GOPAL BABU GOSWAMI
============
गोपाल बाबू गोस्वामी जी को यदि उत्तराखंड की आवाज(VOICE OF UTTARAKHAND) , उत्तराखंड का रफी और कई इस प्रकार के नाम दिया जाय तो भी ये सारे कम ही होंगे ! गोस्वामी जी ने समाज के हर पहलू पर गाने बनाये! गोस्वामी जी की जल्दी देहांत से उत्तराखंड के लोक संगीत को गहरा आघात लगा है ! आज की गोस्वामी जी के जैसा गायक की उत्तराखंड के लोक संगीत को सक्त जरूरत है ! गोस्वामी जी ने सबसे पहले अपने आवाज जय माँ भवानी कैसेट से अपने गानों की रिकॉर्डिंग शुरू की थी !
गोस्वामी जी ने हिन्दी तथा कुमाउनी में कुछ किताबें भी लिखीं.
जिनमें दर्पण , राष्ट्रज्योति ,
जीवनज्योति (हिन्दी) ,
गीतमाला ( कुमाउनी ) प्रमुख हैं.
एक पुस्तक उज्याव अप्रकाशित है. गोपाल दा की पूरी जिन्दगी उतार-चढाव के बीच गुजरी. उन्हें ब्रैन ट्यूमर हो गया, AIIMS में सर्जरी हुई लेकिन अन्ततः 26 नवम्बर 1996 को गोपाल दा ने शरीर त्याग दिया. लेकिन अपने गानों के साथ गोपाल दा आज भी उत्तराखण्ड के हर निवासी के अन्दर जिन्दा हैं. गोपाल दा की कमी आज भी खलती है.