Author Topic: Give Temple Details - यहाँ दीजिये अपने क्षेत्र के छोटे-२ मंदिरों का विवरण  (Read 28428 times)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Famous Kainchi Dham  , Bhowali-Almora highway -
      Famous Kainchi Dham  , Bhowali-Almora highway -2   by Ashish.Maithani
   

Devbhoomi,Uttarakhand

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रुद्रप्रयाग: बच्छणस्यूं पट्टी अंतर्गत ग्राम सभा बरसूड़ी के पौराणिक दयूराड़ी मंदिर में लगातार भूस्खलन का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।

गत वर्ष बरसात में बरसूड़ी गांव में पौराणिक दयूराड़ी मंदिर के निचले हिस्से में भू-धसांव हो गया था। इसके बाद से लगातार मंदिर को खतरा बना हुआ है। हालांकि क्षेत्रीय ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन को अवगत कराया, लेकिन अभी तक सुरक्षा के लिए कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है।

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मिलने, मिलाने में भी मेले की अहम भूमिका
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गंगोलीहाट। सदियों से मां महाकाली के प्रांगण में लगने वाला हाट कालिका का मेला न केवल मंदिर दर्शन बल्कि मिलने, मिलाने का भी बेहतर मौका होता है। मेले के बहाने विवाहित लड़कियों की अपने मायके वालों से मुलाकात हो जाती है तो सालों बाद जान, पहचान वालों की भेंट कराने में मेले की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अब चैत्र की महाष्टमी का यहां के लोगों को बेसब्री से इंतजार रहेगा।

सदियों पुराने मेले में भारी संख्या में जुटे लोगसुबह 4 बजे से ही महाकाली मंदिर पहुंचने लगे लोग
गंगोलीहाट। हाट कालिका के मंदिर में सदियों से शारदीय नवरात्रि की अष्टमी को लगते आ रहे मेले में मंगलवार को भारी संख्या में लोग जुटे। हजारों लोगों ने मां महाकाली की पूजा, अर्चना की। मंदिमेमध्य रात्रि तक कार्यक्रम चले।

चैत्र और आश्विन की अष्टमी का हाट कालिका के मंदिर में विशेष महत्व है। भगवती कालरात्रि की पूजा के लिए नियत इस दिन को महाष्टमी के नाम से जाना जाता है।
सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मंगलवार को प्रात: 4 बजे से ही मंदिर में भक्तों का पहुंचना शुरू हो गया था।


उजाला होते-होते मंदिर में अपार भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर दर्शन के बाद परंपरा के अनुसार लोग गंगोलीहाट बाजार में एकत्र हुए। मेले में शिरकत कर घर के लिए खरीददारी की। मेले में बाहरी क्षेत्र से आए व्यापारियों ने दुकानें सजा रखी थीं। अपरान्ह 5 बजे तक मेले में खूब भीड़ रही।

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त्रिपुरा सुन्दरी यात्रा





   रुद्रप्रयाग, सिद्धपीठ त्रिपुरा सुन्दरी वैष्णों मां हरियाली देवी की कांठा यात्रा को लेकर क्षेत्रीय लोगों को खासा उत्साह देखा जा रहा है। धनतेरस यानी 24 अक्टूबर को होने वाली इस यात्रा में हरियाली मां की डोली अपने ससुराल से मायके जाएगी, जहां मां की पूजा अर्चना के बाद डोली को वापस लाया जाता है।


जिले के नगरासू-डांडाखाल मोटरमार्ग पर स्थित ग्राम जसोली में मां का भव्य मंदिर स्थित है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष दीपावली के एक दिन पूर्व धनतेरस को मां की डोली यात्रा निशाणों एवं भक्तजनों के अपार उत्साह के साथ ही सूर्य की पहली किरण पड़ने के साथ ही हरियाली कांठा मंदिर पहुंचती है। यहां मां की पूजा-अर्चना कर डोली को वापस लाया जाता है। कांठा को मां का मायका माना जाता है।

