Uttarakhand > Uttarakhand History & Movements - उत्तराखण्ड का इतिहास एवं जन आन्दोलन

Late Nirmal Kumar Joshi (Pandit) - क्रांतिवीर निर्मल कुमार जोशी (पंडित)

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

निर्मल पंडित का बलिदान कभी नहीं भुलाया जायेगा..

निर्मल के नाम से कुछ न कुछ शहीद स्मारक होना चाहिए पिथोरगढ में !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
चंद्र शेखर करगेतीWednesday at 12:05pm · बिसार दिये जननायक इस राज्य ने...........
 
 वे मेरे शुरुआती दिन थे जब मैं अपने प्रवास काल से वापस अपने देश उत्तराखण्ड को लौटा था, यह क्षेत्र उस समय विभिन्न प्रकार के आन्दोलन की वैचारिकता से एक नये राज्य के जन्मने की भूमि तैयार कर रहा था, इन्ही के बीच दो युवा छात्र नेता थे, जिनसे मैं बहुत ज्यादा प्रभावित था, उनका नाम अक्सर अखबारों में पढ़ लेता था, ये थे पिथोरागढ़ के श्री निर्मल पंडित और हल्द्वानी के श्री मोहन पाठक l इस समय तक मैं इन जोशीले युवाओं से कभी मुलाक़ात तो नहीं कर पाया था, पर पता नहीं क्यों मैं उनके राज्य में सरकार विरोधी कारनामो को पढ़ने के लिये उन दिनों क्षेत्र से छपने वाले अखबारों को रोज टटोला करता था l
 
 दिनांक २८ मार्च १९९८ का उत्तर उजाला पढ़ा तो दिमाग सन्न रह गया खबर वही थी, जिसकी मुझे आशंका थी l अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार २७ मार्च को पिथोरागढ़ में शराब एवं खनन माफिया आन्दोलन के अगुवा रहे युवा छात्र नेता निर्मल पंडित ने अपने आप को आग के हवाले कर तत्कालीन शराब विरोधी आन्दोलन में अपने शरीर की आहुति दे दी, आग से काफी झुलस जाने पर बेहद नाजुक हालत में उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन स्वास्थ में सुधार न होने पर उन्हें इलाज के लिये दिल्ली ले जाया गया, लेकिन जीते जी किसी से हार ना मानने वाले इस योद्धा को अंतत: मृत्यु ने हरा ही दिया l उन्होने अपना जीवन शराब और खनन माफियाओं के खिलाफ आन्दोलन को पूर्णरूप से समर्पित कर दिया और इनकी धमकियों के आगे कभी भी झुकने को तैयार नहीं हुए l अन्ततः उनका यही स्वभाव उनकी शहीद होने का कारण बना l इस समय जब शराब और खनन माफिया उत्तराखण्ड सरकार पर हावी होकर पहाङ को लूट रहे हैं, तो पण्डित की कमी खलती है lउनका जीवन उन युवाओं के लिये प्रेरणा स्रोत है जो निस्वार्थ भाव से उत्तराखण्ड के हित के लिये काम कर रहे हैं l
 
 आज यानि १६ मई को उत्तराखण्ड के महान सपूत शहीद स्व.निर्मल पंडित की पुण्य तिथी है l बड़ा दुःख होता हैं जब इस राज्य के निवासी और प्रवासी राज्य के नामचीन राजनेता को उसके जन्मदिन की बधाई देना नहीं भूलते पर राज्य की जनता के सरोकारों के लिये अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वालों को वे एक पल भी याद करना मुनासिब नहीं समझते और दंभ भरते है, राज्य की जनता का सबसे बड़े पैरोकार होने का  l
 
 आज ही के दिन १६ मई १९९८ को उत्तराखण्ड के इस सपूत ने खनन एवं  शराब माफियाओं के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर सर्वोच्च बलिदान दिया l  धन्य है वो माता जिसने स्व.निर्मल पंडित जैसे सपूत को जन्म दिया  l
 
 इस अवसर पर मुझे गिर्दा की कविता बरबस याद आ जाती है और साथ ही दिखाई देता है आज के कॉलेज के छात्र नेताओं का अपनी सोच को गिरवी रखकर बिकने का खेल जो शायद शहीद निर्मल पंडित को कभी छू भी न गया था .......
 
