Author Topic: Narendra Singh Negi: Legend Singer Of Uttarakhand - नरेन्द्र सिंह नेगी  (Read 85379 times)

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #120 on: December 29, 2008, 12:29:09 PM »
एक रचना और नेगी जी
वर्णन गढ़वाल का


धरती  हमरा  गढ़वाल  की , कथगा रोतेली स्वाणी  चा
धरती  हमरा  गढ़वाल  की , कथगा रोतेली स्वाणी  चा  ,हो –2
हो 

कथगा रोतेली स्वाणी  चा , हो  - 2

पांच  बदरी , पांच  केदार , पांच  प्रयाग  इखी  छन् 
पांच  प्रयाग  इखी  छन्
पांच  पंडोव    ऐनी  इखी , भाग  हमरा  धन  धन्
भाग  हमरा  धन  धन्

पांच  बदरी , पांच  केदार , पांच  प्रयाग  इखी  छन्
पांच  प्रयाग  इखी  छन्
पांच  पंडोव  ऐनी  इखी , भाग  हमरा  धन  धन्
भाग  हमरा  धन  धन्

कुण्ड  छीन   इक  ताल    छीन  , मठ  यखे   महान  छीन
मठ  यखे   महान  छीन
ताल   सहस्त्र   घाटी , फुलु  की  असमान  छीन
हो...............2

गंगा  जमुना , इखी  बटी   सभु  की
भूख  तीस  बुझानी  चा  , हो
कथगा रोतेली स्वाणी  चा 
धरती  हमरा  गढ़वाल  की ....

डांडी  कंठीयों का  देखा , लैन्जा  लग्यान
लैंजा  लग्यान

देवतों   की  धरती  मा , मनखी  बस्यान
मनखी  बस्यान
डांडी  कंठीयों का  देखा , लैंजा  लग्यान
लैन्जा  लग्यान

देव्तों   की  धरती  मा , मनखी  बस्यान
मनखी  बस्यान..................

देवदार   बुरांश  बाँझा  , कुलीन  पय्या   डाली

देब्तों  रोपी , मन्ख्युन  पाली

हो ................

भेद  देव -देवता   मनखी  को

डोंरु - थाली  मिटानी  चा 


कथगा रोतेली स्वाणी  चा

धरती  हमरा  गढ़वाल  की ....

पति व्रता   नारी   ईख , बांद   कीसान  छीन

बंदा  कीसान   छीन

तीलू  रौतेली  ईख , रामी  बौरान  छीन

रामी  बौरान  छीन

 

भडू  पवाडा  सुणा , बीरू  का  देखा  गढ़

बीरू  का  देखा  गढ़

नरसिंह  ,नागराजा   , पंडों  का  देखा  रण

हो

तुम  ते  लाकुड  , दमो  , ढोलकी

धै  लगे  की , भटियाणी   च


कथगा रोतेली स्वाणी  चा

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #121 on: December 29, 2008, 12:42:40 PM »
नेगी जी ने  इस गीत में एक बुजुर्ग के मन के दशा का वर्णन किया है
जो अपने बेटे को चिठ्ठी के द्वारा ये संदेश भेज रहा है .........



अबारी  दाँ तू   लम्बी  छुट्टी  लेकी  आई 
अबारी  दाँ  तू  लम्बी  छुट्टी  लेकी  आई
ऐगे  बगत  अखीर
टेहरी  डूबाण   लग्यु  चा   बेटा
टेहरी  डूबाण लग्यु  चा   बेटा
डाम का  खातिर
अबारी  दाँ  तू  लम्बी  छूटी   लेकी  आई

भेंटी  जा , यूं  गौला  ग्विनडो   ज्यू  मा  , खेल  की  सयाणु  हवे  तू  -2
गवाया  लगेनी , जे  डैनडेली  , जे  चौक , जो  बाटों  आनु   जानू  रे  तू
जो  बाटों  आणु  जाणु  रे  तू

कखन  द्येखन  लाठायाला  ट्वेन , जन्म भूमि या फ़िर 
टेहरी  डूबाण लग्यु  चा   बेटा............ डाम का  खातिर

लहसन  प्याजे  की  बाडी  सगोडी , सेरा  दोख्री  फुंगुडी      -2
डूबी  जाली  पानी  मा  भोल , बाब  दादों  की  कूड़ी
बाब  दादों  की  कूड़ी

आंखयों  मा  रींगनी  राली   सदानी , हमारी  तीबारी  सतीर
टेहरी  डूबाण लग्यु  चा   बेटा
डाम का  खातिर

पितृ ओ    कु  बसायुं  गौं , सैंत्युं  पालयुं  बाण  -2
धारा मंगरा , गोठ्यार,  चौक , कन  कवे  की  छुडन
कन  कवे  की  छुडन
कंठ  भोरिक  आंदु  उमाल
कंठ  भोरिक  आंदु  उमाल , औ  बंधे  जा  धीर
टेहरी  डुबन  लग्यु  च  बेटा , डाम  का  खातिर
टेहरी  डुबन ...

