Author Topic: Natural Disaster:Cloud Burst in Uttarkashi Chamoli & Other parts of Uttarakhand  (Read 18690 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

Last couple of years have not been good for Uttarakhand specially in terms of natural disaster. Last year, there had been cloud burst cases in various District of kumoan area of Uttarakhand wherein many people lost their lives due to cloud burst & land slide cases. In Aug 2011, some school going children buried in the school itself due to cloud burst in Sumgarh village of District Bageshwar. In almora area many people became homeless due to land slide.

Again this year, the havoc has struck in Uttarkashi and other District of uttarakhand claiming lives of many people and several missing.

Uttarakhand has a separate Disaster Management Dept to combat such unforeseen natural disaster but it seems that it is very ineffective because of equipment & infrastructure.

Are human being responsible for such natural havoc?. We would like to know your views .

Apart from this we would also discuss govt planning to combat such natural disaster.?

We are sharing here some saddening photos of landslide and cloud burst hit areas of Uttarkashi and other parts of UK.

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तरकाशी। जिले में भीषण आपदा की स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने खतरे की जद में आई बस्तियों को खाली करवादिया है। फिलहाल सरकारी मशीनरी भी ज्यादा कुछ करने की स्थिति में नजर नहीं आ रही है। प्रभावितों कोराजकीय इंटर कालेज, बालिका इंटर कालेज, विकास भवन, नगर पालिका, राइंका जोशियाड़ा, बिड़ला धर्मशाला, गढ़वाल मंडल विकास निगम में ठहराने का इंतजाम किया है। सुरक्षा एवं बचाव कार्य में आईटीबीपी कासहयोग लिया जा रहा है। गंगोरी में वैली ब्रिजनिर्माण की तैयारियां तेज कर दी गई हैं।
 पूरी तरह अलग-थलग पड़े
 उत्तरकाशी। अगोड़ा और दंदालका गांव के छानियों में फंसे 65 परिवारों के साथ ही अब इस क्षेत्र के सात गांवों का जिला मुख्यालय से सड़क संपर्क कट गया है। संगमचट्टी से सेकू तथाआसपास के सभी पुल बाढ़ में ध्वस्त होने से अब यहां जरूरी राशन पहुंचाने की स्थिति न होने से भुखमरी की स्थिति आ सकती है। दूसरी ओर जोशियाड़ा झूला पुल ध्वस्त होने तथा तिलोथ मोटर पुल की एप्रोच कटने से अब निकटवर्ती बस्तियां जिला मुख्यालय से अलग-थलग पड़ती जा रही हैं। जोशियाड़ा, कंसैण,बाड़ागड्डी व विकासभवन क्षेत्र से जिला मुख्यालय आने-जाने वाले फिलहाल तांबाखानी की अंधेरी सुरंग से होकर खतरे की जद में जोशियाड़ा मोटरपुल से आवाजाही कर रहे हैं।
 परियोजनाओं को नुकसान
 उत्तरकाशी। यमुना और हनुमानगंगा में आए उफान से हनुमान गंगा पर बने 4.95 मेगावाट के पावर प्लांट का एक हिस्सा पानी के साथ मलबा घुसने से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके साथ लगा 33 केवीए का विद्युत सब स्टेशन भी क्षतिग्रस्त हो गया है। गंगनाणी में यमुनाके उफान से आठ मेगावाट की निर्माणाधीन परियोजना के पाइप आदि कई निर्माण बह गए। 200 किलोवाट की जानकीचट्टी परियोजना में भी बाढ़ से उत्पादन ठप हो गया है। दूसरी ओर असी गंगा पर निर्माणाधीन 9 मेगावाटकी काल्दीगाड तथा 4.5-4.5 मेगावाट की असी गंगा प्रथम एवं द्वितीय चरणपरियोजनाओं को भी बाढ़में भारी नुकसान पहुंचा है। फिलहाल इन परियोजनाओं को पहुंची क्षति का आंकलन करने के लिए मौके पर पहुंचने की स्थति ही नहीं है।
 जोशियाड़ा कस्बे पर मंडरा रहा तबाही का खतरा
 उत्तरकाशी। बाढ़ से उखड़कर 140 मीटर स्पान के झूला पुल के टूटने से जोशियाड़ा कस्बा कभी भी तबाही के भंवर में फंस सकता है। बादल फटने को लेकर अतीत में उत्तरकाशी के लिए संवेदनशील रहे अगस्त और सितंबर माह में यदि इस तरह की आपदा की पुनरावृत्ति हुई तो भागीरथी में बहकर आने वाला मलबा पुल में फंसकर जोशियाड़ा की ओरहो रहे कटाव में तेजी ला सकता है। ऐसे में जोशियाड़ा के अब तक सुरक्षित बचे सैकड़ों घरों पर भागीरथी में समाने का खतरा मंडरा सकता है। इस स्थिति को देखकर शनिवार शाम से ही जोशियाड़ा बस्ती में अफरा-तफरी का माहौल है।
 फिलहाल झूला पुल का जोशियाड़ा वाला स्तंभ उखड़ने से यह भागीरथी में झूल रहा है। रात में पानी बढ़ने पर बड़े पेड़ और बोल्डर फंसने से इसके दोनों छोर से उखड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। यह पुल नीचे की ओर जोशियाड़ा के मोटर पुलतथा मनेरी भाली स्टेज टू परियोजना के बैराज गेटों को खतरा पैदा कर सकता है।
 बकरिया टाप में फटा बादल, मची तबाही
 उत्तरकाशी। शुक्रवार रात करीब 10 बजे दयारा बकरिया टाप के किसी हिस्से में बादल फटने से इस जलागम क्षेत्र से जुड़ी असी गंगा के साथ ही पापड़ गाड, स्वारी गाड और नहरी गाड पूरे उफान पर आ गई। इन गाड-गदेरों में बहकर आए हजारों पेड़ोंऔर भारी बोल्डरों ने गंगा भागीरथी को जगह-जगह अवरुद्ध कर कृत्रिम झीलें तैयार कर दीं। इन झीलों के एक के बाद एक टूटने से चिन्यालीसौड़ तक के क्षेत्र में तबाही का मंजर पैदा कर दिया। रात साढ़े दस बजे जिला मुख्यालय क्षेत्र में गंगा खतरे के निशान से करीब पांच मीटर ऊपर तक बहने से यहां अफरा-तफरी मच गई। लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने के लिए दौड़ पड़े। इस दौरान बिजली के पोल और लाइनें क्षतिग्रस्त होने से शहर में अंधेरा छा गया।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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uttarkashi ka jhulapul jo ab nahi ayega nazr

