Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 137742 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
August 3 at 7:17pm ·

द्वार म्वार हपार
बंद पडयां छन
यी कुडी क मौ दीदों
दिल्ली बंबई बस्यां छन
द्वार म्वार हपार
बंद पडयां छन
कुडी पर तालु लगे
खुश हुयां छन
दयवतों तै भीतर ग्वाडी क
बेफिकर हुयां छन
ईष्ट देव क आलु पर
मकडजल लग्यां छन
देबी दयवता भीतरी भीतर
खुब खुदयाणा छन
बुबा ददों की बिरासत
खंदवार हुणी च
बचपन याद कैरीक मेरी
जिकुडी रमस्याणी च
मेरी पाटी बुलख्या दीदों
युं उबरीयूं मा बंद ह्वाल
चुलख्यंदो मा पैली नीथर
पस्युंण मा धर्यां ह्वाल
द्वार म्वार हपार
बंद पड्यां ...
मेरी बुये क जंदरी दीदों
ईक तरफां पडीं च
छंचल्या अर पर्या मेरी
बुये त खुजणी च
पाणी क बंठों पर
जंक लग्युं च
उरख्यली गंज्यली मेरी
बैण्यूं तै खुजणी च
द्वार म्वार हपार
बंद पड्यां.....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उठा उठा हे गढवीर भायूं
दयाशंकर भट्ट 'बंदी ' (टिहरी गढ़वाल , 1905 -1982 )

इंटरनेट प्रस्तुति --भीष्म कुकरेती

उठा उठा हे गढ़वीर भायूं
कब तैं चुप बणिक रयेला
' बंदी ' समौ कम इन भि दिखेली
जय बीरता का डंका बजौंला
क्वी नी च भाई ! संगी हमारो
खुटौन अपणा खडु होणु होलो
'बंदी ' बणी गे हे वीर बैखो
संसार मा नाम कमौण होलो
ऐ जा पलेता पक्का कसीक
गढ़वाळ को लाज बचौं ल
'बंदी 'भलो प्राण बलि चढ़ौन्ला
संसार मा राड तुर्री बजौंला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
August 2 at 7:21pm ·

हैरी हैरी ककडी देखी
गौं की याद यैगे
दुर छौं परदेश
खुद बौडी बौडी यैगे
खुब लगीं होली
झींकडी झालुंद ककडी
जब बिटी ओं परदेश
चाखी नी घर्या ककडी
हैरी हैरी ककडी देखी
गौं की याद....
याद आणा छन दीदों
हैरी हैरी चिरकी
खांद खांद जाण स्कूल
बाकि बस्ता मा धरीकी
गैल्या गैल्याणु गैल
खुब ककडी चुरेन
जब म्वाल पनन लोगु क
ककडी हमन फुचेन
रोज गोरुम जांदी बगत
पलान बणाण
आज मी लों ककडी
भ्वाल तीन लांण
ऊं दीनु की याद यीं
ककडी तै देखी यैगे
दुर छौं परदेश
खुद बौडी बौडी....
सर्वाधिकार सुरक्षित@ लेखक सुदेश भटट(दगडया)की खुदेड कलम से

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
August 1 at 10:42am ·

म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
मुंगरी बुकाण कुन बेटी ब्वारी
मैत अयीं जयीं होली
कती दीदी भूली मेरी
परदेश मा होली
लुटीर कुटीर लाल भैजी
सारु लगीं होली
बुये भग्यानी मेरी भी
कुटीर बंधणा होली
मी त छौं डयूटी दीदों
बाबा जी तै लखाणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
ककडी मुंगरयुं की बुये
फंची बंधणा होली
हैरी हैरी ककडी
मुर्या कु लुण पिसणा होली
बुये भी बेटयुं बिना
खुब खुदयाणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
बसकल्या छ्वया मंदर
सुंस्याट करना होली
कुयडी डांडीयुं मा
दीदी भूली खुद्याणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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प्रेम मा बिंडी व्यस्त छौं अचकाल

