Author Topic: Articles By Shri Pooran Chandra Kandpal :श्री पूरन चन्द कांडपाल जी के लेख  (Read 63563 times)

Pooran Chandra Kandpal

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     दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै
     

       होइ में चनरदा दगै भौत बात हईं.  उनार बताई कुछ बात बतूंण चानू |
 उनूल बता," होइ , हमर प्यार-प्रेम , हंसण-बलाण ,मिलण-जुलण क इन्द्रेणी
जस रंगीन  त्यार छी | आज होइ क मतलब बदली गो -

कभैं छी 'होइ' पर बसंत क शबाब /
रंग रसायन मिलावट ल आब य हैगो खराब /
कभैं हुँछी 'होइ' क मतलब  स्नेह मिलन/
अच्याल त 'होइ' क मतलब छ केवल शराब./

धरम-करम में शराब, भरम में शराब /
जन्म दिन, पुज- पाठ, ब्या में शराब /
दिवाई में शराब , होइ में शराब/
जनम बटि मरण तक शराबै-शराब/.

गम में शराब , खुशि में शराब /
जीत में शराब, हार में शराब/
जुदाई में शराब, मिलन में शराब/
यस बखत आछ हर सै में शराब.

'होइ ' क रंग में भंग  करणी हुड़दंगियों कैं समर्पित छ य छंद-

होइ क हुड़दंग में देखौ  हुड़दंगियों क जोर  /
शकल  'भूत'  जसि है रैछी,  जस नकाब में चोर/
जस नकाब में चोर, नश में धुत्त सबै छी/
हिटै रौछी  लड़खड़ानै , आँख चुइँ जै रौछी /
कूँ रौ 'चनरदा' यूँ हुड़दंगियों कि बेकाबू है रैछी थोइ/
रंगों क छी य त्यार हमर ,बदरंग बनै दी होइ|
 
'होइ' क हुड़दंगियों  क पास नि छी अबीर गुलाल/
पेन्ट-रसायन लगा उनूल एक दूसर क गाल/
एक दूसर क गाल, क्वेल्तार डावौ बावौं  में/
पकड़ि-पकड़ि डावौ,एक-दुसरे कैं खावौं में/
कूंरौ चनरदा कैल मारी पिचकारि, कैल गुब्बारा गोइ/
डरि गोयूं हुड़दंगियों देखि, घर भैटी बेर मनै 'होइ'|

पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली
19.03.2015

Pooran Chandra Kandpal

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          दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

