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Uttarakhand Progress In Sports - उत्तराखंड खेलो मे प्रगति

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

--- Quote from: धौंसिया.....! on September 05, 2008, 12:08:32 PM ---उत्तराखण्ड में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन जरुरत है, उन्हें पहचान कर तराशने की। उत्तराखण्ड के खिलाड़ियों ने कई बार राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। बाक्सिंग, एथलेटिक्स, नौकायन, फुटबाल और बालीबाल में हमारे खिलाडियों ने कई पदक जीते हैं।
मेरे गृह क्षेत्र के श्री त्रिलोक सिंह बसेड़ा जी फुटबाल के अंर्तराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं, एशियाड में उन्होंने कई पदक जीते थे, उन्हें आयरन बैग के नाम से भी जाना जाता था। मुवानी के कापड़ी जी को तो अर्जुन पुरस्कार भी प्रदान किया गया है, भगवान सिंह सामन्त बालीवाल के राष्ट्रीय कोच हैं। पिथौरागढ़ के कई मुक्केबाज भी हैं। लेकिन इन प्रतिभाओं को खोजने और तराशने के लिये कोई ठोस योजना नही है।

--- End quote ---

You are very right.

Apart from individuals efforts, govt must support such talents so that they can play even international level and bring the name of state.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भराड़ी के सुनील का अंतर्राष्ट्रीय मोईथाई खेल में चयनSep 11, 11:55 pm

बागेश्वर। भराड़ी के सुनेता गांव के निवासी सुनील मिश्रा ने दिल्ली में हुई 8वीं राष्ट्रीय मोईथाई खेल में स्वर्ण पदक प्राप्त कर अंतर्राष्ट्रीय खेल में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है। सुनेता गांव के गणेश दत्त मिश्रा के पुत्र सुनील ने गत माह दिल्ली में हुई 8वीं राष्ट्रीय मोईथाई खेल में स्वर्ण पदक प्राप्त किया जिसमें राज्य के दो अन्य खिलाड़ी भी पदक प्राप्त करने में सफल रहे। ये खिलाड़ी 26 अक्टूबर से दक्षिण कोरिया में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भाग लेंगे। वे 15 सितम्बर को कोलकता तथा इसके बाद थाईलैंड में प्रशिक्षण प्राप्त करेगे।



पंकज सिंह महर:
सूबे में खेल प्रतिभाओं की बिल्कुल कमी नहीं है, उत्तराखंड के किसी खिलाड़ी के राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन अथवा पदक जीतने पर हमारे नीति-नियंता अक्सर यही दोहराते हैं। खेलों को बढ़ावा देने और खिलाडि़यों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन फिर सारी घोषणाएं महज औपचारिकता बनकर रह जाती हैं। सूबे में ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को उभारने के दावों की सच्चाई यह है कि गांवों में खेल प्रतियोगिताओं के लिए वार्षिक कैलेंडर तक तैयार नहीं किया जा सका है। इसके चलते प्रतियोगिताओं के आयोजन पर संदेह बना रहता है और कई बार तो यह हो भी नहीं पातीं। ऐसे में राज्य की ग्रामीण प्रतिभाओं का भविष्य भगवान भरोसे ही है। युवाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और ग्रामीण क्षेत्रों में खेल आयोजनों के जरिए प्रतिभाओं को तलाश उन्हें तराशने की जिम्मेदारी भी राज्य युवा कल्याण विभाग की है। इसके तहत ग्रामीण युवाओं के लिए गांव, ब्लाक, जिला और फिर प्रदेश स्तर पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने की व्यवस्था है, जो इन खिलाडि़यों के लिए चरणबद्ध ढंग से राष्ट्रीय स्तर पर अपना हुनर दिखाने का मौका प्रदान करती हैं। लेकिन विभाग की गंभीरता का पता ग्रामीण खेलों के प्रति उसके उदासीन रवैए से लगाया जा सकता है।बीते आठ वर्षो में इन खेलों के आयोजन के लिए वार्षिक कैलेंडर तक तैयार नहीं करवाया जा सका। ऐसे में कौन-सी प्रतियोगिता कब, कहां और कैसे आयोजित होगी, इसकी जानकारी किसी को नहीं मिल पाती है। दु:खद पहलू यह है कि इसके चलते कई बार प्रतियोगिताएं होती ही नहीं। जब प्रतियोगिता होगी ही नहीं तो प्रतिभाओं को अपना जौहर दिखाने का मौका कैसे मिलेगा, यही सबसे बड़ा सवाल है। युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष रविंद्र जुगरान ने बताया कि इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को शीघ्र वार्षिक कैलेंडर तैयार करने के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि आगामी सत्र से सूबे के गांवों में इसी कैलेंडर के मुताबिक ही खेलों का आयोजन होगा।
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

The same wording here from Sunder Bhandari, famous athelete of UK.


--- Quote from: धौंसिया.....! on September 22, 2008, 12:54:33 PM ---सूबे में खेल प्रतिभाओं की बिल्कुल कमी नहीं है, उत्तराखंड के किसी खिलाड़ी के राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन अथवा पदक जीतने पर हमारे नीति-नियंता अक्सर यही दोहराते हैं। खेलों को बढ़ावा देने और खिलाडि़यों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणाएं की जाती हैं, लेकिन फिर सारी घोषणाएं महज औपचारिकता बनकर रह जाती हैं। सूबे में ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को उभारने के दावों की सच्चाई यह है कि गांवों में खेल प्रतियोगिताओं के लिए वार्षिक कैलेंडर तक तैयार नहीं किया जा सका है। इसके चलते प्रतियोगिताओं के आयोजन पर संदेह बना रहता है और कई बार तो यह हो भी नहीं पातीं। ऐसे में राज्य की ग्रामीण प्रतिभाओं का भविष्य भगवान भरोसे ही है। युवाओं को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और ग्रामीण क्षेत्रों में खेल आयोजनों के जरिए प्रतिभाओं को तलाश उन्हें तराशने की जिम्मेदारी भी राज्य युवा कल्याण विभाग की है। इसके तहत ग्रामीण युवाओं के लिए गांव, ब्लाक, जिला और फिर प्रदेश स्तर पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने की व्यवस्था है, जो इन खिलाडि़यों के लिए चरणबद्ध ढंग से राष्ट्रीय स्तर पर अपना हुनर दिखाने का मौका प्रदान करती हैं। लेकिन विभाग की गंभीरता का पता ग्रामीण खेलों के प्रति उसके उदासीन रवैए से लगाया जा सकता है।बीते आठ वर्षो में इन खेलों के आयोजन के लिए वार्षिक कैलेंडर तक तैयार नहीं करवाया जा सका। ऐसे में कौन-सी प्रतियोगिता कब, कहां और कैसे आयोजित होगी, इसकी जानकारी किसी को नहीं मिल पाती है। दु:खद पहलू यह है कि इसके चलते कई बार प्रतियोगिताएं होती ही नहीं। जब प्रतियोगिता होगी ही नहीं तो प्रतिभाओं को अपना जौहर दिखाने का मौका कैसे मिलेगा, यही सबसे बड़ा सवाल है। युवा कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष रविंद्र जुगरान ने बताया कि इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को शीघ्र वार्षिक कैलेंडर तैयार करने के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि आगामी सत्र से सूबे के गांवों में इसी कैलेंडर के मुताबिक ही खेलों का आयोजन होगा।
 


--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

During our meeting last week with Mir Ranjan Negi, he has assured that he would definitly do something for UK for hockey.

There is a lot of hidden talent in pahad which needs to be properly groomed.  Govt must also ensure that players are provided good facility so that they can bring name State as well as Country on top.

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