Author Topic: Dehradun Capital of Uttarakhand-देहरादून, उत्तराखण्ड की राजधानी(अस्थाई)  (Read 41910 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
देहरादून की अर्थ व्यवस्था

देहरादून नगर का पिछले २० सालों में तेज़ विकास हुआ है। इसकी शैक्षिक पृष्ठभूमि और अंतर्राष्ट्रीय आय के कारण यहाँ प्रति व्यक्ति आय १८०० डॉलर है जो सामान्य भारतीय आय ८०० डॉलर से काफ़ी अधिक है। महानगर की ओर विकास के चरण बढ़ाते हुए इस नगर को देखना एक सुखद अनुभूति है। सॉफ्टवेयर टेक्नॉलॉजी पार्क (STPI) की स्थापना[१७] और स्पेशल इकोनॉमी ज़ोन (SEZ) के विकास के साथ ही यह नगर व्यापार और प्रौद्योगिकी के पूर्ण विकास की ओर बढ़ चला है।



यहाँ एक विशेष औद्योगिक पट्टी का विकास किया गया है जिसके कारण देश विदेश के अनेक प्रमुख उद्योगों की अनेक इकाइयाँ यहाँ स्थापित होकर नगर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। कंपनियों को दिये गए विभिन्न कर लाभ देहरादून के विकास में उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। दिल्ली से देहरादून तक बने बेहतर राजमार्ग के कारण यातायात की सुविधा बढ़ी है और आने वाले दिनों में बेहतर अर्थ व्यवस्था की आशा की जा सकती है।

 देहरादून मधु, फलों से बने शरबत, प्राकृतिक साबुन, तेल और शैम्पू जैसे कुदरती और जैविक उत्पादों के लिए भी मशहूर है। बासमती चावल का निर्यात यहाँ का एक प्रमुख उद्योग है। इसके अतिरिक्त यहाँ से फूलों और फलों का निर्यात भी होता है। स्थानीय स्तर पर कीमती चाय की खेती भी यहाँ होती है।

क्वालिटी टॉफ़ी के नाम से प्रसिद्ध भारत का पहला टॉफी का कारखाना भी यहाँ लगाया गया है। आज भी वह यहाँ स्थित है। हाँलाँकि आज बहुत सी कंपनियाँ तरह तरह की टॉफ़ियाँ बनाने लगी हैं और सब यहाँ मिलती हैं पर क्वालिटी टॉफी का आकर्षण अभी है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
देहरादून के पर्व और उत्सव

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, मेलों और त्यौहारों का हिस्सा है। मेले और त्यौहार बडे़ उत्साह के साथ निरन्तर रूप से मनाये जाते है।

 मेले और त्यौहार यहाँ के स्थानीय लोगों के आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध करते है। बहुत से मेले और त्यौहार भिन्न प्रकृति और रंगो के है। गढवाल को त्यौहारों की भूमि कहा जाता है। कुछ मेले जो पूरी तरह से क्षेत्र में लोकप्रिय है

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
1-झण्डा मेला,देहरादून



यह इस क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय मेलो में से एक है जो हिन्दू, सिख और मुस्लिम संस्कृति को प्रदर्शित करता है और स्पष्ट रूप से बहुसंख्यक प्रकृति का प्रतीक है। वार्षिक झण्डा मेला गुरू रामराय जो दून घाटी में सातवें सिख गुरू हर राय के सबसे बडे़ बेटे के आने से शुरू हुआ है। यह चैत्र माह की पंचमी से (होली से 5 दिन बाद) शुरू होता है, यह गुरू रामराय का जन्मदिन है। यह सम्वत् 1733 (1676 ई0) की चैत्र वदी की पंचमी को दून में उनके आगमन से है।.

