Author Topic: Kashi Of Uttarakhand: Uttarkashi - उत्तराखण्ड की काशी: उत्तरकाशी  (Read 36500 times)

पंकज सिंह महर

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नचिकेता ताल (उत्तरकाशी से 23 किलोमीटर दूर)

चौरंगी-खाल से आगे 3 किलोमीटर पैदल चलने पर बलूत एवं सदाबहार पेड़ों के बीच चलने के बाद नचिकेता ताल आता है। माना जाता है कि उसका नाम उददालक के भक्त पुत्र नचिकेता के नाम पर है। 600 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले नचिकेता ताल के एक किनारे पर नाग देवता को समर्पित एक मंदिर है। प्रत्येक वर्ष नाग पंचमी के दिन सैकड़ों ग्रामवासी झील में स्नान कर मंदिर में पूजा के लिये यहां जमा होते हैं। झील कम गहरी है, पर बहुत साफ है, जिसमें मछलियों के झुंड़ को तैरते हुए देखे जा सकता है। चौरंगी खाल के लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण बंगला में आवास की सुविधा उपलब्ध है या आप चाहें तो झील के किनारे भी ठहर सकते हैं।


पंकज सिंह महर

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गोविंद राष्ट्रीय उद्यान

वर्ष 1955 में इस वन्य जीवों की शरणस्थली का निर्माण हुआ तथा वर्ष 1990 में इसे राष्ट्रीय उदयान घोषित किया गया। इसकी ऊंचाई 1,300 मीटर से लेकर कुछ जगहों पर 6,300 मीटर तक जाती है। इस ऊंचाई पर असामान्य जीव - जंतुओं एवं वनस्पति भी पाये जाते हैं, जो भारत में कहीं और नहीं होते।

यहां स्तनपायी जीवों की 15 प्रजातियां एवं पक्षियों की 150 प्रजातियां पाई जाती हैं। भाग्यशाली पर्यटकों को बर्फीले चीते तथा सामान्य चीते जैसे लुप्तप्राय जानवर दिखाई पड़ सकते हैं। इस क्षेत्र में काला हिरण, बादामी हिरण तथा कस्तूरी हिरण भी पाये जाते हैं।

यह पार्क पक्षी-प्रेमियों का स्वर्ग है, यहां कई लुप्तप्राय पक्षी रहते हैं, जैसे - सुनहला बाज, हरे बाज, दाढ़ीयुक्त गिदध, मोनाल एवं कोकलास तीतर।
इस उदयान को देखने का सर्वोत्तम समय गर्मी के शुरु में तथा फिर मानसून के बाद सितंबर-नवंबर के बीच है। जाड़े में यह बर्फ से ढंका होता है।

पंकज सिंह महर

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मनेरी (उत्तरकाशी से 13 किलोमीटर दूर)

उत्तरकाशी के निकट भागीरथी नदी के किनारे उत्तरांचल का 93 मेगावाट का मनेरी-भाली बिजली परियोजना है। ऊपर मनेरी गांव है, जहां भागीरथी पर बांध बनाकर अविश्वसनीय सुंदरता का एक झील बनाया गया है, जिसका जल इतना साफ है कि इर्द-गिर्द के खड़े टीलों का प्रतिबिंब साफ दिखाई पड़ता है, जो अब प्रिय पर्यटन-स्थल बनता जा रहा है।

पंकज सिंह महर

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उत्तरकाशी श्यालम गद (वरूणा) काली गद (असी गद) तथा भागीरथी नदियों के बीच स्थित है। शहर के ऊपर की ओर वरूणावत पर्वत की प्रधानता है, जिस पर वर्ष 2004 में बिजली गिरी और फलस्वरूप, शहर में भूस्खलनों एवं मलवे का गिरना जारी रहा एवं भवनों खासकर कई होटलों को क्षतिग्रस्त कर दिया जो बस पड़ाव के विपरित पर्वत के आधार पर स्थित थे।
     उत्तरकाशी के इर्द-गिर्द पहाड़ियों पर चीड देवदार के जंगल हैं। शहर में भी कई पीपल एवं बरगद के पेड़ है, जिन्हें पूजा जाता है। धतूरे का फूल देखने योग्य होता है, जिसे विश्वनाथ मंदिर में पूजा के समय चढ़ाया जाता है।





पंकज सिंह महर

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माघ मेला

यह उत्तरकाशी का सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन माघ महीने में यह मेला आयोजित होता है। मेला अवधि में जिले के सभी भाग से लोग अपने-अपने देवी-देवताओं की डोली के साथ उत्तरकाशी आते हैं। मकर संक्रांति के दिन प्रातः सभी डोलियों को मणिकर्णिका घाट लाकर विसर्जित कर दिया जाता है। उसके बाद उन डोलियों को जुलूस में गायकों एवं नर्तकों के साथ चमला की चौड़ी, भैरों मंदिर तथा विश्वनाथ मंदिर ले जाया जाता है और फिर रामलीला मैदान में यह जुलूस समाप्त हो जाता है। मुख्य अतिथि सहित इस मेले का उदघाटन स्थानीय कण्डार देवता एवं हरि महाराज ढ़ोल द्वारा होता है।

सप्ताह भर का उत्सव अपने सर्वोत्तम परिधानों सहित यहां के लोगों द्वारा मनाया जाता है तथा परंपरागत नृत्यों तथा गानों का सिलसिला लोगों के मनोरंजन के लिये प्रत्येक रात जारी रहता है जिसे जिले एवं राज्य के विभिन्न समूह संचालित करते हैं।

अपने धार्मिक महत्त्व के अलावा यह मेला एक विकास मेला भी है तथा इसमें राज्य सरकार विभिन्न विभागों के विकास योजनाओं को प्रदर्शित करती है।

यह अब एक व्यापार मेले का रुप लेता जा रहा है, जहां पूरे देश के व्यापारी अपने उत्पादों को यहां प्रदर्शित करते हैं। मेले में स्वदेशी भोटिया हस्तकला के साथ ही रिंगाल उत्पादों को पसंद किया जाता है।

पंकज सिंह महर

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ऊंचाई : समुद्र तल से 1,558 मीटर ऊपर 
आबादी (2001 जनगणना)  : 16,220
सचल आबादी : प्रति दिन 25,000
नगरपालिका क्षेत्र : 12,02 वर्ग किलोमीटर
एसटीडी कोडः : 01374

खीमसिंह रावत

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bahut achchhi jankari ke liye natmastak hai/

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Jai Bhole Baba ki.

Jai Ho Pankaj bhai Jai ho.

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पंकज सिंह महर

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वरुणावत पर्वत से २००३ में बहुत भूस्खलन हुआ था।


पंकज सिंह महर

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