Author Topic: Proposal For Train Till Bageshwar - टनकपुर से बागेश्वर तक रेल लाईन का प्रस्ताव  (Read 58214 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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See the news below from Dainik Jagran.

Centre Govt has been only giving assurance nothing else.

                                                                                     Jun 28, 03:46 am                                               बताएं                                                       
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now see this report about Nainital.
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झटका: नैनीताल तक नहीं पहुंचेगी ट्रेन!
Jul 19, 10:28 pm (Dainik Jagran)

हल्द्वानी (नैनीताल)। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल तक ट्रेन का सफर शुरू हो पाने की कवायद को प्रथम चरण में ही तगड़ा झटका लगा है। हाल ही में रेलवे बोर्ड ने काठगोदाम से नैनीताल तक रेलवे लाइन बिछाने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए थे। पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय से चीफ इंजीनियर भी यहां का प्राथमिक मुआयना (प्री-फिजिबिलिटी स्टडी) कर चुके हैं। यहां के लंबे रूट, दरकती तथा कमजोर पहाड़ियों ने इस राह को मुश्किल बना दिया है।

खूबसूरत झील के चारों ओर बसा नैनीताल शहर देश से ही नहीं विदेश से भी हजारों पर्यटकों को हर वर्ष अपनी ओर आकर्षित करता है। झील के अलावा आसपास के तमाम पर्यटन स्थल सैलानियों के जेहन में उत्तराखंड की विशेष तस्वीर पेश करते हैं। भीमताल, सातताल, भवाली, सूखाताल सहित आसपास के सुंदर पर्यटक स्थल नैनीताल आने वाले सैलानियों को आकर्षित करते हैं। राज्य की पहचान में भी नैनीताल का अहम रोल है। इसी को देखते हुए रेलवे ने कुमाऊं के अंतिम स्टेशन काठगोदाम से नैनीताल तक रेलवे लाइन बिछाने की बात कही। पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक यूसी द्वादशश्रेणी ने मई में काठगोदाम के वार्षिक निरीक्षण के दौरान बोर्ड की मंशा को सार्वजनिक भी किया था। तभी से कुमाऊं वासियों की आशाओं को मानो पंख लग गए थे। उन्होंने इसके लिए जुलाई में प्री फिजीबिलिटी स्टडी कराने के निर्देश दिए थे। इधर इसी माह पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर से चीफ इंजीनियर टीम सहित यहां का दौरा कर चुके हैं, लेकिन इस स्टडी के जो रिजल्ट सामने आए है उसने पहाड़ पर ट्रेन चढ़ने की कवायद को फिर तगड़ा झटका लगा दिया है। स्टडी में एक ओर काठगोदाम से नैनीताल की रेल लाइन के लिहाज से स्थलीय दूरी को अत्यधिक पाया गया है। दूसरी ओर दरकती पहाड़ियों का खतरा भी बाधा बना। स्टडी के मुताबिक काठगोदाम से नैनीताल की हवाई दूरी करीब 16 किमी और सड़क मार्ग से 35 किमी है। वहीं रेल लाइन के लिहाज से यह करीब 250 किमी होगी। ऐसे में अत्यधिक लंबे रूट के चलते योजना का खर्च भी बहुत अधिक हो जाएगा। जानकारों के मुताबिक यहां की पहाड़ियां भी अत्यंत कमजोर हैं और इनके दरकने का खतरा भी अधिक है। इतना ही नहीं आजादी से पूर्व पहाड़ियों पर ट्रेन चढ़ा चुके अंग्रेजों ने भी नैनीताल तक रेलवे लाइन बिछाने की कवायद शुरू की थी। वर्ष 1930 से 35 के बीच इसकी पहल हुई थी, लेकिन यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी थी। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अमित सिंह ने बताया कि प्री-फिजीबिलिटी स्टडी में इस रूट की लंबाई अत्यधिक पाई गई है। इससे फिलहाल यहां ट्रेन संचालन की कोशिश मुश्किल हो गई है। अब प्री फिजीबिलिटी स्टडी में ही रेल लाइन बन पाने की संभावनाओं पर लगे विराम से कुमाऊं वासियों के साथ-साथ पर्यटन व्यवसाय को भी तगड़ा झटका लगा है।




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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it is really sad to see there is no follow -up from State Govt in this regard.