हे  नागराज , हे  भैरों  तुम्हारू , हमुं  क्या  जी  ख्वायी  -2
हे  बोलांदा , बदरी  त्वेना , कख   मूक  लुकाई
कख  मूक  लुकाई
 
हे  विधाता  कन  रूठी  नी  हम्कू , देब्तों    का  मन्दिर
टेहरी  डुबन  लग्यु  च  बेटा , डाम  का  खातिर
टेहरी   डुबन ...............................

राज्जा  को  दरबार , घंटाघर , आमों  का  बागवान  -2
कन  डूबलों यो  टेहरी  बाजार , सिंघोरियुं  की  दूकान
सिंघूरियों  की  दूकान
सम्लोंया  रह  जाली  भोला , साखीयो   पुरानी   जागीर
टेहरी  डुबन  लग्यु  च  बेटा , डाम  का  खातिर

अबारी  डान  तू  लम्बी  छूटी  लेकी  आई , ऐगी  बगत  अखीर
टेहरी  डुबन  लग्यु  च  बेटा , डाम  का  खातिर
डाम  का  खातिर
डाम  का  खातिर
डाम  का  खातिर

हेम पन्त

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मुट्ट बोटीकि रख : लेखक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी

उत्तराखण्ड की प्रमुख सामाजिक संस्था "पहाङ" द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में नेगी जी द्वारा उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, वन/चिपको आन्दोलन सहित अन्य जनसरोकारों से जुङे मुद्दों पर रचित गीत व कविताएं हैं. नेगी जी के प्रशंसकों के लिये संग्रहणीय़ पुस्तक है.


हेम पन्त

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #123 on: December 29, 2008, 02:06:57 PM »

नेगी जी की नयी वीडीय़ो एल्बम "मायाको मुन्डारो" एब बेहतरीन एल्बम है. इस एलबम में गाने इस तरह हैं -

1. भैना रे बजर्या भैना - शहरी जीजा से गांव की साली उत्तराखड के पारम्परिक पकवानों को खाने का आग्रह करती है लेकिन जीजा शहरी होकर बर्गर और पिज्जा खाने का आदी हो चुका है.

2. हर्सू मामा - जौनसारी गाना है, मीररन्जन नेगी जी का अभिनय व नृत्य इस गाने का मुख्य आकर्षण है.

3. दिल्ली वाला दयूरा - दिल्ली से आये हुए पङोसी देवर से एक महिला अपने पति के समाचार जानने को उत्सुक है.

4. हाथन हुसुकि पिलायी - उत्तराखण्ड के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर नेगी जी ने मजाकिये लहजे में गहरी चोट की है. चुनावों में पैसे और शराब बांट कर वोट बटोरने वाले नेताओं को निशाना बनाया गया है. गाने के अन्त में पूर्व मुख्यमन्त्री तिवारी जी व वर्तमान मुख्यमन्त्री खण्डूरी जी के Look-alike दिखाते हुए दोनों की कार्यप्रणाली पर भी नेगी जी ने अपने विचार रखे हैं.

5. चादरी और चादरी - पारम्परिक लोकगीत है, गांव के ग्वालों के साथ एक महिला गाय चराते हुए अपनी चादर सुखाने को डालती है. तेज हवा से सूखती हुई चादर उङ जाती है. इसी पर गाय चराने वाले लङके हंसी-मजाक करते हैं.

6. तिन कपाली पकङी - एक अति-आधुनिक युवती पर आधरित यह गाना पहाङों में तेजी से फैलती जा रही पश्चिमी संस्कृति की और ईशारा करता है.

7. भारी गरी है गै जिन्दगी - महंगाई की चौतरफा मार से त्रस्त एक गरीब आदमी की वेदना को दर्शाता यह गाना उत्तराखण्ड ही नहीं पूरे देश के निम्न मध्यवर्गीय और निर्धन लोगों की सच्ची कहानी कहता हुआ प्रतीत होता है.

