Author Topic: Shri 1008 Mool Narayan Story - भगवान् मूल नारायण (नंदा देवी के भतीजे) की कथा  (Read 97161 times)



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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धरमघर/ बागेश्वर। 1008 नौलिंग मंदिर कमेटी सनगाड़ और जिला प्रशासन की हुई बैठक में नवमी पर होने वाली पशुबलि पर चर्चा हुई। पर्ची के आधार पर निकले मत के अनुसार पशुबलि नहीं करने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया।
 एसडीएम कैलाश टोलिया ने नेतृत्व में पहुंची प्रशासन की टीम तथा मंदिर कमेटी सहित क्षेत्र के लोगों की यहां हुई बैठक में पशु बलि पर पूरी तरह रोक लगाने का निर्णय लिया गया। मंदिर कमेटी ने पूर्व से चली आ रही मान्यताओं पर भी चर्चा की। मंदिर के धामी प्रेम सिंह धामी द्वारा मंदिर में दो पर्चियां रखी गई। एक में पशु बलि के पक्ष तथा दूसरे में विरोध की बात अंकित थी। पंडित विनोद पंत द्वारा पर्ची उठाई गई। जिसमें पशु बलि को नकारा गया था।
 नौलिंग भगवान की इच्छा माना गया और सभी लोगों ने पशु बलि नहीं करने का निर्णय लिया। बाद में तमाम लोगों ने इस फैसले को स्वीकार किया। तय किया गया कि बकरे की कीमत का पैसा मंदिर ट्रस्ट को दिया जाएगा। इस धन से धर्मशाला, वाचनालय आदि भवनों का निर्माण किया जाएगा। अध्यक्ष राजेंद्र सिंह महर ने सभी के सहयोग के प्रति आभार जताया। इस मौके पर दुग नाकुरी संघर्ष समिति के सचिव धन सिंह कोरंगा, प्रकाश महर, प्रेम सिंह धामी, धन सिंह धामी, धन सिंह बाफिला, मथुरा दत्त पंत, लीलाधर पंत, केवल पंत, गुमान सिंह, तहसीलदार मदन सिंह बिरोड़िया आदि मौजूद थे।


विनोद सिंह गढ़िया

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यूं तो उत्तराखंड की धरती पर तमाम पौराणिक और बड़ी आस्था के देवालय हैं, लेकिन यहां के कुछ मंदिरों के साथ लोगों की गहरी आस्था आज भी जुड़ी है। ऐसे ही पवित्र स्थानों में दो नाम हैं कपकोट के शिखर और भनार मंदिर। शिखर मंदिर में भगवान मूलनारायण और भनार में बजैंण देवता की पूजा होती है। शिखर से हिम श्रंखलाओं का सुंदर नजारा है।
कपकोट ब्लाक में पिंडारी ग्लेशियर जाने वाले पैदल मार्ग में शिखर नामक पर्वत पर भगवान मूलनारायण विराजमान हैं। इन्हें भगवान श्रीकृष्ण का स्थानीय रूप भी माना जाता है। मान्यता है कि त्रेता युग में लोक कल्याण के लिए श्रीकृष्ण ने यह रूप धारण किया। एक अन्य मान्यता के अनुसार मूलनारायण मघन नामक ऋषि और मायावती के पुत्र थे, जिन्होंने रमणीक शिखर पर्वत को निवास के लिए चुना। उनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम नौलिंग और कनिष्ठ पुत्र का बजैण था। नौलिंग का मंदिर सनगाड़ और बजैण का मंदिर भनार में स्थित है। नौलिंग और बजैण देवता के प्रति लोगों में गहरी आस्था है। यह दोनों ही स्थल अत्यंत रमणीक हैं। इनसे भी अधिक शिखर पर्वत का सौंदर्य है। जहां से हिमालय की चोटियां काफी नजदीक से महसूस होती हैं। तमाम संभावनाओं के बावजूद यह स्थल पर्यटन के साथ नहीं जुड़ सके और आज भी व्यापक पहचान के लिए तरस रहे हैं। 1991 में पंजाबी अखाड़े के महंत बद्रीनारायण ने यहां के मंदिरों का नवनिर्माण कराया।

