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Bhishma Kukreti:
हिंदी फिल्मों कू बहु प्रचलित शूटिंग स्थल
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उषा बिजल्वाण की गढ़वाली पॉप लिटरेचर
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भारतीय फिल्म उद्योग का दर्शक दुनिया भर मा फैल्यां छन । हजारों फिल्मों न येतैं हर साल सिलवर स्क्रीन बणैयाली, यूं फिल्मों तै देखण वाला दर्शकों की संख्या असीम छ। बॉलीवुड भारत मा पर्यटन तै बढ़ावा देण वालू सर्वोत्तम माध्यमों मे से छ। भारत की शानदार स्थलाकृति फिल्मों की शूटिंग तै एक शानदार स्थान प्रदान करदी। भारत मा कई खूबसूरत जगह छन, लोगों तै यूं स्थानों का बारा मा जागरूक करना मा फिल्म एक महत्वपूर्ण भूमिका निभोंदी। भारत मा शूटिंग, विदेशी स्थानों की तुलना मा केवल सुविधाजनक ही नी बल्कि बजट का अनुकूल भी छ। भारत मा शूटिंग तै हिल स्टेशनों, रेगिस्तानों, समुद्र तटों, स्मारकों, ग्रामीण क्षेत्रों, किलों और महलों आदि जन कई स्थान आसानी से उपलब्ध छन। पिछला कुछ सालों मा भारतीय फिल्म निर्माताओं न अपणी फिल्म फिल्मौणा तै बड़ा पैमाना पर भारतीय स्थलों कू सहारा लिनी। अगर आप सोचणा छन कि इतना आकर्षक स्थान कख छन? त यू जाणिक आपतै आश्चर्य होलू कि यू आपकू अपणू ही देश छ। आश्चर्य ह्वै ना?
मेरा युं जगहों कू नाम संक्षेप मा लिखणा से आपतै वूं जगहों तै जाणनम आसानी होली, जूंन कई फिल्मों का निर्माण मा अपणी सहायता प्रदान करी।
1. मनाली
जब करीना कपूर न आनन्दमय हिमाचलित पहाड़ों मा “ये इश्क हाय, जन्नत दिखाये” गाई थौ, तब ये गाणा मा हिमाचल प्रदेश का स्वर्ग रूपी दृश्य तै दिखाए गै थौ। “जब वी मेट” मा दिखायी गयी किनारों पर बर्फ से ढकीं सड़कौं, सुरम्य घाटियाँ और खूबसूरत झोपड़ियाँ तै याद करा? खैर, यी खूबसूरत हिल स्टेशन तै मनाली का नाम से जाणे जांदू।
2. राजस्थान
शायद राजस्थान एक यनी जगह छ जख ज्यादा फिल्मों की शूटिंग ह्वै। यख होण वाली फिल्मों की शूटिंग मा हॉलीवुड की फिल्म भी शामिल छन। यू शाही स्थान झीलों की सफाई का साथ शानदार राजसी सौंदर्य भी प्रदान करदू। हम दिल दे चुके सनम, जोधा अकबर, यादें, बॉर्डर तथा डोर जनी कई हिट फिल्मों राजस्थान मा फिल्माये गैन।
3. दिल्ली
भारतीय फिल्म निर्माताओं का आकर्षण होणा का मामला मा राजधानी पिछाड़ी नी छ। ऐतिहासिक स्मारक, बाजार, दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली का शहरी जीवन हमेशा से फोटोग्राफरों की पसंद रै। दिल्ली मा बनाए गै कुछ सबसे लोकप्रिय फिल्मों मा रॉकस्टार, फ़ना, जन्नत-2, हम्पटी शर्मा की दुल्हानिया आदि फिल्म शामिल छन।
4. गोवा
बिना कै संकोच का बोले जैसकदू कि , भारत में गोवा सबसे ज्यादा शूटिंग करण वाला स्थलों मा दूसरा स्थान पर छ। यू समुद्र का वुई स्वर्ग रूपी तट छध जू दुनिया भर बटी फिल्म निर्माताओं तै अपणी ओर आकर्षित करदू। विडंबना यह छ कि गोवा मा स्थानीय लोग कम और पर्यटक ज्यादा छन। गोवा का दिव्य सौंदर्य तै बढ़ावा देण वाली फिल्मों मा जोश, एक विलेन, गोलमाल-3, फाइंडिंग फानी और सिंघम जैसी फिल्में शामिल छन।
