Author Topic: Heart Touching Songs - हृदयस्पर्शी एवं सामाजिक मुद्दों पर आधारित उत्तराखण्डी गीत  (Read 42969 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यह एक हिर्दय स्पर्सी गीत :

दिन डल गियों, रात आएगे
चाँद संग रात, उम्र बीती कै संग आज

जोड़ :

ईसाई क रेट सुवा..ईसाई क रेट सुवा..
आचुयी ले पानी पियो, ना भरीन पेट

ओह..  दिन डल गियों, रात आएगे
चाँद संग रात, उम्र बीती कै संग आज

जोड़ :

धार में देवी थान, दूध ले नवायो
त्यार झूठ मै नी खाचियो. माया ले खवायो


ओह..  दिन डल गियों, रात आएगे
चाँद संग रात, उम्र बीती कै संग आज

हेम पन्त

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शराब की कुरीति पहाड़ में बहुत घातक है. वाहन चालकों को शराब की आदत से बच कर रहने का आग्रह करने वाला यह गीत उन्हें शराब के दुष्प्रभावों के बारे में भी बताता है. कल्पना चौहान की आवाज में सुना हुआ गीत है.

डरैबर दिदा तुम सराब नि प्यावा
पी-पी की सराब तुम गाड़ी ना चलावा...

सराब जो पलि दिदा गाड़ि कन चलैलि
उंचा निचा सड़क्युं मां कन कै कि जैलि.....
---

छोटा-२ न्यौनाल तेरा कन कैकि रौला
खर्च पानि कुछ ना रौलु क्या जि ऊ पकाला
सुन मेरि बात दिदा शराब नि पैंण
पी-पी कि सराब दिदा गाड़ि नि चलाण..






एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देखिये इस गाने के बोल जहाँ एक बूडा आदमी अपना दुःख कैसे व्यक्त करता है!
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गायक : नरेन्द्र सिंह नेगी
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कनु  लाडिक  बिगड़ी  मयारू  ब्वारी  कैरी   की
केम  लगनीं  छुई  अपनी  खेरी  की
कनु  लाडिक  बिगड़ी  मयारू  ब्वारी  कैरी   की
केम  लगनीं  छुई  अपनी  खेरी  की
छुई  अपनी  खेरी  की

नथुली  बेचीं पढाई  लिखाई  -2
पुन्ग्दी  बेचीं  की  मिल  ब्वारी  कयी
सोची  चौ  ब्वारी  को  सुख  दयेखुलु
डोला  बाटी  ब्वारी  भवे  भी  नि  आई
नौना दगडी  चल  गी  देस  बौगा  मारी  की
केम  लगनीं  छुई  अपनी  खेरी  की
छुई  अपनी  खेरी  की

ब्वारी  बिचारिल  इन  जाप  कयी  -2
सैन्त्युं  नौनु  भी  बस  मा  नि  राहि
अब  ता  हमते  पह्चंदु  बी  नि  च
अपणु ही  सोनू  खोटू  हवे  ग्यायी
क्या  पायी  एका  बहना  मिल  ज्यूँ  मरी  की
कैम  लगनीं  चुई  अपनी खैर की  
कनु  लाडिक  बिगड़ी  मयारू  ब्वारी  कैरी  की
कैम  लगनीं  चुई  अपनी  खैर की

चौन्दी  ब्वारी  स्यु  चुन  दान्दियुं  जानू  -2
डोखरी पुन्ग्दियुं  मा  हद्गियुं   तुदाणु
लैंदा  कीदन  ये  घोरें  जन्दीना
में  स्यु  चौ  बंझा  भैंसों  चरनु
सैतियुं सम्भाल्युन  ली  जन्दिना  झाडी काटी  की
कैम  लगनीं  चुई  अपनी  खैर की

