ब्रतबंद (जनेऊ संस्कार) के समय गाया जाने वाला मांगलिक गीत
लला नारींग रस ल्यै दे जामीर फल ल्यै दे,
नारींग हूं जिया करे
भौजी नारींग कसी ल्यूं, जामीर कसी ल्यूं,
नारींग हूं पहरा धरे,
तुमर बाबज्यू का बाग-बगीचा,
मैय्या की हैंसियां फुल बाड़ियां,
लुदी रई बोट हजार, नारींगा.......
तुमर ससुर ज्यू का माली महेन्द्र,
सैय्यां का चौकीदार मुच्छन्दर,
लाठी ली बैठियां छन पार, नारींग कस ल्यूं।
भौज्यू नारींग में रस नी भरिन,
नारींग को आजी रंग नी गरिणो,
हरिया पातलन है रीं डाल,
नारींग कसीं ल्यूं,
भैय्या ते मांगो पैसा रुपया,
तुम लाला नाचो ताता थैईयां,
दौड़ी जाओ हाट बाजार,
नारींग हूम जिया करे।
बौजी छ मेरी के भली बाना,
सासु ननद की हाथ की चाना,
चोरी खांची खटई अचार,
नारींग कसी ल्यूं।
नंददेवी मैल दिखै दयूंलो,
चरख में लला बैठाई दयूंलो,
बाजा बैलून ल्यूंलो चार,
नारींग हूं जिया करे।
आपौं हूं दुल्ह-दुल्हिणी,
शैणी भिषौणी मैकणी नी चैनी,
आपणों त खेल हजार,
नारींग कसी ल्य़ूं।
भाभी और देवर में वार्तालाप चल रहा है, भाभी देवर से संतरे लाने को कहती है और देवर न लाने के बहाने ढूंढता है.....सामान्य चुहल लोकगीत के माध्यम से।