Devbhoomi,Uttarakhand

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पहाड़ों में फटा बादल, 26 लोगों की गई जान, हालात बेकाबू height=420उत्तरकाशी की तबाही अभी थमी भी नहीं थी कि चमोली में भी बादलों की तबाही शुरू हो गई। लगातार होती बारिश और बाढ़ ने चमोली में 5 किलोमीटर के दायरे में सड़क को मिट्टी में मिला दिया। नदियों में पानी खतरे के निशान से ऊपर चला गया है। भागीरथी और दूसरी नदियों का जल स्तर बढ़ने से गंगा और यमुना किनारे बसे गांव में एलर्ट जारी कर दिया गया है। मदद के लिए सेना और आईटीबीपी के जवानों की मदद ली जा रही है।


उत्तरकाशी और चमोली में तबाही का तांडव मचाने के बाद बारिश और बाढ़ का पानी आगे बढ़ रहा है। कई इलाकों में भूस्खलन और चट्टान गिरने के चलते रास्ते बंद हो गए हैं। जिसकी बजह से पीड़ित लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है।

स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटक भी अचानक आई आफत के शिकार हुए हैं। कई जगह सड़क धंसने के बाद चार धाम और गंगोत्री यात्रा रोक दी गई है, हालात इतने खराब है कि खुद मुख्यमंत्री लोगों से कह रहे हैं कि वो सरकारी मदद का इंतजार न करे।
नैनीताल में कोशी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसे देखते हुए प्रशासन ने किनारे बसे गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है। हरिद्वार में गंगा भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। जानकारों का कहना है कि पहाड़ों से तेजी से नीचे आता पानी हरिद्वार से आगे यूपी में गंगा किनारे बसे गांवों में तबाही मचा सकता है।


