सहस्त्रधारा ,हरिद्वार से हिमालय के चरणस्पर्श कर हम थोडा और आगे चलते है. आगे राजाजी नेशनल पार्क पडता है. इस पार्क को राष्ट्रीय अभ्यारण्य का गौरव प्राप्त है. यहाँ आप जीप में बैठकर सैर कर सकते है जो वहीं किराये पर मिलती है. देहरादून की ओर चलते समय रास्ते पर आती है यह सहस्त्रधारा.
सहस्त्रधारा, एक सुंदर और प्राकृतिक धारा है. एक बार तो आपको इस जगह कोई खूबी तुरंत नज़र नहीं आएगी, पर यह पुरी जगह अपने आप में एक अजूबा है. एक पहाड़ी से गिरते हुए जल को एक प्राकृतिक तरीके से ही संचित किया गया है. कहा जाता है की यह जल गंधक मिश्रित होता है जिसके उपयोग से चमड़ी के दर्द ठीक हो सकते है. पर असली अजूबा यहाँ नही है.
यहाँ से थोडी दूर एक पहाड़ी पर है असली अजूबा. इस पहाड़ी के अंदर प्राकृतिक रूप से तराशी हुई कई छोटी छोटी गुफाएँ है, जो बाहर से तो स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती किंतु इन गुफा में जब प्रवेश करते है तो देखते हैं कि गुफाओं की छत से अविरत रिमझिम हल्की बारिश की बौछारें टपकती रहती है. बस यही सहस्त्रधारा है.
वहां कई लोग अपने पोलियो ग्रस्त बच्चों को गंधक के पानी में नहलाते है यह जगह छोटी सी है, जहाँ कुछ घंटे जरूर रुक सकते है. चाय पानी नाश्ते का भी सुचारु इंतज़ाम है. कुछ हस्तकला की चीजों की दूकाने भी है.
एक बात तो है कि हुनर और हस्तकला में हर राज्य की एक अपनी पहचान -विशेषता उभर कर सामने आती है.
यहां से तकरीबन ग्यारह किलोमीटर की दूरी पर उत्तरांचल की राजधानी देहरादून बसी हुई है. यहाँ कई महत्वपूर्ण संस्थाओं के मुख्यालय भी है. यहाँ का दून स्कूल जगविख्यात है जहाँ हमारे कई महानुभाव पढे हुए है.
हिमालय की गोद में बसा हुआ ये स्थल पर्यावरण के सुचारु रखरखाव की अच्छी मिसाल है. यह हरा भरा है, प्रदूषण से मुक्त है. यहाँ के चावल उसकी अनोखी खुशबू के कारण जगमशहूर है. यहां से मसूरी जा सकते है.