Author Topic: Major Development News Of Uttarakhand - उत्तराखंड के विकास की प्रमुख खबरे  (Read 99379 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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सोलर उपकरणों से लैस होगा गोपेश्वर
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गोपेश्वर को 'सोलर सिटी' बनाने की तैयार तेज हो गई है। केन्द्र सरकार से स्वीकृत इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए दो समितियों को गठन किया गया है, जो इस संबंध में न सिर्फ अपने सुझाव देंगी, बल्कि वित्तीय मामलों पर कड़ी नजर भी रखेंगी। इसके अलावा, दिल्ली की एक कम्पनी को प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाने का ठेका भी दे दिया है।

वर्ष 2009 में नगरपालिका परिषद गोपेश्वर के अध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट की पहल पर पालिका बोर्ड की बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था, जिसमें गोपेश्वर को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का आग्रह किया गया था। प्रस्ताव पर कार्रवाई करते हुए गत 10 अगस्त को केन्द्र सरकार के नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय ने गोपेश्वर को सोलर सिटी बनाने की मंजूरी दे दी थी। नगरपालिका परिषद गोपेश्वर को ही इस योजना की कार्यदायी संस्था घोषित किया गया था। अब इस महत्वाकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए दो कमेटियों 'सोलर स्टैक होल्डर कमेटी' और 'सोलर सिटी सैल' का गठन किया गया है। सोलर स्टैक होल्डर कमेटी योजना का अधिक से अधिक जनोपयोगी बनाने लिए अपने सुझाव देगी, जबकि सोलर सिटी सैल निरीक्षण, परीक्षण के बाद वित्तीय मामलों को स्वीकृति प्रदान करेगा। दिल्ली की आईसीएलईएल नामक कम्पनी गोपेश्वर नगरपालिका क्षेत्र का सर्वे पर इस योजना की डीपीआर तैयार करेगी, जिसके आधार पर केन्द्र सरकार योजना का बजट स्वीकृत करेगा। फिलहाल इस कम्पनी को डीपीआर तैयार करने का ठेका 4.95 लाख में दिया गया है। नगरपालिका परिषद गोपेश्वर के अध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट का कहना है कि जिला मुख्यालय स्थित कलक्ट्रेट परिसर को सोलर ऊर्जा के उपकरणों से लैस कर माडल बनाया जाएगा ताकि नगरवासी उपकरणों और उनके बारे में भिज्ञ हो सकें। इसके बाद लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस को भी माडल सोलर हाउस के रूप में विकसित किया जाएगा।

सोलर स्टैक होल्डर कमेटी-

अध्यक्ष- अध्यक्ष नगरपालिका परिषद गोपेश्वर

सचिव- अधिशासी अधिकारी नगरपालिका परिषद गोपेश्वर

सदस्य- 13 विभिन्न सरकारी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी

सोलर सिटी सैल-

अध्यक्ष- अध्यक्ष नगरपालिका परिषद गोपेश्वर

सचिव- अधिशासी अधिकारी नगरपालिका परिषद गोपेश्वर

सदस्य- जिला परियोजना अधिकारी उरेडा, ईई विद्युत विभाग चमोली, जिला संपरीक्षा अधिकारी (स्थानीय निकाय) व लेखाकार नगरपालिका परिषद गोपेश्वर।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7214102.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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टिहरी बांध झील में रोजगार और पर्यटन को जगी आस

