नेगी जी के सुर सागर का एक और नायब मोती (from Manoj Joshi)
रिधि को सुमिरो शिधि को सुमिरो ,सुमिरो किशन कनायी .
अर सुमिरो गुरु अविनाशी को सुमरो शारदा माई,
सुन ले रे बेटा गोपीचंद जी बात सुनो चित लाई
सदा अमर या धरती नि रेंणी बज्र पडे टूटी जाई
अमर नि रेंदा चन्द्र सूरज छुचा ग्रहण लगे छुप जाई ,
रिधि को सुमिरो शिधि को सुमिरो .........
माता रोये जनम-२ को बहना रोये छे: मासा ,
तिरिया रोये डेड घड़ी को अग्ने करे फ़िर बसा .....
रिधि को सुमिरो शिधि को सुमिरो ,सुमिरो किशन कनायी