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Penance to get offspring- संतान प्राप्ति के लिए खड़े दीये पूजा प्रथा

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

अनुसूया मेले में संतान प्राप्ति



जागरण प्रतिनिधि, गोपेश्वर: अनुसूया मेले में संतान प्राप्ति के लिए 237 दंपतियों ने रातभर मंदिर में तप किया। परंपरानुसार कठूड़ की भगवती की डोली मंदिर के बाहर विराजमान की गई। जबकि अनुसूया, बणद्वारा ज्वाल्पा, सगर व देवलधार की डोलियों को मंदिर के भीतर  स्थापित किया गया।
मंदिर में आरती के बाद संतान प्राप्ति की मनोकामना के लिए आए 237 दंपतियों ने मन्नौतियां मांगी । इन दंपतियों को 'बरोही' भी कहा जाता है। मान्यता है कि रात में तप के दौरान नींद के झोंके में सती मां इन भक्तों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती है। इस दौरान भारी संख्या में पहुंचे भक्तों ने मां अनुसूया का जागरण किया। इसके बाद सभी डोलियां अनुसूया मंदिर से दो किलोमीटर दूर अत्रि मुनि आश्रम में स्नान के लिए गईं। अत्रि कुण्ड में स्नान के बाद डोलियां को उनके मूल मंदिर ले जाया गया। इस दौरान स्थानीय व्यापारियों ने श्रद्धालुओं के भोजन के लिए भंडारा लगाया, जबकि स्टेट बैंक ऑफ पटियाला की ओर से नि:शुल्क जलपान की व्यवस्था की गई।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
यहाँ संकल्प लेने से होगी संतान की प्राप्ति

श्रीनगर स्थित ऐतिहासिक कमलेश्वर महादेव मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी को संतान प्राप्ति के लिए 150 श्रद्घालुओं ने खड़े दीये का संकल्प लिया।

लक्ष बत्तियां अर्पित करने पहुंचे श्रद्धालु
महंत आशुतोष पुरी ने शाम चार बजे से विशेष पूजा कर इस महाआयोजन का शुभारंभ किया। इसके बाद शाम करीब सात बजे से चतुर्दशी तिथि लगने के साथ ही दीपदान का कार्यक्रम शुरू हुआ। आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान शंकर को लक्ष बत्तियां अर्पित करने पहुंचे।

शाम को मुहूर्त के अनुसार महंत ने सभी दंपतियों को खड़े दीये का संकल्प दिलवाया। मान्यता है कि बैकुंठ चतुर्दशी के दिन खड़ा दिया लेने वाले निसंतान दंपतियों को कमलेश्वर महादेव की कृपा से संतान प्राप्ति होती है।


महंत आशुतोष पुरी के मुताबिक इस बार खड़े दीये के लिए 202 श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया था, मगर शुक्रवार देर शाम तक 150 लोग ही मंदिर समिति के पास अपनी उपस्थिति दर्ज करवा पाए थे।

खड़ा दीया लेने वाले दंपति संतान के लिए पूरी रात हाथों में जलता दीपक लिए खड़े रहेंगे। अगली सुबह सभी लोग गंगा स्नान के बाद फिर कमलेश्वर महादेव से आशीर्वाद लेंगे।

खड़े दीये में शामिल होने पहुंचे श्रद्धालु

देश के कई शहरों से श्रद्धालु कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़े दीये में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं। इनमें लखनऊ, मुंबई, सहारनपुर, दिल्ली, हरियाणा, देहरादून, पंचकुला, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, इलाहाबाद, आगरा, जम्मू के दंपति भी शामिल हैं।

बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर कमलेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित होने वाले खड़े दीये के लिए जम्मू से आए आरती देवी और शंकर सिंह कहते हैं कि छह वर्ष विवाह को हुए, लेकिन घर में किलकारी नहीं गूंजी। इलाज भी कराया, सफलता नहीं मिली। अब बड़ी आस लेकर यहां पहुंचे हैं।

बड़ी आस्था से आते हैं भक्‍त

प्रतापगढ़ से पहुंचे सारू विश्वकर्मा ने बताया कि 15 वर्ष विवाह को हो गए, सभी चिकित्सकीय जांचें करा ली गई हैं। उनके किसी दूर के रिश्तेदार के यहां खड़ा दीया होने के बाद बच्चे ने जन्म लिया, सो हम भी बड़ी आस्था से यहां आए हैं।

