Author Topic: Tourism Related News - पर्यटन से संबंधित समाचार  (Read 62576 times)

पंकज सिंह महर

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नैनीताल। सरोवर नगरी में कई दिनों बाद बुधवार को दिन भर मौसम सुहावना बना रहा। जिससे पर्यटन गतिविधियां निर्वाध गति से चलती रहीं। सैलानियों ने नैनी झील में नौकायन के अलावा, स्नोभ्यू, टिफिन टाप, बारापत्थर जाकर प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाया और प्राणी उद्यान में वन्य जीवों को करीब से निहारा। इसके अलावा काफी संख्या में पर्यटकों ने केव गार्डन तथा रोप-वे के रोमांच का भी आनंद उठाया। दिन भर मौसम के साथ देने से माल रोड समेत तिब्बती मार्केट आदि में खूब रौनक रही। सायं 6 बजे से हल्के बादल छाने लगे और इसी के साथ सर्द हवा चलने लगी। बुधवार को नगर का अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम 16 डिग्री सेल्सियस रहा। आर्द्रता अधिकतम 100 व न्यूनतम 46 प्रतिशत रही।

पंकज सिंह महर

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नौगांव (उत्तरकाशी)। हिमालय की गोद में बसे चारधाम यात्रा के पहले पड़ाव यमुनोत्री धाम का हिंदू पुराणों में विशेष स्थान है। नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण यह क्षेत्र देश विदेश के सैलानियों को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित करता है। यमुनोत्री मंदिर के कपाट वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रृद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते है् और यह कपाट दीपावली के बाद यम द्वितीया को बंद हो जाते हैं। यहां का सूर्य कुंड पर्यटकों के आकर्षक का केंद्र है।

पौराणिक कथा के अनुसार यमुना जी यमराज की भगनी, सूर्य भगवान की पुत्री और भगवान कृष्ण की आठ पटरानियों में कालिंदी के नाम से प्रसिद्ध हैं। यमुना नदी का उद्गम स्थान यमुनोत्री कांठा के अंग में है। यमुना नदी के उद्गम स्थल में सप्तर्षि कुंड है, जहां ग्लेशियरों में पानी जमा रहता है। कहा जाता है कि बारह ऋृषि जो महादेव के साथ लंका से आए थे, यहीं के हिमालय में शिवजी की तपस्या करते थे और महावीर हनुमान भी इसी हिमालय की बंदर पुच्छ नामक चोटी पर तप करते थे, इसलिए इस नदी का नाम हनुमान गंगा प्रसिद्ध हुआ। यह नदी यमुना से खरसाली गांव के पास मिलती है। यमुनोत्री मंदिर के पंडे आज भी इसी गांव में निवास करते हैं। हिमालय की बुलंदियों के बीच घिरे संतोत्पथ बंदर पुच्छ केदार खंड रोहिणी कांठा ने इस पौराणिक स्थल को आर्कषक बना दिया है। यमुनोत्री का मुख्य आकर्षण यहां के गर्म पानी के कुंड हैं। उष्ण जल के स्त्रोत यमुनोत्री से 500 गज नीचे हैं और यहां पानी का तापमान 94.7 डिग्री रहता है। इस गर्म जल के आस पास की भूमि बराबर गर्र्मं रहती है, इसी कारण यहां की भूमि पर बर्फ नहीं टिकती। यमुनोत्री आने वाले तीर्थयात्री सर्वप्रथम गरम पानी के कुंड में स्नान कर यात्रा की पूरी थकान दूर करते हैं। पुरूष व महिलाओं के लिए अलग-अलग कुंड बनाए गए हैं। स्नान करने के पश्चात श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर तृप्त कुंड से थोड़ी ऊंचाई पर स्थित दिव्य शिला के दर्शन करते हैं। यहां से ठीक सामने उबलते पानी का सूर्य कुंड है, जिसमें पोटली में बंधे चावल डालकर यमुनोत्री के असली प्रसाद के रूप में उबले चावलों को ग्रहण किया जाता है।

पंकज सिंह महर

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उत्तरकाशी। गंगा के कलकल स्वरों के बीच वेद मंत्रों का उच्चारण में खोए विदेशी यहां की मिट्टी को तिलक रूप में धारण कर रहे हैं। भारतीय अध्यात्म की गहराइयों में उतरने के लिए विदेशी मूल के नागरिक अपनी वेशभूषा छोड़ गले में रुद्राक्ष व तुलसी की माला तक धारण कर रहे हैं।

