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Bhishma Kukreti:
श्री सिद्धबली मंदिर कोटद्वार
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सरोज शर्मा कु गढ़वाली जन साहित्य -219
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सिद्ध बली मंदिर कोटद्वार शहर से भैर एक पहाड़ी मा स्थित हनुमान जी क मंदिर च ,जु खोह नदी क तट पर बसयूं च ,यी एक शांत और रहस्यमयी मंदिर च,ऐ मंदिर थैं सिद्ध बली धाम और सिद्ध बली पीठ क नाम से जंणै जांद। यख हर साल लाखों की संख्या मा श्रधालुओ की भीड़ देखणक मिल जांद।
खो नदी क तट पर हनुमान जी थैं समर्पित यू मंदिर उत्तराखंड राज्य क पौड़ि गढ़वाल जिला मा कोटद्वार शहर कि एक ऊंची पहाड़ी मा स्थित च। जु उत्तराखंड ही ना बल्कि देश का अन्य हिस्सो मा भि प्रसिद्ध च।
सिद्ध बली मंदिर कु इतिहास
पौराणिक कथाओं क अनुसार ब्वले जांद कि हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लिजांण क दौरान ये जगा पर एक सिद्ध बाबा थैं हनुमान जी की सिद्धि प्राप्त ह्वै, ऐ कारण सिद्ध बाबा न यख हनुमान जी कि प्रतिमा कु निर्माण करै, ईलै ही ऐ मंदिर थैं सिद्ध बली क नाम से जंणै जांद।
एक मान्यता ई भि च कि भारत मा ब्रिटिश शासन क दौरान एक मुस्लिम सुपरिटेंडेंट जु अंग्रेजु कु मुलाजिम छा वू घ्वाड़ा से पेट्रोलिंग कनू छा, जनि वु सिद्ध बली समाधि क नजदीक पौंच बेहोश ह्वै ग्या बेहोशी मा ही वै थैं स्वप्न आई जै म सिद्ध बली मंदिर बणाण कु ब्वले ग्या, ये कारण से ऐ स्थान मा सिद्ध बली मंदिर कु निर्माण ह्वै, तब बटिक ई मंदिर अस्तित्व मा ऐ, पैल यख एक छवट मंदिर हूंद छाई पर बाद मा पौराणिक शक्ति कि महत्ता कि वजा से श्रधालुओ न ऐ थैं भव्यता प्रदान कैर, ई मंदिर न केवल हिंदू सिख धरमावलंबियो क च अपितु मुसलमान भि ऐ धाम का दर्शन कैरिक मन्नत मंगण कु अंदिन। मनोकामना पूर्ण हूंण पर लोग भंडारा क आयोजन भि करदिन, खोह नदी क तट पर बसयूं ई मंदिर रहस्यों से भरयूं च, पूरा भारत मा प्रसिद्ध च ।ऐ कारण यख सभी धर्मो का लोग मनोकामना पूर्ण हेतू यख अंदिन। यख बटिक कोटद्वार शहर कु बेहतरीन नजारा भि देखणकु मिलद। ऐ मंदिर थैं पौढी गढ़वाल कु प्रवेश द्वार भि ब्वले जांद। इति

Bhishma Kukreti:
भारत मा आर एस एस कु महत्वपूर्ण योगदान
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सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य २१९
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मूल लेख-ज्ञानेन्द्र नाथ बरतिया
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 90 साल क ह्वै छा, 1925 मा दशहरा क दिन डाक्टर केशव बलिराम हेडगेवार न राष्ट्रीय स्वयंसेवक कि स्थापना कैर छै, सांप्रदायिक हिन्दूवादी, फासीवादी, और ऐ जना और भि शब्दो से आलोचना सुनणक बाद भि संघ थैं लगभग सात आठ दशक ह्वै गैं।
दुनियाभर मा शायद ही कै और संगठन की इतगा आलोचना ह्वै। वू भि बिना कै आधार क,संघ क खिलाफ लगयूं हर आरोप आखिर मा झूठ साबित ह्वाई।क्वी शक नी कि आज भि कुछ लोग संघ थैं नेहरूवादी दृषि से देखदिन।
हालांकि नेहरू थैं अपण दृष्टि दोष दूर करण कु एक मौका मिल छा,जब 1962 मा देश पर चीन कु आक्रमण ह्वै तब देश क भैर पंचशील और लोकतंत्र जन आदर्शो कु मसीहा ना खुद थैं संभाल पाणू छा और ना देश कि सीमा थैं, तब भि संघ अपणु काम कनू छा।
