएगा। किसी घर में सौ लीटर का सोलर वाटर हीटर लगाने पर प्रति माह बिजली के बिल में 75 रुपये की छूट दी जाएगी। इस योजना के तहत कुल 60 प्रतिशत का अनुदान देय होगा।
श्री बंधोपाध्याय ने बताया कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस योजना के लिए उत्तराखंड का चयन किया है। उत्तराखंड की स्थितियों को इसके लिए सबसे अनुकूल पाया गया है। इसलिए मंत्रालय के अधिकारी उत्तराखंड पर ही फोकस करना चाहते हैं। इसलिए इसे फोकल स्टेट के तौर पर लिया गया है।
उत्तराखंड जैसे राज्य में अधिकांश महीने गरम पानी की जरूरत होती है। इसके लिए बिजली समेत अन्य ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाता है। सौर ऊर्जा से यदि गरम पानी करने और भाप से ऊर्जा उत्पन्न करने के विकल्प को गंभीरता से लिया जाएगा तो एक तरफ ऊर्जा की बचत होगी, दूसरी तरफ प्रदूषणरहित ऊर्जा प्राप्त की जा सकेगी।

 
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7118654.html

 

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