 नई टिहरी, : 42 वर्ग किमी की टिहरी बांध झील में लगता है अब पर्यटन के साथ-साथ नौकायन आदि से रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। फरवरी के पहले सप्ताह में झील में आयोजित होने वाले वाटर स्पो‌र्ट्स के कार्यक्रम इसके विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। जिला प्रशासन की पहल पर यह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
 करीब एक दशक से एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील को पर्यटन से जोड़ने के लिए हो हल्ला तो किया जाता रहा है, पर इस दिशा में कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा सके। यही कारण है कि झील बनने के करीब डेढ़ दशक बाद अभी तक इसको पर्यटन व रोजगार से नहीं जोड़ा जा सका। इस बीच अब जिला प्रशासन द्वारा टिहरी महोत्सव के दौरान झील में वाटर स्पो‌र्ट्स व नौकायन आदि का आयोजन कर इस क्षेत्र में काम करने वाले बेरोजगार युवकों के लिए पहल की है। हालांकि यह शुरुआती दौर है और बहुत बड़े पैमाने पर यह आयोजन नहीं किया जा रहा है, लेकिन सांकेतिक ही सही आने वाले समय में झील में वाटर स्पो‌र्ट्स की अपार संभावनाओं को बल मिलेगा। साथ ही यहां पर राष्ट्रीय स्तर के वाटर स्पो‌र्ट्स के कार्यक्रम आयोजित करने की राह प्रशस्त हो सकेगी। यहां यह भी बता दें कि जिला प्रशासन नानकमत्ता व केएमवीएन के सहयोग से वाटर स्पो‌र्ट्स के कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। इसमें प्रतिस्पर्धा कम और यहां के लोगों को झील को पर्यटन व रोजगार से जोड़ने के लिए यह किसी प्रेरणा से कम न होगा।
 गौरतलब है कि टिहरी बांध झील के विकास को झील विकास प्राधिकरण का गठन तो करीब पांच वर्ष पूर्व किया गया, लेकिन यह प्राधिकरण भी अब तक अपने अस्तित्व में नहीं आ पाया है। इस संबंध में जिलाधिकारी राधिका झा ने बताया कि स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने व झील को पर्यटन से जोड़ने के लिए वाटर स्पो‌र्ट्स व नौकायन का आयोजन किया जा रहा है। पहली बार हो रहे इस आयोजन पर काफी पैसा खर्च होने की संभावना है, ऐसे में इस कार्यक्रम को फिलहाल बड़े पैमाने पर आयोजित नहीं किया जा रहा है, पर इसे पर्यटन सर्किट से जोड़ने के लिए पूरी मदद मिल सकेगी।
   
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बद्रीनाथ धाम में नर पर्वत पर बसेगा नया शहर!

 
देहरादून।। उत्तराखंड के चमोली जिले में करीब 10 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित हिंदुओं के सबसे बड़े तीर्थ बद्रीनाथ धाम क्षेत्र के सौंदर्यीकरण के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ी योजना बनाई है। इसके तहत बद्रीनाथ धाम की दूसरी ओर नर पर्वत पर एक नया शहर बसाया जाएगा। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट ने बताया कि वर्तमान में मंदिर के पास ही सटे हुए कई रिहायशी भवन हैं। जिससे भीड़ बढ़ने पर लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि मंदिर के 15 मीटर के दायरे से ही रिहायशी भवनों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इसलिए योजना बनाई गई है कि भवन मालिकों से बातचीत कर उन्हें कहीं और स्थानांतरित कर दिया जाए, जिससे मंदिर परिसर का इलाका खुला-खुला और भव्य नजर आए। ऐसी स्थिति में भीड़ बढ़ने पर लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।

पिछले दिनों बद्रीनाथ मंदिर में भीड़ बढ़ने पर लाइन में लगे लोगों को मंदिर के गर्भ गृह में जाने में हाड़ कंपाती ठंड के बीच पांच से छह घंटे का समय लग गया था। भारी भीड़ के दबाव के चलते एक दिन तो पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ गया था। घंटों लाइन में लगने से बुजुर्ग और महिला श्रद्धालुओं को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो महिलाएं ठंड से बेहोश तक हो जाती हैं।

भट्ट ने बताया कि राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया गया है जिसे मंदिर के आसपास के इलाके के सौंदर्यीकरण और साफ-सफाई के लिए लोगों से बातचीत करने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा कि कमिटी का पहला दायित्व है कि लोगों को इस काम के लिए प्रोत्साहित किया जाये और आपसी सलाह से लोगों को नर पर्वत पर नए सिरे से बसाया जाये। नर पर्वत पर काफी खुली जगह है और वहां आने-जाने में भी श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान कानूनी तरीके से नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पूरा का पूरा मामला आस्था से जुड़ा हुआ है। भगवान बद्रीनाथ के समीप सभी की रहने की इच्छा होती है। लेकिन लोगों की भारी भीड़ और अव्यवस्था की संभावना के चलते लोगों को समझाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना पर कितनी राशि खर्च होगी अभी इस बारे में कुछ तय नहीं है।