संघ का कुछ उल्लेखनीय कार्य
कश्मीर सीमा पर निगरानी
विभाजन पीड़ितो थैं आश्रय
संघ का स्वयंसेवको न अक्टूबर 1947से ही कश्मीर सीमा पर पाकिस्तानी सेनाओ कि गतिविधियो पर बिना कै परक्षिषण क लगातार नजर राख। ई काम ना नेहरू मांउनटबेटन सरकार कनी छै ना हरिसिंह सरकार, वै समै जब पाकिस्तानी सेना कि टुकडियो न कश्मीर कि सीमा लंघणा कि कोशिश कैर त सैनिको का साथ स्वयंसेवको न भि मातृभूमि की रक्षा खुण प्राण दिनि। विभाजन का दंगा भड़काण पर जब नेहरू सरकार पूरी तरह से विफल ह्वै गै तब संघ न पाकिस्तान से अंया शरणार्थीयो खुण 3000 से ज्यादा शिविर लगैं।
1962 का युद्ध
सेना कि मदद खुण देश भर मा संघ का स्वयंसेवक जै उत्साह से सीमा पर पौछिन, वू पूरा देश न दयाख सराहना काई,
स्वयंसेवक न सरकारी कामकाज मा और विषेश रूप से जवानो की मदद खुण पूरी ताकत लगै दयाई, सैनिक आवाजाही मार्ग म चौकसी, प्रशासन कि मदद,रसद की आपूर्ति मा मदद, और यख तक कि शहीदों क परिवार की चिंता भी,
जवाहर लाल नेहरू थैं 1963 मा 26 जनवरी परेड मा संघ थैं आमन्त्रण दीण प्वाड़,
कश्मीर विलय
कश्मीर का महाराज विलय क फैसला नि कैर सकणा छा,उनै कबालियों क भेष मा पाकिस्तानी सेना सीमा म घुसपैठ कनी छै तब नेहरू सरकार हम क्या कैर सकदौ वली मुद्रा म गिचच बिचकै कि बैठ ग्या, तब सरदार पटेल न गुरू गोलवलकर से मदद मांग ,
गुरूजी श्रीनगर पौछिन महाराज से मिलीं ऐ का बाद महाराजा न भारत मा विलय कु पत्र प्रस्ताव दिल्ली भेज द्या, नेहरू का हरिसिंह क प्रति नफरत की एक जड़ ई भि छै,
आर एस एस और जमात -ए- इस्लामी भाई-भाई
1965 मा युद्ध मा कानून व्यवस्था संभाली पाकिस्तान से युद्ध क समय लाल बहादुर शास्त्री थैं भि संघ कि याद ऐ, शास्त्री जी न कानून व्यवस्था संभालण मा और दिल्ली यातायात नियंत्रण संघ थैं अपण हाथ मा लीणकु आग्रह कैर, ताकि यूं कार्यो से मुक्त कियै पुलिस कर्मीयो थैं सेना कि मदद मा लगयै जा,घायल जवानो खुण रक्त दान करण वला भी स्वयंसेवक ही अग्रणी छा, युद्ध क दौरान कश्मीर कि हवाई पट्टीयो से बर्फ हटाण कु काम भि संघ स्वयंसेवक न कैर,
गोवा क विलय
दादरा नगर हवेली और गोवा कु भारत मा विलय मा भि संघ की निर्णायक भूमिका छै, 21 जुलाई 1954 मा दादरा थैं पुर्तगालियो से मुक्त करैये ग्या, 28 जुलाई कू नरोली और फिपारिया मुक्त करै गैं, और फिर राजधानी सिलवासा मुक्त करैये ग्या, संघ का स्वयंसेवक न 2 अगस्त 1954 कि सुबेर पुर्तगालियो कु झंडा उतारिक भारत कु तिरंगा फैला दयाई,
सरया दादरा नगर हवेली पुर्तगालियो से मुक्त करैकि भारत सरकार थैं सौंप दयाई,
संघ का स्वयंसेवक 1955 से गोवा मुक्ती संग्राम मा शामिल ह्वै ग्या छा,गोवा मा सशस्त्र हस्तक्षेप करण से नेहरू क इन्कार पर जगन्नाथ राव जोशी का नेतृत्व मा संघ क कार्यकर्ता गोवा पौछिक आन्दोलन कैर जैक परिणामस्वरूप जगन्नाथ राव जोशी समेत संघ क कार्य कर्ताओ थैं 10 वर्ष कि सजा कटण मा बीत, हालत बिगड़ण पर भारत का सैनिक हस्तक्षेप करण प्वाड़, 1961 मा गोवा आजाद ह्वाई,
