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Race For Chair - क्या ऐसे ही होगा उत्तराखंड राज्य का सपना साकार?

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
देहरादून/उज्जैन।। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में सियासी उठापटक तेजी होती जा रही है। मुख्यमंत्री बहुगुणा के लिए बहुमत साबित करना लगातार कठिन होता जा रहा है। वहीं, अपने विधायकों को 'बिकने' से बचाने के लिए बीजेपी को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। गुरुवार को गुपचुप तरीके से बीजेपी के 30 विधायकों को महाकाल की नगरी उज्जैन लाया गया है। बीजेपी का दावा है कि उनके विधायकों के साथ 2 निर्दलीय विधायक भी हैं। बीजेपी इतनी डरी हुई है कि विधायकों को मोबाइल पर बात करने की छूट भी नहीं दी गई है। बीजेपी विधायकों की निगरानी के लिए मध्यप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष प्रभात झा और प्रदेश संगठन मंत्री अरविंद मेनन तैनात हैं।
 
 उत्तराखंड के पूर्व मंत्री और प्रदेश बीजेपी विधायक अजय भट्ट के नेतृत्व में विधायक पहले इंदौर पहुंचे। फिर, इंदौर एयरपोर्ट से बस से उज्जैन पहंचे। उज्जैन में विधायकों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात की गई है।
 
  उत्तराखंड का सियासी गणित
 उत्तराखंड में बीजेपी के 31, कांग्रेस के 32, बीएसपी के 3, यूकेडी के 1 और निर्दलीय 3 विधायक चुने गए हैं। कांग्रेस को सरकार बचाने के लिए 36 विधायक चाहिए। बीजेपी को डर है कि विधायकों टूट गए, तो पार्टी की फजीहत हो जाएगी। उधर, 2 निर्दलीय विधायकों के उज्जैन पहुंचने की खबर से कांग्रेस में भी खलबली मची हुई है।
 
 माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी खतरा नहीं लेना चाह रही है। उसकी इच्छा है कि सीएम बहुगुणा के लिए बीजेपी का ही कोई विधायक सीट छोड़े और उसे बहुगुणा के संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस का प्रत्याशित बनाया जाए। गौरतलब है कि पिछली बार बीजेपी के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने यही फॉर्म्यूला अपनाया था।
 
  दिल्ली भी पहुंचे थे बीजेपी विधायक
 इसके पहले सोमवार को बीजेपी के विधायकों को पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नई दिल्ली तलब किया था। इस दौरान एक बीजेपी विधायक की गैरमौजूदगी से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी सकते में आ गए थे।
 
  पहले भी एमपी आ चुके हैं बाहरी विधायक
 इससे पहले भी मध्यप्रदेश में विभिन्न राज्यों के विधायक खजुराहो और भोपाल में डेरा डाल चुके हैं। विधायकों को एक स्थान पर लाकर सरकार पर दबाव बनाने या नेतृत्व परिवर्तन की कहानी की शुरुआत खजुराहो से हुई थी। 1994 में गुजरात में जब बीजेपी सरकार थी और केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री थे, तब अंसतुष्ट नेता शंकरसिंह बघेला अपने समर्थक विधायकों को लेकर खजुराहो आ गए थे। उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन के लिए बघेला ने मध्यप्रदेश में बैठकर ही बीजेपी नेतृत्व से सौदेबाजी की थी। इसके बाद 26 मई 2003 को यूपी से आरएलडी के विधायक भोपाल आकर एक होटल में रुके थे। खुद लोकदल नेता चौधरी अजीत सिंह इन विधायकों के साथ भोपाल आए थे। उस वक्त भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी।

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/12377571.cms

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
उत्तराखंड: गोविंद सिंह बने विस अध्यक्ष

देहरादून। काग्रेस के उम्मीदवार गोविंद सिंह कुंजवाल सोमवार को उत्तराखड विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए। उनके समक्ष भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूर्व अध्यक्ष हरबंस कपूर थे। अध्यक्ष पद पर विजय प्राप्त करने के साथ बहुगुणा सरकार ने अपनी पहली परीक्षा पास कर ली।
 उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से पहली अंतरिम व दो निर्वाचित विधानसभाओं में भी विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं हुआ। सत्ता पक्ष तथा विपक्ष ने आम सहमति से अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध करने पर सहमति जताई थी। अंतरिम विधानसभा में भाजपा सत्ता में थी जबकि दो निर्वाचित विधानसभाओं में पहले काग्रेस और दूसरी बार भाजपा सत्ता में थी। दरअसल, पिछली दो विधानसभाओं में सत्तापक्ष के समक्ष विपक्ष का संख्या बल इतना नहीं रहा कि विपक्ष इस पद पर अपना प्रत्याशी उतारता। इस बार विपक्ष में बैठी भाजपा के पास 31 विधायक हैं लिहाजा पार्टी ने अध्यक्ष पद पर प्रत्याशी मैदान में उतारने का निर्णय लिया।
 हालाकि सरकार विधानसभा सत्र के तीसरे दिन 29 मार्च को विश्वास मत का सामना करेगी लेकिन स्पीकर पद के चुनाव से काग्रेस की गठबंधन सरकार की स्थिति सदन में लगभग साफ हो गई है। काग्रेस और बसपा की तरफ से इस चुनाव के लिए बकायदा व्हिप जारी किया गया था।
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Web Title: Congress candidate Govind Singh Kunjwal elected Speaker of Uttarakhand Assembly

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Dehradun: The Congress on Thursday proved its majority in the Uttarakhand Assembly with newly elected Chief Minister Vijay Bahuguna winning the trust vote.

