Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत

Folk Songs on Market,Fairs & Jeeja Saali etc - बाजारों, मेलो एव जीजा साली पर गीत

<< < (8/10) > >>

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
मानंद -बिस्वासी (श्रृंगार, प्रेम लोक गीत
(Garhwali , Kumaoni Love Folk Song )

( संदर्भ -नरेंद्र सिंह भंडारी व डा नन्द किशोर हटवाल )

इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती

मानंद , लो तामा की पीटण
मानंद , दूरे बे पछ्याणदी,
मानंद , तेरी झूमण हीटण।
बिस्वासी ,, देबी को तगत
बिस्वासी , वै तू मेरी जोग्याण,
बिस्वासी , मै च तेरु भगत।
मानंद, लो कोदु बोयूं रेक
मानंद, लो बामणो का खोळा
मानंद, भलू च बिगरौ बैख
हे चखुली बाबूला की कुची
हे चखुली माला खौळा दिख्यांदी
विस्वासी, सबी बानो मा उचि
मानंद, काटी जालो प्याज।
मानंद, ब्याखुनी ह्वे गे
मानंद,यखी रै आज।
विस्वासी, चौंळु भरी सेर
विस्वासी, रात रैणी बाना
विस्वासी, आयूँ मै ब्याखुनि देर।
विस्वासी,हे तिमली को पात
विस्वासी, मै अज्यों नि खाई
बिस्वासी , तेरो पकायुं भात।
मानंद, हिरण को गात
मानंद, कनै खालो टीपाउ
मानंद, तेरी बामणे जात
विस्वासी, हे साँदण की सौंळी
विस्वासी, तेरी माया खातिर
विस्वासी, तोड़ी मैंन जनेऊ की कोंळी
मानंद, लपलप कोई
मानंद,लोग राम जपदा
मानंद, मैं जपदु तोई

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
मयूर नृत्य गीत : एक गढ़वाली लोक नृत्य गीत की छटा
इन्टरनेट प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती
मूल स्रोत्र : केशव अनुरागी
डा शिवा नन्द नौटियाल : गढ़वाल के लोक नृत्य-गीत

ह्युंचळी डांड्यु की चली हिंवाळी कन्कोर
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर
धौळी गंगा का छाल़ू पाणी
भगीरथी कजोळ
देवप्रयाग रघुनाथ मन्दिर
नथुली सि पंवोर
ह्युंचळी डांड्यु की चली हिंवाळी कन्कोर
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर
आरू, घिंघारू , बांज , बुरांस
सकिनी झका झोर
लखिपाखे बण मांग बिरड़ी
चकोरी की चकोर
ह्युंचळी डांड्यु की चली हिंवाळी कन्कोर
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर
डांड का रसूली कूळईं
झुप झुपा चंवोर
ऊंची डांडी चौडंडी बथों
गैरी गंगा भंवोर
ह्युंचळी डांड्यु की चली हिंवाळी कन्कोर
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर
बसुधारा को ठंडो पाणी
केदार को ठौर
त्रिजुगी नारेण तख
बद्री सिर मौर
ह्युंचळी डांड्यु की चली हिंवाळी कन्कोर
रंगमतु ह्व़े , नचण लगे मेरा मन का मोर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कथगा खैल्या

कवि :नरेन्द्र सिंह नेगी (पौड़ी गाँव, पौड़ी )

1- Stanza
कमीशन कि मीट भात, रिश्वत को रेलों
कमीशन कि शिकार भात, रिश्वत को रेलों
रिश्वत को रैलो रे ...
बस कर बै ! बिंडी ना सपोड़ अब कथगा खैल्यौ ..
कथगा जि खैलो रे ...
यनि घुळणु रैल्यो , कनकै पचैल्यो
दुख्यारो ह्व़े जैल्यो रे
कमीशन कि मीट भात, रिश्वत को रेलों
रिश्वत को रैलो रे
बस कर बै ! बिंडी ना सपोड़ अब कथगा खैल्यौ
Stanza -2
घुण्ड -घुन्ड़ो शिकार -सुरवा कमर-कमर भात रे
भात रे भात बासमती भात
घुण्ड -घुन्ड़ो शिकार -सुरवा कमर-कमर भात रे
इथगा खाण -पचाण तेरे बसै बात रे ..
मैगे की मरीं जनता ..हे जनता ..
कनक्वे बुथैल्यो रे...
बस कर बै ! बिंडी ना सपोड़ अब कथगा खैल्यौ
Stanza -3
नयो नयो राज उत्तराखंड आसमा छन लोग
लोग जी लोग आसमा लोग
नयो नयो राज उत्तराखंड आसमा छन लोग
बियाणा छन डाम यख लैन्दो को छ जोग
कुम्भ न्हेगे भूलू ..हे भूलू ...
अब आपदा नहेल्यो रे
बस कर बै ! बिंडी ना सपोड़ अब कथगा खैल्यौ

