नमस्कार,
मुझे भी एक घटना याद आ रही है जो मुझे मेरे बचपन में बताई थी. ऐसा हुआ कि रामनगर से रोड बनते बनते मछोड़ तक आ गई थी. पहली बार उस रोड पर एक बस तथा एक कार में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी मछोड़ तक आए हुए थे. तभी एक बूढी औरत वहाँ आई जिस ने पहले कभी बस या कार नहीं देखि थी. बस को देखते ही वो बोली कि "क्य भलि भैंस छू यो, भौत दूध दिन हनेली". और कार को देख कर बोली "यो भैंसकि थोरी हनेली, कतु चिफई छू यो, कतु दिनुकि हनेली यो"...
वाकई कैसा ज़माना रहा होगा जब ऐसे सीधे सादे लोग होते थे.
नमस्कार