लगातार हो रही बारिश के चलते नदियों और बांधों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इससे उत्तराखंड में हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट पर भी खतरा बढ़ गया है। ये देखते हुए सरकार ने फिलहाल सूबे के सभी 15 पावर प्रोजेक्ट बंद कर दिए हैं।


राज्य के बड़े हिस्से में बिजली और पीने के पानी की किल्लत शुरू हो गई है। वहीं मौसम विभाग के मुताबिक खतरा अभी टला नहीं है, क्योंकि अगले 48 घंटे कुमाऊं में भारी बारिश की आशंका जताई है। उत्तरकाशी और चमोली की तबाही के देखते हुए कुमाऊं में अभी से प्रशासन अलर्ट पर है।


बादलों ने हिमाचल प्रदेश के मनाली में भी भारी तबाही मचाई है। शुक्रवार रात मनाली के पाल्चन इलाके में बादल फटने के बाद आई भारी बारिश ने पूरी मनाली को अपनी चपेट में ले लिया है। बाढ़ का पानी कई गांवों में घुस गया है। आलम ये है कि मनाली के ज्यादातर हिस्से राज्य से कट गए हैं।

जानकारी के मुताबिक भारी बारिश और बाढ़ के चलते हजारों लोग बेघर हो गए हैं, जबकि रोहतांग दर्रे के पास बन रहा पुल पूरी तरह बह गया है। पुल की साइट पर मौजूद एक शख्स अपनी गाड़ी के साथ ही पानी की धार में बह गया, बाद में उसकी मौत हो गई। पाल्चन में भी कई छोटे पुल पानी की तूफानी रफ्तार में बह गए हैं। मनाली रोहतांग और कुल्लू मनाली रोड को भी भारी नुकसान हुआ है।


बारिश और बाढ़ से मनाली के स्थानीय लोगों के साथ-साथ सैलानी भी मुश्किल में फंस गए हैं। कई सैलानी बीच रास्ते में फंसे हुए हैं जिनतक मदद पहुंचाई जा रही है। फिलहाल रास्तों को हल्की गाड़ियों के लिए खोल दिया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने को कहा गया है।





Sabhar IBN7

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 उत्तरकाशी : आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील जिले में एक बार फिर आपदा प्रबंधंन तंत्र लचर साबित हुआ। जिले में 1991 के भूकंप के बाद अब तक की सबसे बड़ी आपदा को देखते ही मानों पूरे तंत्र के हाथ पांव फूल गये। हालांकि आइटीबीपी और सेना के पहुंचने पर लोगों को कुछ राहत मिली।

शुक्रवार की रात्रि को जब असी गंगा और भागीरथी नदियां तबाही मचा रही थी तब आपदा प्रबंधन तंत्र एकदम सहम सा गया। भीषण जल प्रवाह से बचने के लिए लोग घरों से बाहर निकल आए, प्रशासन ने भी अलर्ट जारी करते लोगों को घर खाली करने को कह दिया।

 इसी बीच विद्युत आपूर्ति ठप्प हो गई और चारों ओर अंधेरा छा गया। नदी के भयंकर शोर के साथ लोग अंधेरे में आपाधापी मचने लगी। लोग अंधेरे में ही सुरक्षित ठिकानों की तलाश में इधर उधर भटकने लगे। इस दौरान आपदा प्रबंधन तंत्र लोगों को व्यवस्थित करने के लिये रोशनी का इंतजाम नहीं कर सका।

 जबकि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पास सर्च लाइट और टार्च उपलब्ध हैं। यहां तक कि अंधेरे में भटकते लोगों को मोमबत्तियां तक उपलब्ध नहीं कराई गई। सुबह होने पर किसी को नहीं मालूम था कि किस ओर जाना है। लोग अपना सामान समेट कर नदी से दूर सुरक्षित जगहों की ओर चलते ही जा रहे थे।

एक दूसरे की मदद करते हुए उन्हें इसका भान भी नहीं था कि कोई सरकारी सिस्टम भी उनकी मदद कर रहा है। करीब ग्यारह बजे ही प्रभावितों के लिये अस्थायी ठिकानों का इंतजाम किया जा सका। हालांकि इस दौरान आइटीबीपी जवानों के मदद के लिए आगे लाया गया, वहीं सेना भी राहत और बचाव में उतरी तो लोगों को कुछ राहत मिली।