5. कश्मीर
कू यन छ जू कश्मीर की स्वर्गीय सुंदरता तै कैप्चर नी करण चालू? यदि आप कश्मीर का शानदार आकर्षण का वर्णन करना की कोशिश करला त तारीफ करनक शब्द भी कम पड़जाला, या जगह आगंतुकों तै अपणी ओर खींचदी। फिल्म मारोमांस जोड़नक कश्मीर सबसे सुंदर स्थान छ। हाल ही में फिल्माई गै जब तक है जान, ये जवानी है दीवानी, हाईवे, और रॉकस्टार जैसी फिल्मों में कश्मीर की सुंदरता तै दरशौं दन।
6. केरल
जब सौंदर्य की बात औंदी त, भारत का दक्षिणी भाग उत्तर की तुलना मां कम नी छ। यदि उत्तर में बर्फ से ढंकी चोटियाँ छन, त दक्षिण मा प्रकृति का उपहार का रूप मा शानदार झरना। याद करा ऐश्वर्य राय तै फिल्म रावण मा यखी का विशाल झरना बटी गिरदा दिखाए गै और गुरु द्वारा बनाए गै गीत बारसो रे मेघा? केरल की दिव्य सुंदरता तै यूं फिल्मों मा दिखाए गै
7. लेह / लद्दाख
लेह / लद्दाख तै जटिल जलवायु परिस्थितियों का कारण पैली एक दुर्गम क्षेत्र माने गै थौ। लेकिन अब और न। फिल्म निर्माताओं तै धन्यवाद, यू स्थान अब विशेष रूप से युवाओं का बीच लोकप्रिय ह्वै गेन। 3 इडियट्स मा आमिर खान लद्दाख मा पढ़्यां थन। हाल ही का फ्लिक फगली मा युवाओं न लेह की सड़कों पर यात्रा करी। यूं क्षेत्रों मा फिल्माई गै फिल्मों मा लक्ष्य, जब तक है जान, दिल से और पाप आदि शामिल छन।
8. कोलकाता
बॉलीवुड का दुई लोकप्रिय गुंडा ये शहर में पैदा ह्वै था। शायद आप अब यूअनुमान लगाला कि यू रणवीर सिंह और अर्जुन कपूर छन। गुंडा तै फिल्मौणा मा कोलकाता तै मुख्य स्थान का रूप मा चुने गै। यख बणी दूसरी बड़ी फिल्में बर्फी, कहानी और परिणीता छन।
9. मुंबई
मुंबई भारत का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग कू घर छ। कैमरा कू पैलू शॉट ये शहर बटी शूरू होंदू। भारत कू ये मनोरंजन की राजधानी मा भौत सी फिल्मों की शूटिंग करे गै। मुन्नाभाई एमबीबीएस, स्लमडॉग मिलेनियर, धूम, सागर, तलाश, एक दिवाना था आदि, यी सूची कू कुई अंत नी।
10. अमृतसर
पंजाब जना छोटा सा दिव्य शहर न भी हमारी फिल्मों तै आश्चर्यजनक रूप से खूबसूरती प्रदान करना मा अपणू योगदान दिनी। शहर की व्यस्त सड़क, स्वर्ण मंदिर, जलियांवाला बाग और खलसा कॉलेज निर्देशकों का पसंदीदा शूटिंग स्थल छन। यूं जगहों पर फिल्माई गै फिल्म मा गदर, ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस, रब ने बना दी जोड़ी, वीर-ज़ारा और लीजेंड आफ भगत सिंह आदि शामिल छन।

Bhishma Kukreti:
भैरव गढ़ी: जख छन बाबा भैरवनाथ
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सरोज शर्मा गढ़वाली पाॅप लिटरेचर – 207
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प्रकृति कि गोद मा बसयूं
बसयूं भैरव धाम क दर्शन खुण दूर दूर से श्रृधालु अंदिन,
भगवान शिव क 15 अवतारो मा भैरव गढ़ी कु नाम भि आंद,
और यूं कालभैरव कु सुप्रसिद्ध धाम भैरव गढ़ी च,
