Well most of us think/know that Jaagar is a ritualistic dance form intimately connected with the worship of local deity or ghost worship in Uttarakhand.
I too have my own experience with Jaagar, Navratri etc. You just can’t express how you feel because the atmosphere is totally divine. And the seeing and listening to all this gets you thinking is this for real??
It’s just my curiosity because I’ve seen drunken people jumping around and making fun themselves and our faith.
And I’ve been curious for long time about all this .How the (Real) Dangria feels after the Jaagar is over?? Does he/she remember anything??
I‘d tried to ask some folks but they did not give me the correct answer. They were like “Ke yaad na runi or tus na pucho” so, I had to keep quite.
~Thanks
p.s. Hope I’m not offending anyone.
प्रिय बन्धुवर,
आपकी बात सही है कि कई बार कई हुड़्दंगी लोग पी करके जागर में आते हैं और तमाशा करते हैं. तब जागर के बारे में शंका उत्पन्न होती है. कई बार कुछ स्वार्थी डंगरिये नाचते वक्त भी (देवसाई की बजाय नरसाई में) अपने व्यक्तिगत विचार के आधार पर फ़ैसले देते हैं जबकि यह देवता का फ़ैसला नहीं होता. लेकिन सिर्फ़ इस बुरी बात के आधार पर हर जागर को या देवताओं को ही शंका की नजर से देखना उचिन नहीं. ऐसा हर जगह होता है. यदि किसी मन्दिर में पुजारी या पंडितजी गलत या अधार्मिक कार्य करे तो मन्दिर या उस मन्दिर के देवता पर शंका करना तो उचित नहीं है.
मेरी तरह आप लोगो ने भी कई बार जागर में देवता की शक्ति को प्रत्यक्ष अनुभव किया होगा.
हमारे गाँव में इस बार की जात्रा, जिसका वर्णन में पहिले कर चुका हूँ, में एक बार जगरिया नरसिंह देवता का आह्वान कर रहे थे, देवता बड़ी देर तक तो आए ही नहीं पर जब आने लगे तो बड़े क्रोध में आए और जगरिया का हुड़ूका पकड़ लिया. देवता ने पूछा "गुरु आज तुम क्या गलत खा कर मेरे दरबार में आए हो?" जगरिया ने बताया कि वह मछली खा कर आए थे. नरसिंह देवता एक जोगी के समान हैं और वे निरामिष हैं अर्थात Non-Veg उनके दरबार में नहीं चलता. उन्होंने जगरिया को चेतावनी दी कि आगे से सावधान रहने को कहा. अगले दिन भी उन्होंने थाली बजाने वाले को भी पी के आने पर भरी सभा में लताड़ लगाई.
यह सब किसी को नहीं पता था और देवता के डंगरिया, जो कि मेरा छोटा भाई है, को भी यह पता नहीं था, लेकिन जब उस पर देवता आया तो देवता को सब पता चल गया था. यह सब ६ जून और ७ जून की जागर में हुआ जिसकी Clip मैंने E-snips में अपलोड कर रखी है और ऊपर उसका Link भी दिया है.
आपका दूसरा सवाल था कि क्या डंगरिये को सब कुछ बाद में भी याद रहता है?
मेरे विचार में उन्हें सब कुछ बाद में भी (देवता उतरने के बाद) याद रहता है. देवता नाचते वक्त उन्हें सब महसूस तो होता है कि क्या हो रहा है, पर उनका शरीर उस वक्त देवता के वश में होता है और प्रायः वे ही उसके शरीर को संचालित करते है. इसमें भी शायद देवता कभी डंगरिया पर पूरे जोर अवतरित होते हैं उस वक्त डंगरिया पूरी तरह देवता के वश में होता है. ऐसे में वह कभी जलती धुनी में हाथ डाल कर गर्म अंगारे निकाल लेता है, लोहे में तपाए गर्म चिमटे को चाट लेता है और गर्म कोयले/राख से अपने शरीर पर भस्म रमाता है. यदि देवता के नाचते वक्त डंगरिया को कोई चोट लग जाती है तो उसमें बाद में दर्द आदि भी होता है.
कभी-२ देवता का असर कम होता है, उस वक्त डंगरिया कुछ-२ अपने होश-हवाश में होता है.
देवता उतरने के बाद वह आम आदमी होता है और वह नाचने के बाद कुछ देर थका थका महसूस करता है.
ये सब मेरे व्यक्तिगत अनुभव हैं, किसी प्रकार की त्रुटि के लिए आप सभी सज्जनों से क्षमा प्रार्थी हूँ.
जात्रा का Link नीचे दिया है उसमेम ६ और ७ जून की clip देखें.
http://www.esnips.com/fm/4db5fbf4-9269-4aa7-94c0-8471c293907e/?v=682054&source=ws