 थातिकै नौ ल्हिन्यू हम बलिदानीन को, धन मयेड़ी त्यरा उं बांका लाल।
 धन उनरी छाती, झेलि गै जो गोली, मरी बेर ल्वै कैं जो करी गै निहाल॥
 पर यौं बलि नी जाणी चैनिन बिरथा, न्है गयी तो नाति-प्वाथन कैं पिड़ाल।
 तर्पण करणी तो भौते हुंनी, पर अर्पण ज्यान करनी कुछै लाल॥
 याद धरो अगास बै नी हुलरौ क्वे, थै रण, रणकैंणी अघिल बड़ाल।
 भूड़ फानी उंण सितुल नी हुनो, जो जालो भूड़ में वीं फानी पाल।।
 आज हिमाल तुमन के धत्यूछौ, जागो-जागो हो म्यरा लाल....!
 
 हिन्दी भावार्थ-
 
 नाम यहीं पर लेते हैं उन अमर शहीदों का साथी,
 कर प्राण निछावर हुये धन्य जो मां के रण-बांकुरे लाल।
 हैं धन्य जो कि सीना ताने हंस-हंस कर झेल गये गोली,
 हैं धन्य चढ़ाकर बलि कर गये लहू को जो निहाल॥
 इसलिए ध्यान यह रहे कि बलि बेकार ना जाये उन सबकी,
 यदि चला गया बलिदान व्यर्थ युगों-युगों पड़ेगा पहचान।
 तर्पण करने वाले तो अपने मिल जायेंगे बहुत,
 मगर अर्पित कर दें जो प्राण, कठिन हैं ऎसे अपने मिल पाना॥
 ये याद रहे आकाश नहीं टपकता है रणवीर कभी,
 ये याद रहे पाताल फोड़ नहीं प्रकट हुआ रणधीर कभी।
 ये धरती है, धरती में रण ही रण को राह दिखाता है,
 जो समर भूमि में उतरेगा, वही रणवीर कहाता है॥
 इसलिए, हिमालय जगा रहा है तुम्हें कि जागो-जागो मेरे लाल........!
 
 उत्तराखण्ड की माटी के इस वीर पुरुष स्व. शहीद निर्मल पंडित को मेरी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि l

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
(16 मई 2013 उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलनकारी स्व0 निर्मल कुमार जोषी पण्डित की पन्द्रहवीं पुण्य तिथि पर विषेश)

 

           उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आन्दोलन  के पुरोधा रहे स्व0 निर्मल कुमार जोषी पण्डित के बलिदान को 16 मई 2013 को पन्द्रह वर्श का समय व्यतीत हो चुका है, लेकिन  जन स्मृतियों में वे आज भी लोगों के बीच मौजूद हैं। 16 मई 1998 को  दिल्ली सफदरजंग अस्पताल में  अपने अंतिम सांस लेने वाले स्व0 पण्डित की राज्य निर्माण आन्दोलन में निभाई गई भूमिका को तथा उत्तराखण्ड को नषामुक्त उत्तराखण्ड राज्य बनाने के लिये किये गये आन्दोलनों में उनकी भूमिका को विस्मृत नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह कैसा संयोग  है कि जब एक नषामुक्त राज्य आन्दोलन के पुरोधा रहे जीवट व्यक्तित्व  का बलिदान दिवस हो और उसी अवधि में सरकार  राज्य भर में षराब के ठेकों के टेंडर खोल रही हो। इस कृत्य से ऐसा प्रतीत होता है कि  उत्तराखण्ड राज्य सरकार  प्रमुख राज्य आन्दोलनकारी एवं नषामुक्त राज्य का सपना देखने वाले  पुरोधा के बलिदान दिवष को भूल गई है। स्व0 पण्डित के सपनों को उत्तराखण्ड तो नहीं बन पाया, लेकिन ठीक इसके विपरीत  राज्य सरकार गाॅव गाॅव तक  षराब पहुंचाने पर आमादा है, जो गाॅव वर्तमान में  विकास की राह देख रहे हैं, वहाॅ पर विकास तो नहीं हो पाया लेकिन अंग्रेजी तथा देषी षराब की दुकान उन गाॅवों में खुल चुकी है, इससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार स्व0 पण्डित के बलिदान को भूल जाना चाहती है।