लैंसडौन से लगभग 17 किलोमीटर दूर राजखील गौं कि पहाड़ी मा यी देवस्थल च,
यै कालनाथ भैरव कि नियमित पूजा हूंद,
कालनाथ भैरव थैं सब्या कालि चीज पसंद छन, यी कारण च कालनाथ भैरव मा मंडवे क आटू कु रोट प्रसाद क रूप मा बणद,
गढ़वाल क रक्षक का रूप मा प्रसिद्ध अर्थात द्वारपाल क रूप मा भौत महत्व मनै ग्या भैरव कु,
भैरव का अनुयायी पुजारी और साधक आज भी भैरव गढ़ी कि चोटी मा जै कि साधना कैरिक सिद्धी प्राप्त करदिन,
ऐ स्थान कु अपड़ ऐतिहासिक महत्व भि च, भैरव गढ़ गढ़वाल का 52 गढ़ो मा एक च ,एकु वास्तविक नौ लंगूर गढ़ च,
शैद लांगूल पर्वत मा स्थित हूण से यैक नौ लंगूर गढ़ प्वाड़,
लंगूर गढ़ सन 1791 तक भौत शक्तिशाली गढ़ छा, द्वि बर्ष तक गुरखो कि फौज न ऐ थैं जितण खुण घेराबन्दी कैर, 28 दिनो तक निरंतर संघर्ष का बाद भि गोरखा पराजित ह्वै कि वापस चल गैन,
थापा नौ क एक गोरख्या न लंगूर गढ़ भैरव कि महिमा देखिक एक ताम्र पत्र चढै ऐक वजन 40 किलो बतयै जांद,
यख भैरव की गुमटी मा मंदिर बणयू च गुमटि क भैर बांय तरफ शक्तिकुंड च, यख भक्त लोग चांदि का छत्र चडन्दिन, यख भक्त जन रोज हि पहुंचदा छन, और नै वर वधू भि मनौति मंगण खुण पहुंचदा छन। इति

Bhishma Kukreti:
सतपुली क्षेत्र कु प्रसिद्ध एकेश्वर महादेव
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सरोज शर्मा गढ़वाली पाॅप लिटरेचर-213
उत्तराखंड म शैव व शक्ति दुयौं का उपासक छन,ऐ कारण यख कै महत्वपूर्ण शैव और शक्तिपीठ स्थापित छन, मात्र केदार क्षेत्र मा हि पांच प्रमुख शैव पीठ छन, ताड़केश्वर महादेव, बिनदेश्वर महादेव, एकेश्वर महादेव, क्यूंकालेश्वर महादेव, किल्किलेश्वर महादेव।
एकेश्वर महादेव जैकु स्थानीय भाषा म इगासर महादेव से जंणे जांद, यूं ही शैव पीठ मा एक च। ई मंदिर कोटद्वार-पौडी राजमार्ग म सतपुली नौं का स्थान से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर एकेश्वर नाम क स्थान मा स्थित च। संभवतः शैव पीठ क नौ से ई स्थान एकेश्वर ब्वले ग्या। सतपुली बजार से टैम टैम मा बस और टैक्सी सेवा क द्वारा यख पौंच सकदौं। मुख्य सड़क मार्ग मा ही सीमेंट और टाइल्स से बण्यू मंदिर क प्रवेश द्वार स्थित च। यख से मंदिर तक लगभग 100 मीटर कंक्रीट और सीमेंट से बण्यू सीड़ीनुमा पैदल बाट च। मंदिर क आसपास बांज और चीड़ का सुन्दर डाला छन जु ऐ स्थान कि सुन्दरता बड़ाण कु काम करदिन। पौराणिक संदर्भो मा ऐ स्थान क महात्म्य क बारा मा जु वर्णन मिलद वै का अनुसार महाभारत काल मा पाण्डवो न शिव कि तपस्या कैर, और ब्वले जांद कि 810 का आसपास आदिगुरू शंकराचार्य न ऐ स्थान मा मंदिर कि स्थापना कैर छै। हालांकि मंदिर कि स्थापना आदि गुरू शंकराचार्य क नाम से जुड़ी च पर मंदिर निर्माण शैली आधुनिक च, संभवत मंदिर जीर्णोद्धार क कारण से पुरणि संरचना समाप्त ह्वै गे ह्वैलि ,पर मंदिर परिसर मा रखीं मूर्तियों का अवशेष ऐकि प्राचीनता क अनुभव करंदिन ।