8. देवभूमि को नौ बदलि - उत्तराखण्ड सरकार और इसके नेता किस तरह जनता के हितों को अनदेखा करते हुए विकास के नाम पर बङे बांधों को बनाने की अन्धी दौङ मे शामिल होने के लिये होङ कर रहे है? इसी विषय पर आधारित है यह गाना. ऊर्जा प्रदेश बनाने के नाम पर हजारों लोगों को विस्थापन की वेदना झेलनी पङ रही है. लेकिन उत्तराखण्ड की जनता को फिर भी बिना बिजली के अन्धेरे में ही रहना पङ रहा है. फिर क्या फायदा है, ऐसे विकास का?

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #124 on: January 08, 2009, 11:25:29 AM »
हाथन हुसुकि पिलायी - उत्तराखण्ड के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर नेगी जी ने मजाकिये लहजे में गहरी चोट की है. चुनावों में पैसे और शराब बांट कर वोट बटोरने वाले नेताओं को निशाना बनाया गया है. गाने के अन्त में पूर्व मुख्यमन्त्री तिवारी जी व वर्तमान मुख्यमन्त्री खण्डूरी जी के Look-alike दिखाते हुए दोनों की कार्यप्रणाली पर भी नेगी जी ने अपने विचार रखे हैं
इस साल चुनावो में मजे ही मजे

हाथ न wisky पिलाई, फूल न पिलायो रम
छोटा दल, निर्दलीय दिदो न कच्ची मा टरकाया हम 
ऐसु चुनुओ मा मजा ही मजा
हो हो     हो हो    हो
ऐसु चुनुओ मा मजा ही मजा
दारू भी रूपया भी ठम-ठम
हाथ ..........................................................

सुबेरा पैक पे घड़ी दगडी,
दिन का पैक साईकिल मा चडी
बियाखुन कुर्सीम टम-टम पड़ी
रात म हाथी  मा बैठी की तड़ी
ऐसु चुनुओ मा ठाठ ही ठाठ
हो हो     हो हो    हो
ऐसु चुनुओ मा ठाठ ही ठाठ
प्रत्याशी पैदल अर घोड़ा मा हम
हाथ ..........................................

आज ये दल मा, भोल वे दल मा
दल बदलिन नेतौन हर पल मा
हमरी भी दारू की brand बदलिन
कभी soda coke मा कभी गंगा जल मा
ऐसु चुनौ मा ठाठ ही ठाठ
हो हो हो .....हो
ऐसु चुनौ मा ऐस ही ऐस
देशी विदेशी local हजम 
हाथ ..........................................

मुर्गो की टांग च बखरो की रान च
हाथ मा सिगरेट मुख मा पान च
जुगराज रया मेरा लोकतन्त्र
तेरा प्रताप गरीबो की शान च
पहली नि छो पता अब चलिगे
हो हो  हो हो    हो
पहली नि छो पता अब चलिगे
vote की चोट मा कथगा दम
हाथ ..........................................

हवेगे चुनोऊ सरकार बणीगे
क्वी मवशी बणी क्वी उजड़ी गे
अब नि दिखेणा क्वी ल्योण वाला
खाली ह्वे बोतल नशा उडिगे
चिफला का राज कै मौज मरेन
हो हो  हो हो    हो
चिफला का राज कै मौज मरेन
जुंगो का राज मा ठम -ठम

हाथ न wisky पिलाई, फूल न पिलायो रम
छोटा दल, निर्दलीय दिदो न कच्ची मा टरकाया हम 
ऐसु चुनुओ मा मजा ही मजा

 

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #125 on: January 08, 2009, 02:14:24 PM »
चादरी यो  चादरी - पारम्परिक लोकगीत है, गांव के ग्वालों के साथ एक महिला गाय चराते हुए अपनी चादर सुखाने को डालती है. तेज हवा से सूखती हुई चादर उङ जाती है. इसी पर गाय चराने वाले लङके हंसी-मजाक करते हैं.

चदरी यो चदरी तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
कनी भली छै चदरी तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां -२
जान्दरी रूणाई बल जन्दरी रूणाई
पल्या खोला की झुप्ली गए डांडा की वणाई 
डांडा की वणाई.......तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
चदरी यो ..............................................

झंगोरे की घाण बल झंगोरे की घाण
धार ऐच बैठी झुपली चदरी सुखाण
चदरी सुखाण.......तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
चदरी यो ..............................................