     चनरदा कें हालों में सनिमा देखण क मौक मिलौ. ऊं बतूं रईं,
" सनिमा जगत में लै कएक लोग समाज कैं ऐन देखूण क काम करें
रईं .य बीच तीन फिल्म देखण क मौक मिलौ- 'पी के', 'ओ माई गौड'
और 'चक दे इंडिया'.  'पी के' और 'ओ माई गौड़' में समाज में व्याप्त
 अन्धविश्वास पर खुलि बेर चर्चा छ. अन्धविश्वास फैलूणीयां  की नकाब
उतारण क पुर प्रयास यूँ द्विये फिल्मों में छ.  श्रद्धा और अंधश्रद्धा  में
दिन और रात क फरक छ.  श्रद्धा हुंण  चैंछ   पर अंधश्रद्धा नि हुणि चैनि.
अन्धविश्वास हमार देश में भ्रष्टाचार  क बाद   दुसरि मुख्य  समस्या  छ.
जै दिन देश अन्धविश्वास कैं जिति ल्यौल, उ दिन हमार समाज की लगभग
सबै समस्या समाप्त है जाल.  अच्याल गंगा-यमुना की सफाई की बात
चलि रै. १९८५ बटि हजारों  करोड़ रुपै य सफाई में खर्च है गीं. नदियों कि
हालत पैलि है ज्यादै खराब है गे.  विसर्जन क नाम पर सब कुछ नदियों में
लफाई जां रौ.  गंद नालों क रसायन और सबै   किस्में कि गन्दगी  नदियों
 में मिलैं  रै.  हमार देश में तीस प्रतिशत लोगों कैं दूद नसीब न्हैति.  दुसरि
तरफ रोजाना हजारों-लाखों लीटर दूद मुर्तियों में डाई जां रौ. मुर्तियों में
डाई दूद गध्यारां में जां रौ जबकि यैल ऊं गिचां में जांण  चैंछी जो दूद क
एक छिटा लिजी तरसी रईं.  हमार देश में हालों में देश क एक शीर्ष नेता
 और एक शीर्ष उधोगपति ल लै वनारस में कैमरों क सामणी  मुर्तियों में
दूद कि गंगा  बहै.  भावनात्मक भाषणों कैं कर्म में बदलण कि जरवत छ.
सेलेब्रेटी लोगों कैं अन्धविश्वास है दूर रौण चैंछ. जनता उनरि नक़ल करण
 में देर नि लगूनि.  जां ' पी के' और 'ओ माई गौड ' ल अन्धविश्वास पर चोट
मारि रैछ वां 'चक दे इण्डिया' में कर्म, अनुशासन , लगन, मेहनत पर जोर
 दि रौछ.  खेलों में भ्रष्टाचार आज एक आम बात हैगे जो नि  हुंण  चैनि.  यूं
तीन फिल्मों कैं मौक मिलण पर लोगों ल जरूर देखण क प्रयास करण चैंछ. 
यूं फिल्मों में  समाज बै  अन्यार  भजौण क भरसक प्रयास देखण में आछ .
यूं तीनै फिल्मों क निर्माताओं, निदेशकों  और कलाकारों  कि जतू तारिफ
 करी जो उ कम छ.  यूं फिल्म साबित करें रईं कि फिल्म जगत समाज में
 जागरूकता फैलूंण  क भौत ठुल काम करें रई. इनूकेँ   साधुवाद.

पूरन चन्द्र काण्डपाल रोहिणी दिल्ली.
02.04.2015

Pooran Chandra Kandpal

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    दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

     उत्तराखंड में शिक्षा क हालत पर चनरदा बतूं रईं, "उत्तराखंड कि
शिक्षा कि हालत देखि खुटा भीं बटी कि जमीन सरिकि जां रै. जो राज्य
में इस्कूल -कालेजों में शिक्षक नि ह्वाला  तो वांक विद्यार्थियों क  क्ये
हाल ह्वाल, य बात समझी जै सकीं. एक आर टी आई क अनुसार हिल
 सन्देश अखबार में य सूचना छपि रै जैल य पत् लागें रौ कि उत्तराखंड
क सरकारि  शिक्षा संस्थानों क्ये हाल छीं? उत्तराखंड क कुमाऊ मंडल में
४२ कालेजों में ५७% प्रवक्ताओं क पद खालि छें जबकि गढ़वाल मंडल क
४८ कालेजों में ६२% पद खालि छीं.  राज्य उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा
उपलब्ध सूचना क अनुसार राज्य में ९० सरकारि महाविद्यालयों में विभिन्न
प्रवक्ताओं क कुल १६५६ पद स्वीकृत छीं जनूं में ९७१ पद खालि छें, केवल   
६८५ प्रवक्ता कार्यरत छीं जबकि कुछ पदों पर संविता पर शिक्षक काम चलूँ
 रईं. कुमाऊ मंडल क ४२ सरकारि  महाविद्यालयों में कुल ८२१ में बै ४६७
पद खालि छीं जबकि ३५४ पदों पर प्रवक्ता  छीं.  गढ़वाल मंडल क ४८
सरकारि महाविद्यालयों  में कुल ८३५ में बै ५२४ पद खालि  छीं जबकि
 ३११ पदों पर प्रवक्ता छीं.  द्विये मंडलों में कुछ पदों पर संविदा पर
शिक्षक काम चलूँ रईं. राज्य कें विशेष दर्ज प्राप्त छ.  विशेष दर्ज हुण
पर लै सरकार यूं पदों कें क्यलै नि भरें रई, आर री आई में य जबाब
न्हेति. भविष्य कैक बरबाद हूं रौ ये सै कैकैं क्ये मतलब न्हेति.  यूं
महाविद्यालयों में बै पास हईं विद्यार्थी देश स्तर पर क्वे लै प्रतियोगिता
कें पास कसी कराल?  ताजुब कि बात त य छ कि खालि पद गणित,
विज्ञान सहित लगभग ३२ विधाओं/विभागों में छीं. चाहे उच्च शिक्षा हो
या इस्कूली शिक्षा देवभूमि सब भगवान् क भरौस पर चलि रैछ. सरकारि
इस्कूल क कक्षा ५ पास विद्यार्थी कक्षा एक क किताब नि पढ़ी सकन.
लोग आपण पेट काटी बेर नना कें पब्लिक इस्कूलों में भेजें रईं. राज्य में
सबै सरकारि इस्कूलों में नान कम हुनै जां रईं.  आखिर में नना क
भविष्य बरबाद  हुण पर लोग भाग्य और भगवान कें दोष दि बेर आपण
आंसू पी ल्हीनी. शिक्षा विभाग में माथ बैठी अफसरों और मंत्रियों कि नीन
केदारनाथ  ज्यू कब टोडाल  य अनिश्चित छ. हे देव ! जल्दि तोडो
इनरि  नीन."

