( ईजै याद और डूबूक भात )
मक ऐगे आज ईजै याद,
याद ऐगी आज डूबूक भात।
ईजा आज खाण क्ये बनै र,
च्यला भटा डुबूक, भात बनै र।
ईजा झोई भात किलै नी बनाय,
च्यला क्ये बतु दै ज नी जमाय।
ईजा मी नी खान ह, भटा डुबक भात,
च्याला परदेश जै बे आल तिक यैकी याद।
ईजा मी क दूध भात दी दे,
काँ बै दियू च्यला आज भैसैलै नि सौय।
ईजा ह भैसै क घूर्यै दै भ्योवन,
हस नीका च्यला भैसैल आज त नी सौय।
मी क्ये नी जाणन ईजा, मक दूध भात चै,
आज दूध नी छ च्यला, य डूबूक भात खैलै।
खालौ म्यर च्यल,
म्यर च्यल त भौतै भल छ,
खा च्यला खा, शाबास।
सुन्दर सिंह नेगी दिंनाक 23 दिसेम्बर 2009