भट्ट ने बताया कि राज्य में आवास सलाहकार समिति के अध्यक्ष नरेश बंसल को इस नवगठित कमिटी में शामिल किया गया है। मंदिर परिसर से कम से कम पचास मीटर की दूरी तक के इलाकों को खुला - खुला रखने की योजना है ताकि एक समय में कम से कम दो हजार तक लोग वहां रुक सकें और उन्हें गर्भगृह में जाने के लिए इंतजार करने में दिक्कत न हो। इस नई कमिटी में चमोली के डीएम को सदस्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। बद्रीनाथ धाम में दर्शन करने के लिए हर साल करीब पांच लाख श्रद्धालु आते हैं।

(Source : Nav Bharat times)

PLANT A TREE

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में नहीं जनता की वहा के क्या हालात हैं पर मै इतना जरुर कहना चाहूँगा की वहा कोई भी construction का काम बिना अच्छी तरह से research किये बगैर और बिना प्रयावंवादियों और सभी sensitive लोगों से सलाह लिए बिना नहीं करना चाहये. ये बहुत ही सवेदनशील मामला है और ये बात जानते हुए की हमारे पहारों को और हमारे ग्लासिएर्स को गंभीर खतरा है, इसलिए सिर्फ हमारी आश्था के लिए हमारे पर्यावण  को नुकसान पहुचे इस बात की मै कतई भी तारीफ नहीं करूँगा. सबसे बड़ा हमारा पर्यावण  है और जल, जंगल,और हिमलाय की रक्षा ही हमारे पहाड़ वासियों का पहला कर्तव्य होना चाहिए न की धर्मांध होकर हम अपने ही हिमालय को नए नए सहर बसा कर और बड़े बड़े dam बनाकर ख़त्म करें. पूरी तरह से समझ के ही कोई कदम उठाने मै हम सबकी भलाई है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बिलकुल सही जोशी जी..

आप की बातो से बिलकुल sahmat hoon.

में नहीं जनता की वहा के क्या हालात हैं पर मै इतना जरुर कहना चाहूँगा की वहा कोई भी construction का काम बिना अच्छी तरह से research किये बगैर और बिना प्रयावंवादियों और सभी sensitive लोगों से सलाह लिए बिना नहीं करना चाहये. ये बहुत ही सवेदनशील मामला है और ये बात जानते हुए की हमारे पहारों को और हमारे ग्लासिएर्स को गंभीर खतरा है, इसलिए सिर्फ हमारी आश्था के लिए हमारे पर्यावण  को नुकसान पहुचे इस बात की मै कतई भी तारीफ नहीं करूँगा. सबसे बड़ा हमारा पर्यावण  है और जल, जंगल,और हिमलाय की रक्षा ही हमारे पहाड़ वासियों का पहला कर्तव्य होना चाहिए न की धर्मांध होकर हम अपने ही हिमालय को नए नए सहर बसा कर और बड़े बड़े dam बनाकर ख़त्म करें. पूरी तरह से समझ के ही कोई कदम उठाने मै हम सबकी भलाई है.

Devbhoomi,Uttarakhand

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टाटा ग्रुप के उत्तराखंड आगमन को लेकर तैयारी तेज
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निशंक और टाटा ग्रुप के प्रतिनिधिमंडल के बीच आगामी 15 फरवरी को प्रस्तावित बैठक को लेकर शासन स्तर पर तैयारी तेज हो गई है। अवस्थापना विकास आयुक्त ने सभी संबंधित प्रमुख सचिवों व सचिवों से प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास से समन्वय स्थापित करते हुए निवेश संबंधी योजनाओं का प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।