पूरन चन्द्र काण्डपाल रोहिणी दिल्ली
22.04.2015

Pooran Chandra Kandpal

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  चनरदा  एक दगड़ी दगे डाकखाण क भ्यार बै लपालपी घर हैं जां
रौछी. पूछण  पर बलाईं, "अरे यार डाकखाण  बै औं रयूं, प्रधानमंत्री
आपदा राहत कोष में जरा सनोमानी करि आयूं.  सबै सांसद एक महेण
कि तनख्वा दीं रईं बल.  य जाणी बेर भल लागौ.  विपत्ति में मदद
जरूर करण चैंछ.  गुजरात, लातूर, केदारनाथ, ओड़िसा, दक्षिण भारत,
पूर्वोत्तर जां लै आपदा ऐछ लोगों ल श्रधानुसार दान करौ. नेपाल में
वल्ट-पल्ट करि दे चलक ल.  करीब छै हजार है ज्यादै लोग बेमौत
मारी गईं. हमार देश में लै बिहार-उत्तर प्रदेश में करीब अस्सी लोगों
कि ज्यान न्हैगे और हजारों घैल है गईं. यास मौक पर लोगों ल जरा
मंथन करण चैंछ. य टैम आरती करण, मोमबत्ती जगूण, और हवन-
यज्ञ करण क न्हैति. यैक बजाय चंद करो, लोगों कें जागरूक करो
समझौ और विपत्ति में एकता दिखे बेर दान एकत्र करो और प्रधानमंत्री
राष्ट्रीय आपदा राहत कोष क लिजी मनीआर्डर करो. य मनीआर्डर पर
फीस लै माफ़ छ. "