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विशेष आभार : अमर उजाला 

Hisalu

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Bhagwan moolnarayan evam unke putro banjain, nauling ki katha ke liye aap Chandra singh karki jee ki pushtak pad skte hai

भनार का परंपरागत मेला आज यानि 26 नवम्बर से शुरू होगा और 27 नवम्बर की सुबह से शिखर मंदिर में भगवान मूलनारायण की पूजा होगी।



यूं तो उत्तराखंड की धरती पर तमाम पौराणिक और बड़ी आस्था के देवालय हैं, लेकिन यहां के कुछ मंदिरों के साथ लोगों की गहरी आस्था आज भी जुड़ी है। ऐसे ही पवित्र स्थानों में दो नाम हैं कपकोट के शिखर और भनार मंदिर। शिखर मंदिर में भगवान मूलनारायण और भनार में बजैंण देवता की पूजा होती है। शिखर से हिम श्रंखलाओं का सुंदर नजारा है।
कपकोट ब्लाक में पिंडारी ग्लेशियर जाने वाले पैदल मार्ग में शिखर नामक पर्वत पर भगवान मूलनारायण विराजमान हैं। इन्हें भगवान श्रीकृष्ण का स्थानीय रूप भी माना जाता है। मान्यता है कि त्रेता युग में लोक कल्याण के लिए श्रीकृष्ण ने यह रूप धारण किया। एक अन्य मान्यता के अनुसार मूलनारायण मघन नामक ऋषि और मायावती के पुत्र थे, जिन्होंने रमणीक शिखर पर्वत को निवास के लिए चुना। उनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम नौलिंग और कनिष्ठ पुत्र का बजैण था। नौलिंग का मंदिर सनगाड़ और बजैण का मंदिर भनार में स्थित है। नौलिंग और बजैण देवता के प्रति लोगों में गहरी आस्था है। यह दोनों ही स्थल अत्यंत रमणीक हैं। इनसे भी अधिक शिखर पर्वत का सौंदर्य है। जहां से हिमालय की चोटियां काफी नजदीक से महसूस होती हैं। तमाम संभावनाओं के बावजूद यह स्थल पर्यटन के साथ नहीं जुड़ सके और आज भी व्यापक पहचान के लिए तरस रहे हैं। 1991 में पंजाबी अखाड़े के महंत बद्रीनारायण ने यहां के मंदिरों का नवनिर्माण कराया।


विशेष आभार : अमर उजाला 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भनार का परंपरागत मेला आज यानि 26 नवम्बर से शुरू होगा और 27 नवम्बर की सुबह से शिखर मंदिर में भगवान मूलनारायण की पूजा होगी।



एक अन्य मान्यता के अनुसार मूलनारायण मघन नामक ऋषि और मायावती के पुत्र थे, जिन्होंने रमणीक शिखर पर्वत को निवास के लिए चुना। उनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम नौलिंग और कनिष्ठ पुत्र का बजैण था। नौलिंग का मंदिर सनगाड़ और बजैण का मंदिर भनार में स्थित है। नौलिंग और बजैण देवता के प्रति लोगों में गहरी आस्था है। 

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विशेष आभार : अमर उजाला 


I would like to correct Amar Ujala news here. The eldest Son name of Mool Narayan Bhagwan is Bajain whose temple is situated in Bhanar whereas younger Son Naulig Ji temple is in Sangad village.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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1008 Mool Narayan Temple Jarti District bageshwar uttarakahnd. Now a days 9 days Navratras are going in this temple where villagers stay till 9 dyas in the temple and workshop for Mool Narayan Bhagwan ..



 

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