रचना --- हरीश जुयाल

वार -प्वार हुयां छौ अचकल्यूं ।
धार धार हुयां छौ अचकल्यूं ।।
पुछणा रंदन जात -थात ।
ग्वतराचार हुयां छौ अचकल्यूं ।।
वोट दीणा खुण अंग्वठाछाप ।
अधिकार हुयां छौ अचकल्यूं ।।
मिसकौल आणी छन धड़ाधड़ ।
मायादार हुयां छौ अचकल्यूं ।।
वूंका फंचा बोकिकि "जुयाळ "
रोजगार हुयां छौ अचकल्यूं ।।
Copyright@ Harish Juyal

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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द्वार म्वार हपार
बंद पडयां छन
यी कुडी क मौ दीदों
दिल्ली बंबई बस्यां छन
द्वार म्वार हपार
बंद पडयां छन
कुडी पर तालु लगे
खुश हुयां छन
दयवतों तै भीतर ग्वाडी क
बेफिकर हुयां छन
ईष्ट देव क आलु पर
मकडजल लग्यां छन
देबी दयवता भीतरी भीतर
खुब खुदयाणा छन
बुबा ददों की बिरासत
खंदवार हुणी च
बचपन याद कैरीक मेरी
जिकुडी रमस्याणी च
मेरी पाटी बुलख्या दीदों
युं उबरीयूं मा बंद ह्वाल
चुलख्यंदो मा पैली नीथर
पस्युंण मा धर्यां ह्वाल
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उठा उठा हे गढवीर भायूं
दयाशंकर भट्ट 'बंदी ' (टिहरी गढ़वाल , 1905 -1982 )

इंटरनेट प्रस्तुति --भीष्म कुकरेती

उठा उठा हे गढ़वीर भायूं
कब तैं चुप बणिक रयेला
' बंदी ' समौ कम इन भि दिखेली
जय बीरता का डंका बजौंला
क्वी नी च भाई ! संगी हमारो
खुटौन अपणा खडु होणु होलो
'बंदी ' बणी गे हे वीर बैखो
संसार मा नाम कमौण होलो
ऐ जा पलेता पक्का कसीक
गढ़वाळ को लाज बचौं ल
'बंदी 'भलो प्राण बलि चढ़ौन्ला
संसार मा राड तुर्री बजौंला

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Shailendra Joshi
21 hrs ·

"'जोड़ी माया करार कु
इन्न तकरार हवे ग्यायी
नमस्कार रामा रूमी बि
हर्ची ग्यायी"
''जमी माया की पौधो
यन कुहाल हवे ग्यायी
सैरी सींचे तरे
म्यरी बेकार ग्यायी"
''भरी माया पाथो जगदो दियू
मुझ ग्यायी त्यरा सगोरन
ज्यू इन्नी उन्नी मा खते द्यायी ''
''रात दिन इक इक करी
जोड़ी माया की संचेती
कै बैरींन इक दां मा ही चोर्यली"
''हैसदी खेल्दी माया म्यरी
कैन ईन रुलाई
सैरा आंसू ही
माया बगैकी ली ग्यायी''
""झकझोर माया बरखा लगी
अचणचक बिदु ह्वे ग्यायी
म्यरी सैरी पिरेम बरखा
लोला बिदुन फुंड ढोल द्यायी
निर्भागिन म्येरी माया की मवासी मा
तैलू घाम लगायी '' ....................शैलेन्द्र जोशी

फोटो क्लिक..........शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
August 3 at 9:29pm · Edited ·

तू कत्गा ही मेकप करली
तेरु नकली स्वांग
उन्नी उतर जालू छोरी
जन यी देस मा
सड़क्यु कु कालतोर
उतरी सड़का खड्डा
दिखी जांदा खडोनिया
एक ही बरखा मा ...............शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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लबार फरार बाजार
नयानया गितैरोंन
बौजीयों की मवासी
लगाली धार
ऊ भयों तै बि
ढूंडी हेरा गितैर भाई
जौका कारण
बणी बौजी लबार
या ऊ भैजी माफीदार
बणा राला
या बस
बौजियो पर ही
हुणा राला गीत तैयार..............शैलेन्द्र जोशी

 

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