शिवनगरी उत्तरकाशी से 22 किमी. दूरी पर स्थित कायाकल्प आश्रम इन दिनों विदेशी मूल के लोगों का प्रिय स्थान बना हुआ है। आश्रम में तीन जून तक श्री दस महाविद्या महायज्ञ आयोजित हो रहा है। यज्ञ में विदेशी मूल के महिला व पुरुषों का चिंतन ही बदला हुआ नजर आ रहा है। श्वेत वस्त्र गले में रुद्राक्ष व हाथों में गोमुखी के भीतर तुलसी की माला जपती मॉटिन ली बताती है कि वह सुबह चार बजे उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद सुबह सात बजे तक गुरु मंत्र का माला से जप करती है। यज्ञ व आरती अभी वह सीख रही हैं। इंग्लैंड मूल के सोनल मारगेट दस महाविद्या यज्ञ में आहुतियां दे रहे हैं। संस्कृत का उन्हें ज्ञान नहीं है, लेकिन स्वाहा की ध्वनि उच्चारित होते ही वह भी स्वाहा का उच्चारण कर यज्ञ में होम कर रहे हैं। मॉटिन ली, मारगेट समेत फ्रांस, जर्मनी, समेत अन्य स्थानों से भी विदेशी मूल के नागरिक दस महाविद्या महायज्ञ में भाग ले रहे हैं और सभी विदेशी नागरिकों का यही कहना है कि यहां से लौटते वक्त वे न सिर्फ गंगा जल ले जाएंगे बल्कि यज्ञ प्रसाद के रूप में रुद्राक्ष माला, चंदन टीका समेत अन्य प्रतीक अपने देश ले जाएंगे जहां इसे लोगों में बांटकर वे भारतीय अध्यात्म की चर्चा करेंगे।

पंकज सिंह महर

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उत्तरकाशी। गंगा के पवित्र तट पर कुमाल्टी में चल रहे दस महाविद्या महायज्ञ में दस देवी मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। तांत्रिक चंद्रास्वामी की उपस्थिति में पायलट बाबा व उनके शिष्यों ने सोमवार को तारा देवी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की।

कायाकल्प आश्रम कुमाल्टी में इन दिनों अध्यात्म का सैलाब उमड़ा हुआ है। 24 जून से शुरू हुए इस महायज्ञ के तीसरे दिन तारा देवी की प्राण प्रतिष्ठा की गई। विशेष पूजा अर्चना व देवी भागवत की कथा के साथ विभिन्न प्रांतों से आए पायलट बाबा के अनुयायियों सहित विदेशी मूल के नागरिकों ने भी देवी का अभिषेक व पूजन किया। वैदिक मंत्रों के बीच शंख व घंटा नाद के साथ हुई पूजा से गंगा तट पर अध्यात्म की बयार बह रही है। तीन जून तक चलने वाले इस यज्ञ में षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, बंगलामुखी, मातंगी, कमला व भुवनेश्वरी देवी की प्राण प्रतिष्ठा होगी। प्रतिदिन एक देवी का पूजन किया जा रहा है। पायलट बाबा ने कहा कि कुमाल्टी गंगा तट पर सभी तीर्थो की स्थापना के बाद पूरा स्थान दिव्य बन जाएगा जहां प्रवेश करते ही मानव अध्यात्म के सरोवर में अपने को भूल जाएगा। संत गोपालमणि ने अपने कथा प्रवचन में कहा कि दस महाविद्या के नाम का उच्चारण मात्र शुभ फलदायक है। उन्होंने दस महाविद्या रहस्य के विषय में बताया कि शंकर के पार्वती को दक्ष यज्ञ में जाने से मना करने पर पार्वती ने शिव को अपने दस रूपों के दर्शन करवाएं। जिससे शिव भी भयभीत हो गए और उन्हें पार्वती को आज्ञा देनी पड़ी।

पंकज सिंह महर

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उत्तरकाशी। प्राकृतिक सुंदरता से लबालब उत्तरकाशी जनपद में साहसिक खेलों एवं पर्यटन की संभावनाओं को विकसित करने के लिए विभिन्न जिला योजना से 1 करोड़ 32 लाख 44 हजार रुपए खर्च होंगे।

जिलाधिकारी आर मीनाक्षी सुंदरम की अध्यक्षता में जिला पर्यटन सलाहकार समिति की बैठक बताया गया कि जिला योजना में ठोस प्रस्ताव पारित कर पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। साहसिक खेलों के लिए 16 लाख 67 हजार में से 3 लाख 50 हजार की धनराशि में 120 युवाओं को एडवेंचर फाउंडेशन कोर्स, 2 लाख 85 हजार में रीवर राफ्टिंग कोर्स, 1 लाख 25 हजार में पैरासेलिंग कोर्स, 3 लाख में नए ट्रेक मार्गो का सर्वे के साथ ही शीत कालीन क्रीड़ा पर 2 लाख 82 हजार रुपए खर्च किए गए। जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद के युवाओं के लिए कृत्रिम रॉक क्लाइबिंग स्पर्धा जिला स्तर पर आयोजित की जाएगी। बैठक में गंगोत्री क्षेत्र के विधायक गोपाल रावत व यमुनोत्री क्षेत्र के विधायक केदार सिंह रावत ने कहा कि जिले के पर्यटन विकास के लिए जिला, राज्य व केंद्र स्तर एवं बाहरी सहायतित योजनाओं के लिए प्रस्ताव भेजे जाएं।