आपात काल 1975 से 1977 का बीच आपात काल का खिलाफ संघर्ष और जनता पार्टी कु गठन तक संघ कि भूमिका आज भि बहुतों थैं याद होलि, सत्याग्रह मा हजारों-हजार स्वयंसेवको की गिरफ्तारी क बाद संघ का कार्यकर्ताओ न भूमिगत ह्वै कि आंदोलन चलाई,आपात काल क खिलाफ सड़को पर पोस्टर चिपकाए,जनता थैं सूचना दीण, और जेलो मा बंद विभिन्न कार्यकर्ताओ नेताओ का बीच संवाद सूत्र कु काम भि संघ का कार्यकर्ताओ न संभाल, जब लगभग सरया नेता जेलों मा बंद छा तब सरया दलों क विलय करै कि जनता पार्टी गठन करवाण कि कोशिश संघ कि मदद से ह्वै,
भारतीय मजदूर संघ
1955 मा बण्यू भारतीय मजदूर संघ शैद विश्व मा पैल मजदूर संघ आंदोलन छा जु विध्वंस कि जगा निर्माण कि धारणा पर चलदु छाई, कारखानो मा विश्वकर्मा जयंती क चलन भि भारतीय मजदूर संघ न हि कैर, आज विश्व क सबसे बढ़ु शांतिपूर्ण और रचनात्मक संगठन च,
जमींदारी प्रथा कु खात्मा
जख बड़ी संख्या मा जमीदार छा वै राजस्थान मा खुद सीपीएम थैं ब्वलण प्वाड़ कि भैरोंसिंह सिंह शेखावत राजस्थान का प्रगतिशील नेता छन संघ क स्वयंसेवक शेखावत बाद मा भारत का उपराष्ट्रपति भी बणिन,
भारतीय विधार्थी परिषद, शिक्षा भारती, एकल विधालय, स्वदेशी जागरण मंच, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच कि स्थापना, विधा भारती आज भि 20 हजार से ज्यादा स्कूल चलांद, लगभग द्वी दर्जन शिक्षक प्रशिक्षण कालेज, डेड़ दर्जन कालेज, 10 से ज्यादा रोजगार और परक्षिषण संस्थाए चलांद, केन्द्र और राज्य सरकारो से मान्यताप्राप्त यूं सरस्वति शिशु मंदिरू मा लगभग 30 लाख छात्र छात्राएँ पड़दिन। और एक लाख से ज्यादा शिक्षक पणादा छन, संख्या बल से भि बड़ बात च कि ए संस्थाए भारतीय संस्कारो थैं शिक्षा से जोड़िक रखदिन, यखुली सेवाभारती ही देश भर क दूर दराज और दुर्गम इलाकों मा भि एक लाख से ज्यादा काम कना छन, लगभग 35 हजार एकल विधालयो मा दस लाख से ज्यादा छात्र अपण जीवन संवरणा छन, उदाहरण क तौर पर जम्मू-कश्मीर मा आतंकवाद से अनाथ बच्चो 57 बच्चो थैं गोद ल्याई, जै मा 38 मुस्लिम 19 हिन्दुओ का छन।
सेवा कार्य
1971 मा ओडिशा म अयां भयंकर चक्रवात से लेकि भोपाल गैस त्रासदी तक 1984 मा सिख विरोधी दंगो से लेकि गुजरात क भूकंप, सुनामि कि प्रलय, उत्तराखंड कि बाढ़ और कारगिल युद्ध का घायलो कि सेवा तक संघ न राहत और बचाव कार्य हमेशा अगनै ह्वै कि करिन,भारत मा हि न अपितु नेपाल, श्रीलंका और सुमात्रा मा भि, इति

Bhishma Kukreti:
खैरागढ़ महादेव: भक्तो की इच्छा पूर्ण करणवल
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सरोज शर्मा- गढ़वाली जन साहित्य- 220
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मण्डल मुख्यालय पौडी से लगभग 37 किलोमीटर दूर कल्जीखाल विकास खंड क अंतर्गत खैरालिंग महादेव समुद्र तल से 1800 मीटर कि ऊंचै मा एक रमणीक सुरम्य पहाड़ी च, खैरालिंग महादेव थैं मुण्डनेश्वर महादेव भि ब्वले जांद, यूं थैं धवड़िया देवता क रूप मा भि जणै जांद, मान्यता च कि जै पर्वत कि चोटी मा श्री खैरालिंग महादेव स्थापित च वू मुंड क आकार मा उभर्यू च,तीन ओर से पर्वत श्रंखलायें यख आकि मिलदिन, घ्वाड़ा की पीठ क समान एक ह्वै कि चलीं छन, ऊंक मिलण क स्थान मा मुंड कि आकृति बण ग्ये, जैकु मुण्डन डांडा भि बव्लदिन, और ऐ क आधार पर ऐ थैं मुण्डनेश्वर भि ब्वले जांद, ऐ मंदिर कि