यात्रा के दौरान मां का पंचरंग्या स्थान पर मायके पक्ष के लोगों से मिलाप एवं स्नान होता है। इसके बाद देवी के रक्षक लाटू देवता के निशाण के साथ आगे बढ़ते हैं।  मान्यता है कि यदि मां का कोई भक्त यहां सच्चे मन एवं श्रद्धा से मां के दरबार में पहुंचता है, तो मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं।

पूर्व प्रधान गडोरा राजेश कुंवर कहते हैं कि वह इस यात्रा में प्रतिवर्ष शामिल होते हैं। उन्होने बताया कि इस यात्रा में शामिल होने के लिए भक्तजनों को एक सप्ताह से पूर्व तामसिक भोजन, मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन का त्याग करने के साथ ही नंगे पांव यात्रा करनी पड़ती है।

बताया कि कांठा का पैदल मार्ग वनाच्छादित है। इसके साथ ही यहां महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं होती है। उन्होंने यह भी बताया कि पूरे मार्ग में कहीं भी पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं हैं, फिर भी मां के भक्तों का उत्साह कम नहीं होता है। यह सब मां हरियाली की शक्ति से संभव है।
   
Source Dainik Jagran

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मॉ चंडिका से मांगा आशीर्वाद
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गोपेश्वर: गंगोलगांव स्थित चंडिका मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद आयोजित हुए विशाल भंडारे में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मां का आशीर्वाद लेकर प्रसाद ग्रहण किया।

गुरुवार को आयोजित विशाल भंडारे में परंपरा के अनुसार हुई पूजा-अर्चना के बाद क्षेत्रीय लोगों ने मां चंडिका से मनौतियां मांगी तथा ग्रामीणों की ओर से आयोजित किए भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर मां चंडिका के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का मंदिर में तांता लगा रहा।

 मान्यता है कि लोक कल्याण के लिए ही मां चंडिका अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए क्षेत्र भ्रमण के लिए निकलती है और बाद में ग्रामीण इस निमित गांव में धार्मिक परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा मंदिर में सच्चे भाव से पूजा-अर्चना करने वालों की भी मां मनोकामना पूरी करती है।


Dainik jagran

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गुरना देवी का मंदिर करीब २० किलों मीटर पहले पड़ता है पिथौरागढ़ से ...... इस मंदिर की बहुत मानयता मानी जाती है ... कहा जाता है की यहाँ से गुज़रने वाला हर वाहन रुकता है और माथा टेक कर ही आगे बढ़ता है ....... ऐसा ना करने से कोई भी अप्रिय घटना घटने की संभावना होती है ...... और तो और फ़ौजी वाहन भी बिना माथा टेके आगे नही बढ़ते हैं ..... और ये भी माना जाता है की यहाँ पर सच्चे मन से माँगी हर मनोकामना पूरी होती है .......
बहुत ही खूबसूरत नज़ारा होता है जब एक एक करके सारे वाहन यहाँ पर रुकर देवी माँ को नमन करके आगे बढ़ते हैं ...... देव-भूमि के "देवताओं" की बात ही निराली होती है




Photo by Shushma bishth

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भगवती राकेश्वरी व चामुंडा की डोली पहुंची अगस्त्यमुनि







   अगस्त्यमुनि(रुद्रप्रयाग),  रांसी गांव की भगवती राकेश्वरी व कालीमठ क्षेत्र की सिंह वाहिनी चामुंडा माई की उत्सव डोली के अगस्त्य महाराज मंदिर अगस्त्यमुनि पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। वहीं दोनों डोली मकर सक्रांति के पावन पर्व पर अलकनंदा व भागीरथी के संगम देवप्रयाग में स्नान करेगी।

रविवार को सिंह वाहिनी चामुंडा माई चंद्रापुरी से अपने न्योजा निशाणों के साथ सौड़ी, बेडूबगड़, जवाहर नगर, गंगानगर, विजय नगर आदि क्षेत्रों से होते हुए अगस्त्यमुनि स्थित अगस्त्य महाराज के  मंदिर पहुंची। वहीं दूसरी ओर रांसी गांव की भगवती राकेश्वरी गत रात्रि स्यालसौड़ चंद्रापुरी में विश्राम करने के पश्चात यहां अगस्त्य महाराज मंदिर पहुंची।