         चनरदा अघिल बतूनै गईं, " २५ अप्रैल २०१५ क दिन धोपरि
कै नेपाल में चलक औंण  क बात टेलीविजन चैनलों क माध्यम ल सब
सूचना घर-घर पुजै रै. एक चैनल ल बता कि पशुपतिनाथ मंदिर क कुछ 
हिस्स में नुक्सान हौछ , बाकि सब ठीक छ और वाँ पूजा-आरती वगैरह
लगातार चलि रैछ.  लोग मंदिर में पूजा-प्रार्थना में जुटि रईं. यास मौक
पर पुज-पाठ, आरती करणी लोगों ल आपण विवेक ल काम ल्हींण चैंछ
और पूजा-आरती छोडि बेर मलुवा क भीं बै दबी लोगों कें भ्यार निकावण
में मदद करण चैंछ या गली-मोहल्ला-सड़क में पड़ी मल्लू हटूंण में मदद
करण चैंछ ताकि औंण -जांण चालु है सको. " रोम जलें रौ और नीरो
वंशी बजूरों" नि हुण  चैन.  समाचारों क अनुसार देश में कएक जागि
आपदा थमण और घैलों क जल्दि भल हुण  एवं देव-क्रोध कें पुज-पाठ
ल शांत करण कि बात सुणण  में औंरै.  आपदा क टैम पर य सब
अनुचित, अव्यवहारिक और अटपट छ. भगवान् और भाग्य कें दोष
दींण में लोग हमेशा अघिल रौनी. मानवता कि मांग छ कि जो लै
मदद है सकीं करण चैंछ. चंद करो या श्रमदान या अन-धन दान करो.
सब कुछ करो पर अन्धविश्वास और अफवाह है दूर रौ.  य समय
पूजा,हवन,यग्य या आरती क न्हैति, य समय मदद क छ.  अघिल
औ और जतू लै मदद है सकीं मदद करो. दयाप्त पुजै छोड़ो, चंद करो
और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा राहत कोष नई दिल्ली हुनि भेजो."

पूरन चन्द्र कांडपाल, रोहिणी दिल्ली
30.04.2015

Pooran Chandra Kandpal

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   देश कि राजधानी क दिल कनाट प्लेस स्तिथ सिविक सेंटर  में
प्रवासी पंचायत-२०१५ में चनरदा  ल "उत्तराखंड में पलायन कसी थमी
सकूं " य विषय पर बता, "अगर ईमानदारी ल पलायन थामण चांछा
तो सबू है पैली राजधानी गैरसैण बनौ और ठण्ड बस्त में पड़ी चारों
रेल परियोजनाओं  - टनकपुर-बागेश्वर, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग, रामनगर-
चौखुटिया और टनकपुर-जौलजीवी, पर जल्दि है जल्दि काम शुरू करो.
रेल मार्गों क निर्माण और राजधानी गैरसैण पुजण  पर उत्तराखंड में
रोजगार कि बहार ऐ जालि. पढी-लेखी या कम पढी-लेखियां कें खूब
रोजगार मिलौल.  तिसरि बात छ गौ-गौ नूं में सड़क पुजौ जैल चौमासी
फल-सब्जियों कि मार्केटिंग सुव्यवस्थित व्हलि.  अगस्त में उत्तराखंड
क किसान कें जो सब्जी (टिमाटर,गोबि,शिमला मिर्च, बीन्स) क वीक
 खेत में द्वि-तीन रुपै पर किलो मिलनी उ दिल्ली कि आजादपुर मंडी
 में दस गुण ज्यादै में बेचें और फुटकर में य पचास रुपै किलो मिलीं.
चौथि बात छ खेति/फसल  कें हिमाचल प्रदेश कि चार वन्यजीओं- बानर,
सुवर, नीलगाय, जड़या है बचौ.  पांचूं बात छ उत्तराखंडी भाषाओँ कें
इस्कूलों में लागु करी जो ताकि उ अघिल जै बेर रोजगार-नौकरी दगे
जुड़ी सको. छठूँ पर आखरी ना, बात छ कि उत्तराखंड क ४९०००
(उन्चास हजार ) एन जी ओ (गैर सरकारी संगठन) क जमीन पर काम
और परिणाम पर नजर धरी जो.  अगर यूं मुख्य छै बातों पर ध्यान
दिई जो तो उत्त्ताराखंड क लोग मैदानी क्षेत्रों में खानाबदोष बनि  बेर
धक्क खाण है बचि सकनी."

