ये मन्दिर ताल की भगवती का है, यहाँ मन्दिर भी बिस्वनाथ घाटी (अखोडी) के रस्ते में ही पढता है .इस मन्दिर की भी प्राचीन कहानी है .. लोग कहते है की यहाँ पर प्राचीन काल में मनुष्य की बलि चढाई जाती थी .. १ टाइम एसा आया की १ औरत का १ ही लड़का था .
.और उस टाइम उसकी बारी थी तो ओ अपने बेटे को बलि चढाने के लिए सजा रही थी तो १ साधू उसके घर में आया तो ओ ओंरत रो रही थी तो साधू ने पूछा की बेटी क्यो रो रही हो तो औरत ने सारी अपनी बय्था उसे सुना दी ..तो साधू ने बोला ठीक है बेटी तुम इस लड़के को वहां ले चलो में तुमारे साथ वहां चलता हूँ तो ओ लोग वहां पर पहुंचे तो ताल की भगवती पराकट हो गई ..तो साधू बोला की हे !
माँ तुम इस लड़के के बदले में कुछ भी ले लो में देने को तैयार हूँ तो देवी ने कहा की ठीक है तुम मेरे को आज से Asht बलि (८ बलि ) देना ,, तो उस दिन से devi को ८ बलि चढाई जाती है .. लेकिन कुछ सालो से आज देवी माँ पूजा पाठ में ही संतुष्ट है !