जहां दोनों डोलियों के आगमन पर श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा के साथ जयकारे लगाकर जोरदार स्वागत किया। इसके साथ ही भक्तों द्वारा क्षेत्र की खुशहाली के लिए पूजा अर्चना भी की गई। रविवार रात्रि विश्राम के बाद सिंह वाहिनी चामुंडा माई सोमवार को प्रात: प्रस्थान कर तिलवाडा में विश्राम करेगी।


वहीं भगवती राकेशवरी रुद्रप्रयाग में विश्राम करेगी। उसके पश्चात दोनों मकर सक्रांति के  पर्व पर देवप्रयाग स्थित संगम पर स्नान करेगी। इस अवसर पर राकेश्वरी देवरा समिति के अध्यक्ष चंद्र सिंह बिष्ट, लक्ष्मण सिंह सत्कारी, प्रियधर भट्ट, रोशन देवशाली, केशरी प्रसाद भट्ट, नवीन सेमवाल आदि मौजूद थे।





Source Dainik Jagran

   

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शुरू हुआ भैरवनाथ मंदिर का जीर्णोद्वार


 

  गुप्तकाशी(रुद्रप्रयाग): कई वर्षो से जर्जर हालत में पड़े कालीमठ स्थित प्रसिद्ध भैरवनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया। यह कार्य दिल्ली निवासी श्रद्धालु की ओर से कराया जा रहा है।


 पिछले कई दशक से कालीमठ स्थित भैरवनाथ मंदिर की हालत खस्ताहाल बनी हुई थी। दीवारें व छतों पर कई दरारें पड़ गई थी, जिससे यहां पूजा-अर्चना करने में भक्तों को परेशानियों से जूझना पड़ता था।


 स्थानीय जनता लगातार मंदिर समिति व जिला प्रशासन से उक्त मंदिर की हालत सुधारने की मांग कर रही थी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। सरकारी महकमा तो इस कार्य को नहीं कर पाया, लेकिन  दिल्ली निवासी अजीत बाली ने जीर्णोद्वार के लिए पूरी वित्तीय सहायता प्रदान की।

 मंदिर के मठाधीश अव्वल सिंह राणा ने बताया कि काली माई के भक्त अजीत बाली यह कार्य करा रहे हैं। पूर्व में उन्होंने जीर्णोद्धार कार्य कराया था। वहीं मंदिर समिति के कार्याधिकारी अनिल शर्मा ने बताया कि ग्रामीणों की सहमति पर मंदिर समिति ने भैरव मंदिर के जीर्णोद्धार पर सहमति दी।



Source Dainik Jagran

Lalit Pundir

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जय हो मठियाणा महामाई
  माँ मथियाणा माता  का मन्दिर जिल्ला- रुद्रप्रयाग पट्टी --भरदार  गाव -- सिली गों  के उपर मथियाणा खाल है  आने का रास्ता  श्रीनगर से कीर्तिनगर ,बडियार गढ़  सौरखाल होते हुए डोंडा (पालिपुर ) चौरिया भरदार  सिलिगों से थोडा पैदल चलकर पहुच सकते है या फिर रुद्रप्रयाग से तिलपाडा से भी पहुंच सकते है
नवरात्रों में काफी बड़ा मेला लगता है मंगलवार , शनिवार को भी माता की पूजा होती है
मा की महिमा तो अपरम पार है मै बया नही कर सकता हूँ माँ हमेसा जिसका कोई नही होता है उसकी होती है माँ हमेसा (धिियाणीयो) वहां की जो स्त्री होती है ससुराल में उसके साथ
दुःख में या ससुरालियो के द्वारा परेशान करने पर (दोस ) सजा देती है  कही लडकियों को तो ससुराल से जब घर से रात के समय निकाल दिया जाता था तो रस्ते में कही घने जंगल पड़ते
थे तो माता स्वयम बुड्डी ओरत का भेष में मायके तक छोड़ जाती थी ....

 

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