प्रत्येक वर्ष देहरादून में श्री गुरू रामराय दरबार के आँगन में पवित्र मूर्ति को उठाया जाता है, जहाँ गुरू ने अपना डेरा स्थापित किया था। भक्तों का बहुत बडा समूह पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलो, उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश से लोग इस विशेष अवसर पर हिस्सा लेने आते है। भिन्न-भिन्न आयु के बच्चे, औरते तथा पुरूषो के समूह इस मेले में हिस्सा लेते है, उसे संगत कहते है, एकादशी को गुरू रामराय दरबार का महन्त रायवाला हरियाणा में यमुना किनारे (45 किलोमीटर दूर) संगत को आमन्त्रित और स्वागत करने जाता है।

पवित्र मूर्ति (झण्डा जी) की पूजा की जाती है। और सुबह को नीचे उतारा जाता है। उसके पुराने वस्त्र स्कार्फ, रूमाल हटाये जाते है। मूर्ति (मास्ट) को दूध, दही और गंगा के पवित्र पानी में स्नान कराया जाता है और सजाया जाता है। मूर्ति को फिर से नये वस्त्रों स्कार्फ, रूमालों से ढका जाता है। मजबूत रस्सी में बाँध कर मूर्ति को ऊपर उठाते है। झण्डा उठाने की रस्म कुछ घण्टों तक की जाती है।

झण्डा का ऊपर उठाना आकर्षक और स्मरणीय है। महन्‍त इस रंगपूर्ण और पवित्र सजे हुऐ झण्डे को दोपहर बाद उठाता है। दरबार साहिब के सामने सरोवर (तालाब) में गोता लगाने के बाद हजारों भक्त घण्टों झण्डा साहिब के दर्शन के लिये इकट्ठा होने लगते है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों और समुदायों से इस अवसर पर लोग आमन्त्रित होते है। भिन्न-भिन्न समाज के लोग दरबार साहिब में सेवा करते है।

 दरबार साहिब में लोगों के खाने और सोने का प्रबन्ध किया जाता है। भोजन बनाया जाता है और भिन्न-भिन्न समुदायों की रसोइयो (लंगर) का प्रबन्ध किया जाता है। लंगर के समय संगत की जाती है। महन्‍त विशेष प्रार्थना करता है। और पवित्र प्रसाद बाँटता है।

 दरबार साहिब का महन्त शहर के चारों ओर जलूस का नेतृत्व करता है। जिसमें हजारो भक्त उस पवित्र परिक्रमा में सम्मिलित होते है जो सप्तमी को होती है। संगत अष्टमी के दिन उनकी प्रसन्नता के लिये प्रसाद तैयार करती है। नवमी के दिन संगत का समापन किया जाता है।

झण्डा मेला जो दरवार साहिब में लगता है मुगलकाल के वैभव को प्रतिविम्बित करता है और 15-20 दिन तक चलता है। यह स्थानीय जनता को बडी संख्या में आकर्षित करता है। इस स्थान पर दुकाने, नुमायश, झुले और सभी प्रकार के मनोरंजन का आयोजन होते है। मेले में गहरें विश्वास के साथ भक्तो के द्धारा भिन्न-भिन्न स्थानों पर पूजा की जाती है।

टपकेश्‍वर मेलाः टोम नदी के पूर्वी तट पर स्थित यह ऐतिहासित स्थल इस क्षेत्र में लगने वाले सबसे प्रसिद्ध मेलों में से एक का गवाह है। दंतकथा के अनुसार यह द्रोणाचार्य का निवास हुआ करता था।

पांडवों और कौरवों के गुरु बनने से पहले द्रोणाचार्य काफी गरीब थे। वे इतने गरीब थे कि अपने पुत्र के लिए दूध की व्यवस्था भी नहीं कर पाते थे और जब उनका पुत्र दूध की जिद करता तो वे उसे भगवान शिव की उपासना करने की सलाह देते।

बच्चे की गंभीर तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया और अश्‍वस्‍थामा को शिवलिंग से बूंद-बूंद दूध मिलने लगा। चूकि अश्‍वस्‍थामा ने शिव की उपासना तपकेश्‍वर के रूप में की थी, इसलिए यह जगह तपकेश्‍वर के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक साल शिवरात्रि के अवसर पर यहां पर एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में लोग दूर-दराज से आते हैं।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
नाट्य महोत्सव,देहरादून

