श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली रही सेम मुखेमलम्बगांव (टिहरी)। घने जंगलों के बीच समुद्रतल से करीब नौ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सेममुखेम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर हर साल मेला आयोजित होता है। पुराणों के मुताबिक यह स्थल श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली भी रहा है।
जिला मुख्यालय टिहरी से 175 किलोमीटर दूरी पर स्थित यह स्थल धार्मिक एवं आध्यात्मिक शान्ति का अनूठा केन्द्र है। किंवदंती है कि द्वापर युग में कृष्ण जन्म के बाद भागवत गीता के 18 वें अध्याय में इस तीर्थ का उल्लेख किया गया है कि यमुना नदी पर एक कालिया नाग वास करता था, जिससे यमुना नदी का जल दूषित होने के साथ-साथ यमुनावासियों के लिए यमुना के दर्शन बड़े दुर्लभ हो गए थे। तब भगवान ने यमुना वासियों के दुख दर्द को समझते हुए अपने ग्वाल बाल साथियों के साथ यमुना तट पर गेंद खेलने का बहाना बनाया तथा गेंद को जानबूझकर यमुना नदी में फेंक दिया। गेंद लाने के बहाने श्रीकृष्ण ने यमुना में छलांग लगाकर उस कालिया नाग के सिर पर जा बैठे। श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को यमुना छोड़ने को कहा, तो उसने कहा कि वह उन्हें कोई दूसरा स्थान बता दें, जहां पर वह रह सके, क्योंकि उसने कोई अन्य स्थान नहीं देखा है। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण कालिया नाग को लेकर सेम मुखेम में पहुंचे, जहां पर उन दिनों अहंकारी शासक गंगू रमोला का शासन था। जनता गंगू रमोला के उत्पीड़न से काफी परेशान थी। भगवान श्रीकृष्ण ने गंगू रमोला के आतंक से लोगों को भी मुक्ति दिलाई थी। माना जाता है कि तभी से जन्माष्टमी के अवसर पर सेममुखेम में हर वर्ष मेला आयोजित होता है। इस मेले में दीन गांव, घंडियाल, सेमवाल गांव, मुखमाल, खंबाखाल, कंडियाल गांव के ग्रामीणों के अलावा दूर-दूर के लोग भी पहुंचते हैं।
Source : Dainik Jagran