रेल मार्ग निर्माण की मांग पर बागेश्वर में प्रदर्शन




बागेश्वर। टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग पर रेल मार्ग निर्माण संघर्ष समिति ने तहसील मुख्यालय में प्रदर्शन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जनता से किये गये वायदों से मुकर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि रेल मार्ग निर्माण शुरू नहीं किया गया तो दिल्ली में दोबारा आंदोलन किया जाएगा।

तहसील कार्यालय में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि टनकपुर-बागेश्वर, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग, रामनगर- चौखुटिया, टनकपुर-जौलजीबी रेल मार्गो के निर्माण की मांग को लेकर विगत कई वर्षो से पर्वतीय जिलों की जनता आंदोलन कर रही है। क्षेत्रीय जनता कई बार दिल्ली के जंतर मंतर में आंदोलन तथा आमरण अनशन कर चुकी है। केंद्र सरकार ने आंदोलनकारियों को आश्वस्त किया था कि शीघ्र ही टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग का निर्माण किया जाएगा। लेकिन केंद्र सरकार अपने वायदे से मुकर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र रेल मार्ग का निर्माण नहीं किया गया तो दोबारा दिल्ली में प्रदर्शन किया जाएगा। सभा की अध्यक्षता गुसाई सिंह दफौटी ने की।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6597947.html

Rajen

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रेल लाइन निर्माण को लेकर प्रदर्शन (Jagran News) Nov 28, 05:35 pm
जागरण कार्यालय,बागेश्वर: टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन निर्माण का सर्वे शीघ्र पूर्ण कर करने की मांग को लेकर रेलवे निर्माण संघर्ष समिति ने प्रदर्शन किया। इस अवसर पर तहसील मुख्यालय में आयोजित सभा में वक्ताओं ने केंद्र सरकार द्वारा सर्वे प्रारम्भ करने पर आभार व्यक्त करते हुए शीघ्र सर्वे पूर्ण कर निर्माण करने की मांग की।

रेल निर्माण संघर्ष समिति ने टनकपुर-बागेश्वर रेलवे निर्माण की मांग को लेकर जलूस निकाला इसके बाद आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि लम्बे समय से चली आ रही मांग पर अब असर होना दिख रहा है इसके लिए अब और एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है। वक्ताओं ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य के चार रेल लाइन मोटर मार्गों का सर्वे करने पर सांसदों व विधायकों का आभार व्यक्त किया। अगली बैठक 26 दिसम्बर को तहसील मुख्यालय में करने का निर्णय लिया। इस अवसर पर जगत सिंह खेतवाल, हयात सिंह मेहता, डीजे मसीह, आनंदी ऐठानी, महेंद्र कोश्यारी, केवलानंद उपाध्याय, केवलानंद देवड़ी, रमेश राम आर्या, प्रकाश सिंह, गीता भौर्याल, गणेश राम, रमेश चौहानी, नीमा दफौटी, राधा लोहनी, ललिता असवाल, गिरीश चंद्र पाठक, धर्म सिंह रौतेला आदि ने विचार व्यक्त किए। संचालन खड़क राम आर्या ने किया।




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Struggle continues.

  रेल मार्ग पर वृहद आंदोलन करेगी समिति        Feb 06, 09:17 pm    बताएं                   जागरण कार्यालय, बागेश्वर: टनकपुर- बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर रेल मार्ग संघर्ष समिति ने वृहद आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है। रविवार को तहसील मुख्यालय में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी 22 फरवरी से दिल्ली के जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष गुसाई सिंह दफौटी की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में वक्ताओं ने केंद्र सरकार पर पहाड़ की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कई बार आंदोलन करने के बाद भी टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग का निर्माण नहीं किया जा रहा है। गत वर्ष सरकार ने घोषणा की थी लेकिन सर्वे का कार्य अभी तक नहीं हो पाया है। संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि 21 फरवरी को बागेश्वर से आंदोलनकारी दिल्ली कूच करेंगे तथा अगले दिन से जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित रेल मंत्री से मुलाकात की जाएगी। इस मौके पर मदन सिंह टंगडि़या की पुत्री के असामयिक निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया। सभा को राम सिंह, प्रकाश खेतवाल, रमेश चौहान, धरम सिंह रौतेला, बसंती बघरी, नीमा धपोला, लक्ष्मी, आनंदी, ललिता, तायरा, गोप राम, खीम सिंह, केवल सिंह डुंगर सिंह, शिव सिंह परिहार, गिरीश पाठक, केशर सिंह परिहार, रतन सिंह शाही, नीमा दफौटी, ठाकुर सिंह बिष्ट आदि ने संबोधित किया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7286583.html