भली  बुरी  चीज  लोगुन  की  एइनी  -2
मिल द्वे  दानी  चनो  की  नि  पैनी
मकुनी सेवा  सुनली  भी  हर्ची
सम्धानियुं  तेने  मनी आर्डर  गिनी
क्या पायी  एका  बहना  मिल  ज्यूँ  मरी  की
कैम  लगनीं  चुई  अपनी  खारी  की
केम  लगनीं  छुई  अपनी  खेरी  की
छुई  अपनी  खेरी  की
 



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 ‎*गढ़वाली-कुमाउनी  कौम अपण देशौ रक्छा बान अग्वाडि  राई *
*एक लोकगीत  यांको गव्वा ह च :*
*      ठम- ठम पल्टन मा  *

*              (इन्तीर्नेट प्रस्तुती - भीषम कुकरेती) *
*
भर्ती ह्वेई जाणो केशरू, ठम ठम पल्टन मा *
*चिल्मी को पीच , चिल्मी को पीच *
*भर्ती ह्व़े ग्याई केशरू , कालोँ छौणि बीच *
*पाकी जाली कौणी , पाकी जाली कौणी *
*टरेनिंग कु चली ग्ये केशरू , जबलपुर छौणी  *
*डाळी काटी टुखुमा, डाळी  काटी टुखुमा*
*लाम मा जाणे की ऐगे सरकारी हुकमा *
*बूती जाली तोर , बूती जाली तोर *
*लडै   मा जाण केशरू , सिंगापुर पोर *
*हींग भोरी तोल़ा  , हींग भोरी तोल़ा  (ळ आ ) *
*ऐंच बिटेन छुटणा छन छै छै मण का गोल़ा (ळ आ ) *
*नारंगी की सोळी , नारंगी की सोळी *
*पैलि लगी केशरू त्वे पर चैड़  गोळी *
*सुपी भोरी धान , सुपी भोरी धान *
*अमर रयाँ जोधा केशरू देशा कु बान *
**
*आभार मदन डुकलान  (चिट्ठी पतरी पत्रिका ) *

Provided by  - Our Senior Member Bhishm Kukreti.. He said this was composed in 1942.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देशभक्ति से लबालब  एक पहाड़ी लोकगीत
            (प्रस्तुती भीषम कुकरेती,)
मैं छौं देश को सिपै
बेडु पाकी बार , बेडु पाकी बार
मेरा दिल की प्यारी  गणेशि जा प्यारी घार
तेल की कढाई तेल की कढाई
जा प्यारी ड़्यार सिपैणि, मि जान्दु लड़ाई
ज्युड़ी मारी फंदा गणेशी  , ज्युड़ी मारी फंदा 
जा प्यारी ड़्यार सिपैणि टु छै आशाबंद
धार मा की तूण सिपैजी   धार मा की तूण 
जन शोभा तुमारी सिपैजी , उन मेरी निहूण
साट्यु    की झड़ाई सिपैणि  , साट्यु    की झड़ाई
किले भूलि मेरी सिपैणि मि छौं देस कु सिपाही
तौली छ खाली सिपैजी , तौली छ खाली
भूलि गे  छौ मि मेरा सिपै जी , जावा खुश खुशहाली
धोळी जाली रोळी सिपैजी धोळी जाली रोळी
जीतिक ऐनी सिपैजी , या खयां छाती पर गोळी 
बूणि   जालो जाळ सिपैजी बूणि   जालो जाळ
नाक ऊँची कर दियां सिपैजी , दे द्यूं छै छौं  जैमाळ
पैरी जालो ताज सिपैजी , पैरी जालो ताज
सुहाग की भेंट सिपैणि देश कु पेश करदू आज
ढुंगा  ढोळी गारी सिपैणि ,ढुंगा  ढोळी गारी 
त्वे जनी ह्वेन सिपैणि  सबि देश की बेटी ब्वारी
 