       य कार्यक्रम में भवाली (नैनताल) क कक्षा १२ क विद्यार्थी
गणेश  गयाल कें पर्यावरण पर काम करणा लिजी देशा क गृह मंत्री
राजनाथ सिंह ज्यू ल सम्मानित करौ. गृह मंत्री ल य मौक पर उत्तराखंडी
भाषाओँ  कें मान्यता दीण क लै आश्वासन दे. गणेश गयाल  ल वर्ष
२०१३ बटी ५१००० पेड़ लगूंण क लक्ष्य धरि रौछ जबकि उनूल १०५००
पेड़ भीमताल क्षेत्र में रोपि हालीं.  य मौक पर गणेश क बौज्यू बंशीधर
गयाल ल बता कि उनर च्यल  कें पर्यावरण दगे भौत प्रेम छ और उ
आपण जेब खर्च और पारिवारिक  सहयोग ल य काम में जुटी रौछ.
आज तक उकें क्वे लै किस्म क सरकारी या संस्थागत सहयोग नि
मिल. हमुकें गणेश गयाल जास होनहार-पर्यावरण प्रेमी नना पर गर्व
छ जो पढ़ाई क साथ-साथ पर्यावरण कें बचूंण  में जी-ज्यान ल काम
करें रौछ. उम्मीद छ कि अन्य विद्यार्थी लै गणेश गयाल क अनुकरण
कराल. 

पूरन चन्द्र काण्डपाल रोहिणी दिल्ली.
07.05.2015
 



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         दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

  चनरदा  कें कूर्मांचल नगर लखनऊ बै अस्सी वर्षा क सयाण  मैंस
प्रयाग दत पंत ज्यू कि चिठ्ठी मिली.  चिठ्ठी में लेखि रौछी, "मील तुमरि
लेखी किताब 'सच की परख' दुबार पुर मनोयोग ल पढी.  आज है सात-
आठ साल पैली लै  य किताब कें पढ़ी  चुकि गोयूं.   अन्धविश्वास क
विरोध में तुमार विचार ठीक छीं, अनुकरणीय छीं और कुछ लेखों ल
कुतकुतैली लै लागी. " पंत ज्यू ल अघिल लेखि रौछ, " तुमु दगे मेरि
असहमति य छ कि तुमूल सिद्साद लोगों कें अन्धविश्वास क जिम्मेदार
ठैरा जबकि गल्ती उनरि न्हैति.  गल्ती छ उ  तथाकथित ग्रंथों, काव्यों
और शास्त्रों कि जनुमें अन्धविश्वास परोसि बेर सिद्साद लोगों कें दिईगो
और उ अंधविश्वास ल कुप्रथाओं क रूप ल्ही ले."

      चनरदा ल पंत ज्यू कि चिठ्ठी क जबाब दे, "महाराज पंत ज्यू जो
ग्रंथों या किताबों कि तरफ आपूं इसार करें रौछा ऊँ आज बटि तीन-चार
हजार वर्ष पैली लेखी छीं.  आब उनार लेखक लै ज्यौन न्हैति.  उनूल
किताब तबकि हालत देखि (देश-काल-परिस्थिति) बेर लेख हुनाल. समय
गतिमान छ. आज साक्षरता बढ़ गे और कएक परिस्थिति लै बदलि  गईं.
मानस या स्मृतियों में लेखी कएक छंद, चौपाई, दोहा या श्लोकों कि
सार्थकता घटिगे या कम हैगे. हाम तबा क रचनाकारों कें क्ये  नि करि
सकन. हमूल रूढ़िवाद, अन्धविश्वास और  कुप्रथाओं क स्वयं तिरष्कार
करण  चैंछ .  हमूल राम् ज्यू कि मर्यादा और कृष्ण ज्यू क कर्म सन्देश
 कें भुलै  है और पाखण्ड, दिखाव, आडम्बर और कुप्रथाओं कें अपनै है.
आज परिस्थिति य छ कि 'लाट कें बताय क्वाट क बाट उ लाग क्वाट
 हुनि धमाधमी'.  आज पुज-पाठ में बामण क आदेश हुंछ, "अरे जजमान,
एक आम क और एक बेलपत्री क फांग लै टोड़ि ल्हे, पुज में चैंछ". बामण
फांग कि जाग कें पतेल लै मगै सकछी.  कतू बामणों ल आजतक आपण
जजमानों हैं एक आम और एक बेलपत्री क डाव-बोट रोपण कि बात करी?
पितृ पक्ष और नवरात्रों में लै य बात कि जिक्र नि हुनि. य प्रश्न पर
सच्चाई क साथ मंथन हुण चैंछ.  हमूल कभैं न एक डाव-बोट लगाय और
न ऊँ डाव-बोट लगूणीयां  कें याद कर जनार हाम फांग टोड़ि ल्यूं रयूं.
लेखणी लेखि  गईं पर दोष हमर लै छ.  हमूल बदलाव स्वीकार करण
चैंछ और भलि परम्पराओं कें मान्यता दींण चैंछ. अंत में य  कूंण चानू
कि तुमरि किताब 'धर्म बनाम अन्धविश्वास' कएक लोगों कें खौसैन लगै
सकीं पर खौसैन कि डर ल मर्च भुटण बंद नि हुण चैन."

पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली
14.05.2015

   

Pooran Chandra Kandpal

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         कुत्तों से आतंकित राजधानी

   बताया जाता है कि दिल्ली एन सी आर में दो लाख से भी अधिक
अबारा कुत्ते हैं.  कुत्तों के नियंतरण पर कोई ठोस नीति नहीं है. 
दिनोदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है.  कुत्ते काटने के बहुत केश
हो रहे हैं. राजधानी में एंटी-रेबीज औषधि खूब बिक रही है.  निगम के
कुत्ते पकड़ने वाले नाकाम हैं.  कई फौन करने पर कुत्ते पकड़ने की वैन
आती है जिसमें चालक सहित छै लोग होते हैं. ये लोग दर्जनों कुत्तों
में से एक कुत्ता पकड़ कर रफू हो जाते हैं. कुत्ते पकड़ने का कार्य
निजी ठेके पर दिया जाना चाहिए.  ओड़िसा में चूहे पकड़ने के लिए
प्रति चूहा कुछ धन दिया गया. यह धन मात्र चूहे की पूंछ दिखा कर
मिलता था.  इस अभियान से चूहों का अंत हो गया.  इसी तरह
कुत्ते पकड़ने के लिए भी प्रति कुत्ता कुछ राशि दी जानी  चाहिए.
 सेंट स्टीफन कालेज का विचार 'आवारा कुत्तों को खाना दिया तो
होगा ऐक्शन' (रा स १४.०५.२०१५) सराहनीय है.  राजधानी में
अवारा कुत्तों से संतरी से मंत्री तक सभी परेशान हैं.  अमेरिका के
राष्ट्रपति ओबामा के स्वागत समारोह में भी एक अवारा कुत्ता
घुस गया था. (२६ जनवरी २०१५) विभिन्न  निगम एक दुसरे को
तब जिम्मेवार ठहरा रहे थे. राजधानी की इस गंभीर समस्या पर
शीघ्र ध्यान दिया जाना चाहिए.

पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली
15.05.2015

Pooran Chandra Kandpal

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   कुमाउनी और गढ़वाली भाषाओं  कें संविधान क आठूँ अनुसूची में जब तक जागि नि मिला, यूं भाषाओं क जानकार, लेखक, कवि और साहित्यकार चुप बैठनी न्हैति.  चनरदा बतूं रईं, " संघर्ष जारी धरण पडल, कुहूक्याव मारण पड़लि.  जैकें जब मौक मिलूं य बात कि चर्चा जरूर हुण  चैंछ.  जनप्रतिनिधियों कि कुर्सि, दुलैच, आसन कें ढ्यास
मारण में कसर नि छोड़ण  चैनि.  रचनाकार आपण काम करैं रईं . लेखें रईं, आफी छपों रईं और फिरी में बाटें रईं. यमें रचनाकारों ल निराश नि हुण चैन.  आपणी मातृभाषा लिजी तन-मन-धन खर्च करण सबूं है ठुल पुण्य छ.  य काम क लिजी दिल क साथ 'पहरू', 'कुर्मांचल अखबार' और 'कुमगढ़' कें साधुवाद दींण चानू. यूं तपस्वियों है लै ठुल काम करें रईं."

