पारम्परिक वेशभूषा पहने उत्तरकाशी की महिलाएं। ‘बिजली दो-पानी दो’ की बुलंद आवाज। बीच-बीच में नाच-गाने का दौर। फिर एकाएक जोरदार नारेबाजी। गांधी पार्क के मुख्य द्वार पर शुक्रवार को दिनभर कुछ ऐसा ही नजारा रहा। उत्तरकाशी से सैकड़ों महिलाएं यहां धरना देने पहुंची थीं। वो भैरो घाटी, लोहारी-नागपाला व पाला मनेरी जल विद्युत परियोजनाओं को बंद किए जाने से नाराज थीं। इन परियोजनाओं से जुड़े बेरोजगार युवकों ने भी धरने में उनका साथ दिया। रुलक संस्था ने इस धरने का आयोजन किया था।
गांधी जयंती के मौके पर गढ़वाली महिलाएं सुबह करीब 10 बजे धरने पर बैठीं। वो जल विद्युत परियोजनाओं को बंद किए जाने पर अपना विरोध व्यक्त कर रही थीं। उन्होंने अपने हाथों में ‘बिजली की खानापूर्ति नहीं आपूर्ति चाहिए, हम सबका एक ही है सपना रोशनी भरा हो गांव अपना, गोमुख से हरिद्वार नहीं सिंचती गंगा एक भी खेत, बंद जल विद्युत बिजली परियोजनाओं को तत्काल चालू करो’ आदि नारे लिखे हुए बैनर ले रखे थे।
धरने पर बैठी मोरी ब्लाक के धारा गांव की चुम्मी का कहना था कि बिजली परियोजनाएं बंद होने से उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। गांव में शिक्षा, पानी व चिकित्सा की कोई व्यवस्था नहीं है। चुम्मी का कहना था कि राज्य सरकार ने अगर इन समस्याओं का शीघ्र निदान नहीं किया तो अगले चुनाव में वो वोट नहीं डालेगी।
धरने में शामिल भटवाड़ी मंजदूर संगठन के अध्यक्ष सुनील रौतेला का कहना था कि बंद की गईं तीनों जल विद्युत परियोजनाओं से गंगा नदी को कोई नुकसान नहीं हो रहा है, लेकिन केंद्र व राज्य सरकारों ने इन्हें बंद कर दिया। उत्तरकाशी से ही आए सुनील रावत का कहना था कि परियोजनाओं के बंद होने से क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ गई है।