Jagran

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उत्तरकाशी में बादल फटने से भारी तबाही, उफनती नदियों में 31 लोग बहे


उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भरथू असीगंगा इलाके में बादल फटने से भारी तबाही की खबर है। उत्तरकाशी में बाढ़ आ गई है, जिसमें 31 लोगों के बह जाने की खबर है। असी जल विद्युत परियोजना में लगे 19 कर्मचारी गंगा में बह गए हैं, जबकि 110 लोगों के लापता होने की आशंका जताई जा रही है।

 भारी बारिश के कारण भागीरथी नदी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है। यहां कई पुल बह गए हैं और प्रशासन ने रेड अलर्ट घोषित करते हुए आईटीबीपी को राहत कार्यों के लिए बुलाया है।

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मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में उत्तराखंड में भारी बारिश की चेतावनी दी है। उत्तरकाशी जिले में शुक्रवार को बादल फटने से गंगोत्री नेशनल हाईवे का बड़ा हिस्सा बह गया। नदी के किनारे रहने वाले लोगों को ऊंचाई वाले इलाकों में भेज दिया गया है। बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के रास्ते बंद हैं और यात्रा को रोक दिया गया है। गंगोत्री पहुंचे श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है।

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उत्तरकाशी में बादल फटने से भारी तबाही