एकेश्वर महादेव मंदिर का गर्भ गृह मा स्वयंभू शिव लिंग विराजमान च, मंदिर का उत्तर मा वैष्णव देवी गुफा, गुफा का पिछनै भैरवनाथ मंदिर स्थित च जै से ऐ मंदिर कु महत्व और बड़ जांद। ब्वले जांद भैरवनाथ मंदिर का भितर गुफा मा सुरंग छै जै से बद्रीनाथ मंदिर तक पौंछै जा सकद छा पर अब या बन्द कैर दयाई, उत्तराखंड का पौराणिक ऐतिहासिक मंदिरो मा इन गुफाओं कु वर्णन मिलद। जै से आवागमन खुण या आक्रमण का टैम सुरक्षित निकलण खुण प्रयोग किए जांद छाई। अब सुरक्षा क कारण यी बंद कैर दिन।
पौराणिक संदर्भो से प्राप्त जानकारी से पता चलद कि भगवान शिव ऐकेश्वर से ही ताड़केश्वर गैं। ऐकेश्वर महादेव मंदिर मा शिव रात्री खुण भक्तो की भीड़ लगद, सौंण का मैना यख भक्त आकि शिव लिंग मा दूध बेलपत्री गंगाजल से अभिषेक करदिन, सौंण का मैना यख कांवड मेला कु आयोजन भि किऐ जांद, पुत्र प्राप्ति हेतू उत्तराखंड क खास मंदिरो मा खड़ा दिया की पूजा भि किऐ जांद जैथैं स्थानीय भाषा मा खड़रात्री बव्लदिन हर साल बैशाखी से अगला दिन 14 अप्रैल कु संतान प्राप्ति इच्छुक महिलाए अपणा पति दगड़ रात्रिभर प्रज्वलित दीप हाथ मा लेकि खड़ी ह्वै कि भगवान शिव की स्तुति करदिन।
उन त हर छवटा बड़ा पर्व मा श्रद्धालुओ की यख खूब भीड़ हूंद, पर 14 अप्रैल कु इतगा भीड हूंद कि ऐल विशाल मेला कु रूप ले ल्या। ऐ पर्व कु अब धार्मिक सांस्कृतिक रूप देकि मंदिर समिति और स्थानीय नागरिको कि ओर से आयोजित किए जांद इन्नी चार दिवसीय मेला श्रीनगर का कमलेश्वर महादेव मंदिर म बैकुंठ चतुर्दशी पर भि आयोजित किए जांद मंदिर परिसर मा एक धर्मशाला स्थित च जै मा भक्त जनो खुण ठैरणा कि व्यवस्था च, पर भोजन कि व्यवस्था खुद करणि पव्ड़द। मंदिर से कुछ दूर ऐकेश्वर बजार मा अल्पाहार कि दुकान छन, बख भोजन कि व्यवस्था ह्वै सकद। निथर होटल कि सुविधाहेतू सतपुली बजार 20 किलोमीटर दूर च, मंदिर क पास 150 मीटर ताल मंगरा धारा पाणि कु प्राकृतिक स्रोत च, जैकु निर्माण प्रस्तरखण्डो से कलात्मक ढंग से किए ग्या शीतल जल कु ई स्रोत आसपास का निवासियों खुण महादेव क आशिर्वाद च। ऐ प्रकार का स्त्रोत अब उत्तराखंड मा कम ही रै ग्यैं। जु कि प्राचीन स्थानीय कारीगरो की कार्यकुशलता कलात्मकता क परिचय दींद छाई। अब इन स्रोत पौराणिक या एतिहासिक स्थल क आसपास ही देखंणकु मिलदिन

Bhishma Kukreti:
तेरा मंजिल मंदिर ऋषिकेशः जगद्गुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित मंदिर
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सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य-216
लक्ष्मण झूला क बिल्कुल समणि स्वर्गआश्रम का समणी तेरह मंजिल मंदिर स्थापित च।
यू त्रयमकेश्वर नाम से भि जणै जांद। ऋषिकेश से रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर कि दूरी पर च, यी मंदिर ऋषिकेश मा लक्ष्मण झूला क पास गंगा नदी का तट पर स्थित एक बहुमंजिला मंदिर च।
ऐ मंदिर थैं कैलाश निकेतन मंदिर का रूप मा भि जंणे जांद। ऋषिकेश मा यू महत्वपूर्ण पूजा स्थलो में एक च।