   

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 बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइन जल्द बने: सीएम         देहरादून, जागरण ब्यूरो:
 
उत्तराखंड में रेल लाइनों के विस्तार को लेकर छटपटाहट बढ़ गई है। सिर्फ पुराने सर्वे प्रस्तावों को बार-बार धूल झाड़कर बस्ते से बाहर निकालने की रस्म से ऊब चुकी जनता अपने ख्वाबों की रेलगाड़ी को हकीकत में सरपट दौड़ते देखना चाहती है। लिहाजा मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने सर्वे के लिए प्रस्तावित दो रेल लाइनों के साथ ही बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइनों के प्रस्तावों को अगले रेल बजट में शामिल करने को रेल मंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है। उन्होंने देवबंद-रुड़की रेल लाइन परियोजना की बढ़ी लागत का भुगतान केंद्रीय बजट से कराने की पैरवी भी की।
रेल मंत्री सुश्री बनर्जी को भेजे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि मुजफ्फरनगर-रुड़की रेल लाइन निर्माण परियोजना की बढ़ी लागत वहन करने में राज्य समर्थ नहीं है। इसकी लागत 120 करोड़ से बढ़कर 160 करोड़ रुपये हो गई। हरिद्वार जिले व उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में भूमि की कीमत बढ़ने से परियोजना की लागत 160 करोड़ से बढ़कर 339.92 करोड़ हो गई है। पहले तय योजना राशि का 50 फीसदी तकरीबन 80 करोड़ राज्य दे चुका है। अब मंत्रालय की ओर से बढ़ी लागत का भी 50 फीसदी खर्च वहन करने को कहा है। सीमित वित्तीय संसाधनों से राज्य के लिए विभिन्न योजनाओं में सहभागिता संभव नहीं है।
मुख्यमंत्री ने बागेश्वर-कर्णप्रयाग रेल लाइन का प्रस्ताव आगामी रेल बजट में लाने का अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा कि टनकपुर-बागेश्वर व ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के साथ ही बागेश्वर-कर्णप्रयाग का सर्वेक्षण कराया जाए। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास के मद्देनजर राज्य में रेलवे नेटवर्क के विस्तार पर जोर दिया।
 
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7301525.html
 
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But it is not so easy. Our MPs should take-up this matter with Govt aggressively then only some outcome will be there.
 
 

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  रेल मार्ग के लिए आर-पार की लड़ाई का एलान        Feb 13, 09:37 pm    बताएं                   जागरण कार्यालय, बागेश्वर: टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर अब आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया गया है। संघर्ष समिति 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेगी तथा अगले दिन से जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। रविवार को तहसील मुख्यालय में आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन किया।
तहसील मुख्यालय आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार पहाड़ की जनता को गुमराह कर रही है। कई बार आंदोलन करने के बाद भी रेल मंत्रालय रेल मार्ग के सर्वे का कार्य नहीं कर रहा है। रेल मार्ग संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार पर पहाड़ की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब आर-पार की लड़ाई शुरू की जा रही है। 22 फरवरी से जंतर मंतर में शुरू हो रहे आंदोलन को तब तक जारी रखा जाएगा जब तक रेल मार्ग निर्माण को कार्य शुरू नहीं हो जाता है। इस दौरान केंद्र सरकार व रेल मंत्री के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रेल मार्ग निर्माण की मांग की गयी। सभा की अध्यक्षता रेल संघर्ष समिति के अध्यक्ष गुसाई सिंह दफौटी, केवल सिंह ड्योड़ी, गिरीश चंद्र पाठक, मोहन उप्रेती, भूपेंद्र सिंह गढि़या, धरम सिंह रौतेला, शिव सिंह परिहार, नीमा धपोला, तायरा बानो, ललिता असवाल, लक्ष्मी धर्मशक्तू आदि मौजूद थे। बाद में बैठक कर दिल्ली कूच की रणनीति पर विचार किया गया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7317297.html

   

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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I think this is tha last way.

Uttarakhand state has been struggling for rail track in hills since long.