प्रसिद्ध उद्योगपति और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन नवल टाटा और मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक के बीच गत 15 नवंबर को हुई मुलाकात के दौरान राज्य में कंपनी समूह द्वारा संभावित निवेश के अवसरों को लेकर चर्चा हुई थी। रतन टाटा ने कहा था कि जल्द ही कंपनी समूह के उच्चाधिकारियों का एक दल वह यहां भेजेंगे जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन कर निवेश की संभावनाओं पर अध्ययन करेगा। दिल्ली से निकटता को उत्तराखंड के लिए फायदेमंद बताते हुए कृषि और औद्यानिकी क्षेत्र मसलन कृषि विवि, कृषि मंडी आदि में कार्य करने का सुझाव भी दिया था।

मुख्यमंत्री और प्रतिनिधिमंडल के बीच प्रस्तावित बैठक में ग्रुप के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। बैठक में नगर विकास, आवास,ऊर्जा, पर्यटन, अपारंपरिक ऊर्जा, उद्योग, पर्यटन, प्रौद्योगिकी, उद्यान, विद्यालयी शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा, नागरिक उड्डयन, लोक निर्माण, पेयजल, कृषि, समाज कल्याण,चिकित्सा, ग्राम्य विकास के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

अवस्थापना विकास आयुक्त की ओर से विभागों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मामला औद्योगिक निवेश से जुड़ा है। लिहाजा प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास से समन्वय स्थापित करते हुए निवेश संबंधी योजनाओं का प्रस्ताव उन्हें शीघ्र भेज दें ताकि मुख्यमंत्री कार्यालय को संपूर्ण जानकारी दी जा सके।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7292907.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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ग्रामीण क्षेत्रों में 3875 करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद
पूंजी से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की भी पर्याप्त संभावना
देहरादून। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 3875 करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है। नाबार्ड स्तर से किए गए आकलन के मुताबिक इस पूंजी निवेश से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की भी पर्याप्त संभावना है।
नाबार्ड की ओर से किए गए अध्ययन के मुताबिक प्रदेश के प्रत्येक जिले में किसी न किसी रूप में उद्योग धंधों और सेवा क्षेत्र में विस्तार की पर्याप्त संभावना हैं। इस आधार पर नाबार्ड का कहना है कि वर्ष 2011-12 के लिए 3875.45 करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों में व्यय किया जा सकता है। इससे पहले भी ग्रामीण क्षेत्रों में पूंजी निवेश लगातार बढ़ता ही रहा है। मसलन वर्ष 2009-10 के लिए ही नाबार्ड ने करीब 3000 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की संभावना जताई थी। इसमें से 2848 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ भी। यह अनुमान का 95 प्रतिशत था। नाबार्ड की इस स्टडी से यह भी साफ हो रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र के विस्तार की पर्याप्त संभावना है। नाबार्ड का कहना है कि ग्रामीण और घरेलु उद्योग धंधे प्रदेश की अर्थव्यवस्था के मुख्य घटक हैं और इसको नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसी स्थिति को सामने रखते हुए नाबार्ड की ओर से प्रत्येक जिलें में उद्योग और सेवा क्षेत्र के विस्तार को भी टटोला गया है। अधिकारियों का कहना है कि इनके आधार पर भी क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाया जा सकता है। बैंकों से भी चिह्नित गतिविधियों को प्रोत्साहित करने को कहा गया है।
नाबार्ड ने किया जिलों की क्षमता का आकलन
जिले संभावित गतिविधियां
पौड़ीबुनाई, स्टोन वर्क, फल प्रसंस्करण, पर्यटन और परिवहन
रुद्रप्रयागलकड़ी का काम, कृषि यंत्र, बास्के ट मेकिंग, पर्यटन और परिवहन
टिहरीसेरीकल्चर, स्टोन वर्क, हथक रघा, पर्यटन और परिवहन
उत्तरकाशीएग्रो प्रोसेसिंग, स्टोन वर्क, फल प्रसंस्करण, पर्यटन और परिवहन
हरिद्वारकृत्रिम ज्वेलरी, एग्रो प्रोसेसिंग, बांस, टेक्सटाइल, पर्यटन, परिवहन
देहरादूनवुडन फर्नीचर, बिजली का सामान, फल एवं सब्जी प्रसंस्करण, पर्यटन
चमोलीहरबीकल्चर, हथकरघा, फू्रट प्रोसेसिंग, पर्यटन एवं परिवहन
अल्मोड़ाफल प्रसंस्करण, जड़ी-बूटी, पर्यटन और परिवहन
बागेश्वरबुनाई, आटोमोबील रिपेयर, पर्यटन एवं परिवहन
चंपावतफल प्रसंस्करण, जड़ी-बूटी, पर्यटन और परिवहन, चाय, ऊनी वस्त्र
नैनीतालवन आधारित उद्योग, पत्थर के आभूषण, टेक्सटाइल, फल प्रसंस्करण,
पर्यटन और परिवहन
पिथौरागढ़तांबे का काम, पर्यटन और परिवहन, बुनाई, चाय प्रोसेसिंग
यूएसनगरइलेक्ट्रा. गुड्स, हैंडलूम, स्टोन वर्क, फल प्रसंस्करण, पर्यटन, परिवहन
http://epaper.amarujala.com//svww_index.php