मने जांद कि एकि स्थापना 9 वीं शताब्दी म आदि शंकराचार्य न कैर।
मंदिर अपणि विशालता और वास्तुकला खुण प्रसिद्ध च।तेरह मंजिल मंदिर मा हर मंजिल मा कई छवट छवट मंदिर छन जु कई हिन्दू देव देवताओ थैं समर्पित छन। तेरह मंजिल मंदिर कै एक देवता कु समर्पित नि च। मंदिर का ऊपरी मंजिल ऋषिकेश का पहाड़ो पर सूर्यास्त कु मनोरम दृश्य प्रस्तुत करद। यू मंदिर श्रावण सोमवार और महाशिवरात्रि क समय बड़ी संख्या मा पर्यटको कु आकर्षित करद।

Bhishma Kukreti:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक कु इतिहास
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सरोज शर्मा - गढ़वाली जन साहित्य -218
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आर एस एस जैथैं आम बोलचाल कि भाषा म संघ ब्वलेजांद ऐकि स्थापना विजयादशमी क दिन ह्वै छै। 27 सितम्बर 1925 कु ह्वै छै संघ का संस्थापक डाक्टर केशव राम बलिराम हेगड़े न कानपुर मा कैर छै, 27 सितंबर खुण ऐ कि अनौपचारिक ढंग से स्थापना ह्वै, किलैकि क्वी भि संगठन ख्वलण से पैल वै का नियम कानून जै थैं संविधान बव्लदिन वै क कार्यालय आफिस का साथ साथ पैसों का बारा मा भि चर्चा हूंद, पर आर एस एस कि स्थापना बिल्कुल अलग ढंग से ह्वै, डाक्टर जी अपण घौर 15-20 चुनिंदा लोगों थैं बुलाई, और ऊं से ब्वाल आज से हम संघ शुरू कना छौं और संघ शुरू ह्वै ग्या। संघ शुरू कनकु एक ही मकसद छाई कि ब्रिटिश राज भारत मा हिन्दुओ थैं संगठित करण। शुरूआत मा संघ का सदस्यो थैं सभासद ब्वले जांद छा,और सबया सभासदो से उम्मीद रखै जांदि छै कि वू पर्याप्त मात्रा मा एक्साइज करयां, और सप्ताह मा सब्या इकठ्ठा हूई ।
डाक्टर हेडगेवार थैं बचपन से ही ब्रिटिश राज से नफरत छै, ऊंका सरया कानूनो का खिलाफ छाया। जब स्कूल पास कैरिक काॅलिज मा जाण लगिन तब कलकत्ता मा भारत आजाद कराण की एक लहर उठीं छै। वीं लहर थैं ध्यान मा रखकि हेडगेवार न कलकत्ता से मेडिकल की परीक्षा उत्तीर्ण कैर। और वखि कलकत्ता मा अनेक क्रान्तिकारीयो से से मिलिक विचार-विमर्श करदा
बहुत छा,वै का चलदा हि ऊन नागपुर मा महाराष्ट्र संघ कि स्थापना कैर। महाराष्ट्र सेवक संघ कि कार्यप्रणाली इतवार दरवाजा प्राथमिक शाला क मैदान मा हर ऐतवार सुबेर पांच बजि सैनिक शिक्षण क अभ्यास हूंद छा।जैकु संघ मा समता ब्वलेजांद। सप्ताह मा द्वी दिन अलग अलग विषयो पर भाषण हूंद छाई, जै थैं राजकीय वर्क ब्वलदा छा।1927 क बाद राजकीय वर्क कू नाम बौध्दिक वर्ग करे ग्या, बौध्दिक वर्ग कु कार्यक्रम कभी डाक्टर जी क घौर त कभि कै अन्य स्वयंसेवक का घौर मा हूंद छाई। जन बतै ग्या कि स्वयंसेवक थैं सैनिक शिक्षण मिलदू छाई वै का शरीर हृष्ट-पुष्ट बणाण जरूरी हूंद छा, इलै ही संघ का सब्या स्वयंसेवक नागपुर व्यायाम शाला मा और प्रताप अखाड़ा मा रोज व्यायाम करदा छा, व्यायामशालाओ मा कुछ परेशानी आणक कारण संघ न फैसला ल्याई कि दरवाजा विधालय का मैदान मा लाठी चलाण कु कार्यक्रम शुरू कैर दयाई। अंत मा संघ मा प्रार्थना हूंद छै। प्रार्थना मा सब्या सदस्य सम्मिलित हूंद छा। धीरे धीरे सप्ताह मा एक दिन मिलणवल कार्यक्रम रोज हूण लगि, नया नया स्वयंसेवक संघ मा आण लगिन, और इतवार दरवाजा प्राथमिक शाला कु मैदान छवट पव्ड़न लगि। जैक कारण 1928 मा शाखा मोहित बाड़ा मा लगण बैठ ग्या। आज कु संघ कु प्रधान आफिस नागपुर मा वै हि स्थान मा च।
