Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां
पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड ,Purnagiri Temple Uttarakhand
Devbhoomi,Uttarakhand:
प्रचुरता पर्यटन-स्थलों की पर्यटन में दृष्टिकोण से टनकपुर व पूर्णागिरि का संपूर्ण क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्राचीन ब्रह्मदेव मंडी, परशुराम घाट, ब्रह्मकुंड, सिध्दनाथ समाधि, बनखंडी महादेव, ब्यान, धुरा, श्यामलाताल, भारामल, भुमियागाड, खिलपत्ति, शारदा व्यू आदि अनेक प्राचीन ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं।
मंदिर आने वालों की संख्या में वृध्दि को देखते हुए इस तीर्थ के कायाकल्प का प्रयास किया जा रहा है। ककराली-भैरोमंदिर हाट मिक्स रोड, स्नान-घाट, सुलभ शौचालय, रैन-बसेरा आदि पर कार्य जारी है। ठूलीगाड से देवी दरबार तक रोप वे ट्राली लगाने की भी स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।
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पूर्णागिरी मंदिर में प्रवेश के लिए कुछ सावधानियां ध्यान में रखनी पड़ती है !
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पूर्णागिरी जहाँ सती की नाभि गिरी थी
शिवजी-सती-दक्ष वाला। सती ने जब आत्महत्या कर ली, तो शिवजी ने उनकी अन्त्येष्टि तो की नहीं, बल्कि भारत भ्रमण पर ले गये। फिर क्या हुआ, कि विष्णु ने चक्र से सती की ’अन्त्येष्टी’ कर दी। कोई कहता है कि 51 टुकडे किये, कोई कहता है 52 टुकडे किये।
हे भगवान! मरने के बाद सती की इतनी दुर्गति!!! जहाँ जहाँ भी ये टुकडे गिरे, वहीं शक्तिपीठ बन गयी। एक जगह पर नाभि भाग गिरा, वो पर्वत की चोटी पर गिरा और पर्वत में छेद करके नीचे नदी तक चला गया। यह नदी और कोई नहीं, भारत-नेपाल की सीमा निर्धारित्री शारदा नदी है।अब पता नहीं कैसे तो लोगों ने उस छेद का पता लगाया और कैसे इसे सती की नाभि सिद्ध करके शक्तिपीठ बना दिया। लेकिन इससे हम जैसी भटकती आत्माओं की मौज बन गयी और भटकने का एक और बहाना मिल गया।
इस शक्तिपीठ को कहते हैं पूर्णागिरी। यह उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊं अंचल में चम्पावत जनपद की टनकपुर तहसील के अन्तर्गत आता है। जिस तरह से जम्मू व कटरा पर वैष्णों देवी का रंग छाया है, उसी तरह टनकपुर पर पूर्णागिरी का। आओ, पहले आपको टनकपुर पहुंचा देते हैं-
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Way to purnagiri temple
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