   चनरदा ल विलुप्त हुणी भाषाओँ पर लै चिंता जतूनै कौ, "एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक समाचार पत्र में यूनेस्को क अनुसार दुनिय में ६००० भाषाओँ में २५००  तुप्त हुण कि  आशंका छ.  हमार देश में १९६ भाषाओं कें लुप्त हुण क खत्र छ.  दुनिय में करीब २०० भाषा यास छें जनार बलाणी १० है लै कम रै गईं.  भाषाओँ क अंत हुण ल संस्कृति क लै अंत है जांछ क्येलै कि यूं एक दुसार क परिपूरक छीं.  दुनिया क ९६% भाषा केवल ३% आबादी बलैंछ जबकि ९७% आबादी ४ % भाषाओं कें बलानी.   दुनिय में ज्यादे बलाई जाणी ६५ भाषाओँ में ११ भारत में छीं.  हमार देश में भाषाई सर्वेक्षण ८० वर्षों बटि नि है रय.  सरकार यैक लिजी गंभीर न्हैति.  कुमाउनी और गढ़वाली भाषाओँ क बलाणीयां कि संख्या उत्तराखंड और देशा क अन्य राज्यों में डेड करोड़ है ज्यादै छ.  द्विये भाषाओं  क साहित्य लै छ और साहित्यकार लै छीं. एक दौर में यूं राजकाज क भाषा लै छी. मान्यता दीण क लिजी यूं द्विए सब शर्त लै पुर करनीं.  इनुकें मान्यता मिलण पर इनरि दिदी हिंदी कें क्ये लै नुक्सान नि ह्वल बल्कि उ और समृद्ध ह्वलि.  द्विए भाषाओं कि लिपि लै देवनागरी छ.  अगर राज्य सरकार हिम्मत करो तो इस्कूलों में यूं द्विये भाषाओँ कें पढूनै कि शुरुआत है सकीं.  जो भाषा लोक में रची-बसी छ उकें मान्यता दींण  मेंज डाड क्ये बात कि ? "

पूरन चन्द्र काण्डपाल , रोहिणी दिल्ली

 



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         दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