Ajay Pandey

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उत्तरकाशी में जो बादल फटा है वो कोई आम बात नहीं है उत्तराखंड में अक्सर बादल फटते रहे हैं इसका कारण है geological  हज़र्ड्स यानी की जो खतरे उत्तराखंड में हो रहे हैं वोह ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहे हैं और कुछ खतरे विज्ञानं के अनुचित प्रयोग से हो रहे हैं the  सन्डे chronicles  एक पत्रिका आती है उसके २००८ के अंक में उत्तराखंड में क्यों बादल फटते हैं उस पर एक research  भू वैज्ञानिको और कई पर्यावरण विदों ने मिलकर इस पर अध्ययन किया तो उसका सारांश और निष्कर्ष इस पत्रिका में आया था काफी पड़ताल के बाद वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष दिया था की उत्तराखंड में कुछ खतरे फैक्ट्री लगाने से हो रहे हैं जैसे गंगा किनारे फैक्ट्री लगा देने से गंगा किनारे से जो फैक्ट्री का धुवा जाता है वो पहाड़ी शेत्र के बादलो पर जाता है और ग्लोबल वार्मिंग हमारी प्रथ्वी पर अत्यधिक है तो उसका भी असर इन पहाड़ी शेत्रो पर पड़ता है मुख्य केंद्र बादल फटने का गंगा किनारे लगी फैक्ट्री हैं उनसे यह बादल फट रहे हैं और ग्लोबल वार्मिंग का केंद्र उत्तराखंड का पहाड़ी शेत्र है वहां से बादल फटने की काफी सम्भावना होती है उसके बाद ज्वालामुखीय eruption  इसके केंद्र हैं जिसे हम अपनी आम भाषा में वोल्कानिक eruption  कहते हैं वो भी इसका मुख्य केंद्र है जो ज्वालामुखी का लावा बनता है उससे बादल फटते हैं यह भी वैज्ञानिको का निष्कर्ष है और कई बार भूमि पर भी अत्यधिक दबाव बढ़ने से बादल फटने की सम्भावना होती है यह भूवैज्ञानिको की खोज के बाद यह साबित हुआ और कुछ परियोजनाएँ जो सरकार नदियों के किनारे बना रही है वोह भी बादल फटने का मुख्य कारण है उत्तराखंड का कुछ भू भाग मैदानी है तो कुछ भू भाग पहाड़ी है तो पहाड़ी भू भाग में बादल फटने की पूरी सम्भावना रहती है क्योंकि पहाड़ी शेत्र में geological  हज़र्ड्स का खतरा ज्यादा रहता है तब बादल फटता है अब सवाल यह उठता है की हमें इसे रोकने के लिए क्या करना चाहिए तो निम्न रास्तों से हम geological  हज़र्ड्स कम कर सकते हैं
१. प्रथ्वी पर अत्यधिक दबाव नहीं होना चाहिए जैसे जैविक कूड़े का निस्तारण तुरंत हो और अजैविक कूड़े का भी
२. हमें recyciling  करने पर ज्यादा बल देना चाहिए क्योंकि recyciling  की आवश्यकता पहाड़ी शेत्रो में है
३. ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण पर बल दें क्योंकि वृक्षारोपण से ग्लोबल वार्मिंग कम हो सकती है
४. और जूट के बैग का पहाड़ी शेत्रों में ज्यादा प्रयोग होना चाहिए जिससे geological  हज़र्ड्स कम हो सकें
अगर हम इन सब रास्तों को अपनाएं तो कोई कारण नहीं की उत्तराखंड में geological  हज़र्ड्स हो और भी कई रास्ते हैं जो उत्तराखंड में geological  हज़र्ड्स कम हो सकें
१. गंगा किनारे बनती हुई जल विद्युत् परियोजनाएँ रोकी जाएँ
२. गंगा प्रदुषण रोकने पर शाशन और प्रशाशन ध्यान दे
३. उत्तराखंड में भूतापीय उर्जा का प्रयोग कम से कम हो
४. उत्तराखंड में hydro  पॉवर प्रोजेक्ट बंद हो
जो hydro  पॉवर प्रोजेक्ट बन रहे हैं वो उत्तराखंड के पहाड़ी शेत्रों के लिए बेहद खतरनाक हैं इससे भी बादल फटने जैसी आपदाएं आ रही हैं और मोतें हो रही हैं तभी भरी तबाही हो रही है उत्तराखंड में जल विद्युत् परियोजनाएं भी खतरनाक हैं उनसे भी यह खतरा हो रहा है हमारा शाशन प्रशाशन भी इस पर ध्यान नहीं देता वैज्ञानिको के शोध के अनुसार उत्तराखंड में भूतापीय उर्जा खतरनाक है तभी बादल फटते हैं शाशन प्रशाशन को ऐसे इस तथ्यों को नज़रअंदाज न करते हुए इस पर सोचना चाहिए की जल विद्युत् परियोजनाएं हमारे उत्तराखंड के लिए कितनी खतरनाक हो सकती हैं इसलिए इन पर रोक लगनी चाहिए और hydro  पॉवर प्रोजेक्ट भी खतरनाक हैं आगे के लिए उत्तराखंड सरकार को यह सब परियोजनाएं रोक देनी चाहिए तभी बादल फटने जैसी आपदाएं कम होगी यह कई भूवैज्ञानिकों के शोध ने सिद्ध कर दिया है की उत्तराखंड में जयादातर आपदाएं इसी कारण से आती हैं जो उत्तराखंड में खतरनाक परियोजनाएं बनायीं जा रही हैं और शाशन नज़रअंदाज कर रहा है इन सब पर अगर रोक लगायी जाए तभी यह आपदाएं कम होंगी शाशन को इस पर ध्यान देना चाहिए और आगे के लिए ऐसी आपदाएं आने से रोकना चाहिए और महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए तभी उत्तराखंड में तबाही नहीं होगी और ऐसी आपदाएं नहीं आएँगी और उत्तराखंड तबाह होने से बचेगा ऐसा हमारा मानना है शाशन प्रशाशन को इन तथ्यों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए
धन्यवाद

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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[जागरण न्यूज नेटवर्क]। शनिवार का दिन कई प्रदेशों के लिए बर्बादी का संदेश लेकर आया। पौ फटने पर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से हुई भारी तबाही का मंजर सामने था, दर्जनों लोग लापता। उत्तराखंड का हाल सबसे बुरा है। भारी बारिश के कहर से पूरे पर्वतीय क्षेत्र में जनजीवन पटरी से उतर गया, कई क्षेत्रों का मुख्यालयों से संपर्क कट गया। उत्तर प्रदेश का सहारनपुर का इलाका भी बर्बादी से अछूता नहीं रहा। भारी बारिश से बढ़ी नदी के पानी में दस लोग बह गए।
 