देहरादून में हर साल आयोजित किया जाने वाला नाट्य महोत्सव मई के महीने में चार दिनों के लिए होता है। इस महोत्सव में विभिन्न राज्यों के लगभग 25-30 नाट्य व लोकनृत्य दलों के कलाकार प्रस्तुतियाँ देते हैं। देहरादून के टाउन हाल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिदिन सुबह लोकनृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं व शाम को नाटकों का मंचन किया जाता है।

20 मई को राजधानी में सभी रंगकर्मी और लोककलाकार रंगयात्रा निकालते हैं। इसमें कलाकार अपनी पारंपरिक वेशभूषाओं में लोकनृत्य और झांकियों का प्रदर्शन करते हैं। इस समारोह का आयोजन आज की युवा पीढ़ी पीढ़ी को अपनी सभ्यता और लोक परंपराओं की जानकारी देने व उसके संरक्षण को जागरूक करने के उद्देश्य से किया जाता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि युवक एवं युवतियाँ इन आयोजनों में खुलकर भागीदारी करते हैं।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
बिस्सू मेले,देहरादून

देहरादून के चकराता ब्लॉक के केंट क्षेत्र के झांडा ग्राउंड में लगने वाला यह मेला इस क्षेत्र में फसलों की कटाई के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है।

यह मेला स्थानीय लोगों की खुशहाली को भी प्रदर्शित करता है। इस मेले में टिहरी, उत्तरकाशी और सहारनपुर जिलों के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
लक्ष्मण सिद्ध मेला

देहरादून के आसपास स्थित चार सिद्ध पीठों में से यह एक है। इसका काफी अधिक धार्मिक महत्व है। यह मेला प्रत्येक रविवार को लगता है।
लेकिन अप्रैल का अंतिम रविवार कुछ विशेष होता है जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्ति भाव समर्पित करने के लिए यहां आते हैं।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
पुष्प प्रदर्शनी,देहरादून

देहरादून में प्रतिवर्ष बसन्त ऋतु में पुष्प प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है, इसका आयोजन राजभवन में उत्तराखण्ड के माननीय गर्वनर की उपस्थिति में किया जाता है। यह प्रदर्शन सन् 1993 में शुरू किया गया। इस प्रदर्शन का लाभ देहरादून को मिलता है, उत्तराखण्ड एक राज्य है जहाँ प्रकृति के दर्शन होते है और जो लोगों के जीवन का हिस्सा है।

लोग निकट और दूर से उसे देखने के लिये आते है और इस प्रदर्शनी में भाग लेते है। विभिन्न किस्म के फूल इस प्रदर्शन का आकर्षण होते है, और बाद के वर्षो में यह प्रदर्शित करता है कि उत्तराखण्ड में अधिक से अधिक फूल व्यापारिक दृष्टि से उगाये जाते है। और देश के बाहर बडे-बडे शहरों में बेचा जाता है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
उत्तराखण्ड महोत्सव

उत्तराखण्ड महोत्सव प्रति दो वर्ष बाद देहरादून में मनाया जाता है। निकट और दूर के लोग इस महोत्सव को देखने और इसमें हिस्सा लेने के लिये आते है। कलाकार इस महोत्सव में अपनी प्रतिभाओं को प्रस्तुत करते है। कवि सम्मेलन, गीत, लोक नृत्य इस उत्सव में प्रस्तुत किये जाते है।

 कला, संस्कृति और परम्परागत वेशभूषा इस समारोह का प्रमुख आर्कषण होती है। झाँकी विशेष रूप से इस समारोह में सजायी जाती है जो गाँधी पार्क से शुरू होती है और रेंजर मैदान पर समाप्त होती है। यह महोत्सव सात दिन तक निरन्तर मनाया जाता है। लोग इस महोत्सव का बहुत आन्नद लेते है।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22