पंकज सिंह महर

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श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। श्री बदरीनाथ केदारनाथ धामों की यात्रा पर आने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। यात्राकाल शुरू हुए तीन सप्ताह हो चुके हैं। अब तक चार लाख से अधिक श्रद्धालु बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिर के दर्शन कर चुके हैं, जिससे चढ़ावे के रूप में अब तक मंदिर समिति को लगभग पौने तीन करोड़ रुपये भी प्राप्त हो चुके हैं।

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट ने बताया कि इन तीन सप्ताहों में ही श्री बदरीनाथ धाम में अब तक ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं, जिनसे मंदिर समिति को पौने दो करोड़ रुपये की आय हुई। डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु अब तक केदारनाथ पहुंच चुके हैं। मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी द्वारा तीर्थ धामों में तेजी से बढ़ रहे कंक्रीट के जंगलों पर रोक लगाने का हार्दिक स्वागत करते हुए मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह बहुत उचित व व्यवहारिक निर्णय है। धामों के पुरातन स्वरूप और क्षेत्र में होने वाली भू-गर्भीय हलचलों को देखते हुए कंक्रीट के जंगलों पर रोक लगनी भी जरूरी है। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि एक बैठक कर मंदिर समिति के अध्यक्ष ने मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी भागवत किशोर मिश्र से श्री बदरीनाथ महायोजना 2025 की रिपोर्ट पर विचार कर विस्तार से जानकारी भी ली। गौरीकुंड के निकट लगातार लग रहे वाहनों के जाम से यात्रियों को निजात दिलाने के लिए मंदिर समिति के अध्यक्ष ने रुद्रप्रयाग प्रशासन से भी वार्ता की है। उन्होंने कहा कि गौरीकुंड व उसके आसपास सड़क पर वाहनों को पार्किंग करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।

पंकज सिंह महर

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रुद्रप्रयाग। बद्री-केदार का मुख्य पड़ाव स्थल रुद्रप्रयाग के साथ ही यात्रा मार्ग के मुख्य पड़ाव स्थलों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यहां नियमित सफाई व्यवस्था न होने से कूडे़दान गंदगी से अटे पडे़ है। इससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

यहां नियमित सफाई न होने से कूडे़ दान में कई दिनों से गंदगी अटी पड़ी है, लेकिन नगरपालिका इसे ओर ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में इन स्थानों पर आवाजाही करना काफी मुश्किल हो रहा है, साथ ही गंभीर बीमारी का खतरा भी पैदा हो गया। केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड में भी यात्रियों की संख्या में बढ़ने के साथ ही गंदगी का अंबार लग गया है। शौचालयों की व्यवस्था न होने के कारण मजदूर शौच के लिए मंदाकिनी नदी में जा रहे है। साथ ही यहां पालिथीन व अन्य कचड़ा बड़ी संख्या में होने से स्थिति बेकाबू हो गई है। घोड़ा पड़ाव में तो गंदगी का अंबार लगा है। घोड़े की लीद से पूरा अटा पड़ा है, ऐसे में यहां यात्रियों का चलना दुश्वार हो गया है। व्यापार संघ गौरीकुंड के अध्यक्ष महेश बगवाड़ी, दिनेश कुर्वाचली समेत कई लोगों ने कस्बे में सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है। केदारनाथ के मुख्य पड़ाव स्थल गुप्तकाशी में नियमित सफाई व्यवस्था न होने से यात्रियों को गंदगी से दो चार होना पड़ रहा है। मुख्य बाजार के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंदगी अटी पड़ी है, लेकिन सफाई व्यवस्था न होने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड की खूबसूरत लोकशन का सानी नहीं: हेमा मालिनीJun 03, 12:21 am

नई टिहरी (टिहरी गढ़वाल)। ड्रीम गर्ल के नाम से मशहूर अदाकारा हेमा मालिनी का मानना है कि खूबसूरत लोकेशन के मामले में उत्तराखंड का कोई सानी नहीं है। टिहरी झील को बेहद आकर्षक बताते हुए उन्होंने कहा कि यह भविष्य में बड़े परदे पर नजर आ सकती है।

