Author Topic: Gosai Devta, Sidhe Nath & Chanri Devta-गोसाई देवता, सिद्धि नाथ एव चनडी वाण देवता  (Read 7776 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"जय गोसाई देवता, सिद्धे नाथ एव चनडी वाण देवता"

Dosto,

Today I am sharing here exclusive information about Gosai Devta, Sidhe Nath & Chanri Van Devta.These Gods are my penates. I have many witnessed may miracles of these Gods and we have immense faith in our Penates.

उत्तराखंड की पावन धरती जहाँ पर देवी देवताओ का वास है तो इस भूमि को देव भूमि कहा जाता है! यहाँ पग-२ देवी देवताओ के मंदिर है! अलग जगहों पर देवी देवताओ को विभिन्न नामो से पूजा जाता है ! इस टोपिक के अंतर्गत मै अपने इष्ट देवताओ "गोसाई देवता, सिद्धे नाथ एव चनडी वाण देवता" के बारे में कुछ संशिप्त जानकारी दे रहा हूँ मैंने बचपन में कई बार अपने ईष्ट देवताओ के महिमा का वर्णन सुना है और व्यक्तिगत रूप से भी उनके चमत्कार का अनुभव किया है!

बागेश्वर जिले के कई जगह पर गोसाई देवता.. के मंदिर है जिसे, जारती, पोथिंग और अन्य स्थानों पर !  विस्तृत जानकारी आपको अगले पोस्टो में मिलेगी!
 
जय ईष्ट देवता !
 
एम् एस मेहता

 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गोसाई देवता

बताया जाता है गोसाई देवता का निवास स्थान हिमालय में है! गोसाई देवता अन्य वाण देवता भी रहते है ! बागेश्वर में मैंने कई बार लोगो को अपने ईष्ट देवता गोसाई देवता के लिए जागरण का आयोजन करते हुए देखा है जिस स्थानीय भाषा में धूनी कहते है! स्योगी (यानी गोसाई देवता के उपासक) जो धूनी का आयोजन करते है! अपने घर के आगन में सुंदर तरीक से लाल मिटटी से एक जगह की पुताई करते है जहाँ पर अलख धूनी जलाते है और तीन बार आरती करते है!

 - सुबह.. की आरती
 -  शाम की आरती 
 -  और रात्री की आख़िरी आरती

गोसाई देवता का पहनावा! लाल पगड़ी सी होती है और कंधो में दो लाल रंग झोली! झाझर, ढोल, दमाऊ के साथ भगवान् गोसाई देवता की आरती होती है और धूनी की परिकर्मा की जाती है! धूनी की तीन बार परिकर्मा की जाती है और अंतिम परिकर्मा में भगवान् किसी व्यक्ति में अवतरित होते है और फिर भक्त जानो के आशीर्वाद देते है! लोग अपने अपने दुखो का भी भगवान् से संवाद करते है जिनका प्रभु समाधान बताते है! भगवान् इस धूनी के आस पास कोई भी दुष्ट आत्मा नहीं आ सकती, अगर किसी के शरीर में कोई दुष्ट आत्मा ने पहले से प्रवेश किया है तो वह इस जगह में प्रवेश नहीं कर सकता.. अगर आ गया उसकी खैर नहीं.! चिमटे से भगवान् उसकी धुलाई करने में देर नहीं लागते! अपनी-२ मनो कामना पूर्ण होने पर भक्तजन धूनी का आयोजन समय-२ पर करते है!

विनोद सिंह गढ़िया

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Main gate of Guru Gosaye temple at Pokhari (Pothing) Bageshwar



यह गुरु गोरखनाथ गुसांई मन्दिर का मुख्य प्रवेश द्वार है।  यह मन्दिर पोखरी नामक पहाड़ी पर स्थित है जो पोथिंग गाँव (बागेश्वर) के समीप है।  यहाँ समय-समय पर लोग कथा, भण्डारा, धूनी, रामायण इत्यादि का आयोजन करते हैं।

विनोद सिंह गढ़िया

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गुसांई मंदिर पोखरी में पूजा करते भक्त जन

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the photo of Gusai Devta Temple at village Jarti. The place is called Tilari.



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रमोल -   

रमोल देवता भी उत्तराखंड के कई भागो मे पूजे जाते है ! खासतौर से अल्मोड़ा, बागेश्वर आदि जगहों पर.. सिधुआ और विधुआ दो भाई ( देवता हो रमोल ने नाम के जाने जाते है) ! ये एक प्रकार के गावाला देवता है !  घन्याली एक प्रकार का देव स्तुति गायन है सिधुवा-विदुआ रमोल की भी घन्याली का लोग आयोजन करते है जिसमे देवता इसी व्यक्ति में अवतरित होकर उनको आशीर्वाद देते है और उनके कष्टों का निवारण करते है!


This is a small Temple of Chanri Devta & Sidhe Nath Devta. We worship at this temple.



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चनड़ी वाण देवता

मेरे ईष्ट देव है चनड़ी देवता! 

चनड़ी ये स्पष्ट है ये देवता चन्दन लगाते है और चनड़ी देवता जट्टाधारी भी है! चनड़ी देवता का आवास स्थान हिमालय में बताया जाता है! माँ भगवती के डोले को चलने वाले वाणो में प्रमुख है चनड़ी वाण देवता! 

बहुत ही स्वच्छ हिमालय के वातारण में निवास करते है भगवान् चनड़ी देवता! मैंने अपने निजी जीवन भगवान् चनड़ी देवता के चमत्कार देखे है मुझे यह बात कहने में कोई भी संकोच नहीं एक भगवान् चनड़ी देवता ने मुझे नया जीवन प्रदान किया है!

मेरे माता पिता बताते है बचपन में एक बार गाव में बच्चो की कोई गंभीर बीमारी आयी थी जिसमे कई बच्चे हॉस्पिटल या घर में बीमारी के कारण मर गए थे, मै उस बीमारी से पीड़ित था! मेरे माता पिता ने भगवान चनड़ी देवता का समरण किया और मुझे फिर से होश गया !

बाद में मेरा स्वास्थ्य लाभ अति शीघ्र हो गया! मै और कुछ और चमत्कार चनड़ी देवता के बारे में यहाँ पर बताऊंगा.!

 




 

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