 उत्तरकाशी में छह सौ करोड़ का नुकसान :
 देहरादून। बारह घंटे से हो रही मूसलाधार बारिश ने समूचे पहाड़ में तबाही मचा दी। उत्तरकाशी की गंगाघाटी इलाके में सर्वाधिक नुकसान हुआ। यहां फायर सर्विस के तीन जवानों समेत 26 लोग असीगंगा और बरसाती नालों के उफान में बह गए। अभी तक दो शव बरामद हुए हैं। बाकी की तलाश की जा रही है। वहां एक फायर स्टेशन मलवे के ढेर में तब्दील हो गया है। इसके अलावा 70 मकान और 10 होटल जमींदोज हो गए, जबकि उत्तरकाशी शहर की पूरी जोशियाड़ा बस्ती समेत करीब 200 मकान खतरे की जद में आ गए।
 इन सभी को खाली कराकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। गंगोरी में गंगोत्री राजमार्ग पर बने मोटर पुल के साथ ही कई पुल, सड़कें व घरों के बाहर खड़ी गाड़ियां बह गई। जिला प्रशासन ने लगभग 600 करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान होने का आकलन किया है। चमोली जिले में धौलीगंगा नदी पर बनी एनटीपीसी की तपोपन विष्णुगाड़ बिजली परियोजना का कॉफर बांध टूट गया। बाध क्षेत्र को जोड़ने वाला पुल व सड़क भी बह गई।
 बदरीनाथ हाइवे पर कंचनगंगा के पास दो यात्री वाहन बह गए। चारधाम यात्रा मार्ग भी बाधित होने से करीब ढाई हजार यात्री जहां-तहां फंसे हैं। पुलिस, प्रशासन के साथ ही सेना और आइटीबीपी राहत में एवं बचाव कार्यो में जुटी है।
 
 हिमाचल में सौ करोड़ का नुकसान :
 मनाली। मनाली के पर्यटन स्थल सोलंगनाला के समीप सेरीनाला में बादल फटने से आई बाढ़ के कारण करीब सौ करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है। बाढ़ के कारण पलचान के निकट सड़क बहने से मनाली-लेह मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। हजारों लोग उस पर जहां-तहां फंस गए हैं। बाढ़ के कारण बाहंग में 48 से अधिक खोखे बह गए हैं। बाढ़ से सीमा सड़क संगठन [बीआरओ] के दो बेली ब्रिज सहित पांच स्थानों में सड़क को नुकसान हुआ है। मनाली-कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग पर 15 मील के समीप पुलिस ने नदी से एक शव बरामद किया है। मृतक की पहचान मनाली निवासी तेंग्जिन अंगदुई के रूप में हुई है।
 
 कश्मीर में बाढ़, भूस्खलन :
 श्रीनगर। कश्मीर के कठुआ और जम्मू में शनिवार को बाढ़ में 22 लोग फंस गए, जिन्हें बाद में पुलिस और ग्रामीणों ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया। कश्मीर के रामबन सेक्टर में हुए भूस्खलन के कारण शनिवार को श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक भारी बारिश के चलते श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर कई जगह भूस्खलन हुआ है। यातायात रोक दिया गया है। भू स्खलन के चलते वैष्णो देवी यात्रा भी रोके जाने की सूचना है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे यात्रा से पहले यातायात नियंत्रण कक्षों से संपर्क करे। बाढ़ के चलते चिनाब, तवी आदि ज्यादातर नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है।
 
 उप्र में दस बहे, दो की मौत :
 सहारनपुर। शिवालिक की पहाड़ियों पर मूसलाधार बारिश से सहस्त्रा नदी उफान पर आ गई है। शुक्रवार रात पठानपुरा-बाकरपुर के बीच रपटे को पार करती टाटा सूमो नदी के तेज बहाव में बह गई। इसमें सवार दस लोगों में से आठ को कड़ी मशक्कत के बाद निकाला गया, जबकि दो की मौत हो गई। जोरदार बारिश के बाद डाट मंदिर से पहले पहाड़ खिसकने से दिल्ली-देहरादून राजमार्ग करीब 10 घटे बंद रहा। पुलिस ने मलबा हटवाया तब कहीं शनिवार सुबह वाहनों का आवागमन शुरू हो सका।


 

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