किन्गोडा का कांडा बल किन्गोडा का कांडा    -२
चदरी उडी -उडी पोहुची खैरालिंगा  का डांडा
खैरालिंगा  का डांडा ..............तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
चदरी यो ..............................................

कान्गुला की घांघी बल कान्गुला की घांघी
ढाई गजे की चदरी उडी
तेरी मुंडली रेगी नांगी
तेरी मुंडली रेगी नांगी.........तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
चदरी यो ..............................................

पाली पोडी सेड बल  पाली पोडी सेड
चदरी का किनारा झुपली बुखणो की छै गेड-2
बुखणो की छै गेड...........तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
चदरी यो ..............................................

बाखरी का खुर बल बखरी का खुर
पैतु जन चलिगे चदरी झुपली का सैसुर
झुपली का सैसुर ...................
तेरी चदरी फ्वं फ्वां फ्वां
चदरी यो ..............................................

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #126 on: January 08, 2009, 03:40:47 PM »
bahut hi dundaar mukesh bhai.. maja aagaya... in gano ko pad kar.. par maine sune nahi hai mai sunana chahunga jaldi hi...
हाथन हुसुकि पिलायी - उत्तराखण्ड के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर नेगी जी ने मजाकिये लहजे में गहरी चोट की है. चुनावों में पैसे और शराब बांट कर वोट बटोरने वाले नेताओं को निशाना बनाया गया है. गाने के अन्त में पूर्व मुख्यमन्त्री तिवारी जी व वर्तमान मुख्यमन्त्री खण्डूरी जी के Look-alike दिखाते हुए दोनों की कार्यप्रणाली पर भी नेगी जी ने अपने विचार रखे हैं
इस साल चुनावो में मजे ही मजे

हाथ न wisky पिलाई, फूल न पिलायो रम
छोटा दल, निर्दलीय दिदो न कच्ची मा टरकाया हम 
ऐसु चुनुओ मा मजा ही मजा
हो हो     हो हो    हो
ऐसु चुनुओ मा मजा ही मजा
दारू भी रूपया भी ठम-ठम
हाथ ..........................................................

सुबेरा पैक पे घड़ी दगडी,
दिन का पैक साईकिल मा चडी
बियाखुन कुर्सीम टम-टम पड़ी
रात म हाथी  मा बैठी की तड़ी
ऐसु चुनुओ मा ठाठ ही ठाठ
हो हो     हो हो    हो
ऐसु चुनुओ मा ठाठ ही ठाठ
प्रत्याशी पैदल अर घोड़ा मा हम
हाथ ..........................................

आज ये दल मा, भोल वे दल मा
दल बदलिन नेतौन हर पल मा
हमरी भी दारू की brand बदलिन
कभी soda coke मा कभी गंगा जल मा
ऐसु चुनौ मा ठाठ ही ठाठ
हो हो हो .....हो
ऐसु चुनौ मा ऐस ही ऐस
देशी विदेशी local हजम 
हाथ ..........................................

मुर्गो की टांग च बखरो की रान च
हाथ मा सिगरेट मुख मा पान च
जुगराज रया मेरा लोकतन्त्र
तेरा प्रताप गरीबो की शान च
पहली नि छो पता अब चलिगे
हो हो  हो हो    हो
पहली नि छो पता अब चलिगे
vote की चोट मा कथगा दम
हाथ ..........................................

हवेगे चुनोऊ सरकार बणीगे
क्वी मवशी बणी क्वी उजड़ी गे
अब नि दिखेणा क्वी ल्योण वाला
खाली ह्वे बोतल नशा उडिगे
चिफला का राज कै मौज मरेन
हो हो  हो हो    हो
चिफला का राज कै मौज मरेन
जुंगो का राज मा ठम -ठम

हाथ न wisky पिलाई, फूल न पिलायो रम
छोटा दल, निर्दलीय दिदो न कच्ची मा टरकाया हम 
ऐसु चुनुओ मा मजा ही मजा

 


Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #127 on: January 08, 2009, 04:06:49 PM »
jarur mohan da bahut badiya cd hai
mya ko mundaro


bahut hi dundaar mukesh bhai.. maja aagaya... in gano ko pad kar.. par maine sune nahi hai mai sunana chahunga jaldi hi...