शाखा क भितर बनि बनि का खेल खिलयै जन्दिन। युध्द परक्षिषण दियै जांद, लाठी चलाण सिखयै जांद, कुछ भि आज्ञा दीण ह्वा त संस्कृत भाषा कु उपयोग कियै जांद छा।
मोहित बाड़ा मा शाखा शुरू हूंद ही स्वयंसेवको थैं सैनिक शिक्षा दियै जांण लगि ऐ शिक्षा क बाद मार्चपास्ट निकलणा कु विचार ऐ,लेकिन वै खुण बैंड कि आवश्यकता छै वैखूण स्वयंसेवकु न पैसा बचांण कि कोशिश शुरू कैर मंदिर मा भोजन क बाद जु दक्षिणा मिलदी छै वै थैं जमा कैरिक संघ कु पैल घोष भि मिल।
शाखा मा व्यायाम, खेल ,सूर्य नमस्कार, समता गीत, और प्रार्थना हूंद छै। सामान्यत शाखा 1 घंटा की लगदी छै।
शाखाये निम्न प्रकार कि हूंद छै
प्रभात शाखा-सुबेर लगण वली शाखा
सांय शाखा- शाम कु लगण वली शाखा
रात्रि शाखा-रात मा लगण वली शाखा
मिलनः- सप्ताह मा एक या द्वी दिन लगण वलि शाखा
संघ मंडली- मैना मा एक या द्वी बार लगण वली शाखा
पूरा भारत मा लगभग 55,000 से भि ज्यादा शाखा छन, विश्व क अन्य देश मा भि शाखाओ कु काम चलणू रैंद। शाखा मा कार्य वाहक क काम सबसे बढ़ हूंद। वैक बाद व्यवस्थित रूप से शाखाओ कु चलाण कु शिक्षक पद अलग हूंद।
संघ कि व्यवस्था कुछ इन हूंद
केंद्र,क्षेत्र ,प्रान्त, विभाग, जिला,तालुका, तहसील, महकमा, नगर, खंड, मंडल, ग्राम, और शाखा।
शुरूआत मा संघ कि गणवेश खाकि निक्कर घुटनो तक, खाकी कमीज का साथ द्वी बटनो वली टोपी छै।
1930 मा खाकी टोपी कि जगा कालि टोपी कैर दयाई, 1940 मा खाकी कमीज कि जगा सफेद कमीज ह्वै ग्या।
1973 मा लौंग बूट का स्थान मा चमड़ा का काला जुत्ता, 2010 -11 मा चमड़ा की बैल्ट क जगा कपड़ा कि मोटी बैल्ट दियै ग्या। काफी समय तक स्वयंसेवको कि पछांण खाकी निक्कर छै 11 अक्टूबर 2016 से हल्का भूरा रंग कि पैंट ह्वै ग्या। संघ मा संगठनात्मक रूप से सबसे माथ एक एक सरसंघचालक कु स्थान हूंद जु सरया संघ थैं लेकि चलद, वै थैं रस्ता दिखांद, अभी वर्तमान मा मोहन भागवत सरसंघचालक छन ।सरसंघचालक कि नियुक्ती मनोनयन का द्वारा हूंद। मतलब कि अपण उत्तराधिकारी कि घोषणा खुद सरसंघचालक ही करद ।संघ का ज्यादातर काम शाखा क माध्यम से ही हूंदिन, किलैकि सुबेर शाम एक घंटा स्वयंसेवक कु मिलणु ह्वै जांद। संघ का सरसंघचालक कुछ इन रैं
डाक्टर केशव राव-बलिराम हेडगेवार (1925-1940)
माधव सदाशिव गोलवलकर(1940-1973)
मधुकर दत्ता त्रेय देवरस बालासाहब देवरस-(1973- 1993)
प्रोफेसर राजेंद्र सिंह( राजू भैया) (1993-2000)
कृपाहलली सीतारामय्या सुदर्शन-*2000-2009)
डाक्टर मोहनराव मधुकर राव भागवत-2009 वर्तमान

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