स्थापना 1795 ई मा किए ग्या, मंदिर मा स्थित लिंग खैर क रंग कु च यांल ही ऐ थैं खैरालिंग बव्लदिन, मान्यता च कि खैरालिंग का तीन भाई और भि छन, ताड़केश्वर, एकेश्वर, विन्देश्वर (विनसर) यूंकि एक भैंण काली भि च जु खैरालिंग क दगड़ रैंद, वखी खैरालिंग मंदिर मा काली कु थान भि च, भगवान शिव कभि बली नी लींदा पर खैरालिंग मंदिर मा बलि दिए जांद, ऐ संबंध मा ब्वले जांद कि खैरालिंग क दगड़ काली च इलै यख बली दिए जांद, यख हर साल ज्येष्ठ मास मा मेला आयोजित किए जांद, जै मा पशुबलि दिए जांद, द्वी दिन क मेला मा पैल दिन ध्वजा चढ़यै जांद, दुसर दिन बलि दिए जांद,
खैरालिंग कौथिक मेला कु अनुष्ठान नौ दिन पैल से से शुरू ह्वै जांद, वर्तमान समय मा मंदिर क जु स्वरूप च वू गढ़वाली वासतुकला कु बेजोड़ नमूना च ,शैव क दगड़ शाक्त मतावलंबियो कि समान रूप से सहभागिता बणी रा ऐ उदेश्य से भगवान शंकर क दगड़ शक्ति रूप मा मां काली की भि स्थापना कियै ग्या, शिवालय मा नन्दी कि सवरि करदा भगवान शिव कि पत्थर कि मूर्ती स्थापित किए ग्या, मंदिर क भैरकि दिवार मा मां काली कि मूर्ती उकेरीं च ,मां काली कि मूर्ती कुछ खण्डित अवस्था मा च, मने जांद कि उन्नसवी शताब्दि क आरंभ मा सन 1803 से 1815 तक गढ़वाल गोरखाओ क अधीन छा वै समय गोरखालीयो द्वारा मूर्ति खंडित किए ग्या, मंदिर क शांत शीतल स्थान भौत हि रमणीक च ,सिध्द पीठ लंगूर गढ़ी, एकेश्वर महादेव, विन्देश्वर महादेव, रानीगढ़, दूधातोली, जड़ाऊखांद,दीवाडांडा, ताड़केश्वर महादेव और सरया हिमालय यख बटिक दृष्टिगोचर हूंद ।इति

Bhishma Kukreti:
क्या च नदी जोड़ो परियोजना
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सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य- 225
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नदियों कु आपस मा ज्वडणां कु विचार 161 साल पुरण च, सरकार नदी जोड़ परियोजना ( आई एल आर )मा 30 नदियों थैं आपस मा ज्वणन चांद ,ऐ खुण 15,000 किलोमीटर लंबी नैर ख्वदणि होलि, जै मा 174 घन किलोमीटर पाणि स्टोर किए जा सकि ,राष्ट्रीय नदी जोड़ो प्रोजेक्ट मा कुल 30 लिंक बणाण कि योजना च,जैसे 37 नदियां जुड़ी ह्वेली,
ऐ खुण तीन हजार स्टोरेज डैम क नेटवर्क बणाण कि योजना च,ई द्वी भागो मा ह्वाल,
एक हिस्सा हिमालयी नदियों क विकास कु ह्वाल, ऐ मा 14 लिंक चुनै गैन,ऐ का तहत गंगा और ब्रह्म पुत्र मा जलाशय बणाण कि योजना च, दुसर भाग प्रायद्वीप नदियो क विकास कु च,
यी दक्षिण जल ग्रिड च,ऐ का तहत 16 लिंक कि योजना च,जु दक्षिण भारत कि नदियों कु जवडणक च, ऐका तहत महानदी और गोदावरी थैं कृष्णा पेन्नार, कावेरी और वैगाई नदी से ज्वणन की परिकल्पना च,
यूपीए मा कुछ खास नि ह्वै मोदी क आण से फिर तेजी ऐगै,
यूपीए-1 और यूपीए-2 न पूरा एक नदी जोड़ परियोजना (आर एल आर) थैं महत्व नि देई,यूपीए मा पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश न यीं परियोजना थैं विनाशक बतै,
वखी सरकार मा आण क बाद नरेंद्र मोदी न अप्रैल 2014 म बिहार मा आयोजित एक चुनाव रैली क बाद ट्वीट कैरिक ब्वाल कि नदियों थैं जवडणक अटल जी क स्वप्न हि हमारू भी स्वप्न च ,हमर मेहनती किसानो थैं ऐ से ताकत मीलली,