  रेल मार्ग के लिए आर-पार की लड़ाई का एलान        Feb 13, 09:37 pm    बताएं                   जागरण कार्यालय, बागेश्वर: टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर अब आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया गया है। संघर्ष समिति 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेगी तथा अगले दिन से जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। रविवार को तहसील मुख्यालय में आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन किया।
तहसील मुख्यालय आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार पहाड़ की जनता को गुमराह कर रही है। कई बार आंदोलन करने के बाद भी रेल मंत्रालय रेल मार्ग के सर्वे का कार्य नहीं कर रहा है। रेल मार्ग संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार पर पहाड़ की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब आर-पार की लड़ाई शुरू की जा रही है। 22 फरवरी से जंतर मंतर में शुरू हो रहे आंदोलन को तब तक जारी रखा जाएगा जब तक रेल मार्ग निर्माण को कार्य शुरू नहीं हो जाता है। इस दौरान केंद्र सरकार व रेल मंत्री के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रेल मार्ग निर्माण की मांग की गयी। सभा की अध्यक्षता रेल संघर्ष समिति के अध्यक्ष गुसाई सिंह दफौटी, केवल सिंह ड्योड़ी, गिरीश चंद्र पाठक, मोहन उप्रेती, भूपेंद्र सिंह गढि़या, धरम सिंह रौतेला, शिव सिंह परिहार, नीमा धपोला, तायरा बानो, ललिता असवाल, लक्ष्मी धर्मशक्तू आदि मौजूद थे। बाद में बैठक कर दिल्ली कूच की रणनीति पर विचार किया गया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7317297.html

   

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  It is really rediculous to see that the issue has been igonred by the Centre Govt which pending for last 100 yrs. So far 4 survyes have been made in year 1881, 1912, 1936 & 2006.
 
still there is no move.
 बागेश्वर-टनकपुर रेल मार्ग निर्माण समिति द्वारा धरने का आयोजन
 नई दिल्ली। शुक्रवार को बागेश्वर-टनकपुर रेल मार्ग निर्माण समिति ने जन्तर मन्तर पर धरना दिया। जिसमे उन्होंने रेल मंत्री ममता बनर्जी से आग्रह करते हुए कहा कि वर्ष 2011-2012 के रेल बजट में समूचे उत्तराखंड को रेलमार्गों से जोड़ने के लिए बागेश्वर-टनकपुर सहित अन्य रेलमार्गों के निर्माण हेतु धन आवंटित करते हुए शीघ्रातिशीघ्र रेल मार्ग निर्माण निर्माण का कार्य प्रशस्त कराने की मांग रखी।
 
 उन्होंने कहा कि1881, 1912, 1936, एवं 2006 में सर्वेक्षित बागेश्वर-टनकपुर रेल मार्ग का निर्माण 100 वर्ष बीत जाने पर भी नही हो पाया है। जिसके लिए उत्तराखंड की जनता पिछले एक दशक से उत्तराखंड में टनकपुर-बागेश्वर, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग, रामनगर-चौखुटिया, टनकपुर-जौलजीवी रेलमार्गों के निर्माण के लिए लगातार संघर्षरत है।
 
 समिति द्वारा बताया गया कि वे इससे पहले भी पिछले दो वर्षों में चार बार जन्तर-मन्तर पर धरना कर चुके है। उत्तराखंड के विकास के लिए इन रेलमार्गों के निर्माण के लिए उत्तराखंड के सभी माननीय प्रतिनिधियों, सांसदों, मंत्रियों तथा विधायकों ने समर्थन देते हुए लोकसभा में अपनी आवाज़ बुलंद की है।
 
 उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की समूची सीमाएं पड़ोसी देशों चीन और नेपाल से लगी हुई है। हमारे पास पडोसी देश चीन द्वारा 17000 फुट की ऊंचाई पर ल्हासा(तिब्बत) में 1100 किलोमीटर रेल लाइन बिछा कर संसार को अचम्भित कर दिया है तथा सीमा पर यातायात की सुविधा अच्छादित कर अपनी फ़ौज तैनात कर दी है।
 
 साथ ही दूसरी ओर चीन द्वारा पडोसी देश नेपाल में महाकाली नदी के किनारे-किनारे काठमांडू में दर्लुचा तक रेल लाइन बिछाने की योजना बने जा रही है। इस प्रकार इस हिमालय भूभाग के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए उतराखंड में इन रेल मार्गों का निर्माण किया जाना अति आवश्यक है।   http://hindi.lokmanch.com/?p=1620&upm_export=print

 

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