Author Topic: Religious Chants & Facts -धार्मिक तथ्य एव मंत्र आदि  (Read 45881 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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॥ ॐ ध्येयः सदा सवित्र मण्डल मध्यवर्ती नारायण सरसिजा सनसन्नि विष्टः
केयूरवान मकरकुण्डलवान किरीटी हारी हिरण्मय वपुर धृतशंख चक्रः ॥
ॐ मित्राय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगाय नमः।
ॐ पुषणे नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
ॐ मरीचये नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सवित्रे नमः।
ॐ अर्काय नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ श्रीसवित्रसूर्यनारायणाय नमः।
॥ आदित्यस्य नमस्कारन् ये कुर्वन्ति दिने दिने
आयुः प्रज्ञा बलम् वीर्यम् तेजस्तेशान् च जायते ॥

|| om dhyeyaḥ sadā savitra maṇḍala madhyavartī nārāyaṇa sarasijā sanasanni viṣṭaḥ
keyūravāna makarakuṇḍalavāna kirīṭī hārī hiraṇmaya vapura dhṛtaśaṁkha cakraḥ ||
om mitrāya namaḥ |
om ravaye namaḥ |
om sūryāya namaḥ |
om bhānave namaḥ |
om khagāya namaḥ |
om puṣaṇe namaḥ |
om hiraṇyagarbhāya namaḥ |
om marīcaye namaḥ |
om ādityāya namaḥ |
om savitre namaḥ |
om arkāya namaḥ |
om bhāskarāya namaḥ |
om śrīsavitrasūryanārāyaṇāya namaḥ |
|| ādityasya namaskāran ye kurvanti dine dine
āyuḥ prajñā balam vīryam tejasteśān ca jāyate ||

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 शास्त्रों के मुताबिक स्वस्तिक परब्रह्म, विघ्रहर्ता व मंगलमूर्ति भगवान श्रीगणेश का भी साकार रूप है। स्वस्तिक का बायां हिस्सा 'गं' बीजमंत्र होता है, जो भगवान श्रीगणेश का स्थान माना जाता है। इसमें जो चार बिन्दियां भी होती है, उनमें गौरी, पृथ्वी, कूर्म यानी कछुआ और अनन्त देवताओं का वास माना जाता है।
इसी तरह वेद भी 'स्वस्तिक' श्रीगणेश का ही स्वरूप होना उजागर करते हैं। देव पूजा-उपासना में बोले जाने वाले वेदों के शांति पाठ मंत्र में भी भगवान श्रीगणेश का 'स्वस्ति' रूप में स्मरण किया गया है। यह शांति पाठ है -
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा: स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा:।
 स्वस्तिनस्ता रक्षो अरिष्टनेमि: स्वस्ति नो बृहस्पर्तिदधातु।।
माना जाता है कि इस मंत्र में चार बार आए 'स्वस्ति' शब्द के रूप में चार बार कल्याण और शुभ की कामना से श्रीगणेश के साथ इन्द्र, गरूड़, पूषा और बृहस्पति का ध्यान और आवाहन किया गया है।
स्वस्तिक बनाने के धर्म दर्शन में व्यावहारिक नजरिए से संकेत यही है कि जहां माहौल और संबंधों में प्रेम, प्रसन्नता, श्री, उत्साह, उल्लास, सद्भाव, सौंदर्य व विश्वास होता है, वहां शुभ, मंगल और कल्याण होता है यानी श्री गणेश का वास होता है। उनकी कृपा से अपार सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है। चूंकि श्रीगणेश विघ्रहर्ता हैं, इसलिए ऐसी मंगल कामनाओं की सिद्धि में विघ्रों को दूर करने के लिए स्वस्तिक रूप में गणेश स्थापना की जाती है। इसलिए श्रीगणेश को मंगलमूर्ति भी पुकारा जाता है।
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती।
 तृतीयं शारदा देवी चतुर्थ हंस वाहिनी।।
 पञ्चम जगतीख्याता षष्ठं वागीश्वरी तथा।
 सप्तमं कुमुदी प्रोक्ता अष्टमें ब्रह्मचारिणी।।
 नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी।
 एकादशं चन्द्रकान्ति द्वादशं भुवनेश्वरी।।
 द्वादशैतानि नामानी त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
 जिह्वाग्रे वसते नित्यं ब्रह्मरूपा सरस्वती ।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ॐ अंजनीसुताय विद्महे,
वायुपुत्राय धीमहि,
तन्नो मारुति: प्रयोचदयात्।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बसंत पंचमी भी ज्ञान की देवी सरस्वती की वंदना की शुभ घड़ी है। ऐसे शुभ काल में धर्मशास्त्रों में देव उपासना के लिए बताया गया दीप जलाने का विशेष मंत्र बोल या पढ़ घी या तेल का दीप जलाकर माता सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर के सामने रखना भी ज़िंदगी के सारे तनावों व परेशानियों को दूर करने का आसान उपाय माना गया है। इसके साथ यथासंभव पूजा के अन्य विधान भी पूरे करें तो मंगलकारी होगा।


साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
 दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए शास्त्रों में बताए मां सरस्वती की इस मंत्र प्रार्थना का ध्यान माता को सफेद पूजा सामग्रियां चढ़ाकर करें, दूध की मिठाई का भोग लगाएं व आरती भी करें-

 शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं
 वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।
 हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
 वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।


http://religion.bhaskar.com/

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विष्णु मंत्र -

(1) ऊं श्रीं ह्रीं श्रीधराय विष्णवे नम:।
(2) ऊं नमो भगवते वासुदेवाय
(3) ऊं नारायणाय विद्महे,
वासुदेवाय धीमहि,
तन्नो विष्णु: प्रयोदयात
(4) त्वमेव माता य पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्य सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्मेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव:।।
(5) अच्युतं केशवं राम नारायणं कृष्ण दामोदरं वासुदेवं हरिम् |
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे ||
बुध मंत्र -
 
ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः या ऊं बुं बुधाय नमः

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 सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन पीले आसन पर पूर्व दिशा में मुख कर बैठें। देवी की प्रतिमा या तस्वीर को पीले आसन बिछी चौकी पर स्थापित कर पूजा करें।
 - पूजा में मां बगलामुखी को पीले रंग का चंदन, अक्षत, फूल, फल, वस्त्र,  हल्दी या हल्दी की माला, मिठाई का नैवेद्य अर्पित करें।
 - गाय के घी का दीप व धूप लगाकर नीचे लिखे बगलामुखी मंत्र का स्मरण कर दु:ख व संकटमुक्त जीवन की कामना कर देवी की आरती कर हर बुराई के लिए क्षमा मांगे - मध्ये सुधाब्धि मणि मण्डप रत्नवेद्यां
 सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम्।
 पीताम्बराभरण माल्य विभूषिताङ्गीं
 देवीं स्मरामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम्।।
 जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयंतीम्।
 गदाभिघातेन् च दक्षिणेन्, पीताम्बराढ्यां द्विभुजा नमामि।।
(source )

http://religion.bhaskar.com


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मङ्गलं भगवान्विष्णुर्मङ्गलं गरुडध्वजः |
मङ्गलं पुण्डरीकाक्षो मङ्गलायतनं हरिः ||
अर्थ : भगवान विष्णु मंगल (शुभ करनेवाले हैं या उनका दर्शन मंगलकारी है ) हैं और मंगल है उनके गरुड का प्रतीक लिए ध्वज, मंगल है उनके कमल रूपी नयन, मूलत: वे मंगलयातन हैं |
Auspicious is Lord Vishnu, auspicious is the flag with the mascot
garuda, auspicious is the one with eyes like a lotus; Lord Hari is
indeed the storehouse of auspiciousness!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भो शनिदेवः चन्दनं दिव्यं गन्धादय सुमनोहरम् |
विलेपन छायात्मजः चन्दनं प्रति गृहयन्ताम् ||

ॐ शनिदेव नमस्तेस्तु गृहाण करूणा कर |
अर्घ्यं च फ़लं सन्युक्तं गन्धमाल्याक्षतै युतम् ||

 

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