आभार ; श्री मदन डुकलण चिट्ठी पत्री
 

Devbhoomi,Uttarakhand

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देशभक्ति से लबालब  एक पहाड़ी लोकगीत
            (प्रस्तुती भीषम कुकरेती,)
मैं छौं देश को सिपै
बेडु पाकी बार , बेडु पाकी बार
मेरा दिल की प्यारी  गणेशि जा प्यारी घार
तेल की कढाई तेल की कढाई
जा प्यारी ड़्यार सिपैणि, मि जान्दु लड़ाई
ज्युड़ी मारी फंदा गणेशी  , ज्युड़ी मारी फंदा 
जा प्यारी ड़्यार सिपैणि टु छै आशाबंद
धार मा की तूण सिपैजी   धार मा की तूण 
जन शोभा तुमारी सिपैजी , उन मेरी निहूण
साट्यु    की झड़ाई सिपैणि  , साट्यु    की झड़ाई
किले भूलि मेरी सिपैणि मि छौं देस कु सिपाही
तौली छ खाली सिपैजी , तौली छ खाली
भूलि गे  छौ मि मेरा सिपै जी , जावा खुश खुशहाली
धोळी जाली रोळी सिपैजी धोळी जाली रोळी
जीतिक ऐनी सिपैजी , या खयां छाती पर गोळी 
बूणि   जालो जाळ सिपैजी बूणि   जालो जाळ
नाक ऊँची कर दियां सिपैजी , दे द्यूं छै छौं  जैमाळ
पैरी जालो ताज सिपैजी , पैरी जालो ताज
सुहाग की भेंट सिपैणि देश कु पेश करदू आज
ढुंगा  ढोळी गारी सिपैणि ,ढुंगा  ढोळी गारी 
त्वे जनी ह्वेन सिपैणि  सबि देश की बेटी ब्वारी
 
आभार ; श्री मदन डुकलण चिट्ठी पत्री
 

its really heart tuching song

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मंहगाई सम्बन्धित   एक पहाडी लोक  गीत
           प्रस्तुति : भीषम कुकरेती
गढ़वाली लोक रचनाकार समय, स्थान व वर्ग के प्रति सदा ही संवेदनशील रहे हैं . अधिकतर लोक गीत बादियों, शिल्पकारों , मीरासियों व झुमरिओं
ने ही रचे हैं . इन लोक फनकारों ने किसी विद्यालय में तालीम नही पाई होती थी , किन्तु समय की पहचान में इनसे बदे दूरदर्शी कोई नही थे
सन सैंतालीस  के इकदम पश्चात यह लोक गीत अति प्रसिद्ध हुआ था और आज भी सार्थक है
 सुणा - सुणा भाई बन्दों भारत को गीत जी
कना कना हाल क्न ह्वेन रीत  जी 
भारत का गीत जी , कना कना फजीत जी 
रूप्या  माणो चौंळ व्हेगे गेऊं की नि दाणि जी
हजार हजार  का भैसा  ह्वेन , दूध नि माणि जी
भितर नि आलण ,  भैरम नचणि बादण जी
 


Dhanyabad
Regards
Bhishma Kukreti

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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(Dr Shiva nand Nautiyal)

Folk Song -

एक धारा  द्वी गोरु बाकरी
दूजे धारा द्वी घोड़ी
तेरी मेरी बल दोस्तियाँ
कूण पापियाँ तोड़ी
होरे नीरेणी निगोडिये
बूण  लायी ली माणी 
थोड़े दिनां की दोस्तियाँ
पहले ही ऩा ल़ाणी 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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The  folk drama is created by professionals Badi community
 