फरवरी 2012 मा अयां फैसला मा तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया और स्वतंत्र कुमार कि सुप्रीम कोर्ट एक खंड पीठ न ब्वाल कि ई कार्यक्रम राष्ट्र हित मा च,ऊन नदियों थै ज्वणन कु एक कमेटी बणान कु आदेश दयाई,
ऐका बाद नरेंद्र मोदी सरकार न 23 सितंबर 2014 कु जलसंसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्रालय का तहत एक विशेष समिती कु गठन कैर, अप्रैल 2015 मा एक स्वतंत्र कार्यालय भि गठन किए ग्या,
मोदी का प्रधानमंत्री बणना क बाद पैल परियोजना निर्माण क चरण तक पौंछ गै,एक लिंक नहर, जु मध्य प्रदेश क (पन्ना टाइगर रिजर्व क भितर स्थित ) धौदन क पास केन नदी से सालाना 107'4 घन मीटर पाणि निकालिक यूपी मा 221 किलोमीटर दक्षिण मा स्थित बेतवा नदी तक पौंछैली,
भारत म नदियो कि ज्वणन कि योजना पर सबसे पैल ब्रिटिश राज का चर्चित इंजीनीयर सर आर्थर काॅटन न सन 1958 (161)साल पैल कै छै, ऊं न व्यापार थैं बणाण क साथ ही आंध्रप्रदेश और ओडिशा प्रान्त मा सूखा से निपटणकु धैर छा,
1970 मा तत्कालीन सिंचाई मंत्री डाक्टर केएल राव न राष्ट्रीय जल ग्रिड बणाण कु प्रस्ताव धैर, ऊन ब्रह्म पुत्र और गंगा क पाणि थैं मध्य और दक्षिण भारत का सूखा इलाका मा मोड़ना कि बात बोलि छै,
1980 मा जल संसाधन मंत्रालय न नेशनल प्रॉस्पेक्टिव फार वाटर रिसोर्सेज डेवलपमेंट नौं कि रिपोर्ट पेश कैर, ऐ मा वाटर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट थैं द्वी हिस्सो मा बंटै ग्याई, एक हिमालयी इलाका और दुसर प्रायद्वीप,
1982 मा नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा विस्तृत अध्ययन खुण विशेषज्ञो कि कमेटि बणये ग्या,
1982 से 1913 तक एन डब्लूडीए न तीस से ज्यादा रिपोर्ट बणै लेकिन एक भि प्रोजेक्ट शुरू नि ह्वै सक,
1999 मा एन डी ए सरकार बणाण क बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी बजपेयी न नदी ज्वणन कि परियोजना पर काम शुरू कैर, हालांकि 2004 मा एन डी ए सरकार क जांद हि योजना ठंडा बस्ता मा चलिगै।
2012 मा सुप्रीम कोर्ट न केन्द्र सरकार थैं निर्देश दीन कि ऐ योजना पर समयबद्ध तरीका से अमल हूण चैंद, जनकि ऐ कि लागत नि बड़, कोर्ट न योजना पर अमल खुण एक उच्चस्तरीय समीति भि बणै,
केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट:ऐमा केन नदी मा डैम बणाण कि योजना च,नहर क जरिया पाणि बेतवा पौंछये जालु,
दमनगंगा-पिंजल प्रोजेक्ट:डीपीआर मार्च 2014 मा पूरी ह्वै गै महाराष्ट्र सरकार न 2015 मा रिपोर्ट राष्ट्रीय जल आयोग थैं सौप द्या,
पार तापी नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट 2015 मा डीपीआर तैयार, महाराष्ट्र और गुजरात सरकार थैं सौंपे ग्या,
महानदी-गोदावरी लिंक प्रोजेक्ट:ऐ पर भि काम हूंणुच,
मानस-संकोश-तीस्ता-गंगा लिंक:ऐका तहत मानस संकोश कु अतिरिक्त पाणि मोडणा कि योजना च,
इंटर-स्टेट लिंक:एन डब्लूडीए थैं नौ राज्यो से 46 प्रस्ताव मिल्यां छन,ऐमा महाराष्ट्र गुजरात, झारखंड, ओडिशा, बिहार, राजस्थान, तमिल नाडू, कर्नाटका और छत्तीसगढ शामिल च, इन 46 मा से 35 इंटर स्टेट लिंक कि प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट एन डब्लूडीए द्वारा 2015 मा तैयार करै गै,