C.S.Mehta

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दोस्तों मै आप सभी लोगुं का ध्यान हमारी उत्तराखंड की सरकार के द्वारा किया किये गए एक छोटा सा काम के प्रति करना चाहूँगा जनपद -बागेश्वर (कपकोट) के एक गांव शामा में बी एस एन एल कंपनी का एक मोबाईल टावर लगा हुवा है जो एक ऐसी जगह में लगा हुवा है जिसका संपर्क सिर्फ शामा गांव के रहने वाले लोगुं  के लिए भी मुस्किल से हो पा रहा है बहूत से लोगुं का कहना है  की यदि यही टावर इसी के ऊपर हितागेर नामक स्थान पर लगा होता तो इसकी समता सिर्फ शामा तक ही नहीं होती बल्कि उत्तराखंड प्रदेस का अंतिम गांव नामिक तक होती मै आप लोगुं को बताना चाहूँगा हितागेर नामक यह जगह इस लगे हुए टावर से काफी उचाई पर है हाँ जरुर इस टावर को इस जगह में लगाने पर थोडा और खर्चा जरुर होता लेकिन काफी सेत्र तक मोबाईल नेटवर्क की समस्या दूर हो जाती और आने वाले समय में हम लोगु को दूसरी जगह कहीं पर मोबाईल टावर लगाने की जरुरत नहीं होती तथा हम लोगुं व उत्तराखंड सरकार को कोई भी काम करने से पूर्व बहूत बार सोचने की जरुरत होगी की हम कौन सा काम करने जा रहे है और किस ढंग से करना चहिए ||

विनोद सिंह गढ़िया

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मेहता जी आपने शामा में लगे बीएसएनएल के मोबाइल टावर की स्थिति के बारे में तो बता दिया, पर में यहाँ पर एक बात और बताना चाहता हूँ। शामा में लगा बीएसएनएल का टावर 05 दिन से बन्द पड़ा हुआ है, इस टावर को सुधारने की किसी को भी सुध नहीं है। शामा में यह टावर लगने से यह टावर कपकोट तहसील के अंतर्गत आने वाले गांवों के लिए वरदान साबित हुआ है क्योंकि यह टावर यहाँ के अधिकांश गांवों के निवासियों के मोबाइल को नेटवर्क प्रदान करता है, पर आज इस टावर के खराबी के यहाँ अधिकांश मोबाइल शो-पीस बने हुए हैं। पर सरकार क्या जाने ........उसने तो टावर लगा दिया ..........चाहे सिग्नल आये या न आये .......

सवाल है अब - यह टावर थोड़ी और ऊंचाई में होता तो क्या होता .........? इसका उत्तर आप सभी के पास है।

जैसा कि मेहता जी ने कहा है, जो वहां के स्थानीय निवासी हैं , यह टावर और अधिक गाँव को अपने नेटवर्क से लाभान्वित करता उत्तराखंड का अंतिम गाँव 'नामिक' के निवासियों के लिए भी वरदान साबित होता। पर यह सुध किसे .....?