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #128 on: January 19, 2009, 11:21:19 AM »
महंगाई से त्रस्त आम जनता का दर्द दर्शाता नेगी जी का गाना, उनकी नयी एल्बम "माया कु मुंडारो " से
कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी.
ना भै हमारा बसै नि इथगा महंगि जिन्दगी..

आटो,चौंल मैंगो हैगे मैंगि दाल तेल,
चाहा, चिनी, दारु महंगि कन क्वै बचोलु सरैल
कै दिन सूणी लिया बल फांस खैगे जिन्दगि
ना भै हमारा बसै नि रै या महंगि जिन्दगी..
कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी.

आवत जावत महंगि, महंगि झगुलि टोपलि फीस
निखानि निसैणि करणा छि गरिबों कि, मैंगै का ये झीस
झीस, कुमरो बिरान्दि झणान्दि रैगे जिन्दगी
ना भै हमारा बसै नि रै या महंगि जिन्दगी..
कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी.

सैरा बजार बणाग लांगीछ, चीज-वस्तु मां करन्ट
जों पर जनता को भारी भरोसो छो, वों भि हुया छन सन्ट
यूं नेतों की झूटी बातों में ऐगे जिन्दगी
ना भै हमारा बसै नि रै या महंगि जिन्दगी..
कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी.

जमाखोर, मुनाफाखोर चलोणा मनमर्जी सरकार
जनता बिचारि कन कणि सौणि, मैंगै की ई मार
सस्ता जमाना को बाटो हैरदि रैगी जिन्दगी
ना भै हमारा बसै नि रै या महंगि जिन्दगी..
कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी.

पेंशन, मानिओडर का सहरा यख जीवन चरखा चलणु
जै बिचरो नि क्वी रोजगार वे की क्वी नि सोचणु  -२
फ़िर एक तमका (कोट पर लगी टल्ली को दिखाते हुए )
फ़िर एक तमका लाचारी को पैरेगे जिंदगी 
ना भै हमारा बसै नि रै या महंगि जिन्दगी..
कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी

हेम भाई इस गाने को पोस्ट कर चुके थे , लास्ट पहरा रह गया था वो पुरा कर दिया .

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #129 on: May 03, 2009, 09:38:36 PM »
इस गाने मैं नेगी जी ने एक गढ़वाली बेटी की भावनाओं की कल्पना की है की वो शादी के बाद कैसे अपने मैत के यादों मैं ये कल्पना करती है जब फाल्गुन का महिना ख़तम हो जाता है और चैत का महिना शुरू हो जाता है तब घुघूती की सुरेली आवाज उन डांडी कांठियों मैं गूंजती है उस घुघूती की सुरीली अवाज्को सुनकर बेटी ब्वारियों को अपने मैत की खुद लगाती हैं वो अपने मैत से आने वाले रैबार का इन्तजार करती रहती हैं और उस चैत के महीने मैं गाँव मैं बेटी ब्वारियों को कहीं दूर जब घुघूती की सुरीली आवाज सुनाई देती है तो तब उनें इस गाने को गाया गया है
घुगुती  घुरोण  लागी म्यार  मैत  की
बौडी  बौडी आयी गे  ऋतू , ऋतू चेत  की
डांडी   कांठियों  को हूए, गौली  गए  होलू
म्यारा मेता को बोन , मौली  गए  होलू
चाकुला  घोलू  छोडी , उड़ना  हवाला
बेठुला  मेतुदा  कु , पेताना  हवाला
घुगुती  घुरोण  लागी हो ......................

घुगुती  घुरोण  लागी म्यार  मैत  की
बौडी  बौडी आयी गे  ऋतू , ऋतू चेत  की
ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की
डान्दियुन खिलना  होला , बुरसी का  फूल
पथियुं  हैसनी  होली , फ्योली  मोल मोल
कुलारी  फुल्पाती  लेकी , देल्हियुं  देल्हियुं जाला
दग्द्या  भग्यान  थडया, चौपाल  लागला
घुगुती  घुरोण  लागी म्यार  मैत  की
बौडी  बौडी आयी गे  ऋतू , ऋतू चेत  की
ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की
तिबरी  मा  बैठ्या  हवाला, बाबाजी उदास
बतु  हेनी  होली  माजी , लागी  होली  सास
कब म्यारा मैती  औजी , देसा  भेंटी  आला
कब म्यारा भाई बहनों  की राजी खुशी ल्याला
घुगुती  घुरोण  लागी म्यार  मैत  की
बौडी  बौडी आयी गे  ऋतू , ऋतू चेत  की
ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की
ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की
ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की
ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की




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