पंचकुला हरियाणा से कुसुम शर्मा व मधु परमार, लखनऊ से अराधना गुप्ता, मुंबई से संगीता बुटोला, महाराष्ट्र के पूना से निधि बलूनी, चंडीगढ़ से आशा, अमेरिका निवासी निधि वर्मा के लिए देहरादून निवासी निधि की ननद संगीता बिरवानी ने खड़े दीये का व्रत रखा है। उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों से भी खड़े दीये में कई दंपति भाग लेने पहुंचे हैं।दो दिवसीय इस धार्मिक आयोजन की शुरुआत शुक्रवार से हुई। इस दौरान क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु मंदिर में दीपदान करने पहुंचे। ऐतिहासिक बैकुंठ चतुर्दशी मेले को लेकर स्थानीय निवासियों में उत्साह देखा गया। शाम से हजारों की संख्या में श्रद्धालु कमलेश्वर महादेव मंदिर में दीपदान के लिए जुटने लगे थे। source amar ujala)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
खड़ा दीया पूजन में शामिल  हुए 150 निसंतान दंपतीचतुर्दशी पर्व पर परम्परानुसार श्रीनगर के प्राचीन कमेश्वर महादेव मंदिर में खड़ दीया पूजन आयोजित किया गया। इसमें शाम छह बजे तक 150 निसंतान दंपतियों ने संतान की कामना को लेकर जलते दीए के साथ भगवान शिव की स्तुति शुरू की। 205 निसंतान दंपतियों ने इस पूजन के लिए अपना पंजीकरण कराया हुआ है।
  कमलेश्वर महादेव के महंत आशुतोष पुरी जी महाराज ने कहा कि चतुर्दशी पर्व सांय सात बजकर नौ मिनट से शुरू हो रहा है तब तक पंजीकरण कराने वाले निसंतान दंपती इसमें शामिल हो सकते हैं। देर शाम तक दंपतियों का पूजन में भाग लेने के लिए मंदिर में पहुंचने का क्रम जारी था। संतान की कामना को लेकर खड़ दीया पूजन में भाग लेने वाली निसंतान दंपत्तिायों को महंत आशुतोष पुरी जी महाराज ने पूजन सामग्री दी। यह विशेष पूजन कमलेश्वर महादेव मंदिर में शुक्रवार सांय सूर्यास्त के बाद गोधूलि बेला में शुरू हुआ। निसंतान दंपती जलते दीए के साथ रातभर खड़ा रहते हुए भगवान शिव से संतान की कामना करने के बाद प्रात: बेला में अलकनंदा में स्नान के बाद हवन और यज्ञ में भाग लेने के साथ ही महंत आशुतोष पुरी से सुफल प्राप्त कर अपने गंतव्य को रवाना होंगे। चतुर्दशी पर उमड़े श्रद्धालु वर्षभर के लिए परिवार की सुख शांति की कामना को लेकर चतुर्दशी पर्व पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने कमलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का 365 जलती बत्तिायां अर्पण करने के साथ ही पूजा अर्चना भी की। भारी भीड़ को देखते हुए कोतवाल धीरेन्द्र रावत के नेतृत्व में पुलिस ने मंदिर आने जाने के लिए बैरिकेटिंग कर विशेष व्यवस्थाएं की हुई थीं। उपजिला मजिस्ट्रेट रजा अब्बास और कोतवाल धीरेंद्र रावत सांय से ही मंदिर क्षेत्र में डटे रहे।(dainik jagran)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

गोपेश्वर: अनुसूया देवी मंदिर

 सती मां अनसूया को पुत्रदायिनी माना जाता है। मान्यता है कि चमोली जिले के सती मां अनसूया मंदिर में रात्रिभर जागरण के बाद नि:संतान दंपतियों की संतान की कामना जरूर पूरी होती है। जब त्रिदेव सती मां अनुसूया के सतित्व की परीक्षा लेने इस मंदिर में आए तो सती मां अनसूया ने ब्रह्मा, विष्णु व महेश को अपना स्तनपान कराया था।

तप का विधान

नि:संतान दंपतियों को अनुसूया माता के दरबार अर्थात मंदिर प्रांगण में बैठाया जाता है। रात्रि जागरण के दौरान इन्हें नींद के झोंके में जो सपना आता है। उसमें अनुसूया माता जो भी फल देती है, वहीं उनकी कामना की पूर्ति होती है।

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कलयुग में भी वरदान देती है मां अनुसूया - Chamoli (uttarkhand

पुत्र कामना लेकर माता अनसूया के धाम पहुंचे निसंतान दंपतियों ने रात भर जागरण कर मां से पुत्र रत्न का आशीर्वाद लिया। इस बार अनसूया मंदिर में 236 बरोहियों (निसंतान दंपति) पुत्र कामना लेकर पहुंचीं थी। मां अनसूया से पुत्र रत्न का वरदान मांगती महिलाएं। अनसूया देवी मंदिर परिसर में अपनी बहन से विदा लेने से पूर्व श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखी देव डोलियां।

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