Author Topic: Dehradun Capital of Uttarakhand-देहरादून, उत्तराखण्ड की राजधानी(अस्थाई)  (Read 41849 times)

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कलंगा स्मारक,देहरादून

देहरादून-सहस्त्रधारा मार्ग पर स्थित यह स्मारक ब्रिटिशों और गोरखाओं के बीच 180 वर्ष पहले हुए युद्ध में बहादुरी की गाथाएं याद दिलाता है।
रिसपाना नदी के किनारे पहाड़ी पर 1000 फुट की ऊंचाई पर बना यह स्मारक गढ़वाली शासकों के इतिहास को दर्शाता है।

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मिन्ड्रोलिंग स्तूप,देहरादून


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कालसी

यह यमुना और उसकी सहायक टोंस के संगम पर स्थित है। यह देहरादून से लगभग 56 किलोमीटर दूर है। कालसी में दून घाटी के कुछ बेहद लुभावने दृश्य हैं। यह जगह बाहर घूमने फिरने और दोस्तों तथा परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए आदर्श है।

यहां पक्षियों के बीच गाड़ी चलाने और शांत परिवेश में घूमना अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। कालसी सम्राट अशोक के गौरव का भी गवाह है। तीसरी सदी ईसा पूर्व यह शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य के प्रभाव के तहत सबसे दूर की जगह थी। यह जगह अशोक के पत्थर के शिलालेख के लिए भी प्रसिद्ध है।

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ओशो संस्थान, देहरादून


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लच्छीवाला,Dehradun



यह बेहद ही खूबसूरत पिकनिक स्थल है। डोईवाला से इसकी दूरी सिर्फ 3 किलोमीटर है। सोंग नदी के किनारे स्थित लच्छीवाला राजाजी नेशनल पार्क का विस्तार है और यह 12 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र पर फैला है।

यह स्थल बच्चे और वृद्धों में काफी लोकप्रिय है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि यह बहुत ही सस्ता है और यहां पर हर तरह की आर्थिक स्थिति वाले लोग घूमने-फिरने का आनंद ले सकते हैं।

यहां पर आप नौकायन का मजा ले सकते हैं। नौकायन का आनन्द लेने के लिए मामूली रकम अदा करनी पडे़गी। क्योंकि देय धनराशि पाँच रूपये में परिवर्तन समय के स्वाभविक हैं। हालांकि यहां पर सालों भर सैलानियों की भीड़ रहती है, लेकिन छुट्टियों के दिनों में यह भीड़ और बढ़ जाती है।

यह पिकनिक स्थल शीत ऋतु (1 अक्टूबर से 31 मार्च तक) में सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता है, जबकि गर्मी के मौसम (1 अप्रैल से 30 सितम्बर) में इसके खुलने का समय 8 बजे सुबह से 6 बजे शाम तक है।

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गुच्छुपानी

पिकनिक के लिए एक आदर्श स्थान रॉबर्स केव सिटी बस स्टेंड से गढ़वा केंट होते हुए अनारवाला में स्थित केवल 8 कि.मी. पर स्थित है। हरिद्वार-ऋषिकेश मार्ग पर लच्छीवाला-डोईवाला से 3 कि.मी. और देहरादून से 22 कि.मी. दूर है। सुंदर दृश्यावली वाला यह स्थान पिकनिक-स्पॉट है।

यहाँ हरे-भरे स्थान पर फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में पर्यटकों के लिए ठहरने की व्यवस्था है। बसें अनारवाला गांव तक जाती है जहाँ से यहाँ पहुँचने के लिए एक किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है।

 कई सारी विशेषताओं में से एक जो इसे अत्यंत लोकप्रिय जगह बनाती है, वह है धरती के नीचे से पानी की धारा का बहना और फिर कुछ मीटर की दूरी पर उसका प्रकट हो जाना। यह गुफा भी चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरी है और यह आत्मिक और मानसिक शांति की तलाश में जुटे व्यक्ति के लिए यह एक बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराता है।

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राफ्टिंग व ट्रैकिंग,देहरादून

देहरादून के पास गंगा के तेज़ बहाव में राफ्टिंग की जाती है। कौडियाला और ऋषिकेश के बीच ३६ किलोमीटर के विस्तार पर १० महीनों के लिए १ सितंबर से ६ जून तक रैफ्टिंग का मज़ा लिया जा सकता है। लेकिन इसके लिए पर्यटन विभाग की कुछ शर्तों को पूरा करना होता है। ये शर्ते स्वास्थ्य और प्रशिक्षण से संबंधित होती हैं।


शहन्शाही आश्रम से मसूरी के लिए ट्रेकिंग का सुंदर मार्ग है। शहंशाही से पैदल रास्ता शुरू होता है और झारी-पानी पर समाप्त होता है। यह एक सुन्दर चढा़ई है जो लगभग 4-5 किलोमीटर की दूरी को 2-3 घण्टे में पूरा करती है। पूरा रास्ता पिक्चर महल की तरफ, जो मंसूरी से सात किलोमीटर दूर है जाता है। ऊपर जाने में पथरीला रास्ता और हरियाली है। जैसे जैसे ऊपर बढ़ते हैं हवा ठंडी और ताजी होती जाती है।