मोदी सरकार न नदी जोड़ो अभियान थैं प्राथमिकता द्या, सरकार कु मकसद सूखा और बाढ़ कि समस्या खत्म करण च,और साथ हि किसानो थैं पाणि क मामला मा आत्मनिर्भर बणाण च ताकि वू सिर्फ मानसून पर ही निर्भर ना रैं ,
मोदी सरकार न ऐ प्रोजेक्ट क जिम्मा राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण ( NWDA) थैं सौंपि, प्राधिकरण क देखभाल क जिम्मा केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री थैं सौंपे ग्या,
सरकार न सुप्रीम कोर्ट क निर्देश क बाद ऐ परियोजना खुण 23 सितंबर 2014 मा एक विशेष समिती गठित कैर, अप्रैल 2015 मा मंत्रालय द्वारा एक टाक्स फोर्स गठित करै ग्या,
ऐ से पीणक पाणि समस्या दूर ह्वैलि
आर्थिक समृद्धि ऐली बदहाली दूर ह्वैलि
सूखा कि समस्या कु स्थाई समाधान ह्वै जालु
सिंचित रकबा मा वर्तमान का मुकाबला उल्लेखनीय वृद्धि ह्वैलि,
जल ऊर्जा क रूप मा सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा मिल सकलि,
नहरों कु विकास होलु
नौवहन क विकास से परिवहन कि लागत मा कमि ऐलि
टूरिस्ट स्पाट मा वृद्धि ह्वेली
बड़ पैमाना मा वनीकरण थैं प्रोत्साहन मिललू ।
=
भारत की  नदी जोड़ो अभियान , भारत में नदी जोड़ो परियोजना , भारत में नदियों को कैसे जोड़ा जायेगा , भारत में नदी जोड़ो परिकल्पना क्या है , अटल विहारी वाजपयी का  नदी जोड़ो सपना पूरा हो पायेगा ? मोदी नदी जोड़ो  योजना को पूरा कर पायंगे ?

Bhishma Kukreti:

  सात समन्दर पार(विदेशों मा) शिक्षा पाणकुण अंठ(ध्यान)  मा रखण वाल दस मुख्य बात:-

विदेशम शिक्षा भाग – 2
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 संकलन रुपेश कुकरेती
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हर साल भारत बिटिक लाखों की संख्या मा नौन/नौनी(छात्र/छात्रा) सात समन्दर पार(विदेशों मा) पढ़णकुण जान्दन। यूं मान अधिकतर उच्च शिक्षा पाणक उद्देश्य से ही विदेशोंक मुख(विदेशों की ओर) लीन्दन। कुछ सात समन्दर पारक शिक्षण संस्थान ये संसार मा अपर शिक्षा क गुणोंक कारण जणै जान्दन।अनुसन्धान अर विकास कु क्षेत्र मा भी वू अगने छन।इन संस्थानों मा पढण हर बच्चक सुपनी(सपना) हुन्द अर उख दाखिल मिन ही अफमा बड़ी उपलब्धि मने जान्दी। यूँ संस्थानों मा पढ़णक मतलब च कि आप वू बट्वे(राहगीर) छ्या जु सफलता की ओर बाट लग्यां(अग्रसर) छ्या। हालाँकि सात समन्दर पारक विश्वविद्यालयक चुनाव करद दफैं अर उखमा प्रवेशक कुण आवेदन करद बगत(वक्त)  कुछ खास बातोंक ध्यान रखण बहुत जरुरी च ताकि आप तै अपरु मनपसन्द शैक्षिक संस्थान मा प्रवेश मिल साक अर आपक सुपिन भी सच ह्वे जा।
1 :-      जांच पड़ताल अर जानकारी जुटाण :-
अपरी इच्छक (रुचि) अर पैलक कक्षा क हिसाब से सही कोर्सक चुनाव कन। उन त सटीक कोर्स ढूँढण बडू कठिन काम च। यांक कारण या च कि संसार मा एक जैसा कोर्स कराण वाल हजारों विश्वविद्यालय छन जैसे कि नौन/नौनी सटीक कोर्सक चयन करद दफैं घंघतोल(कंफ्यूज) मा पोड जान्दन।ये घंगतोल से बचणक एक ही उपाय च कि आप तै अफकुण उपयुक्त कोर्सक चयन करद धै अपर स्तर से वेक खोजबीन/जांच पड़ताल करण प्वाडली अर कई सारी जानकारी भी जुटाण प्वाडली। इन स्थिति मा आपक अनुसन्धान निम्न कारकों पर आधारित हुण चयाणु च।
आप कोर्स मा कै विशेष विषय तै चाणा छ्या ?
