Author Topic: Ghansali,Mini Japan Of Uttarakhand,घनसाली,टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड का मिनी जापान  (Read 72142 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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घनसाली,शीर्षक पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि आखिर भारत के पर्वतीय राज्य उत्तराखंड  के सुदूरवर्ती अंचलों में मिनी जापान कैसे बस सकता है, लेकिन यह बिल्कुल  सच है। यह सही है कि इन गांवों में एक भी जापानी नहीं रहता है। इसके  बावजूद इलाके में ये गांव 'मिनी जापान' के नाम से ही जाने जाते हैं।

  दरअसल  इन गांवों के कमोवेश हर घर से कम से कम एक सदस्य जापान में नौकरी कर रहा  है। ऐसे में जापानी मुद्रा 'येन' की बदौलत दूरस्थ होने के बावजूद आज इस  गांव में कई आलीशान दो मंजिला पक्के मकान हैं। गांव में बिजली नहीं है,  लेकिन हर घर में सौर ऊर्जा उपकरण लगे हैं। इनसे ग्रामीणों की रातें रोशन  होती हैं।   

 खास बात यह है कि इस गांव के अधिकांश युवाओं का सपना भी  पढ़-लिखकर जापान जाने का ही रहता है। टिहरी जनपद के भिलंगना विकास खंड का  हिंदाव क्षेत्र, शिक्षा, बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह  वंचित है।    इसके बावजूद यहां के गांवों में मौजूद सुख-सुविधाएं ऐसी  हैं कि बड़े-बड़े शहरों को भी मात दे दें।

सड़क मार्गो से काफी दूर खड़ी चढ़ाई  पार करने के बाद इन गांवों को देखकर यकीन ही नहीं होता कि ये दूरस्थ  क्षेत्रों के गांव हैं। इन गांवों की समृद्धि की कहानी शुरू हुई करीब दो  दशक पूर्व जब रोजगार की तलाश में यहां के कुछ युवा शहरों की ओर गए।    खास  बात यह रही कि उन्होंने नौकरी के लिए सीधा जापान का रुख किया और बस गांव  की तस्वीर बदलनी शुरू हो गई।

आज पट्टी हिंदाव क्षेत्र के ग्राम सरपोली,  पंगरियाणा, भौंणा, लैणी, अंथवालगांव आदि गांवों में लगभग हर घर से कम से  कम एक सदस्य जापान मे है। इनमें से अधिकांश वहां होटल व्यवसाय से जुड़े हुए  हैं।    गांव के अधिकतर लोगों का जापान में होने का असर यहां की  आर्थिकी पर भी पड़ा। आज पट्टी के सभी गांवों में सीमेंट के पक्के आलीशान  भवन बने हुए हैं।

इनमें न केवल आधुनिक सुख-सुविधाएं हैं, बल्कि मनोरंजन के  सारे साधन मौजूद हैं। खास बात यह है कि जब क्षेत्र के अधिकांश गांवों में  बिजली पहुंची ही नहीं थी, तब इन गांवों के लोगों ने अपने खर्चे पर सौर  ऊर्जा उपकरण लगवा लिए।    जापानी मुद्रा यानी येन की बदौलत ये गांव  अन्य गांवों के मुकाबले सुविधा संपन्न हो गए। सरपोली के ग्राम प्रधान  कुंदन सिंह कैंतुरा कहते हैं कि विदेश में बसे लोगों ने गांवों की तस्वीर  बदल दी, लेकिन सड़क व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं जुटाने को प्रयास किए  जाने की जरूरत है। 

  500 विदेशी खाते हैं घनसाली स्टेट बैंक में जनपद  टिहरी की भारतीय स्टेट बैंक की घनसाली शाखा में 500 बैंक खाते ऐसे हैं, जो  विदेश से संचालित होते हैं। यही वजह है कि स्टेट बैंक आफ इंडिया [एसबीआई]  घनसाली का सालाना टर्नओवर बैंक की अन्य शाखाओं से अधिक है।

 बैंक के शाखा  प्रबंधक एमआर सिंह गिल बताते हैं कि सबसे अधिक खाते सरपोली गांव के लोगों  के हैं। जापानी मुद्रा आने के कारण यहां गांवों की तकदीर बदली है।

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घनसाली कस्बा भिलंगना नदी के तट पर बसा हुवा है


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ये पुल जोड़ता है घुत्तु और चमियाल को घनसाली से


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ये हैं घनसाली के जापानियों होटले और इमारतें


jagmohan singh jayara

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जाखी जी,
 
मिनी जापान  सुना ही था, आपकी कैद की हुई तस्वीरों में देख भी लिया.   गाड में अपनी  माइक्रो जल विद्युत् यूनिट लगाकर  वहां के लोग अपने  गाँव  रोशन कर रहे  हैं.
 
     पहाड़ के जितने भी लोग दूर देशों में हैं अगर वे "पहाड़ के पर्यटन" की जरूरत के अनुसार होटल खोलें तो "सोने  पे सुहागा".  पहाड़ का विकास पहाड़ के लोग ही करें तो अच्छा.....पहाड़ की आर्थिकी पर पकड़ पहाड़ के लोगों की होनी चाहिए.   पहाड़ की संस्कृति फलेगी फूलेगी और पहाड़ी समृधि की ओर अग्रसर होगा...

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जयाडा जी नमस्ते ,मैं बिलकुल आप से सहमत हूँ ,ये सभी लोग नहीं सोचते हैं जी कुछ लोग ऐसे भी हैं जो की दुसरे लोगों को दिखने के लिय भी ये सब करते हैं की वो जापान और अमेरिका रहते हैं तो चलो अपने गाँव मैं होटल खोले चाहे वो होटल चले या न चले उनको तो बस दिखाना है

और दूसरी बात ये है की यहाँ जो भी होटल हैं ये सब पहाड़ियों के ही हैं ना की जापानियों के ,जायाडा जी यहाँ के लोग जापान मैं रहकर ये सब कर रहे हैं !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Excellent Information Jakhi Ji. No doubt Ghansali is a beautiful place of our Devbhoomi.

Here is another photo of way to Ghansali taken by Pradeep Kothiyal.


 

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