     स्व0 निर्मल पण्डित की भूमिका चाहे वह राज्य निर्माण आन्दोलन रहा हो चाहे षराब बिरोधी आन्दोलन अथवा कोई भी जनहित के कार्य के लिये किया गया आन्दोलन हर जगह अग्रणी रही है। नषामुक्त उत्तराखण्ड राज्य का सपना संजोये  स्व0 पण्डित ने अपने प्राणों की आहुति  दे दी थी। उनकी मृत्यु के बाद तत्कालीन सरकार ने उनके परिवार के साथ कई वायदे किये तथा कोरी घोशणायें की  लेकिन वे आज चैदह वर्श व्यतीत होने के उपरान्त भी पूरी नहीं हो पाई। इन चैदह वर्शो में  स्व0 पण्डित के पिताजी की मृत्यु पुत्र वियोग के कारण हो गई, वर्तमान में उनकी माताजी  अपने मायके चिटगल गंगोलीहाट जिला पिथौरागढ में रह रही हैं, उनके पास रहने के लिये आज अपना मकान तक नहीं है। उनकी आर्थिक स्थिति अत्यन्त दयनीय है तथा वे वर्तमान में अत्यधिक वृद्व एवं बीमार अवस्था में हैं, स्व0 निर्मल पण्डित ही उनके वृद्वावस्था के एकमात्र सहारा थे उनकी मृत्यु के बाद वे अब अपना एकाकी जीवन व्यतीत कर रहें हैं।

     स्व0 पण्डित की मृत्यु के समय कई सामाजिक संगठनों ने भी उनके बलिदान को  न भुलाने का संकल्प लिया और उनके परिवार के साथ रहने की बात कही, लेकिन समय के साथ सारे सामाजिक संगठन इस बात को भूल चुके हैं कि उनके द्वारा उस परिवार के साथ क्या वायदे किये थे।

     स्व0 निर्मल पण्डित के इस बलिदान दिवस पर समस्त उत्तराखण्ड राज्य के  निवासियों से  यह अपील है  कि वे राज्य को नषामुक्त बनाने के लिये यह संकल्प लें कि वे  किसी भी प्रकार का नषा नहीं करेंगे, यही स्व0 पण्डित को  सच्ची श्रद्वांजलि होगी।

 

                                                 किषोर कुमार पन्त

                                                       एडवोकेट

                                                       अध्यक्ष

                                      माॅ गिरिजा विहार उत्थान समिति (रजि0)

                                      हल्द्वानी जिला- नैनीताल (उत्तराखण्ड)

KAMAL MUSIC:
ye ek vidambana hi h ki uttarakhand k ek sachhe aandolankari ko aaj tak govt ne uttarakhand aandolankari ka darja nahi diya. jis aag ne uttarakhand ko ek alag rajya banaya use hum bhul chuke hain..... hamari ore se ek sradhanjali late shri nirmal pandit ji ko ,,,,,,, plz watch this and share this    http://m.youtube.com/watch?v=15MBl0oOBfc&hl=en-GB&guid=&client=mv-google&gl=IN

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Nirmal Pandey -

Kon Tha Pandit

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