क्या आप क्वी लोकप्रिय कोर्स कन चाणा छ्या ?
आप इन कोर्स कन चाणा छ्या जु ज्यादा प्रयोगात्मक कन वाल विषय ह्वा या सैद्धान्तिक या अनुसन्धान कन वाल ह्वा।
कोर्स की समय सीमा कदगा च ?
कोर्सक बाद तुम दगड़ दगड़ वर्क प्लेसमेंटक इच्छा भी रखदा क्या?
विषैक(विषय)  स्थान (रैंकिंग) कन चाणा छ्या ?
यीं प्रक्रिया मा आप जदगा मेहनत कल्या आप तै सही कोर्स मिलणक सम्भावना भी उतना ही बढ़ जाली।एक बार आप वे कोर्स अर वे विश्वविद्यालयक चयन कौर लेल्या जख आप पढ़ण चाणा छ्या त यी भी तै(तय) ह्वे जाल कि आप वुख प्रवेश लीणकुण सच्चू मन से कोशिश कल्या।

2        :-     कहाँ पढ़ें   :-
ये संसार मा कई देशों मा अच्छा विश्वविद्यालय अर महाविद्यालय छन पर सही देश जैकि पढ़ै कन ही महत्वपूर्ण च।
देश इन हुण चयाणु च जु आपक आवश्यकता पूर कौर साक।ये सम्बन्ध मा निम्न बातोंक ध्यान रखण प्वाडल :-
भारत बिटिक वू देश कतुक दूर च?
सम्पर्क कनक क्या क्या साधन छन उख?
रौणकुण वू देश सुरक्षित छैं च कि ना?
वे देशक मौसम कन च ?

3: - पैसक बात -  कै भी कोर्स तै कन सै पैली यी सुनिश्चित कौर ल्या कि वे देश मा पढ़णक खर्च उठे दीण क्या आपन? सात समन्दर पार पढणकुण सरकारी अर निजि विश्वविद्यालयोंक विकल्प छन।हर महाविद्यालयक अर विश्व विद्यालयक शुल्क अलग-अलग छन।येक अलावा हर देशक रौण सौणक,खाण पीणक खर्च अलग-अलग हुन्दन।ये वास्ता देश अर संस्थानक चयन करद दफैं आप तै अपर बजटक भी ध्यान रखण प्वाडल।

4 : -               :- छात्रवृत्तियां :-
कई विश्व विद्यालय,महाविद्यालय अर अन्य संगठन विदेशी नौनु,/नौन्यूं तै छात्रवृतिक तौर पर पूरी या आंशिक वित्तीय सहायता दीन्दन। आप इन क्वी छात्रवृत्ति पै साको त आप कम खर्च मा ही पढ़े कौर सकद छ्या।

5  : -     :  -  नौकरी में मदद :-
अलग-अलग विश्व विद्यालयोंक तुलना आप विदेशी छात्रों तै रोजगार प्राप्त कनक वास्ता मिलण वाली सहायतक अनुसार भी कौर सकद छ्या।उद्योगोंक वूं विश्व विद्यालयों से कन सम्पर्क छन अर अलग-अलग विषयों मा वूंक क्षमता कन च येक विशेष ध्यान रखे जा।कई विश्व विद्यालय अपर अनुभवी कैरियर सुझावकर्ताओंक सेवा नौनु/नौन्यूं तै प्रदान करदन। यी सुझावकर्ता फोन से,ईमेल से या फिर अमणी समणी मिली कन
नौनु/नौन्यूं तै सही कोर्सक,कैरियरक चयन कनमा मदद करदन।या सुबिधा विश्व विद्यालय मा प्रवेश लीण से पैली दिए जान्दी अर पढ़ैक दौरान ग्रेजुएशन पूर हुणक बाद भी जारी रौंदी। ये सम्बन्ध मा जरुरी कार्यशाला लगेकि भी बच्चोंक सहायता करे जान्दी जैसे वूं मा नौकरी पाणक कौशल विकसित ह्वे साक।

