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Reason For Forest Fire - उत्तराखंड में आग ज्यादा, पानी कम: कारणों कि खोज

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Devbhoomi,Uttarakhand:
सबसे बड़ा कारण है तो ये है लापरवाही

गर्मी में भारी पड़ सकती है लापरवाही
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  गोपेश्वर, जागरण कार्यालय: एडीबी की सुस्त कार्य प्रणाली और जल संस्थान की लापरवाही गर्मी के दिनों में गोपेश्वरवासियों पर भारी पड़ सकती है। सड़क पर बिछी पेयजल लाइनें मोटर मार्ग के चौड़ीकरण के दौरान क्षतिग्रस्त हो सकती है, इसलिए एडीबी ने जल संस्थान को पेयजल लाइन शिफ्ट करने के लिए बाकायदा लाखों की धनराशि दे दी है, वहीं जल संस्थान गर्मी आने के बावजूद अभी तक एक मात्र पेयजल लाइन को भी शिफ्ट करने में अपनी लाचारी जता रहा है।


 ऐसे में यदि नगर को पेयजल आपूर्ति कर रही एक मात्र पेयजल लाइन मोटर मार्ग के चौड़ीकरण व विस्तारीकरण के दौरान क्षतिग्रस्त हुई तो इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ सकता है।
 सीमान्त जिला चमोली मुख्यालय गोपेश्वर को सगर, गंगोलगांव व वीर गंगा स्रोतों से एक मात्र लाइन पेयजल आपूर्ति कर रही है। मंडल-चोपता-गुप्तकाशी मोटर मार्ग चौड़ीकरण का काम शुरू होने से अब पेयजल लाइन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। मोटर मार्ग के चौड़ीकरण व विस्तारीकरण के काम से पेयजल लाइन के क्षतिग्रस्त होने की संभावना लोनिवि की एडीबी शाखा जोशीमठ ने जताई है। एडीबी ने न सिर्फ संभावना ही जताई है, बल्कि जल संस्थान को पेयजल लाइन हटाने अथवा चार फीट जमीन में दबाने के लिए 36 लाख की धनराशि भी दे दी है।



 इसके बावजूद जल संस्थान पेयजल लाइन को जल्दी शिफ्ट करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। ऐसे में मोटर मार्ग के चौड़ीकरण व विस्तारीकरण के दौरान पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने के आसार नजर आ रहे हैं। पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने से नगरवासियों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। लगभग साढ़े 23 हजार की आबादी वाले गोपेश्वर नगर को रोजाना तीन एमएलडी पानी की जरूरत है।



इसके सापेक्ष नगर को एक मात्र पेयजल लाइन इन दिनों डेढ़ एमएलडी जलापूर्ति ही कर पा रही है, जो गर्मी आते-आते एक एमएलडी रह जाती है। जल संस्थान के पास वर्तमान में कुल पांच लाख लीटर पानी के भंडारण की क्षमता है। पहले ही गर्मी के दौरान नगर में पानी के लिए हा-हाकार मचता है, यदि मोटर मार्ग निर्माण के दौरान वास्तव में पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हुई तो लोगों को भीषण गर्मी के दौरान पेयजल किल्लत से जूझना पड़ सकता है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7594676.html

Anil Arya / अनिल आर्य:
दो दिन बाद बुझी चाका में लगी आग
चमोली में धारकोट और सरतोली के जंगलो में लगी आग।
स्
अमर उजाला ब्यूरो
रुद्रप्रयाग/अगस्त्यमुनि/गोपेश्व
गर्मी बढ़ते ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं शुरू हो गई हैं। मंदाकिनी घाटी में चाका के जंगलों में लगी आग दो दिन बाद ग्रामीणों के प्रयास से बुझाई जा सकी। वहीं, वन पंचायत मरोड़ा के जंगल में असामाजिक तत्वों द्वारा लगाई गई आग पर वन्य कर्मियों और ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद नियंत्रण किया। जंगलों में आग लगने के कारण गर्मी के साथ उमस भी होने लगी है। उधर चमोली जिले के बदरीनाथ रेंज के अंतर्गत नंदप्रयाग और घाट प्रखंड के जंगलों में मंगलवार रात्रि से आग भड़की हुई है, जिससे कई हेक्टेयर वन संपदा नष्ट हो गई है।
ज्ञात हो कि हर वर्ष वनाग्नि के कारण राज्य में कई हेक्टेअर वन्य भूमि जलकर स्वाह हो जाती है। इस वर्ष भी धीरे-धीरे गर्मी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही जंगलों में आग लगनी शुरू हो गई है। मंदाकिनी घाटी के अंतर्गत विगत दो दिनों से चाका के जंगल जलते रहे, जो बुधवार को शांत हो पाई।
वहीं, वन पंचायत मरोड़ा के जंगलों में असामाजिक तत्वों ने मंगलवार रात्रि आग लगा दी। सूचना मिलने पर वन कर्मी भूपेंद्र सिंह भंडारी, वन रक्षक तीरथ सिंह रौतेला, वन पंचायत सरपंच देवी प्रसाद थपलियाल, मातबर सिंह, कुलदीप, विनोद, बुद्धि सिंह, हरीश और मंगल सिंह आदि मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों और वन कर्मियों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया जा सका।
http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

Anil Arya / अनिल आर्य:
नंदप्रयाग के समीप जंगल में लगी आग
गोपेश्वर।
बदरीनाथ रेंज के अंतर्गत नंदप्रयाग और घाट प्रखंड के जंगलों में मंगलवार रात्रि से आग भड़की हुई है, जिससे कई हेक्टेयर वन संपदा नष्ट हो गई है। वहीं, वन विभाग का कोई भी कर्मचारी आग बुझाने नहीं गया है। उधर, पिंडर घाटी के जंगलों में भी आग लगी होने से जिले में चारों ओर गहरी धुंध छाई हुई है। नंदप्रयाग के अंतर्गत धारकोट, सेमार, सरतोली, भतंगियाला आदि गांवों के समीप के जंगलों में लगी आग को ग्रामीणों ने बुझाने का प्रयास किया। स्थानीय ग्रामीण खीम सिंह और दलीप सिंह ने बताया कि आग की लपटें इतनी तेज थीं कि लोग इसके करीब भी नहीं जा सके।
http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Forests are the biggest assets for all of us. Apart from Govt, social workers and public should come forward to save the forest from wild fire. Every year Uttarakhand lose crores of forest asset due to wild fire.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:



Save forest...

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