देव भूमि बद्री-केदार नाथसास बोई बेटी ब्वारी
कण बिगरैली कण बिगरैली
मुखडी स्वाणी माता कण बिगरैली
सास बोई बेटी ब्वारी मेर पहाड़ की
कण बैठ्याँछन भ्ग्यांन मेर पहाड़ की
लगी दूर दूर तक रांग मेर पहाडा मा
भगवती तेरु पैलू मान मेर पहाड़ मा
तेरु चरणु मा नतमस्तक ये संसार मेर पहाड़ मा
ये मुखी भी अब लगाणी जयकार मेर पहाड़ मा
सास बोई बेटी ब्वारी मेर पहाड़ की
कण बैठ्याँछन भ्ग्यांन मेर पहाड़ की
खैरी विपदा को गढ़ मेरु गढ़ धाम मा
भगवती कर दे तेरु उपकार मेरु गढ़ धाम मा
तेरु दया आगाध छात्र छ्या मेरु गढ़ धाम मा
कैलाश छुडी की नंदा माँ ऐ मैत मेरु गढ़ धाम मा
सास बोई बेटी ब्वारी मेर पहाड़ की
कण बैठ्याँछन भ्ग्यांन मेर पहाड़ की
तू सदणी रै मेरु दगडी दगडी मेरु गढ़ धाम मा
कभी बणीकी बोई कभी बावरी कभी बेटी मेरु गढ़ धाम मा
मील णी पीछण पायी बोई तेरु ये चमत्कार मेरु गढ़ धाम मा
कर दे ये मुर्ख को उधार मेरु गढ़ धाम मा
सास बोई बेटी ब्वारी मेर पहाड़ की
कण बैठ्याँछन भ्ग्यांन मेर पहाड़ की
कण बिगरैली कण बिगरैली
मुखडी स्वाणी माता कण बिगरैली
सास बोई बेटी ब्वारी मेर पहाड़ की
कण बैठ्याँछन भ्ग्यांन मेर पहाड़ की
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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