 The main opposition party Bharatiya Janata Party (BJP) staged a walkout.

 
The Congress had performed marginally better than Bharatiya Janata Party in the assembly polls securing 32 of 70 seats. BJP had won 31 seats.

  However, Congress later secured support of three independents and the lone MLA of Uttarkhand Kranti Dal (P). The Bahujan Samaj Party (BSP), which has three MLAs, also offered to support the Congress in the hill state.

  First Published: Thursday, March 29, 2012, 11:32
http://zeenews.india.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
उत्तराखंड में दिनभर चला सियासी ड्रामा

पहले निलंबन और फिर कुछ ही घंटों बाद फ़ैसला रद्द। उत्तराखंड कांग्रेस में आज दिन भर चले सियासी ड्रामा चला। शुरुआत हुई कांग्रेस अनुशासन समिति के उस फ़ैसले से, जिसमें उत्तराखंड के 35 कांग्रेसियों को अनुशासनहीनता के आरोप में छह सालों के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा, हरीश रावत के बेटे और प्रदीप टम्टा समेत तीन कांग्रेसियों को शो कॉज नोटिस भी थमाया गया। लेकिन शाम तक मामले ने इतना तूल पकड़ा कि पार्टी को निलंबन का फ़ैसला वापस लेना पड़ा। यह पूरा मामला जुड़ा है उत्तराखंड कांग्रेस के उस घमासान से जो विधानसभा चुनाव के बाद हुआ था। तब हरीश रावत और उनके समर्थकों ने अपनी पसंद के सीएम के लिए पार्टी की पसंद विजय बहुगुणा को ख़ारिज़ कर दिया था। काफ़ी मान-मनौव्वल के बाद हरीश और उनके समर्थक मान तो गए, लेकिन पार्टी के अंदर खींचतान बंद नहीं हुई। नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने पहले तो असंतुष्टों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का ऐलान किया और मामला गरमाया तो अपना फ़रमान वापस ले लिया

http://www.p7news.com

Devbhoomi,Uttarakhand:
65 वर्ष से रोशनी के इंतजार में 51 गांव

 
इंसान चांद तक जा पहुंचा, मंगल पर घर बसाने की तैयारी चल रही है। लेकिन चमोली जिले के 51 गांव ऐसे भी हैं, जो आजादी के बाद से अब तक रोशनी का इंतजार कर रहे हैं। ऊर्जा निगम कई बार इन गांवों को रोशन करने का दावा कर चुका है। लेकिन, हकीकत यह है कि निगम के पास इन गांवों से जुड़ी बुनियादी जानकारी तक नहीं है। अब ऊर्जा निगम इन गांवों का डाटा एकत्र करने की बात कर रहा है। समझा जा सकता है कि उजियारे को इनका इंतजार और वर्षो चलेगा।


ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड के चमोली जनपद में नीती, मलारी, कागा, गरपक, द्रोणागिरी, डुमक, कलगोंठ समेत 51 गांव आज तक विद्युत लाइन का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेशभर में जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। कोई पर्यावरण की बात कर इनका विरोध कर रहा है तो कोई रोजगार, पलायन आदि मुद्दों को लेकर समर्थन।
वहीं जिले 51 गांव विद्युत सुविधा से वंचित हैं और इंतजार कर रहे हैं रोशनी का। आम जनता की बात तो दूर खुद ऊर्जा निगम भी नहीं बता पा रहा कि कब ये गांव विद्युत सुविधा से जुड़ पाएंगे। निगम के अधिकारी इस बात को तो स्वीकारते हैं कि 51 गांव अंधेरे में जी रहे हैं, लेकिन विभाग के पास इन गांवों का ब्योरा नहीं है। ऐसे में साफ है कि इन गांवों को आने वाले कुछ और वर्ष अंधेरे में ही काटने होंगे।
इनमें से अधिकतर गांवों आज भी चीड़ की लकड़ी(छुल्लों) के सहारे घर रोशन करते हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के चमोली दौरे के दौरान निगम के अधिकारियों ने समीक्षा बैठक में दावा किया था कि जल्द ही जिले के सभी गांवों को विद्युत सुविधा से जोड़ा जाएगा। विभाग के अधिकारी उस समय ऐसे गांवों का ब्यौरा नहीं होने का बात हजम कर गए थे।
'आजादी के बाद से उजियारे की राह देख रहे हैं। लेकिन, आज तक केवल कोरे आश्वासन ही मिले। आज भी 50 से ज्यादा गांव चीड़ की लकड़ी के सहारे रातें गुजार रहे हैं।'
Source Dainik Jagran

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