रूकना और साँस लेना, चारो ओर देखना अच्छा लगता है। यदि इस रास्ते से गर्म मौसम में जाना हो तो पीने के पानी की बोतल साथ लेकर जाना ठीक रहेगा। एक रास्ता पुराने राजपुर गाँव से भी मसूरी की ओर जाता है। यदि पैदल चलने का आन्नद लेना है तो यह पैदल चलने का ठीक मार्ग है। मुख्य राजपुर सडक के अन्त में, पुराना राजपुर गाँव जहाँ पर तिब्बती, पंजाबी, गढवाली मूल के लोग रहते है।

लगभग 2 किलोमीटर दूर राजपुर गाँव या डाकपट्टी एक ढा़ल पर है। मशहूर राजपुर 'पकोडे वाले' की दुकान से चढाई की शुरूवात होती है और थोडी दूर चलने पर मोड के पास सुन्दर पुरानी इमारतें दिखाई देती है।

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फन वैली,देहरादून

देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार के नजदीक स्थित यह पार्क अपने आप में खास है। इस पार्क में बच्चे लेजी रीवर, मल्टीपल वाटर स्लाइड, किड्स पुल और वाटर डिस्को का आनंद ले सकते हैं।

इस मनोरंजन पार्क में रेसिंग कार, ड्रेगन कोस्टर, मिनी ट्रेन और क्वाइन गेम्स की सुविधाएं मौजूद हैं। यहां पर विवाह, जन्म दिन पार्टी, कॉर्पोरेट सम्मेलन व सेमिनार आयोजित करने की विशेष व्यवस्था है और इस पर छूट भी मिलती है। लक्ष्मण सिद्ध मंदिर : लच्छीवाला के घने वन में स्थित यह मंदिर आध्यात्मिक प्रवृति वाले पर्यटकों में बहुत ही लोकप्रिय है। सुसवा नदी के किनारे स्थित इस मंदिर के आसपास का दृश्य काफी मनोरम है। हर रविवार को यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है।

प्रत्येक साल के अप्रैल महीने के अंतिम रविवार को यहां मेला का आयोजन होता है और मुफ्त में भोजन बांटा जाता है। इस अवसर पर लाखों लोग जुटते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ब्राह्म हत्या के दोष से छुटकारा पाने के लिए भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने यहीं पर तपस्या की थी।
नीलकंठ माधव मंदिर, डोईवाला

नीलकंठ माधव मंदिर : स्थानीय लोगों का मानना है कि पहले यहां पर एक नागराज मंदिर था। लगभग 300 साल पहले जाखन नदी से लाया गया शिवलिंग यहां स्थापित किया गया।

इस अवसर पर यज्ञ हुआ और यहां पर शिव मंदिर का निर्माण हुआ। यज्ञ के समय 11 गाय दान के रूप में दी गईं। यह मंदिर 9 एकड़ क्षेत्र में है।

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फन एंड फूड किंगडमः

यह घंटाघर से 11 किलोमीटर की दूरी पर प्रेम नगर के कौलागढ़ में स्थित है। यह इस क्षेत्र के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक है।

 कुछ बेहतरीन वाटर गेम्स और लुभावनी प्रकृति परिवार के साथ यहां मौज-मस्ती के लिए प्रेरित करती है। फन एंड फूड ने अपने आप को देहरादून के आसपास एक बेहतरीन आकर्षण के रूप में खुद को स्थापित किया है।

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देहरादून के विश्व प्रशिध बासमती चावल



बासमती  भारत की लम्बे चावल की एक उत्कृष्ट किस्म है। इसका वैज्ञानिक नाम है ओराय्ज़ा सैटिवा। यह अपने खास स्वाद और मोहक खुशबू के लिये प्रसिद्ध है। इसका नाम बासमती अर्थात खुशबू वाली किस्म होता है। इसका दूसरा अर्थ कोमल या मुलायम चावल भी होता है। भारत इस किस्म का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसके बाद पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश आते हैं।

पारंपरिक बासमती पौधे लम्बे और पतले होते हैं। इनका तना तेज हवाएं भी सह नहीं सकता है। इनमें अपेक्षाकृत कम, परंतु उच्च श्रेणी की पैदावार होती है। यह अन्तर्राष्ट्रीय और भारतीय दोनों ही बाजारों में ऊँचे दामों पर बिकता है।

बासमती के दाने अन्य दानों से काफी लम्बे होते हैं। पकने के बाद, ये आपस में लेसदार होकर चिपकते नहीं, बल्कि बिखरे हुए रहते हैं।

 यह चावल दो प्रकार का होता है :- श्वेत और भूरा। कनाडियाई मधुमेह संघ के अनुसार, बासमती चावल में मध्यम ग्लाइसेमिक सूचकांक ५६ से ६९ के बीच होता है , जो कि इसे मधुमेह रोगियों के लिये अन्य अनाजों और श्वेत आटे की अपेक्षा अधिक श्रेयस्कर बनाता है।

 

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