साथियो,
दुःखी मन से सूचित कर रहा हूं कि उत्तराखण्ड की एक महान विभूति डा० डी०डी० पंत जी अब हमारे बीच नहीं रहे, कल दिनांक ११ जून, २००८ को हल्द्वानी में उनका देहावसान हो गया। डा० पंत कुमाऊं वि०वि० के संस्थापक कुलपति थे और उन्होने नोबल पुरस्कार विजेता डा० सी०वी० रमन के साथ भी कार्य किया था|
डा० पंत भौतिक शाष्त्री तो थे ही, साथ ही उनके मन में उत्तराखण्ड के लिये भी कुछ करने की भावना थी, इसी भावना के तहत उन्होंने १९७९ में उत्तराखण्ड के प्रथम राजनैतिक दल "उत्तराखण्ड क्रान्ति दल" की स्थापना की और उसके संस्थापक अध्यक्ष रहे। उन्होंने वर्ष १९८० में अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, इसके अतिरिक्त वे एक कुशल प्रशासक भी थे और निर्भीक और ईमानदार भी, १९९७७ में कुमाऊं वि०वि० में राज्यपाल के अनावश्यक हस्तक्षेप के कारण उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया और उनके इस निर्णय पर राज्यपाल को भी अपना निर्णय बदलना पड़ा था।
प्रो. पन्त का जन्म 1919 में आज के पिथौरागढ़ जिले के एक दूरस्थ गांव देवराड़ी में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई। पिता अम्बा दत्त वैद्यकी से गुजर-बसर करते थे। बालक देवी की कुशाग्र बुfद्ध गांव में चर्चा का विषय बनी तो पिता के सपनों को भी पंख लगे लगे। किसी तरह पैसे का इंतजाम कर उन्होंने बेटे को कांडा के जूनियर हाईस्कूल और बाद में इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई के लिए अल्मोड़ा भेजा। आजादी की लड़ाई की आंच अल्मोड़ा भी पहुंच चुकी थी। देवी दत्त को नई आबोहवा से और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली।
मेरा पहाड़ परिवार उनको अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देता है और भगवान से प्रार्थना करता है कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके परिवार के सदस्यों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।
ऊं शांति!