6 : -       विभिन्न सेवाएँ :-
विश्व विद्यालय अंतर्राष्ट्रीय नौनु/नौन्यूं तै अलग अलग प्रकार की सेवाएँ दीन्दन। यूं सेवा मा उख पहुँचण से पैली सेवा अर उख पहुँचणक बाद मिलण वाल द्वी सेवा ही सम्मलित छन।वीजा प्राप्त करणक सेवा आव्रजन सम्बन्धी सेवा शामिल छन।यूं सेवाओंक बारे मा भी ढँग से पता कौर लीण चयान्दु ताकि आप यूं सेवाओंक पूर लाभ उठे साको।

7 : - समाज की उपलब्धता :- हर येक विश्व विद्यालय मा आपक रुचिक अनुसार अलग अलग सांस्कृतिकसमाज हुन्द।विद्यार्थियोंक संघ विभिन्न प्रकारक समाजक संचालन करदु।इखमा नृत्य व संगीत से लेकर एनिमल वेलफेयर आदि से जुड़ीं अलग अलग समाज भी शामिल हुन्दन।इखमा छात्र/छात्रा अलग-अलग लोगों से मिल सकदन और वू इन छात्रोंक सम्पर्क मा भी ऐ सकदन जु वूंक तरा विषय पढ़णा छन। क्वी भी छात्र/छात्रा समाज से  जुड़ सकदन।उन अगर आप विदेशों मा पढ़णक जाणा छ्या त आप तै उखक अलग संस्कृति अर जीवनशैली कुण पैली बिटिक तैयार रौण चयान्दु।इन समाज आप तै उख बसण मा अर नै दगड्या बणाण मा मदद करदु।

8 : - लोकेशन :- अपर रुचिक अनुसार आप अपर पसन्दक शहरक चुनाव कौर सकद छ्या।आप कै शान्त अर छुट कस्बा मा स्थित महाविद्यालय मा पढ़ण चाणा छ्या या फिर अपर पसन्दक क्वी व्यस्त शहर या समन्दरक पास स्थित स्थान मा।यी सब आवेदन कन से पैली तय कौर लेल्या त आप तै बाद मा येक फैदा ह्वाल।
9 :- ट्रैवल डोकोमेन्ट अर वीजा क इंतजाम :- यी स्वाभाविक च कि विदेशों मा पढ़णकुण आप तै पासपोर्टक जरुरत प्वाडली वे वीजा प्राप्त कन भी जरुरी ही च।कई देशों मा आप स्टूडेंट वीजा लेकन ही पढणकुण पहुंच सकदा। सभी जरुरी दस्तावेज अर आवश्यक स्वीकृतियों तै समय से पूर कौर दीण चयान्दु।अगर यूँ मा देर ह्वे ग्या त आप तै वे देश मा जख आप पढ़णा छ्या दिक्कतोंक सामना कन पोड सकिद च।

10 :- आवास :-
अपर पसन्दक विश्व विद्यालयक चयन करद समै ही आप अपर रौणक ठिकणकुण भी आवेदन कौर द्या।विश्व विद्यालयों मा विदेशी छात्र/छात्राओंक रौणक व्यवस्था रौंदी।अधिकतर विश्व विद्यालय छात्र/छात्राओं  तै महाविद्यालयक कैंपस मा ही या वेक ही नजदीक रौणक व्यवस्था प्रदान करदन।अगर आप अपर रौणक व्यवस्था अफिक कन चाणा छ्या त कौर सकद छ्या या फिर अपर दगड्यों दगड़ भी रै सकद छ्या।
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