उत्तरकाशी से वापस लौटते हुए हेमा मालिनी ने जनपद मुख्यालय के वन चेतना केंद्र में रात गुजारी। यहां के रमणीक दृश्य को देखकर वह अभिभूत नजर आई। बालीवुड की स्वप्न सुंदरी हेमा मालिनी ने जागरण से बातचीत में उत्तराखंड को स्वर्ग बताते हुए कहा कि इसकी खूबसूरत लोकेशन उन्हें यहां खींच लाती है। यदि राज्य में आधारभूत सुविधाएं बढ़ें तो निश्चित ही यहां की लोकेशन बड़े पर्दे पर नजर आएंगी। उन्होंने कहा कि इससे राज्य में पर्यटन व्यवसाय को लाभ मिलेगा। इसकी लोकेशन डल झील से कहीं अधिक खूबसूरत है। राज्य में अपने करीब एक सप्ताह के प्रवास को हेमा ने जिंदगी में नई उर्जा देने वाला बताया। उनका कहना था कि देवभूमि में कदम रखते ही अलग किस्म की अनुभूति होती है। यही कारण है कि शहर की भाग-दौड़ भरी जिदंगी से फुरसत के पल निकालकर लोग उत्तराखंड का रुख करते हैं। देवभूमि में फिर आने का वादा कर उन्होंने यहां से विदा ली।

हेम पन्त

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देहरादून। सब कुछ ठीक-ठाक चला, तो वर्ष 2009 की शुरुआत में दक्षिण-एशिया के कई देशों से साहसिक खेलों के महारथियों की भीड़ उत्तराखंड की हसीन वादियों का रुख करेंगी। राज्य में प्रस्तावित सैफ विंटर गेम्स की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। औली की बर्फीली ढलानों को जहां अंतर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक तैयार किया जा रहा है, वहीं आइस स्केटिंग हॉल भी तकरीबन बनकर तैयार है। गढ़वाल मंडल विकास निगम का दावा है कि फरवरी 2009 तक सभी काम पूरे कर लिए जाएंगे।

उत्तराखंड के लिए सैफ विंटर गेम्स की मेजबानी न सिर्फ गौरव की बात है, बल्कि यह सूबे के पर्यटन व्यवसाय के लिए भी एक मेगा इवेंट साबित होगा। एलपाइन सलालम, ज्वाइंट सलालम व क्रास कंट्री के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक औली में 800 मी. लंबा बर्फीला स्लोप तैयार हो रहा है। आइस स्केटिंग के लिए 40 लाख रुपये की लागत से स्केटिंग हॉल बनकर तैयार है, जिसमें अब केवल सिटिंग एरेंजमेंट होना बाकी है। इसके अलावा यहां कृत्रिम बर्फ बनाने वाली 10-15 स्नो-गन भी लगाई जानी हैं, जिन पर करीब 3-4 करोड़ खर्च का अनुमान है।

साथ ही, विशेषज्ञों की देखरेख में पानी की एक बड़ी झील भी बनाई जाएगी। गढ़वाल मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक डीएल शाह ने बताया कि निगम को वीआईपीज के लिए ठहरने, ट्रांसपोर्टेशन, कैटरिंग के अलावा कांफ्रेंस हॉल व रेस्तरां बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। उनका दावा है कि यह तमाम व्यवस्थाएं फरवरी 2009 तक पूरी कर ली जाएंगी, ताकि विंटर गेम्स समय पर शुरू हो सकें।


पंकज सिंह महर

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कार्बेट के बिजरानी जोन में पर्यटकों की गहमागहमी

रामनगर (नैनीताल)। कार्बेट नेशल पार्क का ढि़काला पर्यटन जोन बंद हो जाने के बाद भी पर्यटकों के आने का सिल-सिला जारी है। कार्बेट के बिजरानी एवं झिरना पर्यटन जोन में पिछले दो दिनों से पर्यटकों की गहमागहमी बनी रही।
कार्बेट पार्क घूमने की पर्यटकों तीव्र इच्छा का अनुमान इसी से लग जाता है कि वह प्रात: पांच बजे से ही स्वागत कक्ष के बाहर लाईन बनाकर खडे़ दिखाई दे जाते है। गौर तलब है कि कार्बेट का बिजरानी पर्यटन जोन 30 जून तक केवल दैनिक भ्रमण के लिए खोला गया है। पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बिजरानी में रात्रि विश्राम को फिलहाल बंद किया गया है। कार्बेट टाईगर रिजर्व के निदेशक राजीव भरतरी ने बताया कि जिस तरह से बारिश रोजाना तेज हो रही है उससे बिजरानी के मार्ग सुरक्षित रहने की संभावना कम है। यदि रोजाना ऐसी ही तेज बारिश हुई तो बिजरानी पर्यटन जोन को तीस जून से पहिले बंद किया जा सकता है।

 

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