     पहाड़ कि जवानी में नश (शराब, अत्तर, गांज, बीड़ी, सिगरट, सुडति, गुट्क,तमाकु
भांग ) भौत भतेर तक घुसिगो.  चनरदा  जवान लौंडों में नश कि प्रवृति देखि दुखीं है
बेर बतूं रईं, "क्वे जमान छी जब पहाड़ क पठ्ठों पर गर्व हुछीं.  पहाड़ क पठ्ठ लुव क
सांबोव कें लतकै दिछी ,  घट क बार आऊ क पाथर कें द्वि पठ्ठ सड़क बटि गाड़ पुजै
दिछी, बरयात में घ्वड़ क टांगों कें मोड़ी बेर बकरी घोठ घुसै दिछी.  आज नश ल यौ
सब ख़तम करि है.  हालों में कोटद्वार में एक भर्ती रैली हैछ.  उत्तराखंड  क
अठ्ठाईस हजार लौंडों ल य रैली में भाग ल्हेछ.  पच्चीस हजार लौंड पैलि दौड़ में फेल
है गईं.  दौड़ क पैल चक्कर में उनर दम फुलि गो,  ऊँ हाफंण  फै गईं और पैल
चरण में अनफिट है बेर ज्वताई जास घर लौटि आईं.  सेना क अधिकरियों  ल यैक 
मुख्य कारण लौंडों में नश कि प्रवृति बता. कुछ लोग  कूं रईं कि लौंडों में शारीरिक
श्रम करण कि न इच्छा और न कुबत.  कुछ साल पैली तक पहाड़ा क लौंड इस्कूल-
कालेज जणा लिजी मीलों पैदल हिटछी.  आब लौंड-मौड आराम पसंद जिन्दगी बितै
बेर सेना क  लिजी अनफिट है गईं.  उत्तराखंड में  कुमाऊं रेजिमेंट और गढ़वाल
राइफल्स द्वि मुख्य इन्फैंट्री पलटन छीं.  द्विये पलटन आपणी बहादुरी और देशभक्ति
क लिजी प्रसिद्ध छीं. स्वतंत्रता क बाद कुमाऊं रेजिमेंट ल २ परमवीर चक्र और ४ अशोक
 चक्र जितीं जबकि गढ़वाल राइफल्स ल एक अशोक चक्र जितौ. यूं द्विये पलटनों ल
बहादुरी क लिजी मिलणी अन्य पदकों क ढेर लगा. आज रामलिल में देखि राजा
जनक क ऊँ बात याद औं रईं जब उनूल भरी दरवार में धनुष नि टूटण  पर कौछ,
'आज य दुनिय वीरों है खाली हैगे, धनुष नि टूटण पर सीता अणब्यवाइये रैगे'.
उत्तराखंड क लौंडों कें बतूंण  चानू कि नाश करणी  नश है आपूं कें दूर धरो, रोज
 दौड़ण  क अभ्यास करो और अघिल भर्ती क इन्तजार करो.  निराश हुण कि
 जरवत बिलकुल  न्हेति." 

पूरन चन्द्र काण्डपाल , रोहिणी दिल्ली.
28.05.2015

Pooran Chandra Kandpal

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      ३१ मई धूम्रपान निषेध दिवस
 
   प्रति वर्ष हम ३१ मई को धूम्रपान निषेध दिवस मना रहे हैं ताकि तम्बाकू और धूम्रपान से होने वाली बीमारियों के बारे में जनजागृति हो सके. हमारे देश में २५ करोड़ व्यक्ति धूम्रपान करते हैं और प्रति ४० सेकेण्ड में एक व्यक्ति की तम्बाकू जनित रोग से मृत्यु हो जाती है. ९०% फेफड़े के कैंसर तम्बाकू के सेवन से होते है. हम सबको थोड़ा समय उन लोगों को जागरूक करने में लगाना चाहिए जो तम्बाकू या इसके उत्पाद (बीड़ी ,सिगरेट,सुरती, खैनी, गुट्खा, पान-मशाला, चरस, गांजा, भांग, अत्तर, सुल्पा, नश्वार, चूना-कत्था, जर्दा आदि) से अपना धन फूक कर बीमारी मोल ले रहे हैं. यदि हम एक आदमी को भी इस जहर से मुक्ति दिला सके तो यह हमारी एक उत्तम समाज सेवा होगी . कृपया निम्न पंक्तियों को देखें-

गुट्खा तम्बाकू धूम्रपान / लहू तेरा पी रहे सुनसान/
गली मोहल्ला सड़क शौचालय , लाल किया तूने नादान/
खैनी गुट्खा पान मसाला/ चूना कत्था जर्दा वाला/
पुडिया तम्बाकू मुंह में उड़ेले/ कब जागेगा तू इंसान/
खुद को तो तू मार रहा/ धुआं दूजे पर डाल रहा/
बस में से बिन बाहर देखे, हरदम थूके तू बेईमान/
नशा नहीं है ये तो जहर है, तुझ पै ढा रहा कैसा कहर है/
अभी वक्त है छोड़ नशे को,बन समाज का व्यक्ति सुजान.

पूरन चन्द्र काण्डपाल ,रोहिणी दिल्ली
मोब. ०९८७१३८८८१५

 

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