पैथर कोरस गीत -बा-दी -यों की बेटी भू-मा-देय
                           बो-ल़ू-रई  जाणो तेरा झम   
                           बा-म-णु का बेटा मायाधर
                                बो-ल़ू-रई जाणो झम
(स्वांग थौळ (स्टेज, मंच) मा मायाधर अर भूमा आन्दन )
मायाधर --- कु-न्या-ळी-सी ठाण भूमादय
                  कु-न्या-ळी-सी ठाण भूमा झम
                  बे-बा-टा की बात नि पूछणि
                  जै- बा-टा नि जाणो  भूमा झम
मायाधर --- क्वी मारी की ढोल ल़ो भूमा
                  बू-रो-च जमानो भूमा झम
भुमदे --------मा-ऱी-देलो क्वी त डैर क्यांकि
                    म-र-णे  टाळी कैन झम
भुमादे --------तू-छै- बड़ी जात मायाधर
                     मैं-छौं छोटी जात माया झम
मायाधर-------छौं -बा-म-ण गौं क बेटा मैं त
                     तू-बा-म-ण गौं की बेटी झम
                     स-ब्बि देस का लाडला हम
                     ऊं-च नीच को च झम
भुमदे ------में-रा-बाना  तिन मा-या-धर
                 घ-र-बार छोडि याले झम
मायाधर----ती-न- भी मेरा बाना भूमा
                जो-ग- णी भेख लेये झम 
मायाधर ----- नि -हो-णी ह्व़े जांद होणि भूमा
                     दि-ल -मि-लि जाणा  चिंद झम
                    धौ-ळी बि अथाह थाह देंद
                     आ -गा -स -भी देंद  राह झम
मायाधर-------ज्यू-णो--वैको च सुफल भूमा
                     मो-ऱी-को अमर होंदी झम
                     जै-की-खुद मा दुनिया सारी
                      द-ण-म-ण रोंद झम
कोरस गीत- --बा-दि-यूँ की बेटी भूमादेय 
                     बो-ल़ू-रई-जा-णो तेरो झम 
Reference: Dr Shiva Nand Nautiyal : Shyam : Garhwali Lok Geet
Copyright @Bhishma Kukreti, bckukreti@gmail.com

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ये गाना नेगी जी की नै एल्बम सलान्या सयाली का है बहुत सुन्दर गीत है


मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,क्या जाण खेला पार ह्वेगी वा
जकड़ा भितर पट ग्वाड्यीं छई,आखियों बीटी परार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

बिच बाजार मा खातेगी,लुकाई  बेकार ह्वेगी,लुकाई बेकार ह्वेगी वा
एक चुंगति बदनामी छई,एक चुंगति बदनामी छई,हो हो
पाथि दोन खार कैगी वा अंखियों बीटी परार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

सोची घौर-बार बसिगे द्वी गफो कु आधार ह्वेगी वा
राती निचंत ह्वेगी से गयुं,सूबेर धार पार ह्वेगी वा हो हो
राती निचंत ह्वेगी से गयुं,सूबेर धार पार ह्वेगी वा हो हो
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

घर मा आणि- जाणि बढिगे,लोगो चित्रहार ह्वेगी,लोगो चित्रहार ह्वेगी वा
हांजी चित्रहार ह्वेगी वा
घर बसेक नि साकू केकु,घर बसेक नि साकू केकु  हो हो
ब्स्याँ घर खण्डवार कैगी वा,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

कैकी निंद लीगी चैन केकु अस्घार लीगी, केकु अस्घार लीगी वा
कुछ न कुछ लीगी सबू बीटी,कुछ न कुछ लीगी सबू बीटी, हो हो
मैं सनी भगार दिगी वा,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

माया फेर मा अब नि पौडू,दिल दगडी करार ह्वेगी,दिल दगडी करार ह्वेगी वा
खोली भीतर पौंछि भी छू,खोली भीतर पौंछि भी छू,देली बीटी फरार ह्वेगी वा
देली बीटी फरार ह्वेगी वा ,देली बीटी फरार ह्वेगी वा हो,अंखियों बीटी फरार ह्वेगी वा
मिन समझी लाटि होली,मिन समझी लाटि होली,काली होली,बिचारी भोली-भाली होली वा

Negi ji ki salanya Syaali 1


यम यस जाखी



 

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