मैं अभिनव. पेशे से स्वतंत्र पत्रकार हूं. वैसे तो कोलकाता को अपना स्थाई घर कहता हूं. पर सही मायनों में पूरा भारत ही मेरा घर है क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी का काफी समय बंजारों जैसा बिताया है. भारत के अनेकानेक गावों, शहरों में घूमते घूमते उसकी संस्कृति को जाना समझा और उससे प्यार किया है. पहाडों का जीवन में बहुत गहरा प्रभाव रहा है. फिर वो गोरखालैंड के पहाड़ हो या कुमाऊं, गढ़वाल की वादियां... हमेशा ही पहाड़ी लोगों की जीवटता का कायल रहा हूं इसलिए खुद को पहाड़ी जीवन से हमेशा जुड़ा पाता हूं.