Stanza -4

नियुक्त्युं की रस मलाई , ट्रांसफ़रों को हलवा
हलवा रे हलवा सोहन हलवा
नियुक्त्युं की रस मलाई , ट्रांसफ़रों को हलवा
माना कि भागमा तेरा , चेलों को जलवा
चेलों को जलवा , चेलों को जलवा
बिंडी मिट्ठो नि खलौवु त्यूँ सूगर बढी जालो रे
बस कर बै ! बिंडी ना सपोड़ अब कथगा खैल्यौ
Stanza - ५
छप्पन डामों की डड्वार कै कैन बांटी
बांटी रे बांटी कै कैन बांटी
छप्पन डामों की डड्वार कै कैन बांटी
स्टरडिया की रबडी कथगौन्न चाटी
कथगौन्न चाटी कथगौन्न चाटी
बारम चुनौ छ भूलू हे भूलू ..
हंसल्यो कि रोल्यो रे
बस कर बै ! बिंडी ना सपोड़ अब कथगा खैल्यौ
Stanza- 6
कमीशन को डेंगू रोग . सर्यीं दिल्ली मा फैल्युं
फैल्युं रे फैल्युं रे दिल्ली मा फैल्युं रे
कमीशन को डेंगू रोग . सर्यीं दिल्ली मा फैल्युं
नेता अफसर लीगेनी भोरी भोरी थैल्युं रे
भोरी भोरी थैल्युं, भोरी भोरी थैल्युं
भोरे गेन बिदेसी बैंक ..हे बैंक
भोरे गेन बिदेसी बैंक .अब कख कुचोल्यो रे
बस कर बै ! बिंडी ना सपोड़ अब कथगा खैल्यौ
Stanza -7
रास्ट्रमंडल खेल टू जी घोटाला
घोटाला रे घोटाला टू जी घोटाला
रास्ट्रमंडल खेल टू जी घोटाला
अरबों .खरबों को माल लगेयाली छाला
लगेयाली छाला , लगेयाली छाला
ये देस की लाज प्रभो कनक्वे बच्योले रे ....
बस कर बै ! बिंडी ना सपोड़ अब कथगा खैल्यौ

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
गढवाली -कुमाउनी तलवार लोकनृत्य गीत

इंटरनेट प्रस्तुति -भीष्म कुकरेती
१- डांडा सि शेर: गढवाल का एक लोक तलवार नृत्य गीत

भुला ! डांडा सि शेर छंवा
कमल सि फूल छवां
बयाळी सि बाग़ छवां
पर इतनी सि बात मा
तुम क्या वै माल सणि
सर नि करी सकदवां ?

२- झंकरू बीर भड़ : गढवाल का एक लोक तलवार नृत्यगीत

झंकरू रे ! तू माई मरदान का चेला
जोंकी मासी मॉस बंद चला कोट ल़ो बाणछन
जौका हे लम्बीझार गंगा चली वाला
स्योणियाँ बाण छन
लोहा गिरी बाण
शश्त्र वस्त्र सौंकली का जामा छन
झंकरू ! ऐराड़ा माई मरदान का चेला
(संदर्भ -डा शिवानंद नौटियाल )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
मेको पाड़ नि दीण पितैजी (गढ़वाली लोकगीत )


इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती


मेको पाड़ नि दीण पिताजी मेको पाड़ नि दीण पिताजी
उख पाड़ी लोग खराब होंदन
मेको पाड़ नि दीण पिताजी उख पाड़ी लोग खराब होंदन
मेको पाड़ नि दीण पिताजी
उख फाणु मा बाड़ी खान्दन
मेको पाड़ नि दीण पिताजी उख फाणु मा बाड़ी खान्दन
मेको पाड़ नि दीण पिताजी
उख मा बैणि की गाळी दीन्दन
मेको पाड़ नि दीण पिताजी उख मा बैणि की गाळी दीन्दन
मेको पाड़ नि दीण पिताजी उख पाड़ी लोग खराब होंदन

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version