दोस्तों मै आप सभी लोगुं का ध्यान हमारी उत्तराखंड की सरकार के द्वारा किया किये गए एक छोटा सा काम के प्रति करना चाहूँगा जनपद -बागेश्वर (कपकोट) के एक गांव शामा में बी एस एन एल कंपनी का एक मोबाईल टावर लगा हुवा है जो एक ऐसी जगह में लगा हुवा है जिसका संपर्क सिर्फ शामा गांव के रहने वाले लोगुं  के लिए भी मुस्किल से हो पा रहा है बहूत से लोगुं का कहना है  की यदि यही टावर इसी के ऊपर हितागेर नामक स्थान पर लगा होता तो इसकी समता सिर्फ शामा तक ही नहीं होती बल्कि उत्तराखंड प्रदेस का अंतिम गांव नामिक तक होती मै आप लोगुं को बताना चाहूँगा हितागेर नामक यह जगह इस लगे हुए टावर से काफी उचाई पर है हाँ जरुर इस टावर को इस जगह में लगाने पर थोडा और खर्चा जरुर होता लेकिन काफी सेत्र तक मोबाईल नेटवर्क की समस्या दूर हो जाती और आने वाले समय में हम लोगु को दूसरी जगह कहीं पर मोबाईल टावर लगाने की जरुरत नहीं होती तथा हम लोगुं व उत्तराखंड सरकार को कोई भी काम करने से पूर्व बहूत बार सोचने की जरुरत होगी की हम कौन सा काम करने जा रहे है और किस ढंग से करना चहिए ||

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड में 10,000 करोड़ रुपये निवेश करेगा टाटा[/t][/t]
शिशिर प्रशांत / देहरादून February 17, 2011[/t]
[/t]
[/t] टाटा समूह ने उत्तराखंड के बिजली, आवास, पर्यटन और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में निवेश के नए मौके तलाशने में रुचि जाहिर की है। समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने हाल ही में देहरादून का दौरा किया था।
प्रदेश के प्रधान सचिव (वित्त) आलोक जैन ने शीर्ष सरकारी अधिकारियों एवं टाटा समूह के अधिकारियों के साथ हुई एक बैठक के बाद आज बताया, 'टाटा समूह के अधिकारियों ने 4 क्षेत्रों- बिजली, पर्यटन, किफायती घर और सूचना प्रौद्योगिकी में रुचि दिखाई।'
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि टाटा समूह की ओर से राज्य में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश के इच्छुक अधिकारियों के समूह ने इस सिलसिले में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से भी बातचीत की। यह निवेश अलग-अलग प्रस्तावों के तहत किया जा सकता है, जिसके जरिए 50,000 लोगों को रोजगार मुहैया होगा।
पिछले साल 15 नवंबर को रतन टाटा देहरादून आए थे और प्रदेश में निवेश के नए मौके तलाशने की इच्छा जताई थी। समूह की कंपनी टाटा मोटर्स ने पहले से ही पंतनगर में 1,000 करोड़ रुपये की लागत से विनिर्माण इकाई स्थापित किया हुआ है।
प्रवक्ता ने कहा, 'मुख्यमंत्री के साथ अधिकारियों की बातचीत सकारात्मक और पूरी तरह संतोषजनक रही। निशंक ने जल्दी ही उनके प्रस्ताव पर गौर फरमाने की बात कही है।Ó
मुख्यमंत्री के साथ टाटा समूह के अधिकारियों की बातचीत के अलावा प्रदेश सचिवालय में राज्य के मुख्य सचिव सुभाष कुमार और सचिवों के एक समूह के साथ भी इन अधिकारियों ने अलग से बातचीत की। अधिकारियों को प्रदेश में निवेश के मौकों से संबंधित एक विस्तृत प्रस्तुती भी दिखाई गई। राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड में निवेश मौकों का परिदृश्य देश के अन्य राज्यों की तुलना में अब भी बेहतर है क्योंकि यहां पूंजी निवेश रियायत जैसी कई सुविधाएं उपलब्ध हैं।
उल्लेखनीय है कि 15 नवंबर को निशंक और टाटा के बीच हुई मुलाकात के बाद राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारी पिछले एक महीने से निवेश मौकों से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। टाटा ने स्पष्टï कहा था कि उत्तराखंड में उनके समूह को कोई परेशानी नहीं है और आने वाले समय के दौरान यहां कारोबार को विस्तार दिया जाएगा।
 
http://hindi.business-standard.com/hin/storypage.php?autono=43968

 

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