काशीपुर ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व वाला नगर है। कहा जाता है कि इसका इतिहास रामायण काल जितना पुराना है। हैवर ने लिखा है कि लगभग 5000 वर्ष पूर्व काशीपुर नगर हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल था। चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी अपने यात्रा वृतान्त में इसे 'गोविशन' के रूप में वर्णित किया है। लिखा है कि पहाड़ का राजा यहां शहर में रहता है। यहां पर उसके पहाड़ से तात्पर्य कुमाऊं से रहा है, क्योंकि चन्द राजाओं ने अपनी राजधानी काशीपुर भी बनाई थी। वर्तमान में चन्द राजाओं के वंशज राजा करन चन्द सिंह (के०सी०सिंह "बाबा") भी यहीं निवास करते है, यहां पर राजमहल भी है।
ऐसा माना जाता है कि प्रसिद्ध द्रोण सागर का नाम गुरू द्रोणाचार्य (महान धार्मिक ग्रन्थ महाभारत के अनुसार कौरवों तथा पाण्डवों को युद्ध कौशल सिखाने वाले गुरू) के नाम पर पड़ा है। वर्तमान काशीपुर की स्थापना पंडित काशीनाथ ने की थी जो कुमाऊँ के चन्दवंश के राजा देवी चन्द के यहां एक अफसर थे। रामचरितमानस के रचियता तुलसीदास एवं आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द जैसी हस्तियों ने भी काशीपुर में कुछ समय निवास किया और परमात्मा का संदेश लोगों तक पहुँचाया।