Rajeshwar Uniyal with Dinesh Dhyani
उत्तराखण्ड राज्य बनने के सोलह साल पूरे होने के उपलक्ष में.. शुभकामनाओं के साथ............ . प्रस्तुत है एक कविता............- उत्तराखण्ड के सोलह सावन.................... डा. राजेश्वर उनियाल .......मुंबई -9869116784
सोलह सावन बीत गए, पर यौवन अभी कहाँ खिला,
कलियाँ सूखी बिखर गई , फूलों ने कहाँ ऋँगार किया ।
भौंरे तो मदमस्त घूम रहे, बगिया की कहाँ उनको चिंता,
अधर तो सूखे रह गए, किसने फिर रसपान किया ।।
माली बस बदलते रहे यहां, सोलह वर्षों में आठ हुए,
पर भाग्य ना कोई बदल सका, बाट जोहते सभी रहे ।
गैर नहीं सब हैं अपने, कोसूं किसको समझ ना सका,
दिखाते रहे सभी सपने, पर साकार कोई कर ना सका ।
अब चुप नहीं मैं बैठूंगा, खुद बहार बनकर आऊंगा,
अपनी बगिया को चमका, मैं पुष्प भी खुद बिखराऊँगा ।
यौवन तो मेरा व्यर्थ गया, इसका मुझको मलाल नहीं,
भाग्य विधाता बन अपनी, सुहाग की सेज सजाऊँगा ।।
लूटते रहे तुम बगिया को, पर अब मैं ना लुटने दूंगा,
बन प्रहरी इन पर्वतों का, मैं सबको सबक सिखाऊँगा ।
शांत बैठा था अब तक मैं, नदी तट पर बैरागी सा,
खोलकर अब सब बंधनों को, मैं प्रलय बन ढा जाऊँगा ।।