Author Topic: Shilgur Devta Temple Jaunsar Babar, Uttarkashi- सिमोग शिलगुर देवता जौनसार बावर  (Read 2854 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

We are sharing here information about Shilgur Devta Temple which is situated in Jaunsar Babar area of District uttarkarshi.



समय बदलने के साथ ही जौनसार बावर के कई मंदिर नए रूप में ढल गए, लेकिन सिमोग का प्राचीन मंदिर आज भी अपने पुराने स्वरूप में ही है। वहीं परंपरा के अनुसार यहां आज भी भेंट व चढ़ावा मात्र एक रुपया ही है। कालसी ब्लॉक के सिमोग गांव में स्थित शिलगुर विजट व चुडू देवताओं का प्राचीन मंदिर है, जो 1777 से अपने पौराणिक स्वरूप में है। यहां रूढ़ीवादी कुप्रथाएं नहीं हैं। उत्तराखंड के अलावा हिमाचल व उत्तर प्रदेश के हजारों श्रद्धालु हर वर्ष देव दर्शनों को यहां आते हैं। बदलते समय में क्षेत्र के कई मंदिर नए रूप में ढल चुके हैं, भव्यता बढ़ गई है, लेकिन सिमोग मंदिर आज भी उसी पुराने स्वरूप में विद्यमान है। यहां शिलगुर, विजट व चूडू देवता विराजमान हैं। मान्यताओं के अनुसार 17वीं सर्दी में शिलगुर देवता जौनसार बावर के सिमोग गांव में फकीर के रूप में प्रकट हुए। 1777 में तीन खत विशायल बाना व शिलगांव के लोगों के सहयोग से प्राचीन मंदिर बनाया गया। मंदिर में धार्मिक क्रियाकलापों का संचालन परम्पराओं के अनुसार होता है। पुश्तैनी रूप से मंदिर में पूजा पाठ के लिए पुजारी व्यवस्थाओं के लिए बजीर व कारसेवक भंडारी, डढवारी, बाडोई व माली पीढ़ी दर पीढ़ी से हैं। भेंट चढ़ावा आज भी एक रुपया मात्र है। तीन खतों के करीब 60 गांव के लोग संचालन में सहयोग करते हैं। (Source Dainik jagran)


M S Mehta

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बलि प्रथा नहीं

सिमोग मंदिर में रूढ़ीवादी प्रथाएं पूरी तरह समाप्त हो चुकी हैं। सभी जाति के लोगों का प्रवेश खुला है, यहां बलि प्रथा पूरी तरह समाप्त है।

 
कोई वारदात नहीं

सिमोग मंदिर में आज तक चोरी आदि की कोई घटना नहीं हुई, जबकि यहां पर देवदर्शन को हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। दैवीय मान्यता है कि यहां से चोरी करने वाला व्यक्ति भाग नहीं सकता।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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12 साल बाद शाही स्नान
सिमोग मंदिर से तीनों देवताओं की पालकी छड़ी व निशान हर 12 वर्ष बाद शाही स्नान के लिए हरिद्वार व चुडूधार हिमाचल जाते हैं। आठ-आठ दिन की पदयात्रा करके देवताओं के शाही स्नान होते हैं।

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प्रमुख पर्व
सिमोग मंदिर में वर्ष में चार देव पर्व होते हैं। इसमें पाइंता, भिरुड़ी, जातरा व पर्वी पर्वो पर हजारों लोग मन्नते मांगते हैं। पौराणिक परंपराओं के तहत जमीन जायदाद, मकान, दुकान, गाड़ी, घोड़ा खरीदने व बेचने के लिए लोग देवता की अनुमति लेते हैं।

पुराने स्वरूप में ही आस्था

सिमोग मंदिर बजीर कुंवर शर्मा, पुजारी प्रेमदत्त शर्मा, भंडारी नारायण दत्त, माली माधूराम के अनुसार सिमोग मंदिर के स्वरूप बदलने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते। पुराने स्वरूप के साथ यहां लोगों की अटूट आस्था है।

 

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