दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै
होइ में चनरदा दगै भौत बात हईं. उनार बताई कुछ बात बतूंण चानू |
उनूल बता," होइ , हमर प्यार-प्रेम , हंसण-बलाण ,मिलण-जुलण क इन्द्रेणी
जस रंगीन त्यार छी | आज होइ क मतलब बदली गो -
कभैं छी 'होइ' पर बसंत क शबाब /
रंग रसायन मिलावट ल आब य हैगो खराब /
कभैं हुँछी 'होइ' क मतलब स्नेह मिलन/
अच्याल त 'होइ' क मतलब छ केवल शराब./
धरम-करम में शराब, भरम में शराब /
जन्म दिन, पुज- पाठ, ब्या में शराब /
दिवाई में शराब , होइ में शराब/
जनम बटि मरण तक शराबै-शराब/.
गम में शराब , खुशि में शराब /
जीत में शराब, हार में शराब/
जुदाई में शराब, मिलन में शराब/
यस बखत आछ हर सै में शराब.
'होइ ' क रंग में भंग करणी हुड़दंगियों कैं समर्पित छ य छंद-
होइ क हुड़दंग में देखौ हुड़दंगियों क जोर /
शकल 'भूत' जसि है रैछी, जस नकाब में चोर/
जस नकाब में चोर, नश में धुत्त सबै छी/
हिटै रौछी लड़खड़ानै , आँख चुइँ जै रौछी /
कूँ रौ 'चनरदा' यूँ हुड़दंगियों कि बेकाबू है रैछी थोइ/
रंगों क छी य त्यार हमर ,बदरंग बनै दी होइ|
'होइ' क हुड़दंगियों क पास नि छी अबीर गुलाल/
पेन्ट-रसायन लगा उनूल एक दूसर क गाल/
एक दूसर क गाल, क्वेल्तार डावौ बावौं में/
पकड़ि-पकड़ि डावौ,एक-दुसरे कैं खावौं में/
कूंरौ चनरदा कैल मारी पिचकारि, कैल गुब्बारा गोइ/
डरि गोयूं हुड़दंगियों देखि, घर भैटी बेर मनै 'होइ'|
पूरन चन्द्र काण्डपाल, रोहिणी दिल्ली
19.03.2015