वाह जागर पर इतनी विस्तृत जानकारी देने क लिये धन्यवाद. बहुत ज्ञान-वर्धन हुआ पढ़कर.
चारु दा ने जो लिखा था वह यह है.
आदरणीय श्री पंकज जी
आपने ठीक ही किया मुझे भी सोये में जागर लगाकर जगा दिया। जागर न होती तो पहाड़ भी नहीं होता। कितनी बार जागर लगाकर ही हमने चेताया है व्यवस्था को। जागर ही बना है अपने ही बारे न सोचने वाले साथियों को। जागर को लोगों को सामने लाना इसलिए महत्वपूर्ण लगता है हमारी पारंपरिक विरासत और तत्कालीन सामाजिक संरचना को समझने के लिए एक माधयम हो सकती है। जागर का शाब्दिक अर्थ है जागरण। इसे आह्नान के रूप में भी देखा जा सकता है। इसे संकल्प का माधयम भी बनाया जा सकता है। तत्कालीन चीजों को बदलते युग के साथ ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेना न तो समाज के लिए अच्छा है और न ही विकास के क्रम को आगे बढ़ाने के लिए ठीक। जिस प्रकार स्टेज में गाना गाने या नाचने मात्र् से गीत संगीत को बचाने का दावा नहीं किया जा सकता है उसी प्रकार रूढ़ियों का बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। जागर को हमारी थाती के रूप में ऐसी धात लगाने के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए जो राज्य के नव निमार्ण और सामाजिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में भी सहायक हो सके। जागरण की परंपरा और उसके निहितार्थों को समझे बिना किसी भी मात्र् उसकी ऐतिहासिकता पर अपनी पीठ थपथपा लेना या उसी को सर्वोच्च ठहरा देने से कभी-कभी बड़ी दिक्कतें पैदा हो जाती है। फोरम में विषय को देखते हुये मन में आया कि बिना इसकी एकडमिक व्याख्या में जाये बिना बहस के लिए आप लोगों के साथ शामिल होऊं। आज से बीस साल पहले मैंने जागर पर विस्तृत अध्ययन किया था। उस समय दैनिक जागरण ने इसे लगातार छापा भी था। मेरा मानना था कि जागर उत्तराखण्ड के तत्कालिक ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पक्षों को जानने का प्रमुख आधार बन सकता है। यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया भी जो जन मानस को मनोवैज्ञानिक ढ़ग से उन चीजों को समझाने भी कामयाब रही है जो उसकी समस्याओं के मुख्य केन्द्र में थी। बाद के दिनों में सहकारिता का वाहक भी बनी। इतना ही नहीं आज जागर इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गयी है जो लोग स्थाई रूप से पहाड़ छोड़ चुके हैं वह देश से बाहर जाने के बाद भी जागर के लिए तो घर आ ही जाते हैं। मैं आपके विषय पर अपने जागर पर शोध को श्रृंख्नाबद्ध तरीके से रखूंगा। फिलहाल आपको अपनी धरोहर को उठाने के लिए धन्यवाद।
चारु तिवारी
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हमें चारु दा के शोध की प्रतीक्षा है.